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शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

पगड़ी क्या है ?

सर पर बंधी पगड़ी , टोपी ,गाम्छा , रुमाल , या मुकुट सब एक ही इज्जत और सम्मान का प्रतीक होते हैं ।
कभी - कभी वक़्त ऐसा भी आ जाता है , कि इस पगड़ी को उतार कर किसी के कदमों में डाल कर , आपको अपनी या अपने भाई , बहन, मां , बाप , औलाद , या कर्ज़ के माफ़ी के लिए इज्जत की भीख मांगनी पड़ती है ।
जो इंसान हैं , और इज्जतदार हैं । जिन्हें पता है , कि पगड़ी क्या है ? और इसका स्थान कहां है ? वो सारे दर्द भूल कर अपने चरणों में पड़ी पगड़ी को उठा कर उसके सर पर अपने हाथों से ही पहनाते हैं ।
लेकिन दुःख और अफसोस इस बात का है कि गुमराह करने वालों से कैसे बचोगे ।

बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

वसीयत नहीं की थी

मेरे लिए आप ने कोई वसीयत नहीं की थी ।
हां कुछ वादे किये थे, कुछ किस्में खाईं थीं ।
उन्हीं कस्मों और वादों को मैंने वसीयत मान ली थी ।
जिसकी वजह से आज भी पुरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभा रहा हूं ।
लेकिन अब मुझे यह एहसास हो चुका है , कि आप मेरे नहीं थे । मेरे होने का झूठा नाटक कर के मुझसे पराए ही रहे ।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

भरोसा क्या है ?

भरोसा जब किसी पर होता है , तो वह जिंदगी में सिर्फ एक बार ही होता है ।
ज़िंदगी में किसी के उपर बार - बार भरोसा नहीं होता ।
किसी का भरोसा तोड़ना तो बहुत ही आसान होता है , लेकिन भरोसा तोड़ने से पहले यह जरुर याद रक्खें कि आप अपने बहुत ही भरोसेमंद व्यक्ति को खो रहे हैं ।
दुबारा आप उस व्यक्ति को अपने करीब कर तो सकते हैं ।
लेकिन आप के करीब होने में उसकी कोई मजबूरी हो सकती है ।
दुबारा करीब कर लेने से इसका मतलब यह कभी मत सोचिएगा कि वह आप के साथ पहले जैसे भरोसे के साथ ही अब भी है ।
भरोसा क्या है ?
भरोसा प्रेम का दूसरा रुप है , जिसे क़ायम रखने के लिए प्रेम के साथ भरोसे को कायम रखने की जिम्मेदारियों का एहसास होना जरुरी है ।

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

ज़िंदगी गुज़ारने के लिए

संघर्ष करते हुए उम्र कट गई , मगर वो कमी पूरी नहीं हुई जो जिंदगी भर रही । उस वक्त लोगों की बातों पर यकीन नहीं हुआ , लेकिन अब यकीन हो गया है , कि कमी पूरी होना नशीब में ही नहीं था ।
माना कि नशीब जिंदगी का एक अहम हिस्सा है । लेकिन नशीब के विपरित संघर्ष करने का मशगला अच्छा था ।
शायद ज़िन्दगी गुजारने के लिए , नशीब में संघर्ष करना ही लिखा था ।

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

विज्ञान क्या है ? शिक्षा क्या है ? आध्यात्म क्या है ?

कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है विज्ञान ।
कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है शिक्षा ।
गहन मनन के मंथन से जब इंसान आत्मशाक्षात हुआ तब
जन्म हुआ आध्यात्म का ।
जब शिक्षा नहीं थी तब भी लोग शिक्षित थे , फर्क सिर्फ इतना था कि उस वक़्त लोगों के पास लिखने पढ़ने की शिक्षा नहीं थी जो आज है ।
सौ साल में आज बहुत परिवर्तन है , मगर लिखंत पढंत वाली शिक्षा और कल्पनाओं एवं आत्मज्ञान में आज भी उतना ही अंतर है जितना पहले था ।
आज भी संपुर्ण देश हो या विश्व , कमान संभालने के लिए
लिखंत पढंत वाले शिक्षा का होना कोई ज़रुरी नहीं है ।
ईश्वर के द्वारा प्रदान की गई कल्पनाओं , विचारों एवं आत्म मनन की शिक्षा सभी को मिल्ती है , अंतर सिर्फ इतना सा होता है कि कोई - कोई ऐसा होता है जो देश की सत्ता , कुर्सी , कमान को संभाल लेता है । और कोई ऐसा भी है जो आदेशों का पालन करने के लिए डंडा लेकर चौकीदारी में दिन / रात गेट पर खड़ा रहता है ।