खुद से सिर्फ अपने मरने की दुआ ही कर सकरते हैं , और करते भी हैं , कुछ लोग दुआ करवाते भी हैं ।
जितने भी लोग देखने वाले आते - जाते हैं । हालात के मुताबिक उन्हें भी उनके मरने की दुआ ही करनी पड़ती है ।
काश ऐसा समय किसी के भी जिंदगी में न आये तो समझो बहुत बड़ी खुशनसीबी है ।
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि जिनके जिंदा रहने की दुआएं हर सुनने वाला करता है ।
दोनों परिस्थितियों में मालिक का करम है , या उनके कर्मों का फल । मैं कुछ कह नहीं सकता ।