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रविवार, 16 अक्तूबर 2022

आत्मा को परमात्मा में लीन कर देना

( औलिया अल्लाह मतलब पहुंचे हुए संत और फ़कीर जो अपनी आत्मा को परमात्मा में लीन कर चुके हों )
 मैंने औलिया अल्लाह को देखा है ।
मैंने औलिया अल्लाह से बातें भी की है ।
मैंने औलिया अल्लाह के कुछ करिश्मों को भी देखा है । उनके करिश्मे को मैंने अपने उन ख्वाहिशों को पूरा होने में देखा है जिन ख्वाहिशों की मुझे हद से ज्यादा ज़रुरत थी ।
मैंने औलिया अल्लाह के साथ बहुत साल गुजारे हैं किसी लालच में नहीं ।
किसी मकसद से नहीं ।
सिर्फ उनकी मुहब्बत में ।
उस वक्त मुझे उनकी ताकत का पता नहीं था ।
जब पता हुआ तो इल्म की रौशनी पाने की ख्वाहिश हुई ।
उनके आगे मेरी चाहतों का क्या मोल ?
उन्हें पता है कि मेरी चाहतें मेरे लिए उचित है या नहीं।
हम तो बिन पानी मछली की तरह तड़पते हैं अपने मकसद को पाने के लिए ।
लेकिन वो वही करते हैं जिसमें मेरी भलाई है ।
वो ये कभी नहीं करते जिसमें मेरी तबाही हो ।
वे लोग नादान और अनजान हैं कि जिन्हें औलिया अल्लाह मिले हों मगर समझ न सके और उन्हें छोड़ कर अपना रास्ता कहीं और नाप लेते हैं , लेकिन उनकी नज़र उन सभी के हर हरकतों पर रहती है जो अपने हाथ से उनके हाथ को पकड़ कर उनका हो गया हो।
दुनियाबी इल्म किस्मत से मिलती है और दीनी इल्म औलिया अल्लाह के शोहबत में रहने से ।
बस सब्र करो और इतना करो कि औलिया अल्लाह भी घबरा जाएं और बुरी किस्मत भी पीछा छोड़ दे ।मैं जानता हूं कि औलिया अल्लाह लिखे हुए तक़दीर को बदल देते हैं पर मुझे यह नहीं मालूम कि मेरी किस्मत में क्या है बस जो हालात मेरे सामने है वही रज़ा ए इलाही है।