मैं कुछ कहना नहीं चाहता
मैं सिर्फ सुनना चाहता हूं
मैं अब सुनना भी नहीं चाहता
मैं तो सिर्फ देखना चाहता हूँ
अब मैं देखना भी नहीं चाहता
अब तो मैं हो जाना चाहता हूँ
और अब तो होना भी नहीं चाहता
अब तो लीन हो जाना चाहता हूँ
परंतु अब लीन भी नहीं होना चाहता
मैं तो बस वही हो जाना चाहता हूँ
अखिर वह है क्या ?
जो मैं हो जाना चाहता हूँ
सदा सदा के लिये
युगों युगों के लिये
नित निरंतर के लिये
अपने लिये नहीं सिर्फ तुम्हारे लिये
और तुम्हारे लिये भी नहीं
सिर्फ तुम्हारी आत्मा के लिये
बस यही तो है तुम्हारे पास
एक अनमोल रतन
जिसे तुम समझ नहीं पाते
जिसे आनंदित करने का
तुम्हारे पास कोई ज्ञान नहीं
उस ज्ञान को देने के लिये
इस आत्मा को आनंदित करने के लिये
संपूर्णआनंद होना चाहता हूँ
जिससे असुद्ध अत्माओं को आनंदित कर सकूँ
वह भी संपुर्ण सदानंदित ...........।
विचारक- जावेद गोरखपुरी
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2 टिप्पणियां:
Bahut khoob.. Bahut gahrayi hai aap ke is lekh me..
आपका बहुत बहुत शुक्रिया jamshed khan sahib
आप से गुजरिश है की मुझे सुझाओ दे की और मे इसी तरह लिखता रहूं तो कैसा रहेगा ।
आप के सुझाव से मुझको हौसला मिलेगा ।
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