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मंगलवार, 31 मार्च 2020

बादशाहियत

जिन्हों ने अल्लाह को राजी करने के लिए 
अपने बादशाहियत की गद्दी छोड़ दी। 
आज उन्हीं के कदमों में दुनियां झुकी है। 
उन्हें पता था कि दुनियां एक दिन फना
होने वाली है तो चन्द दिनों की हुकूमत का क्या 
उन्हें दुनियां के ताजो तख्त की न लालच थी और 
न परवाह उन्हें सिर्फ दीन की चाहत और लालच थी 
ताकी मरने के बाद भी अमर हो सकें। 
मगर आज लोगों को दुनियां और दुनियां के ऐशो इसरत
की चहत है चाहे जितने भी अपराध, पाप और अन्याय
क्यों न हो जाएं  ।

गुरु

हमारा देश अध्यात्म गुरू रहा है और रहेगा भी। 
इसमें हिन्दू  , मुस्लिम , सिख, ईसाई, जैन, पारसी
इत्यादि सभी वर्गो से सन्त महात्मा हुए हैं। 
आज भी हैं और आगे भी होते रहेंगे। 
आज हम पुर्वजों की प्रथा छोड़ कर ज्यादा तर 
वैग्यानिक विधियों पर आधारित होते जा रहे हैं। 
हमें अपनी सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा को
कभी नहीं छोड़ना चाहिए। 
इसमें लींन रहते हुए वैग्यानिक आविश्कारों का भी 
उपयोग करें। 
पहले जब कोई सुविधा नहीं थी तब भी महामारियां 
आती थी और ऐसी विकराल रुप में कि गांव का गांव
खाली हो जाता था। उस वक़्त लोग हैजा ताऊन से 
लेकर ओबा माई तक को तंत्र मंत्र कुछ टोटके और 
दुवा ताबीज से छुटकारा दिलाते थे। 
बचपन में सुने हुए ये वाक्य -
जा तुहके ओबा माई ले जाएं। 
ओबा के मुंहे में चल जइते त संतोष मिल जात। 
बहुत ही बैकवर्ड गांवों में आज भी ऐसे वाक्य सुनने को 
मिल ही जाते हैं। 
अन्त में मैं सभी धर्मों के गुरूओं संतों महात्माओं ओझा
सोखा से यही कहूंगा कि अपने अपने ग्यान और रिति 
रिवाज के मुताबिक इस महामारी रूपी ओबा माई को 
मानकर भगाने की कोशिश करें ।

सोमवार, 30 मार्च 2020

यूजर

 जन्म लेने से लेकर मरने तक सभी लोग उपभोक्ता हैं। 
पहले गवर्नमेन्ट की व्यवस्थाओं के। 
दूसरे बिजनेस मैन के। 
उसके बाद सामाजिक, धार्मिक तथा अन्य के। 
बिजनेस में आज सबसे बड़ा नेटवर्क मोबाइल सिम
और उसके रिचार्ज का है। 
मैं समझता हूँ कि आज भारत में 95% लोग इसके युजर हैं जिस भी नियम को बनाया गया लोगों को भले ही दुखी होना पड़ा मगर कबूल किया चाहे कर्ज ले कर ही रिचार्ज कराना पड़े लोग कराते हैं। 
अब चाहे लोगों के मजबूरियों का फायदा लिया जा रहा हो या कंपनियों की मजबूरी हो लेकिन जिसके जितने यूजर बन चुके हैं वो अब खतम नहीं होंगे। 
आज जो महामारी हमारे देश में आई है ये बहुत ही 
भयावह है ऐसे में घर से निकलना बहुत बड़े खतरे को
मोल लेने के बराबर होगा और ये खतरा लेकर भी क्या 
करेंगे जब हर तरफ हर चीज़ की दुकानें बन्द हैं ।
ऐसी परिस्थिति में मैं यही कहुंगा कि जितनी भी रिचार्ज
कंपनियां हैं वे अपने यूजरों को एक महीने की आउटगोइंग इनकमिंग और डाटा सहानुभूति में दें ताकी जो लोग जहाँ भी फंसे हैं वे अपनों के साथ ही साथ सरकारी एवं गैर सरकारी सहायता केन्द्रों से जुड़ सकें ।
यह सहयोग इस दुख की घड़ी में जनता के लिए बहुत ही
लाभकारी सिद्ध होगा। जो हमेशा याद रहेगा। 

रविवार, 29 मार्च 2020

महामारी

आज इस महामारी में जहां बार बार लोगों से 
अपने अपने घरों में रहने के लिए कहा जा रहा है 
पुलिसकर्मी हिदायतों के बाद पीट कर भी समझा 
रहे हैं ऐसे में अगर कोई जिम्मेदार व्यक्ति घर से बहार 
निकलता है तो बात समझ में आती है कि कोई खास 
जरूरत होगी मगर वे लोग क्या ढूँढ रहे हैं जिनके उपर
कोई जिम्मेदारी ही नहीं है ।

शनिवार, 28 मार्च 2020

रुक जाओ

जो जहां है वहीं रुक जाए मगर कैसे  ?
न रहने को घर, न खाने को रोटी। 
उन वीरों को सत सत नमन की जो पांच सौ
से एक हजार कि,मी, पैदल चलने का जजबा
ही नहीं बल्कि चल रहे हैं। 
जिसमें बिमार भी हैं, नन्हें बच्चे भी हैं सब भूखे
प्यासे हैं भले मर जायें मगर अपनी मंजिल को तैं 
जरूर करेंगे। 
घर पर भी तो मरना ही है महामारी से न सही 
भूख से तो मरेंगे  , संतुस्टी सिर्फ इस बात की है 
कि अपने घर में अपने लोगों के बीच मरने की इच्छा 
है । कोरोना से भी बड़ी महामारी तो ऐसे लोगों की है 
जिनके पास कुछ भी नहीं है। स्पष्ट खुल कर सामने आना शुरू हो चुका है। 
बेहतर तो ये था कि इन सभी लोगों को कोरोना पलायन
कैम्प में ठहराया जाए और सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं जब हालात सुधरें तब लोगों को उनके घर पहुंचवाया जाय वरना लाकडाऊन के बावजूद इस 
महामारी को रोक पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा जिसका परिणाम देश की आधी 
आबादी समाप्त हो सकती है। 
वैसे भी देश की एक चौथाई हिस्सा भूख से समाप्त होना तै है। रोज कमाने खाने वालों के उपर तो दोहरी महामारी आ पड़ी है। 
1- कोरोना वायरस 
2- रोटी की चिंता 
     बच्चों के पेट भरने के लिए इन्हें रोटी के आगे 
    कोरोना से कोई डर नहीं। 
    ईश्वर / अल्लाह सबका भला करे। 
    सभी बन्दों को हर रोग और दुख से बचाये। 

गुरुवार, 26 मार्च 2020

लाकडाऊन

प्राकृतिक महामारी पर किसी का कोई वश नहीं। 
ये पांच रूप में बनाए गये हैं जैसे -
1- आग
2- पानी
3- हवा
4- भूकंप 
5-बिमारी
लेकिन हमारे देश में एक और महामारी है जिसे 
धर्मवाद/जातिवाद के नाम से जाना जाता है। 
इस महामारी को लोगों ने खुद अपने स्वार्थ के तहत 
फैलाया है और ये एक दिन या एक साल में नहीं फैला
इसे पूरे भारत को जकड़ने में काफी समय लगा है और 
इसे फैलाने के लिए तमाम गैंग रजिस्टर्ड हैं जैसे -
1- बहुजन समाज पार्टी 
2- समाजवादी पार्टी 
3-अंबेडकर समाज पार्टी 
4- अकाली दल तथा अन्य 
    लगभग हर प्रांत में आप को दल या पार्टी मिल ही जायेगी जो एकता और भाईचारे की बात न कर के जात
पात के भेद भाव की बातें होती हैं जिसमें लोगों के सोचों
को लोगों से अलग किया जाता है। 
जिसका नतीजा भयावह रूप लेता गया। 
जिसमें मंदिर  , मस्जिद, फिर हिन्दू मुस्लिम फिर लिंचिंग
फिर आगजनी  , तोड़फोड़ आदी इत्यादि। 
इन तमाम दंगों में भी लाकडाऊन किया जा सकता था। 
अगर लाकडाऊन किया जाता तो कई लाख लोग आज
भिखारी की जिंदगी जीने को मजबूर न हुये होते। 
कर्फ्यू उस वक़्त भी लगे लेकिन एकतरफा आताताई और फोर्स अपने काम को अंजाम देती रही न जाने कितने लोग गोलियों से भून दिये गये। 
उफ जुर्म और मनमानी की इन्तेहा। 
क्या मानव के मस्तिष्क पटल से कभी मिट पाएगा  ?
लोगों का मानना है की श्राप अब इस कलयुग में नहीं 
लगता लेकिन ऐसा नहीं है आज तुरन्त नहीं लगता मगर
लगता है। 
जैसे हम आसमान में फ्रिक्वेंसी छोड़ते हैं तो उसे रेडियो, 
टेलिविज़न, मोबाईल कैच कर के चलता है उसी तरह 
जब मानव के दिल से वेदना निकलती है तो वो भी आसमान में नेटवर्क के फ्रिक्वेंसी की तरह सेफ हो जाती है जिसे दो चीजें रीड़ करती हैं 
1- ईश्वर, अल्लाह 
2- प्रकृति 
    नवम्बर एक प्रोसीड करता है नम्बर दो को
  जैसा आदेश प्राप्त होता है वैसी आपदा, महामारी 
  सृष्टि में प्रकृति द्वारा फैल जाती है। 
 इस लिए किसी भी इंसान के दिल को दुखी न करें 
भाईचारा कायम करें किसी के बहकावे में न आएं। 
आज जो महामारी आई है उस से बचें और ईश्वर, अल्लाह, गाड, जिस भी रुप में जैसे भी आप मानते हैं उसी तरह मानते हुए प्रार्थना, प्रेयर और इबादत अपने अपने घरों में करें। 

मंगलवार, 24 मार्च 2020

कोरोना वायरस

नोज पैड, मास्क, आज लगाना आवश्यक है। 
जब कि मैने टीवी समाचरों और लोगों को आते
जाते लोगों में देख रहा हूँ कि ज्यादा तर लोग नोज 
पैड/मास्क को मूह पर तो लगाए हैं मगर नाक को 
नहीं बन्द कर रहे हैं शायद उन्हें लगाने का सिस्टम 
न पता हो या फिर अपनी जि़दगी और कोरोना वायरस 
के प्रति सिरियस न होकर शौक या फैशन में लगा रहे हैं। 
पांच से छव फिट की दूरी से बात करने का मतलब स्पसट है कि वैक्टीरिया  ( किटाड़ू  ) आप के मुंह में नहीं बल्कि सांसों के जरिए अटैक ज्यादा होता है। 
कृपया नोज पैड / मास्क लगाएं तो मुँह के साथ नाक को भी जरूर ढंक कर रक्खें ।
2- हाथ में भी गलब्ज का इस्तेमाल करें। 
3- किसी के मोबाईल, ईयर फोन, रूमाल आदी का प्रयोग भूल कर भी न करें। 
4- न तो अपने किसी सामान को किसी को छूने दें और 
    न तो किसी के सामान को छूने की कोशिश करें। 
5- रुपये या सिक्के को छूने के बाद किसी को भी न छुवें। पूरा कपड़ा चेन्ज करें हाथ को अच्छी तरह से धोयें 
    फिर नहाएं उसके बाद घर के लोगों के संपर्क में आएं।
6- हाथ मुंह ढंक कर एटीएम रूम में अकेले जाएं। 
7- हाथ मुंह की सेफ्टी के साथ अगर रैन कोट भी पहने 
     तो ज्यादा लाभ होगा क्यों कि बिना रेनकोट के बाहर 
    निकलने पर घर लोटते ही अपने कपड़े को भी तुरन्त 
    धोयें बिना धोवे न कहीं टांगें और न इधर उधर रक्खें ।

सोमवार, 23 मार्च 2020

सुपर पावर

लगभग पूरी दुनिया में इंसान और इंसानियत को मारने 
मिटाने का बाजार काफी गर्म हो चुका था। 
कहीं हुकूमत तो कहीं पब्लिक। 
कहीं जनता और फोर्स तो कहीं नश्लवाद। 
कहीं धर्मवाद तो कहीं ऊंच नींच ।
सभी जगह राजनीति शाजिश का हाथ पाया गया। 
कुछ को दुनिया में सुपर पावर बनने की चाहत तो 
कुछ को अपने ही देश में सुपर पावर बनने की मनमानी 
शायद ये सभी लोग भूल बैठे थे कि इस दुनियां को बनाने
वाला ही पहला और आखरी सुपर पावर है जिसके अलावा कोई कुछ भी नहीं। 
उसके सिर्फ एक अटैक जिसे आप कोरोना वायरस के 
नाम से जानते हैं जिसके कारण आज पूरी दुनिया को 
अपने अपने घरों में दुबकना पड़ रहा है। 
अगर वो चाहे तो ये दुबकना भी काम नहीं आने वाला 
ये तो उसकी मन्शा के उपर है कि वो दुनियां को क्या 
दिखाना चाहता है। दूर तक अगर इंसान बनकर सोंचोगे
तो सब समझ जाओगे। 


रविवार, 22 मार्च 2020

बीमार

सारा दिन घर में पड़े पड़े बीमार सा लगने लगा हूँ  ।
क्या करूं बेड रूम फिर किचन फिर बथ रूम, ट्वायलेट 
रूम थोड़ा बाहर बरामदे में कुछ देर लान में और क्या करूं ऐसा लगता है जैसे मार्सल्ला लगा हो। 
सुनने में आ रहा है कि बाहर किसी काम से या किसी 
मजबूरी में जाने पर बिना कुछ पूछे पुलिस पीटने लग रही है ।

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

अपनी मरजी

अपनी जि़दगी अपनी मरजी से जीने का सबको हक है। 
आप अपनी मरजी से जीना चाहते हैं तो खुल कर पूरे 
जुनून के साथ जियें ।
लेकिन कुछ बातें याद रक्खें जैसे  -
1- अपने किसी भी सामान का नुकसान न करें। 
2- अपनी शुरछा का पूरा ध्यान रक्खें ।
3- आप के द्वारा किसी को कस्ट नहीं होना चाहिए। 
4- आप के द्वारा किसी का कुछ भी नुकसान न हो। 
5- कभी ऐसा काम न करे कि लोग आप पर उंगली उठाएं ।
6- कभी ऐसा काम न करे कि आप की शिकायत घर तक आये। 
7- और भी बातें हैं जिन्हें आप खुद सोंचे समझें। 

गुरुवार, 19 मार्च 2020

जरूरी नहीं

जरूरी नहीं कि ग्यानी आफिस या लाइब्रेरी में ही मिले
ये मयखाने और शराब के अड्डों पर भी मिल सकते हैं। 

बुधवार, 18 मार्च 2020

हकदार

तमाम लोगों को अपना ही पेट भरना मुश्किल होता है। 
तमाम लोग अपने और अपनों का पेट भरने के लिए 
दिन रात एक किये हुए हैं। 
तमाम लोग शादी, पार्टी, उत्सवों , में अपने लोगों को रिश्तेदारों और परचितों को निमन्त्रित कर के पेट भरते 
और भरवातें हैं पेट भरने के मामले में यहीं तक शदियों 
से सिमटे हुए हैं लोग। 
कुछ लोग हैं जिन्हें उनकी तलाश रहती है जिन्हें अपने ही पेट को भरने का कोई रास्ता नहीं ।
एक बहुत बड़ी संख्या है जिनका अपना कुछ भी नहीं। 
कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके पास जरुरत से ज्यादा सब 
कुछ है ऐसे लोगों में निन्यानवे परसेन्ट लोग उनके बारे में 
नहीं सोंच पाते हैं जिनके पास कुछ भी नहीं है। 
जिनके पास अपना कुछ भी नहीं उनकी आस हमेशा उन
लोगों में लगी रहती है जिनके पास जरुरत से ज्यादा सब कुछ है मगर निन्यानवे परसेन्ट लोगों को तिरसकार के सिवा कुछ नहीं मिलता। 
अपनी अमीरी की दुनिया से निकल कर जरा उन्हें भी 
देखें जो रोड़ के किनारे मंदिर के सीढियों पर मस्जिद के गेट पर वीरानों में भटकते हुए हाथ फैलाते हैं। 
कभी होटल के बाहर इस आशा में खड़े रहते हैं कि कोई 
आएगा और उन्हें भी खाना खिला कर पेट भर देगा। 
एक इंसान एक इंसान के सामने हाथ फैलाए तो फिर इंसानियत कैसी । 
वो इंसान इंसान नहीं जो एक इंसान को खाली हाथ वापस कर दे। मुझे मेरे मित्र मशहूर शायर राज आजमी साहब का एक शेर याद आ जाता है कि 
वहीं मौत आई है मेरी खुदी को। 
जरूरत जहां हाथ फैला गई है।। 
वह तो हाथ फैला कर मर गया मगर आप खाली हाथ वापस कर के क्या कहलाएंगे कभी खुद से सवाल किया ?
काश अगर आप उसकी जगह होते और आप से जब कोई कहता कि आगे बढो कुछ नहीं है या कहीं और देखो तो कैसा महसूस होता। 
अपनी औकात के नीचे के लोगों पर हमेशा नजर बनाए 
रखिए दिल से दुआएं इन्ही से बिन मांगे मिलेंगी अपने बराबर के लोग पेट भरने के लिए हमेशा तैयार हैं लेकिन 
कभी दुआ नहीं देते। 
इतने गिरे हुए हो कि खुद कहते हो कि दुआओं में याद 
रखिएगा अरे आप खुद ऐसा करें कि अगला आप को दुआ देने के लिए मजबूर हो जाए। 
दिल खोल कर खर्च करो मगर उनके ऊपर जो उसके असली हकदार हैं। 
मनुष्य वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए जिए और मनुष्य के लिए मरे। 


सोमवार, 16 मार्च 2020

पसंद

आप जैसे भी हैं जो कुछ भी हैं वो अपने लिए हैं। 
आप को क्या पसंद है क्य नहीं आप की मर्जी 
आप क्या खाते हैं क्या नहीं ये आप, 
आप के घर वाले और चन्द करीबी लोग जानते हैं। 
जिसे आप की पसंद ना पसंद की जानकारी नहीं है 
और वो आप की इज्ज़त खातिरदारी करता है तो वो 
यही सोंच कर करता है कि आप को पसंद आएगा 
अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता मगर 
आप हैं कि उस खातिरदारी में भी अपनी पसंद ना पसंद 
की कमियां ढूँढ लेते हैं। 
बेहतर होगा कि अपनी नफासत अपने पास रक्खें और 
थोड़ी देर के लिए उसकी खुशी में अपनी ख़ुशी शामिल 
करें अन्यथा अपने जाने से पहले अपनी पसंद ना पसंद की लिस्ट पहले भेज दें। 

रविवार, 15 मार्च 2020

तमाम रिश्ते

तमाम रिश्ते तो जन्म लेते ही मिल जाते हैं। 
कुछ रिश्ते लोग बनवाते हैं और कुछ रिश्ते 
खुद बनते हैं सब के अलग अलग ( कर्तव्य )
फर्ज हैं अगर आप सभी रिश्तों से मुंह मोड़ कर
अरबपति, खरबपति,या करोड़पति ही बन जाएं
तो सिर्फ मुझको ही नहीं बल्कि मैं समझता हूँ कि 
शायद सभी को खुशी होगी क्यों कि सभी आप के 
नाम से अपना नाम जोड़ कर अपना काम बना लेंगे 
और अपनी ज़िन्दगी जी लेंगे चाहे आप कभी मिलें
या न मिलें, कभी बोलें या न बोलें, कभी मदद करें या 
न करे। मगर यदि सभी रिश्तों से मुंह मोड़ कर आप 
वहीं के वहीं रहे या और भी बदतर हालात में चले गए 
तो यही लोग जो आप के रिश्तों की डोर से बधे हैं। 
आपसे मूह मोड लेंगे और ऐसा मोड़ेगे कि जैसे कोई अजनबी। 

शुक्रवार, 13 मार्च 2020

समझाना

एक समझाता रहा 
एक समझता रहा 
दोनों आपस में समझने और 
समझाने में लगे रहे उधर
तीसरा अपना काम कर गुजरा। 

गुरुवार, 12 मार्च 2020

चेहरा

अगर चेहरा पढना आता है तो खुद को कभी आईने के
सामने खड़ा करना आप की हकीकत आप के सामने होगी। 

सोमवार, 9 मार्च 2020

बिस्तर

अपने लक्जरी रूम का नर्म मुलायम बिस्तर अब नहीं है 
तो क्या हुआ हम दोनों एक दूसरे का आपस में बिस्तर 
बन कर इन समयों को भी काट लेंगे। 

रविवार, 8 मार्च 2020

धंधा

लोकतंत्र में सबसे बड़ा धंधा राजनीति का है। और राजनीति का धंधा जनता से चलता है। 
जनता है तो धंधा है जनता हटी तो धंधा खत्म। 

शुक्रवार, 6 मार्च 2020

इंसानियत

आदमी इन्सान तब बनता है जब वह इंसानियत को 
समझते हुए इंसान की तरह पेश आना शुरू करता है। 

गुरुवार, 5 मार्च 2020

सब्र

थोड़ा सा सब्र  ( संतोष  ) आप को खुशियों से भर देगा 
बस आप को सब्र करने की आदत तो पहले हो जाए  ।

माँ , बाप

दुनियां बनाने वाले ने आप को दो लोगों के माध्यम से 
इस दुनियां में भेजा है ।
एक महिला और एक पुरूष जिसे हम मां, बाप के रूप में जानते हैं इन माध्यम की हमें पूजा करना चाहिए लेकिन 
अगर पूजा नहीं कर सकते तो कम से कम सम्मान और 
इज्ज़त तो दे ही सकते हो। कभी भी इनकी सेवा शर्तों और बदले पर मत करना इनकी सेवा हमेशा निस्वार्थ भाव से करना क्यों कि इनके दिलों के तार सीधे उससे जुड़े हैं जिसने तुम्हें दुनियां में भेजने के लिए ऐसे माध्यम को चुना अगर माध्यम को आप से जरा भी कस्ट हुआ तो उसे भी होगा जिसने आप को इस दुनिया में भेजा है ।
निस्वार्थ भावना से की गई सेवा ही आप के सफलता का 
कारण बनेगी कभी इनसे पाने की आशा मतकरना सिवाये देने के क्यों कि इनके दुनियां से जाने के बाद भी इनकी आत्मा तुम्हारे सुरछा और कामयाबी के लिए आप के आस पास ही आती जाती रहेगी जैसा कर्म आप का हुआ है वैसा ही परिणाम भी आप को मिलेगा। 

बुधवार, 4 मार्च 2020

बिकती है

ये आप सभी को मानना पड़ेगा, याद रखियेगा और जरूरत पड़े तो आजमाईएगा कि दुनियां में हर चीज़ बिकती है कुछ जरूरतों के लिए , कुछ मजबूरियों में तो कुछ सपनों को साकार करने के लिए। 
बस इतना अन्तर जरुर है कि बेचने के बहाने अलग अलग हैं और खरीददार के अंदाज अलग अलग हैं। 

मंगलवार, 3 मार्च 2020

एक्सट्रा माईन्ड

चोरी करने के लिए , लूट और डकैती करने के लिए ,
फ्राड करने के लिए , मर्डर करने के लिए , विवाद कराने
के लिए , दंगा फैलाने के लिए , अपने स्वार्थ के तहत 
किसी को फसाने के लिए एक्सट्रा माईन्ड की जरूरत 
पड़ती है और वो आता है उसी एक टापिक पर बहुत ज्यादा सोचने पर जिस जिस चीज के बारे में गहराई से सोंचना शुरू करोगे और ये तभी करोगे जब आप की जरूरत होगी या फिर आप इन्ही किसी रास्तों के तहत अपनी जरूरतों को पूरा करना चाहते हो तो आप की सोंचे रास्ता देना शुरू कर देंगीं । संपन्न तो हो जावोगे लेकिन ये संपन्नता आप के बाद नहीं रहेगी ।

सोमवार, 2 मार्च 2020

24 साल

मैने गुलाब की कली को एक मिनट में खिल कर फूल 
बनते हुए देखा है। 
मैने 14 साल की एक लड़की को 24 साल की स्मार्ट 
लड़की के रूप में बदलते हुए एक मिनट के लिए अपनी आँखों से देखा फिर 14 साल में बदलते हुए भी उसी एक मिनट में में देखा जिसे मैं आज तक नहीं भूल सका हूं। 
हो सकता है कि आप को यकीन न आए मगर यह दोनों 
घटनाओं को मैने अपनी आँखों से देखा है। 
आज दस साल बाद वह समय के मुताबिक  24 साल की हुई है। उसे चौदहवें साल से चौबीसवें साल तक धीरे धीरे बदलाव आते हुये देख रहा हूँ  ।
मेरी अच्छी फ्रेन्ड भी है अक्सर बातें भी होती हैं मगर उस रहस्य को आज तक मैने उससे नहीं पूछा।