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शनिवार, 24 नवंबर 2018

जो दिल ने कहा

मैं कुछ कहना नहीं चाहता
मैं सिर्फ सुनना चाहता हूं
मैं अब सुनना भी नहीं चाहता
मैं तो सिर्फ देखना चाहता हूँ
अब मैं देखना भी नहीं चाहता
अब तो मैं हो जाना चाहता हूँ
और अब तो होना भी नहीं चाहता
अब तो लीन हो जाना चाहता हूँ
परंतु अब लीन भी नहीं होना चाहता
मैं तो बस वही हो जाना चाहता हूँ
अखिर वह है क्या ?
जो मैं हो जाना चाहता हूँ
सदा सदा के लिये
युगों युगों के लिये
नित निरंतर के लिये
अपने लिये नहीं सिर्फ तुम्हारे लिये
और तुम्हारे लिये भी नहीं
सिर्फ तुम्हारी आत्मा के लिये
बस यही तो है तुम्हारे पास
एक अनमोल रतन
जिसे तुम समझ नहीं पाते
जिसे आनंदित करने का
तुम्हारे पास कोई ज्ञान नहीं
उस ज्ञान को देने के लिये
इस आत्मा को आनंदित करने के लिये
संपूर्णआनंद होना चाहता हूँ
जिससे असुद्ध अत्माओं को आनंदित कर सकूँ
वह भी संपुर्ण सदानंदित ...........।
                              

           विचारक- जावेद गोरखपुरी
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2 टिप्‍पणियां:

Jamshed Khan ने कहा…

Bahut khoob.. Bahut gahrayi hai aap ke is lekh me..

VOICE OF HEART 1 ने कहा…

आपका बहुत बहुत शुक्रिया jamshed khan sahib
आप से गुजरिश है की मुझे सुझाओ दे की और मे इसी तरह लिखता रहूं तो कैसा रहेगा ।
आप के सुझाव से मुझको हौसला मिलेगा ।