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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

तुम कौन हो ?

तुम जिस्म के एक खुबसूरत इमारत में हो जो खंडहर भी होता है और गिरता टूटता भी है ।
तुम ईंट और पत्थरों से बनाए हुए मकान की मियाद जान और समझ सकते हो लेकिन जिस्म रुपी मकान की किसी भी तरह की कोई भी मियाद नहीं है ।
इस मकान का कब क्या होना है न तो इसे जान सकते हो और न कभी समझ सकते हो ।

पूरी जिंदगी मैंने तुम्हारे खुशियों के लिए संघर्ष करते - करते मर गया लेकिन फिर भी तुम्हें मेरी कदर समझ में नहीं आई । जिंदगी भर तुम्हें सिर्फ यही एहसास रहा कि मैं बेकार हूं तुम्हारे किसी काम का नहीं हूं , लेकिन आज मेरे मर जाने के बाद तुम्हें मेरी कदर उस समय आई जब मेरे छोड़ जाने वाले संघर्षों को तुम्हें करना पड़ रहा है ।

अब तुम सोचते हो कि काश वो दुनिया में रहे होते लेकिन तुम्हें शायद यह नहीं पता था कि मैं दुनिया से जाने के लिए ही तो आया था ।
तुम को भी एक दिन इस दुनियां से चले जाना है और जाने वालों को आज तक दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं पाई है और न तो कभी रोक पायेगी ।

तुम्हारे चाहने से कोई फायदा नहीं क्यों कि जाने के बाद फिर वापस आने का कोई रास्ता नहीं है ।
तुम मेरी बातों को और मेरे संघर्षों को याद कर सकते हो और लोगों को बता सकते हो , लोगों को सुना सकते हो , मेरे समाधिस्थल ( कब्र ) पर आकर दो आंसू टपका सकते हो उससे ज्यादा और कुछ नहीं कर पाओगे ।

अगर मुहब्बत है मुझसे तो मेरे बताए हुए रास्तों पर चलना । अपनें मां , बाप , भाई , बहन , रिश्तेदारों और दोस्तों की इज्जत करना , कभी रुठना मत ।
तुम्हारी औकात जैसी हों उसके मुताबिक जो परेशानियों में हों उनकी मदद करना , इससे तुम्हें दुनिया से जाने का दुःख नहीं होगा ।

इस दुनियां में आता कौंन है ? और 
इस दुनियां से जात कौन है ?
सब आत्मा ( रुह ) का खेल है जिस्म तो यहां मिट्टी से बनता है और मिट्टी में मिला भी दिया जाता है ।
आत्मा ( रुह ) इसमें आती है और फिर वही आत्मा ( रुह ) ही निकल कर इस दुनियां से चली जाती है ।
यहां की चीज यहीं रह जाती है और
वहां की चीज वहां चली जाती है ।

जब तुमने ही मुझे दफ़नाया ।
जब तुमने ही मुझे फूंका ।
तो फिर तुम्हें मुझसे मोह कैसा ।
अगर यह समझते हो कि यह दुनियां की एक परंपरा है तो उसी तरह सारे रिश्तों की एक परंपरा है जिसे इंसान बन कर इंसानियत और मुहब्बत से निर्वाह करते हुए इस दुनियां से जाना ।
ऐसा कभी मत करना की तुमसे किसी का दिल टूटे या किसी को दिली तकलीफ हो ।

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं ।
सामां हैं सौ बरस के पल की खबर नहीं ।।


मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

धुरियापार और इससे जुड़े सैकड़ों गांवों के लोग समस्याओं से जूझ रहे हैं ।

यह धुरियापार से उरुवा बाजार जाने वाली सड़क हैं ।

जो उरुवा बाजार चौराहे से दक्षिणांचल में बेलघाट तक जाती है और धुरियापार से पुर्वांचल में गोला बाजार से मिलती है , जिसकी हालत इतनी खराब है कि ऐसा लगता है जैसे 50 साल पहले वाली कच्ची सड़क की तरह हो चुकी है । इस सड़क के हर तीन मीटर पर खतरनाक गढ़े हैं । यह सड़क सैकड़ो गाँवों को और जिलामुख्यालय को , ब्लाक को , अस्पताल को , थाना को और मेंन बाजार को भी जोड़ती हैं । 


यह देश आज़ादी के बाद से धुरियापार विधानसभा में था परंतु अब चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में परिवर्तित हो गया हैं । मा० विधायक जी और मा० सांसद जी को यह रोड बिल्कुल ही ध्यान में नहीं आता है । अब 15 साल पूरे होने वाले हैं जल्द ही 2024 का चुनाव भी होना है । नेता और प्रत्याशी लोग फिर इसी सड़क से अपने लग्जरी गाड़ियों से जनता से वोट लेने आएंगे और चुनाव के बाद लापता हो जायँगे । लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि यह रोड इसी हालत में रह जायेगी । इस सड़क के खराब हालात में ही रह जाने में सत्ताधारियों के साथ - साथ विपक्ष की भी बराबर की लापरवाही हैं यह लोग भी ज़मीनी मुद्दे को छोड़ कर बस फ़ोटो बाजी और अपने चमचों में मस्त हैं । कुछ ठिकेदार कभी भूले भटके कहीं से सड़क पर दिख जाते हैं तो वे सिर्फ सड़क पर महीन गिट्टी बिछाकर सड़क को काला कर के चलते जाते हैं वो भी पूरे सड़क को नहीं बल्कि कुछ - कुछ जगहों पर जिसका कोई मानक पूरा नहीं होता ।

सड़क को मानक के अनुसार फ़िर से बनाने की बहुत जरुरत है क्यों कि अब हर दूसरे दिन भयंकर हादसे भी होने लगे हैं । 


धुरियापार मार्केट से उरुवा बाजार चौराहे की दूरी सिर्फ तीन किलोमीटर है जिसका किराया बीस रुपया है ।

इस किराये को किसने लागू किया इसका कुछ पता नहीं

 

विषेश आग्रह :- 

अगर वर्तमान सरकार फिर से धुरियापार को विधानसभा के रुप में लौटा दें तो जनमानस के बीच बहुत ही हर्ष का माहौल होगा और सत्ता का मान सम्मान एवं बोलबाला में वृद्धि भी होगी ।

दूसरा कारण कि हमारा धुरियापार हमारे मुख्यमंत्री जी के जिले में ही पड़ता है ।

बुधवार, 6 दिसंबर 2023

जीवन की सार्थकता क्या है ?

जीवन की सार्थकता का अर्थ है , जीवन को एक उच्चतम लक्ष्य या अपनी अभिलाषाओं के अनुसार जीवन को जीना । जीवन की सार्थकता में प्रत्येक व्यक्ति की सार्थक लक्ष्य एवं अभिलाषाएं भिन्न - भिन्न हो सकती हैं , क्यों कि हर व्यक्ति का जीवन दृष्टि और मूल्य अलग - अलग होते हैं । जीवन की सार्थकता के लिए पांच विशेष बिन्दु हैं , जैसे  : -- 


1 - आत्म-ज्ञान  : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्मबल को पहचाने , अपनी शक्तियों और कमजोरियों को एहसास करे , अपनी रुचि , अपने शौक , अपनी भावनाओं और विचारों को समझे । आत्म-ज्ञान से व्यक्ति अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित कर सकता है और अपने जीवन को उसके अनुरूप बना कर ढाल सकता है ।


2 - आत्म-विकास  : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्मबल का विकास करे , अपनी शक्तियों का सदुपयोग करे , अपनी कमजोरियों को दूर करे , अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाए , अपने व्यक्तित्व को निखारे । आत्म-विकास से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक समृद्ध , सुखी और सफल बना सकता है ।


3 - आत्म-निर्भरता. : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्मबल पर भरोसा करे , अपने निर्णय और कार्यों के लिए जिम्मेदारी ले , अपने जीवन को अपनी इच्छा और प्रयास के अनुसार संचालित करे । आत्म-निर्भरता से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक स्वतंत्र , सम्मानित और गौरवशाली बना सकता है ।


4 - आत्म-सेवा  : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्मबल के विकास के लिए आत्म सेवा करे , अपने शरीर , अपने मन , अपने मस्तिष्क और अपने आत्मबल का ख्याल रखे , अपने स्वास्थ्य , अपनी सुख और शांति का ध्यान रखे , अपने जीवन को अधिक आनंदमय और आरामदायक बनाए । आत्म-सेवा से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक प्रसन्न , और शांतपूर्ण बना सकता है ।


5 - परोपकार. : -- 

जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति परोपकार करे , अपने परिवार , अपने समाज , अपने देश और मानवता की सेवा करे , अपने सहयोग , अपनी सहानुभूति और अपने समर्पण का परिचय दे , अपने जीवन को अधिक उपयोगी और उदार बनाएं । परोपकार से व्यक्ति अपने जीवन को अधिक सार्थक , सम्मानित और श्रेष्ठ बना सकता है ।


इस प्रकार, जीवन की सार्थकता व्यक्ति के आत्म-ज्ञान , आत्म-विकास , आत्म-निर्भरता , आत्म-सेवा और परोपकार के आधार पर निर्भर करती है । व्यक्ति जब इन पांचों तत्त्वों को अपने जीवन में समन्वित रूप से आत्मसाक्षात के द्वारा अपनाता है , तब जाकर उसका जीवन सार्थक होता है । जीवन की सार्थकता व्यक्ति को अपने जीवन का अर्थ समझने , अपने जीवन का मूल्य बढ़ाने और अपने जीवन का आनंद लेने और देशहित , समाज हित , लोकहित , के साथ ही साथ समग्र हितों में मदद करती है ।

मंगलवार, 21 नवंबर 2023

आर्थिक आज़ादी किसे कहते हैं ?

आर्थिक आज़ादी की एक अवस्था होती है , जिसमें व्यक्ति या समूह अपनी आर्थिक निर्णय और क्रियाएं अपनी स्वतंत्रता से लेता है , बिना किसी बाहरी प्रतिबंध या पारिवारिक प्रतिबंध के । इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत और आर्थिक स्वतंत्रता होती है , जिसका अर्थ है कि वे अपने वित्तीय निर्णयों , आय , व्यय , और निवेशों को स्वयं से करते हैं।

आर्थिक आज़ादी में शामिल तत्वों में व्यक्ति की कमाई , निवेश , खर्चे , और बचत की स्वतंत्रता भी स्वयं की ही शामिल होती है । यह व्यक्ति को उसकी आर्थिक स्थिति पर नियंत्रण रखने का अधिकार प्रदान करती है और उसे अपने लक्ष्यों और अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए आत्मनिर्भर बनाती है ।

इसे अर्थशास्त्र में आत्मनिर्भरता या स्वाधीनता के रुप में भी व्याख्या किया जा सकता है , जिससे सामाजिक और आर्थिक रुप से समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी होता है।

आर्थिक आज़ादी में एक अवस्था और भी आती है जिसमें व्यक्ति अपने आर्थिक कैलकुलेशन से बहुत ऊपर उठ जाता है , तब उसे खुद भी याद नहीं रहता है कि उसके पास कितना धन है ।

ऐसी परिस्थितियों में उसे सिर्फ इतना ही जनना होता है कि मुझे कितना धन देना है और उससे कितना धन मुनाफे के रुप में आएगा  ।

इसी परिस्थितियों में एक व्यक्ति और आता है जिसके पास कुछ भी नहीं होता है न घर न परिवार ये भी अपने आप में मस्त रहता है ।

जैसे उपरोक्त व्यक्ति अपनी आर्थिक आज़ादी में मस्त हो जाता है वैसे ही यह व्यक्ति अपने फ़क़ीरी में मस्त हो जाता है दोनों अपने - अपने स्थान पर लक्ष्यों से आगे शुन्यता में पहुंच जाते हैं ।

खाना भी लोग ही लेकर जाते हैं कोई देकर आता है तो कोई खिला कर आता है  ।


इस धरती पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्तियों को इन दोनों प्रकार के व्यक्तियों से आशाएं जुड़ी रहती हैं । लोग जानते हैं कि यदि इनकी एक नज़र पड़ जाय तो कई पीढ़ियों तक किसी को कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।

सोमवार, 13 नवंबर 2023

इंसान की आयु अगर लंबी है ।

इंसान की आयु अगर लंबी है तो उसे बूढा भी होना है । मेरे ख्याल से बुढा सिर्फ जिस्म होता है ।

 सोंच विचार और कल्पनाएं कभी बुढ़ी नहीं होती ,   बल्कि इनमें उम्र के हिसाब से और ज्यादा दृढताएं आ जाती हैं ।

एक सत्तर से अस्सी वर्ष के मध्य के वक्ति ने अपने एक वाक्य में कुछ लिखा ।

उस वाक्य को एक तीस वर्ष के आयु वाले ने पढ़ा और बोला इसे मैं जानता हूं । इसमें कोई नयी बात नहीं है ।

नयी बात तो यह है , कि सत्तर से अस्सी वर्ष के मध्य का व्यक्ति , तीस वर्ष के ज्ञान और जज्बात को लिख रहा है ।  इस लिए कोई नई बात नहीं लगती , यदि तीस वर्ष की आयु वाला व्यक्ति , कल्पनाशील न हो तो उसके लिए यही एक वाक्य बिल्कुल नया और आस्चर्यजनक है ।

तीस की आयु वाला , कभी सत्तर से अस्सी वर्ष के आयु वाली कल्पना नहीं कर सकता , लेकिन सत्तर से अस्सी वर्ष के आयु वाला तीस वर्ष के आयु की कल्पना बहुत अच्छी तरह से करना जानता है । क्यों कि उसने सत्तर से अस्सी वर्ष तक के हर एक मौसम और हर एक लम्हों को देखा है ।

तीस वर्ष के व्यक्ति को अभी पचास वर्ष तक का सफर करना बाकी है  ।

अपने से ज्यादा आयु के लोगों के वाक्यों को समझें क्यों कि एक ही वाक्य के अनेक मतलब होते हैं ।

यदि आप के साथ ऐसे व्यक्ति हैं , तो उनसे डिसकस करें । हमेशा अपने से बड़ी आयु वाले लोगों को रिस्पेक्ट दें । उनके काम में मदद भी करें । 

उनके अनुभवों से कुछ सीखने , कुछ ज्ञ्यान प्राप्त करने का प्रयास करें ।

आप के कर्मों और सोंचों को सही राय एवं उचित रास्ता दिखाने वाली पुस्तक के समान होते हैं बूढ़े , बुजुर्ग लोग । इन बुढ़े , बुजुर्ग लोगों को भी आप की आवश्यकता है इन्हें कभी नेग्लेट न करें क्यों कि आप को भी कभी उनकी ज़रुरत थी ।

दोनों को एक-दूसरे की जरुरत तब-तक रहती है ।

जब-तक दोनों इस दुनियां में जिंदा रहते हैं ।

शनिवार, 11 नवंबर 2023

गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास किसे कहते हैं ?

गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास क्या है , और किसे कहते हैं ?

 अपने ख्यालों , अपने विचारों , और अपनी बातों को एक तारतम्यता में लय बद्ध तरीके से पेश करना , कहना , लिखना या सुनाना ही गीत ग़ज़ल और कविता कहलाती है । 

जिसमें लोकहित , समाजहीत , देशहित , प्रेम , वियोग , अंतरात्मा की आवाज , वृतांत , आदि इत्यादि समाहित होते हैं ।


नोट - 

ऊपर दी गई जानकारी संक्षिप्त रुप में निचोड़ है ।

इसके अतिरिक्त अगर आप विस्तार पूर्वक व्याख्यान पढ़ना चाहते हैं , तो गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास पर अलग-अलग टापिकों की आप को मोटी - मोटी पुस्तकें मार्केट में और लाइब्रेरियों में मिलेंगी  । मेरे समझ से उन पोथों को पढ़ने की आवश्यकता तब है । जब आप को उस तरह के बनने की जरुरत हो । तब आप को इन क्षेत्रों में पुर्ण रुप से ज्ञान प्राप्त करना जरुरी हो जाता है ।

उस के बाद जिस टापिक का आप ने पोथा पढ़ा है , उस प्रकार के गुरु के शिष्य बन जाईए और उनके समीप रह कर प्रेक्टिस करिये अपने द्वारा तैयार किये गये रचना की प्रतिलिपि गुरु से जांच कराएं ।

यह कार्य तब-तक करना है । जब-तक आप पुर्ण रुप से परिपक्व नहीं हो जाते हैं ।

सोमवार, 6 नवंबर 2023

नामकरण

बच्चे के जन्म के बाद पिता को अपने बच्चे पर बहुत प्रेम आया तो उसने उसका नाम चिंटू रक्खा , अब सभी लोग और स्वयं भी चिंटुआ ही कह कर पुकारने लगे ।

चिंटुआ जब पांच साल का हो गया , तो उसके पिता ने उसका नाम स्कूल में लिखवा दिया ।

स्कूल में चिंटुआ का नाम विकास लिखवाया गया । चिंटुआ जब क्लास में गया तो सर जी ने अटेंडेंस लेना शुरु किया , लेकिन विकास नाम का कोई छात्र नहीं खड़ा हुआ , लास्ट में सर जी ने पूछा - 

तुमने अटेंडेंस क्यों नहीं बोला  ?

तो चिंटुआ ने कहा कि मेरा नाम नहीं आया सर  ।

सर जी ने पूछा -

क्या नाम है तुम्हारा ?

उसने कहा चिंटुआ ।

सर जी ने रजिस्टर खोल कर देखा उसमें सिर्फ एक ही  नाम विकास का बचा हुआ था , फिर फोटो से मिलाया तो वह चिंटुआ का ही फोटो था ।

सर जी ने कहा कि तुम्हारा नाम विकास है ।

जब विकास का नाम आए तो यस सर कहना ।

चिंटुआ ने घर जा कर सबसे कहा कि स्कूल में सर जी ने मरा नाम बदल दिया है । वह मुझे विकास कहते हैं और अपने रिजिस्टर में भी यही नाम लिखें हैं  । 

 तब चिंटुआ के पापा ने कहा कि - 

बेटा सर जी ने नाम नहीं बदला है । मैंने खुद तुम्हारा नाम विकास लिखवाया है ।

तो आप लोग हमेशा मुझे चिंटुआ क्यों कहते थे ? 

मुझे कभी बताया भी नहीं कि मेरा नाम विकास है ।

तो दोस्तों कहने का मतलब है , कि बच्चों को हमेशा एक ही नाम से पुकारें जो उसका वास्तविक नाम है । जिससे उसे भी पता रहे , कि मेरा वास्तविक नाम यही है । कभी - कभी बच्चे जब खो जाते हैं , तो वह  घर पर पुकारने वाला नाम ही बताते हैं ।

जब कि इस्तहार ( गुमसुदा की तलाश ) में घर वाले अक्सर असली नाम लिखवाते हैं । जिससे पता चलने में कठिनाइयां आती हैं । इस लिए कृप्या नाम और बच्चे की मानसिकता पर ध्यान दें । ज्योतिषाचार्यों का भी कहना है , कि नाम का असर भाग्य और कर्म दोनों पर पड़ता है ।

शनिवार, 4 नवंबर 2023

सहारा

कभी - कभी किसी का सहारा बनने पर 

उसकी दुनियां आबाद हो जाती है ।

 कभी - कभी किसी का सहारा बनने पर ,

 खुद की दुनियां बर्बाद हो जाती है ।

 अजीब है सहारों का सिलसिला ।

गुरुवार, 2 नवंबर 2023

तड़प - तड़प कर

कभी-कभी पता नहीं क्यूं मुझे अक्सर ऐसा एहसास होता है , कि भूख से पुरे परिवार के साथ आत्म हत्या कर लेने वाले ने , और भूख से तड़प - तड़प कर मर जाने वाले ने , सामर्थ्यवान और अमीरों के गाल पर तमाचा मारा है ।

मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

सच्चाई कहीं रक्खी हुई नहीं है ।

सच्चाई कहीं रक्खी हुई नहीं है ।

 कि जब चाहें आप उसे खरीद लें ।

 सच्चाई तो सिर्फ आप के दिल में है ।

 झूठ को कहीं से सीखने की जरूरत नहीं पड़ती ।

 झूठ तुमको , तुम्हारी जरुरतें सिखा देती हैं ।

 तुम्हारी जरुरतों ने झूठ को इतना बढ़ा दिया है । 

कि अब हर पल तुम्हारी जिंदगी ,

सिर्फ झूठ के बल पर ही कट रही है ।

यही वजह है कि सच के एक भी अल्फाज़ , अब 

तुम्हें अपने जुबान पर लाने में अपराध जैसे लगते हैं ।


रविवार, 29 अक्तूबर 2023

परंपराएं

धार्मिक परंपराओं को जड़ से मिटाने का प्रयास करने वाले लोग भी हैं , और धार्मिक परंपराओं को क़ायम रखने वाले लोग भी हैं ।

जो धार्मिक परंपराएं सदियों से और कई पुस्तों से चली आ रहीं हैं । उन धार्मिक परंपराओं में किसी भी प्रकार या माध्यम से छेड़छाड़ करना उचित नहीं है । अपनी - अपनी आस्थाओं , मान्यताओं और परंपराओं के मुताबिक जो जैसे ख़ुश हैं । उसमें उन्हें ख़ुश रहने दिया जाना चाहिए ।

इसके अलावा आज के परिवेश में कुछ एैसी भी धार्मिक और सामाजिक परंपराएं उत्पन्न हो रही हैं , कि जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी ।

शनिवार, 28 अक्तूबर 2023

स्वतंत्र यूनिवर्सिटी

इस दुनियां से बड़ी यूनिवर्सिटी कहीं नहीं है ।

यहां स्कूल , कालेज और यूनिवर्सिटीयों जैसी पढ़ाई करने के लिए कहीं भी जाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है । यहां लिखने और पढ़ने की भी , कभी कोई जरूरत नहीं होती है ।

यहां की शिक्षा अमीर लोगों की नक़ल करना है । नौजवान से लेकर बूढ़े तक और ग़रीब से लेकर अमीर तक के सभी लोगों के लेक्चर को सुनना पड़ता है । निडर होकर बेबाक अंदाज में बात करना पड़ता है । इसी बीच अपने जीविकोपार्जन के लिए कड़े परिश्रमों से भी गुजरना पड़ता है ।

अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयंम के विचारों में बहुत गहराई तक डूबना ही ज्यादा उपयोगी होता है ।

इसी यूनिवर्सिटी से निकले हुए छोटे , बड़े प्रोफेसर लोग देश चलाते हैं ।

जो लोग डिग्री के बल पर सर्वोच्च पदों को प्राप्त करते हैं । वे लोग भी स्वतंत्र यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों के गुलाम होते हैं ।

जरुरत पड़ने पर स्वतंत्र युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिग्री धारी अधिकारियों की डिग्रियों को उनके मुंह पर मार देते है ।

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

शोषण और छल

जब कोई अकेली लड़की या औरत अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए घर से निकलती है , तो वह शोषण का शिकार बनती है ।

जब कोई लड़का या मर्द अकेले अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए घर से निकलते हैं , तो वह छल का शिकार होते हैं ।

दोनों पक्षों में कोई सुरक्षित नहीं है ।

जिंदगी में कभी न कभी । किसी न किसी मोड़ पर उपरोक्त का शिकार तो होना ही है ।

शोषण और छल करने वाले किसी दूसरे ग्रह या गोले से नहीं आते हैं । यह लोग इसी धरती पर हमारे समाज में , हमारे आस-पास ही , अपने शिकार की तलाश में लगे रहते हैं ।

सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

सारांश

अगर एक से पांच मिनट की शार्ट विडियो मुख्य उद्देश्यों को दर्शा सकतीं हैं , तो एक से पांच लाईन का कंटेंट , लंबे व्याख्यान का सारांश नहीं हो सकता है क्या ?

शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

सोशल मीडिया पर पेज और चैनल

दुनियां में हर इंसान पैसा कमाना चाहता है ।

पैसा कमाने के लिए कभी-कभी वह उस हद से भी गुजर जाता है ।

जिसके लिए उसका दिल कभी गवारा नहीं करता  ।

आप के जिंदगी में क्या प्राब्लम है ?

कैसी घुटन है ? 

कैसा दर्द है ?

इस मामले में मैं कोई चर्चा नहीं करुंगा क्यों कि यह आप सभी लोगों का अपना - अपना निजी मामला है । मतलब यह है कि पुरे समाज में सभी के अपने - अपने तरीके हैं , जिसके मुताबिक सुख और दुःख हैं  ।

सभी के सीनों में एक दर्द है । एक सपने हैं , जिसे पूरा करने की चाहत और दर्द एवं घुटन से उसे दूर होने की उम्मीदें दबी पड़ी हैं । इस लिए इस टापिक को छोड़ता हूं ।

पैसा कमाने के लिए अब सोशल मीडिया भी अवसर दे रही है और बहुत सारे लोग हैं , जो अच्छी-खासी इनकम भी करते हैं ।

वाट्सएप , फेसबुक , इंस्टाग्राम , टेलीग्राम , स्नैपचैट ,

ट्विटर , यूट्यूब इत्यादि ।

कहीं भी जा कर अपना एकाउंट बना लीजिए और अपने अनुभव , अपने टैलेंट के अनुसार काम करिए ।

आप से एक बार सिर्फ एकाउंट वेरिफिकेशन किया जाता है । जिससे पता चल सके कि कोई और नहीं बल्कि एकाउंट क्रिएट करने वाले आप ही है ।

आप के किसी पोस्ट पर एप्रुवल लेने की जरूरत नहीं पड़ती यही कारण है कि आज जितनी भी सोशल साईटें हैं सभी में करोड़ों से उपर लोग हैं ।

फेसबुक में आप को पेज़ और ग्रूप बनाने का विकल्प दिया जाता है और लोग बनाते भी हैं ।

कुछ ग्रूप ऐसे हैं , जिसमें ज्वाइन करने पर मेम्बर बना दिया जाता है । आप के पोस्ट को एप्रूवल की कोई आवश्यकता नहीं होती । 

जैसे फेसबुक पर पोस्ट करते ही पब्लिक में शो होती है वैसे ही ग्रूप में भी शो होती है ।

यही कारण है कि उन ग्रूपों में भी लाखों और करोड़ों लोग जुड़े हुए हैं ।

अगर आप ने कोई ग्रूप बनाया है , तो अपनी शर्तों को पहले ही बताएं , जिससे जुड़ने वाले लोग आप की शर्तों के मुताबिक जुड़ सकें ।

हर पोस्ट पर एप्रूवल जरुरी है , और एडमिन जिसकी पोस्ट को चाहे एप्रूफ दे कर पोस्ट करें , जिसकी पोस्ट को चाहें पेंडिंग में डाल कर न करें ।

ऐसी परिस्थितियों में ग्रूप ग्रो कैसे करेगा और ज्यादा से ज्यादा लोग कैसे जुड़ सकेंगे ।

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जुड़े हुए लोग ग्रूप को छोड़ने लगते हैं , और अगर पड़े भी रहते हैं तो कोई पोस्ट नहीं करते । अगर कोई नोटिफिकेशन आता भी है तो उसे देखने के बजाय स्क्रीन पर से ही स्कीप कर के हटा दिया जाता है ।

मेरे कहने का उद्देश्य मात्र इतना ही है कि कोई भी ग्रूप बनाएं तो उसमें आप कैसी पोस्ट चाहते हैं  । अपने नीयम और शर्तों को बता दें , जिससे जुड़ने वाले लोग अपनी हद में पोस्ट और कमेन्ट कर सकें , यदि कोई अभद्रता करता है , तो उसे नोटिस करें उसपर भी न माने तो एकाउंट ब्लॉक कर दें ।

लेकिन ग्रूप या चैनल जो कुछ भी हो उसमें जुड़ने वाले लोग अपने विचारों को , अपने लेखों को , अपने कलाओं को  , सीधे प्रस्तुत करने का मौका प्राप्त कर सकें  । एप्रूवल वाले मामले में जब ज्यादा लोग जुड़े होते हैं , तो एडमिन को इतना समय भी नहीं मिलता कि वह यह देख सकें कि कौन सी पोस्ट एप्रूफ हो चुकी है और कौन सी पोस्ट अभी पेंडिंग में पड़ी हुई है ।

प्लेटफार्म स्वतंत्र होना चाहिए जब फेसबुक , इंस्टाग्राम टेलीग्राम , स्नैपचैट आदि ने एप्रूवल की सीमा को हटा चुकीं हैं , जिसका परिणाम दुनियां के सामने है । आज़ ये मिडिया उस मुकाम पर हैं , कि जहां हम और आप भी उन्हीं के प्लेटफार्म पर काम करते हैं । हमारा या आप का कोई पर्सनल एप या सोशल मीडिया का कोई साईट नहीं है।

संक्षिप्त में इतना ही काफी है । आगे आप के पेज़ हैं । आप का चैनल है । आप का विचार है , और आप की मर्जी है ।



शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

इस दुनियां में

1 - मैं इस दुनियां में मुकम्मल भेजा गया था ।
मुझे मालूम नहीं था, कि यहां दिलों को , सपनों को , घरों को , समाजों को , रिश्तों को मतलब हर तरह से तोड़ने वाले लोग भी मिलते हैं । जिन सपनों को अपने दिलोदिमाग में बरसों सज़ा के रक्खा था , अब टुकड़े समेटने पे भी कोई अक्श नहीं मिलता ।

2 - मैं इस दुनियां में मुहब्बत से , मुहब्बत के लिए
मुहब्बत लेकर आया था ।
मुझे मालूम नहीं था , कि यहां नफरत और दर्द देने वाले लोग भी मिलते हैं ।

3 - मैं इस दुनियां में जिसके माध्यम से आया ।
उसी ने मुझे रिश्तों के जाल में फंसाया ।
मुझे मालूम नहीं था , कि यहां रिश्तों का कोई मोल नहीं होता । यहां रिश्तों को तार - तार करने वाले लोग भी मिलते हैं ।

4 - मैं इस दुनियां में सच्चाई , इमानदारी , प्रेम और अपनापन लेकर आया था । मुझे मालूम नहीं था कि यहां सच को झूठ और झूठ को सच साबित करने वाले लोग भी मिलते हैं ।

5 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे दूध पीने को मिला । जिसने मुझे दूध पिलाया उसी ने मुझे तरह - तरह के खाने भी खिलाये । मुझे मालूम नहीं था , कि यहां गांजा ,

भांग ,

चरस , अफ़ीम , स्मैक , ताड़ी , शराब पीने और पिलाने वाले लोग भी मिलते हैं ।

6 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे मालूम नहीं था , कि इस दुनियां में मुझे किसने भेजा है ?
मैं जिसके माध्यम से इस दुनियां में आया , तो उसी ने मुझे बताया कि तुम्हें इस दुनियां में किसने भेजा है ।

7 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे मालूम नहीं था कि दुःख दर्द सुन कर हंसने , मज़ाक उड़ानें और खुश होने वाले लोग भी मिलते हैं ।

इस लिए तुम अपनी सारी बात । सभी दुःख दर्द और जरुरतें , उसी से कहो जिसने तुम्हें इस दुनियां में भेजा है , वो कभी हंसेगा नहीं । वो कभी मज़ाक नहीं उडाएग । वो बहुत खुश होगा , कि मेरे बन्दे ने आज मुझसे कुछ कहा है ।

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

सामान के बदले सामान

वही दौर अच्छा था । जब लोग सामान के बदले सामान लिया और दिया करते थे ।
तब आपसी प्रेम भी बहुत ज्यादा था ।
जबसे नोट की धुर्री पर दुनिया आयी तब से विभिन्न प्रकार के अपराध और विवाद बढ गये हैं । भाई - भाई से दूर हो रहा है । बेटा बाप से दूर हो गया है । कोई पागल हो जाता है , तो किसी का हार्ट अटैक हो जाता है , कोई गलत राह चुन लेता है , तो कोई संन्यास ले लेता है ।

शनिवार, 23 सितंबर 2023

अपराध क्यों ? और किसके लिए ?

तुमने पैदा हुए बच्चे को भी देखा है ।

तुमने बच्चे को दौड़ते खेलते हुए भी देखा है ।

तुमने नौजवानों को भी देखा है ।

तुमने बीमार को भी देखा है ।

तुमने बुढ़े हुए लोगों को भी देखा है ।

तुमने मरे हुए लोगों को भी देखा है ।

तुमने हर परिस्थितियों में

विभिन्न प्रकार के लोगों को भी देखा है ।

जब यह साबित हो गया है कि 

यहां कोई भी ज़िंदा नहीं रहेगा ।

आदमी से लेकर जानवर तक ।

पेड़ से लेकर पहाड़ तक ।

सब को एक दिन मरना ही है ।

तो फ़िर तरह - तरह के अपराध क्यों ?

और किसके लिए ?

परिस्थितियां हमेसा एक जैसी नहीं होती हैं ।

कभी तुम अपने लिए जीते हो ।

कभी अपनों के लिए जीते हो ।

कभी औरों के लिए जीते हो ।

कोई भी परिस्थिति यह कभी नहीं कहती है कि

तुम अपराध करो ।

चाहे अपने लिए हो ...... ।

अपनों के लिए हो या औरों के लिए हो ।

तुमने अगर किसी के लिए भी अपराध किया है ।

तो उसके भागीदार , उसकी जवाबदेही और उसका पाप , पुन्य , दंड से उन लोगों का कोई मतलब और सरोकार नहीं है ।

सारी चीजें तुम्हीं पर आएंगी ।

इस दुनियां से जाने के पहले तीन चीजें होती हैं ।

1 - अपने अपराध के द्वारा जुटाई गई सारी चल अचल संपत्ति या तो किसी को देकर जाओगे ।

2 - या तो छोड़ कर जाओगे ।

3 - या तो मिटा कर जाओगे ।

यह सब यही पर बट कर बिखर जाने वाली है ।

यहां से कुछ भी साथ में लेकर जाने का कोई भी रास्ता नहीं है ।

दुनियां से कैसे जाता है आदमी यह भी तुमने देखा है ।

तुम्हें बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है ।

इस दुनियां में हर लोग अपनी - अपनी किस्मत लेकर आते हैं और उसी के मुताबिक जीते हैं , फिर चले जाते हैं । हां इतना जरूर कहूंगा कि तुम्हारे माध्यम से इस दुनियां में जो आया है , उसकी जिम्मेदारियां तब तक तुम्हारे उपर हैं । जब-तक की वो अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए ।

तुम जब-तक जिंदा हो तब तक जो ज़िम्मेदारियां तुम्हारी बनती हैं , उसे जायज़ तरीके से पुरा करने की कोशिश करो ।

यह ख्याल रहे कि इसमें कोई भी क़दम ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो नाजायज और अपराधिक तरीके से हों ।

रविवार, 20 अगस्त 2023

दुनियां का सारा निचोड़ तो सिर्फ तुम में ही है

जब तुम मेरे पास होते हो ........... ।
तो न कहीं जाने को मन करता है और न किसी परिचित या मित्र से मिलने का जी चाहता है ।
मन बस यही चाहता है , कि चुपचाप तुम्हारे साथ तुम्हारे पास ही पड़ा रहूं  लेकिन जब किसी का फोन आ जाता है । तब बहुत डिस्टर्बेंस महसूस होता है , और जब कोई मिलने को कहता है । तब तो और भी मन खौल उठता है , लेकिन जब कोई यह कह देता है , कि मैं आप से मिलने के लिए आ रहा हूं । तब तो ऐसा लगता है , कि जैसे मेरी जान ही निकल जाएगी । 
क्या करुं यह सब , तब ही होता है । जब तुम मेरे पास मेरे साथ होते हो............. ।
सोचता हूं कि वह दिन कैसा होगा ?
उस दिन का एक - एक पल कैसा होगा । 
जब तुम मेरे साथ मेरे पास नहीं होगे ।
दुनियां की सारी रंगीनियां ............. ।
दुनियां के सारे ऐशो-आराम ..…....... ।
दुनियां का सारा निचोड़ तो सिर्फ तुम में ही है ।
मेरे बिना हो सकता है कि तुम कुछ हो सकते हो ।
लेकिन तुम्हारे बिना तो मैं कुछ भी नहीं हूं ।
तुम्हारे ऊपर मेरा कोई प्रतिबंध नहीं है....... ।
तुम्हारे ऊपर मेरा कोई दबाव भी नहीं है.......... ।
यह सिर्फ इस लिए है , कि मुझे तुम्हारे ऊपर अटूट विश्वास है , और इससे भी ज्यादा अगर कुछ है । तो वह तुमसे बे पनाह मुहब्बत है ।
ये अलग बात है कि मैं एक जिस्म में हूं , लेकिन 
मेरी हर धड़कन....... ।  
मेरी हर सांसें...... । 
यहां तक कि मेरी जान भी तुम्हारे अंदर ही है ।
मेरा जीना भी तुमसे ही है और
मेरा मरना भी तुमसे ही है ।
तुम्हारे बगैर मैं सिर्फ एक ढांचे की तरह ही हूं ।
मेरे लिए ..... । 
मुझे इस दुनियां में ज़िंदा रहने के लिए ।
तुम्हारा मेरे पास होना ज़रूरी है ।
तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है ।
तुम्हारी ज़रा सी भी उदासी.....। ख़ामोशी..... । और मायुसी..... ।
मेरा सुख चैन सब छींन लेती है ।
जब कभी फुर्सत के वक्त मिले , तो दो मिनट के लिए ही सही मगर एक बार मेरे बारे में भी जरुर सोंच लेना ।
मुझे उम्मीद है कि तुम्हें इस बात का एहसास हो जाएगा , कि तुम्हें मैंने किस नज़रिए से देखा है । तुम्हें अपना क्या समझा है ।
तुम्हें अपने रुह की गहराइयों से क्या महसूस किया है....... ।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन

कुछ काम भी ऐसे हैं । कुछ बातें भी ऐसी हैं । जिन्हें हम लोगों की नज़रों से छुप - छुप कर करते हैं ।
जहां तन्हाई होती है  । जहां हम अकेले होते हैं  । न तो किसी के होने का भय और न तो किसी के आने कि चिंता  । उस समय आपस की सारी शर्मोहया की दीवारें टूट जातीं हैं । आपस का सारा भय मिट जाता है ।
इस एकांत तन्हाई में निर्भय होकर क्या होता है । इसको हम भी जानते हैं और आप भी जानते हैं ।
यही चीज जब सामाजिक हो जाती है । सभी के संज्ञान में आ जाती है , कि यह दो लोग अब एक सुत्र में बध चुके हैं । अब ये दोनों लोग अपना जीवन अपने हिसाब से जीएंगे । तब हम दोनों एक साथ एक घर में होते हैं  ।
जिस घर में हम होते हैं । उस घर में एक पुरा परिवार भी होता है । जहां सबको पता होता है कि हम दोनों आपस में क्या हैं और फिर हम दोनों सभी के कुछ न कुछ तो लगते ही हैं ।
उस समय बहुत लाज लगती है । जिस समय हम दोनों अकेले एक रुम में होते हैं । यह बात हर पल दिमाग़ में घूमती रहती है , कि इस अकेले पन में क्या हो सकता है  । आखिर यह तन्हाई किस लिए है ? इस बात को तो इस घर में रहने वाले अधिकतर लोग जानते होंगे ।
यह विचार उस तरह की जिंदगी नहीं जीने देता जो जिंदगी पहले के अकेलेपन में था  । जब लोगों से लुका छुपी में  बीत रहा था ।
उस समय हम निर्भय थे । आपस के एक विचारधारा में थे । एक ही सोंच और एक ही ख्याल में थे । तब विचारों के विचलित होने का भी कोई डर नहीं था ।
लेकिन परिवार में तो एकाग्र होना । निर्भय होना । एक सुत्र में बंध कर हर छण को जी पाना संभव ही नहीं हो पाता है ।
क्या इस घरेलू परंपरा से समाज में सभ्यता क़ायम हो सकती है ?
मेरे समझ से शादी तब हो जब अपना निजी घर हो लेकिन ऐसा भारत में पांच पर्सेंट लोग ही कर सकते हैं  । पंचानबे पर्सेंट लोगों को तो अपने पिता के घर में ही रहना पड़ता है  । इस मुआमले में पिता खुद यह चाहता है , कि मेरी पतोह मेरे ही घर में रहे  । जब कि बहुत कम घर ऐसे होते हैं कि जहां छोटा परिवार है  । हमारे देश में अधिकतर ज्वाइंट फैमिली हैं । जिसमें विवाहित लोग भी होते हैं और अविवाहित लोग भी होते हैं  ।
मस्तिष्क है तो सोचना समझना तो सभी को पड़ता है  । कोई भी आज के दौर में  इस परंपरागत बातों से अंजान नहीं है  , फर्क सिर्फ इतना ही है कि सभी लोग खामोशी साधे हुए परंपरागत तरीके से इसे सेलिब्रेट करते हैं  । जब कि यह परंपरा नहीं है , कि हम उसी ज्वाइंट फैमिली वाले मकान में रहें  । आर्थिक अभाव ने इस समस्या को सहते - सहते परंपरा बना दिया है ।
लगभग पंचानबे पर्सेंट लोगों को अपना घर बनाना पड़ता है  , लेकिन तब , जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और आगे वही चीजें वे बच्चे भी झेलते हैं  , जो हम आप अपने पिता के ज्वाइंट फैमिली में झेलते हैं ।
इस लिए हर माता-पिता और हर सास - ससुर को चाहिए कि दहेज़ और दिखावे को त्याग कर उन दिनों को एक मकान की व्यवस्था में सहयोग करें जिससे ये दोनों अपनी जिंदगी अपने शौक , अपनी खुशियों और अपनी चाहतों के मुताबिक जी सकें ।
ऐसा करने से कोई किसी से बिछड़ नहीं जाता है और न तो दूर हो जाता है , बल्कि परिवार , भाई , बहन , रिश्तेदार सभी से लगाव बढ़ जाता है । सभी से आपसी प्रेम और भाईचारा बना रहता है ।
यह खंडित तब हो जाता है  । इसमें नफरत तब पैदा हो जाती है । जब आपसी विवाद कर के हमें या आप को या आने वाली संतानों को अलग-अलग होना पड़ता है ।
सारा जीवन फुर्सत और तन्हाई का समय ढूंढने में निकल जाता है । बिड़ले ही होंगे जिन्हें ऐसा समय मिलता होगा । अगर हया है । लाज और शर्म है तो ऐसे समय का मिलना बहुत बड़ा सौभाग्य के समान होता है अन्यथा आदमी अगर बेशर्म हो जाय तो समय भी है । फुर्सत भी है । उनके होंठों पर चुप्पी भी है जिन्होंने उन्हें इस के लिए मान्यता दी है ।
चाहे बच्चे हों , जवान हों या बूढ़े हों ।
सबको सब मैनेज कर लेते हैं  ।

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन ।।

बुधवार, 9 अगस्त 2023

एक दिन बिक जाएंगे माटी के मोल

सत्कर्म और कुकर्म अलग-अलग हैं ।
इबादत और पूजा अलग-अलग हैं ।
पुन्य और पाप दोनों अलग-अलग हैं ।
पाप पाया नहीं जाता कमाया जाता है ।
पाप के लिए कुछ करना पड़ता है ।
कुछ पाप अंजाने में होते हैं ।
कुछ पाप जान बूझ कर होते हैं ।
कुछ पाप के हम भागीदार होते हैं ।
कुछ पाप हमें विरासत में मिलते हैं ।
बिना कमाए हुए पाप जो हमें विरासत में मिलते हैं
वो अपने लोगों के कुकर्म की देन है ।
जो कई पीढ़ी पीछा नहीं छोड़ती ।
इसी तरह पुन्य भी कमाया जाता है ।
पुन्य भी विरासत में मिलती है ।
जो कई पीढ़ी तक पीछा नहीं छोड़ती ।
जिस कर्म से लोगों को दुःख पहुंचे और उस दुःख में लोगों के मुंह से बद्दुआ निकले , हाय भी निकले , अभिशाप भी निकले एवं श्राप भी निकले ।
यह निकलना जारी हो जाता है ।
लोगों के हर रोज की बातों में और बातों ही बातों में लोगों के द्वारा दी गई कभी किसी मिसालों में लोग चरित्र हीनता और कुकर्मता का प्रमाण देते हैं ।
ऐसे ही सत कर्म से जब लोगों के हाथ आशिर्वाद के लिए उठ जाएं , जब लोगों के मुंह से दुआएं निकल पड़े , जब लोगों के बीच अच्छाईयों की चर्चा होने लगें , तब भी मिसालों में नाम आने लगता है ।
यह सब कमाई गयी चीजें हैं , जो अपने जीवन से लेकर अपने पीछे आने वाले लोगों तक को मिलती हैं । लोगों के चर्चाओं में भी और लोगों के मिसालों में भी । इस लिए हमेशा इस बात का ध्यान होना चाहिए कि हमारी वाणी और हमारे कर्तव्य किसी को दुखी न करें ।
जब कभी अपनी शिकायत सुनो तो समझ लो कि कहीं कुछ गलती हुई है । यही चीज़ कुकर्मता की ओर ले जाना शुरु करती है । तब अपने सत्कर्म को बढ़ाना शुरु कर दो , जब तुम्हारे कुकर्म का पलड़ा भारी होने लगें तो सत्कर्म का पलड़ा भारी करना शुरू कर दो ।
ये कोई और नहीं करेगा ये तुमसे शुरु हुई है तो तुम्हीं से खतम भी होगी । कहीं ऐसा न हो कि तुम इस दुनियां से चले जाओ और सब अपने आने वाले लोगों के लिए विरासत में छोड़ जाओ और पीढ़ी दर पीढ़ी लोग आप की बातें और मिसालें सुनते रहें ।
एक दिन बिक जाएंगे माटी के मोल ।
जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल ।।

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

भविष्य वक्ता

जो भविष्य वक्ता होते हैं । 
जो लोगों के भविष्य के बारे में एक - एक पल को जानते हैं । ऐसे लोग बहुत ही विशाल ह्रदय के होते हैं । लोगों के भविष्य को देख कर यह जानते हुए भी कि आगे आने वाला समय अंधकारमय है , फिर भी वह यही कहते हैं , कि आगे आने वाला समय बहुत ही उज्जवल और लाभदायक होगा , धन से अमीर होने की संभावना है ।
दुश्मन मित्र हो जाएंगे , और मित्र सबसे बड़े सहयोगी हो जाएंगे ।
यह खुशफहमी से भरा हुआ एक सब्जबाग है ।
जिसकी खुशी में आदमी बिन्दास जीता है , क्यों कि उसके दिमाग में यह गुंजता रहता है कि अब मैं अमीर बन जाउंगा , कोई मेरा अनहित नहीं कर सकता । अब तो सब मेरे हित में ही होंगे ।
चलो ये भी ठीक है , कम से कम झूठी तसल्ली और झूठी गलतफहमी में ही सही , आदमी अपने अच्छे दिनों के इंतजार में खुशी से जीता तो है ।
अब आगे ईश्वर ही जाने कि वह भविष्य वक्ता की बातों को सही करेगा या उस बात को सही कर देगा जिस बात को भविष्य वक्ता ने सामने वाले के दिल को रखने के लिए अपने तरफ से बना कर कही है ताकि वह अपने जीवन से निराश न हो सकें ।
लेकिन आज के दौर में हर आदमी अपने आप में माडलाईज एवं आर्टिफिशियल भविष्य वक्ता बना घूम रहा है ।
जब जिसको चाहा यह कह देते हैं कि अब तुम्हारे भीख मांगने के दिन करीब आ गये हैं ।
ऐसा इस लिए है कि हर लोग यही चाहते हैं , कि जो कोई भी कुछ करे तो उनसे राय मशविरा जरुर करें । भले ही वो अपन सारा काम स्वयं करें किसी से कुछ पूछने या बताने की आवश्यकता नहीं समझते है । लेकिन जब आप से एक छोटी सी भूल या चूक हो जाती है तो उसपर अपने ज्ञ्यान का पिटारा खोल देते हैं । जब कि खुद को कभी मुड़ कर यह नहीं देखते कि स्वयं से कभी भूल या चूक हुई है या नहीं या मैंने खुद आज तक कितनी सफलताएं हासिल की है , मगर इन सब बातों की कोई प्रवाह नहीं है । उन्हें तो अपनी भविष्यवाणी देना ज़रूरी है ।
निष्कर्ष - 
यदि आप किसी का सहयोग नहीं कर सकते हैं , तो किसी के मनोबल को गिराने का कार्य कभी भी न करें । जहां तक हो सके मित्रवत भाव से सहयोग और व्यवहार करें , उसके मनोबल को ऊंचा उठाने की कोशिश करें । यदि उसके कार्य में कोई चूक या भूल हो गई है , तो उसे खूबसूरत अंदाज में सही सुझाव दें , जिससे उसे इस बात का एहसास हो सके कि मेरे साथ भी कोई सहयोगी और मार्गदर्शक के रुप में है ।
ऐसा कभी न कहें कि यह गलती या चूक जो तुमसे हुईं है वो इस लिए हुईं कि , तुमने अपने इस काम के बारे में न तो मुझे कभी बताया और न तो मुझसे कभी राय लेना उचित समझा , बल्कि यह कहें कि
कोई बात नहीं इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है । यह चूक और गलती तो अक्सर लोगों से हो ही जाती है । इसके समाधान का कोई रास्ता निकाला जाएगा । कोई समस्या ऐसी नहीं है कि जिसका समाधान न हो । आप निराश न हों , बल्कि प्रयास करते रहें ।