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शनिवार, 20 अगस्त 2022

जिसकी जितनी किस्मत थी

जिसकी जितनी किस्मत थी ।
उतना उसका हिस्सा आया ।।

किसी को ज़रुरत से कम आया ।
किसी को जरुरत से ज्यादा आया ।।

किसी को गुर्बते रुसवाई आया ।
किसी को दौलतें जागीर आया ।।

किसी की आंखों में नीर आया ।
किसी के हाथों में खीर आया ।।

मुझे सब्र था तो राहे सूलूक में ।
मेरे हिस्से में मेरा पीर आया ।।

जावेद उन सब को अब भूल जा ।
तू नज़र में जिसके हक़ीर आया ।।

शब्दार्थ - 
हक़ीर = छोटा , तुच्छ , नीच , गिरा हुआ इत्यादि ।

राहे सूलूक = ग़रीब , दुखियारों की मदद करना ,
                  ईश्वर की तलाश , आत्मा को     परमात्मा     
                  में लीन करना आदि इत्यादि ।
                  
पीर = कामिल मुर्शीद , संत , पहुंचे हुए फ़कीर , 
          औलिया अल्लाह , सच्चे गुरु आदि इत्यादि 
          
नीर = पानी , आंखों से संबंध होने पर आंसू ।

खीर = विषेश प्रकार का स्वादिष्ट व्यंजन ।

गु़र्बत = ग़रीबी , गुर्बते = जरुरत से ज्यादा ग़रीब ।

रुसवाई = हंसी का पात्र बनना , लोगों के द्वारा
               मजाक उड़ाया जाना आदि इत्यादि ।
               
दौलतें जागीर = बे शुमार दौलत , इलाके का
                       मालिक , जरुरत से ज्यादा धन
                       का होना अति सम्मानित सम्मान
                       में लोगों का सर झुक जाना ।