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सोमवार, 27 सितंबर 2021

कल्पना की थी

मैं होश में रहते हुए भी , जो कभी न कह पाया ।
वो न जाने किस जीज की मदमस्ती में , 
बहुत कुछ बड़े ही आसानी से कह गया । 
उन चीजों को भी उसने कह दिया , 
जिन चीजों को मैंने अपनी बात के बाद , 
आगे आने वाले अवसर के मुताबिक 
कभी तन्हाई में कहने की कल्पना की थी ।

शनिवार, 25 सितंबर 2021

बाधाओं से मुक्त होने का सिर्फ एक ही रास्ता है

कूछ बाधाएं हैं जो जिंदगी के साथ-साथ चलतीं हैं और जिंदगी के साथ खतम होती हैं ।
कुछ बाधाएं हैं जो खुद जब चाहेंगी तभी खतम होंगी ।
कुछ बाधाएं एसी होती हैं कि जिनके खतम होने के इंतजार में आधी से ज्यादा उम्र खतम हो जाती है । उस वक्त बाधाओं का कोई मतलब नहीं रह जाता , रहे या जाए ।
आवश्यकताओं के समय बाधा दुनिया के सबसे बड़ी दीवार से भी बड़ी लगती है ।
ऐसे में क्या करें ?
कोई भी बाधा आए उसको हटाने के प्रयास में अपना समय मत गवाएं ।
कभी भी बैठ कर उसे हटने का इंतजार मत करें ।
सभी प्रकार के बाधाओं से मुक्त होने का सिर्फ एक ही रास्ता है और वो ये है कि बाधाओं से उलझिए मत उससे अपना पिंड छुड़ा लिजिए , अपने आप को वहां से हटा कर दूसरा रास्ता पकड़ लें । एक ऐसा रास्ता जो आप को आप की मंजिल तक ले जा सके ।

शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

आत्मा के साथ - साथ रहती है

उसके साथ में बीते हुए कुछ घंटों में ही , 
हमने अपनी पुरी जिंदगी जी ली थी । 
बेहतर है । तुम यही समझते रहो , कि 
हम दोनों एक दूसरे को जानते तक नहीं ।
उसकी जिंदगी में किसी न किसी को , 
एक दिन आना तो है ही , 
लेकिन हम दोनों की आत्मा , 
आज भी एक दूसरे के साथ - साथ ही रहती है ।

शनिवार, 18 सितंबर 2021

इलेक्ट्रॉनिक और मिडिया के दौर में

आप अपने महत्वाकांक्षाओं को , आप अपने कल्पनाओं को , आप अपने सपनों को , आप अपने लक्ष्य को , आप अपने ह्रदय की वेदनाओं को , आप अपने खुशियों को , आप अपने हर एक क्षंण को , आप अपने हर एक पल को , आप अपने हर एक विचाचारों को व्यक्त करने का अधिकार रखते हैं ।
ये सब ( आटोबायोग्रफी ) आत्मकथा के रुप में भी बहुत सारे लोग सम्मिलित करते हैं ।
सभी के अभिव्यक्ति की अलग - अलग भाषा शैली होती है।
सभी के कल्पनाशीलता की अलग-अलग प्रवाह होती है ।
आप सोचते होंगे कि इन चीजों का क्या महत्व ?
लेकिन ऐसा नहीं है , इस दुनियां में बहुत सारे लोग हैं ।
बहुत तरह के अनुभव और विचारों से भरे हुए हैं ।
आप की चीजें किसी के समझ से परे हो सकती हैं , लेकिन किसी के लिए सीख भरी , प्रेरणा दायक हो सकती हैं ।
कोई कहीं से कुछ सीख कर नहीं आता , सब कुछ लोग लोगों से ही सीखते हैं ।
आज के इलेक्ट्रॉनिक और मिडिया के दौर में यह जरूरी नहीं है कि जब आप से कोई मिले या आप किसी से मिलें तभी अपने चीजों को शेयर करें ।
आज शेयर करने के लिए बहुत सारी सोशल साइटें हैं , जिस पर आप विडियो के माध्यम से तथा लिख कर भी लोगों के बीच पेश कर सकते हैं । 
यह याद रखना आवश्यक है कि आप कभी भी किसी एक व्यक्ति को विशेष रुप से टारगेट न करें ।
कोई ऐसी बात न कहें और न लिखें कि जिससे सुनने या पढ़ने वाले को बुरा लगे ।
लोगों को कुछ सिखाएं या इंटरटेन करें या आगे और विकास हो इसके लिए साहस दें , सुझाव दें , प्रेरणा दें ।

बुधवार, 15 सितंबर 2021

अंतरात्मा से लेकर पुरे काया तक के बीच में बहुत सारी धरोहरें हैं

आप के अंदर अंतरात्मा से लेकर पुरी काया तक में बहुत सारी धरोहरें हैं , जो समय के अनुसार क्षिंर्ण हो जाती हैं या कर दी जाती हैं ।
आप की संज्ञ्यनता में यदि आप के किसी भी प्रकार के धरोहर को क्षिंर्ण किया जा रहा है तो इसमें आप की खुद की मर्जी शामिल है ।
ऐसे लोग जो अपनी सारी धरोहरों को लुटा कर मान , सम्मान , यश और कीर्ति प्राप्त करते हैं । उनके पास अपना बचता क्या है ?
अंतरात्मा से लेकर पुरे काया तक के बीच में ?
ऐसे लोग इंसानों के बीच में , इंसानों के रुप में होते तो हैं लेकिन इंसान नहीं होते , भौतिकता की एक उपज मात्र होते हैं ।
मैं उन्हें इंसान मान सकता हूं , जिन्हें अपने अंदर के धरोहर का कुछ पता ही न हो और उनकी काया से कुछ लुट जाय । कम से कम अंतरात्मा तो स्वच्छ और निर्दोष बची रहती है ।
जैसे - जैसे ज्ञान और तजुर्बा होता जाता है । वैसे - वैसे वे अपने आप को समेटते जाते हैं ।
स्वर्ग लोक से पायी गयी धरोहरों की मृत्यु लोक में कीमत ही क्या है ? इसका पुरी तरह से एहसास होते - होते जीवन का अंतिम चरण आ जाता है ।
ऐसे ही लोग अपने पीछे आने वाले लोगों को इसका एहसास अच्छी तरह से करा सकते हैं । और कराते आ रहे हैं जिनकी वज़ह से आज भी ये कायनात टिकी हुई है ।
जो जान बूझ कर सारी धरोहरें लुटा देते हैं , ऐसे लोग किसी की रक्षा या सुरक्षा क्या करेंगे ?
ऐसे में अपने आत्मा और काया को यहां के माया से बचाने की कोशिश करें । आप यदि विचारशील , मननशील और समझदार व्यक्ति हैं तो  आप अपने सिवा किसी का कुछ भी बिगाड़ने का अधिकार नहीं रखते हैं ।