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शनिवार, 23 सितंबर 2023

अपराध क्यों ? और किसके लिए ?

तुमने पैदा हुए बच्चे को भी देखा है ।

तुमने बच्चे को दौड़ते खेलते हुए भी देखा है ।

तुमने नौजवानों को भी देखा है ।

तुमने बीमार को भी देखा है ।

तुमने बुढ़े हुए लोगों को भी देखा है ।

तुमने मरे हुए लोगों को भी देखा है ।

तुमने हर परिस्थितियों में

विभिन्न प्रकार के लोगों को भी देखा है ।

जब यह साबित हो गया है कि 

यहां कोई भी ज़िंदा नहीं रहेगा ।

आदमी से लेकर जानवर तक ।

पेड़ से लेकर पहाड़ तक ।

सब को एक दिन मरना ही है ।

तो फ़िर तरह - तरह के अपराध क्यों ?

और किसके लिए ?

परिस्थितियां हमेसा एक जैसी नहीं होती हैं ।

कभी तुम अपने लिए जीते हो ।

कभी अपनों के लिए जीते हो ।

कभी औरों के लिए जीते हो ।

कोई भी परिस्थिति यह कभी नहीं कहती है कि

तुम अपराध करो ।

चाहे अपने लिए हो ...... ।

अपनों के लिए हो या औरों के लिए हो ।

तुमने अगर किसी के लिए भी अपराध किया है ।

तो उसके भागीदार , उसकी जवाबदेही और उसका पाप , पुन्य , दंड से उन लोगों का कोई मतलब और सरोकार नहीं है ।

सारी चीजें तुम्हीं पर आएंगी ।

इस दुनियां से जाने के पहले तीन चीजें होती हैं ।

1 - अपने अपराध के द्वारा जुटाई गई सारी चल अचल संपत्ति या तो किसी को देकर जाओगे ।

2 - या तो छोड़ कर जाओगे ।

3 - या तो मिटा कर जाओगे ।

यह सब यही पर बट कर बिखर जाने वाली है ।

यहां से कुछ भी साथ में लेकर जाने का कोई भी रास्ता नहीं है ।

दुनियां से कैसे जाता है आदमी यह भी तुमने देखा है ।

तुम्हें बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है ।

इस दुनियां में हर लोग अपनी - अपनी किस्मत लेकर आते हैं और उसी के मुताबिक जीते हैं , फिर चले जाते हैं । हां इतना जरूर कहूंगा कि तुम्हारे माध्यम से इस दुनियां में जो आया है , उसकी जिम्मेदारियां तब तक तुम्हारे उपर हैं । जब-तक की वो अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए ।

तुम जब-तक जिंदा हो तब तक जो ज़िम्मेदारियां तुम्हारी बनती हैं , उसे जायज़ तरीके से पुरा करने की कोशिश करो ।

यह ख्याल रहे कि इसमें कोई भी क़दम ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो नाजायज और अपराधिक तरीके से हों ।