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गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

अवसर जब आता है

अवसर जब आता है , तो समझ में जल्दी नहीं आता , क्यों कि यह हजारों निगेटिव सवाल खड़ा कर देता है।
लोग निगेटिविटि से भर जाते हैं।
निगेटिविटि बहुत ही चालाक और समझदार बना देती है।
अवसर को छोड़ने के लिए निगेटिविटि दिमाग में यह भर देता है कि यह पहली बार नहीं है ये तो फिर आएगा कभी भी शुरु कर लेंगे।
जब अवसर चला जाता है तब यह एहसास होता है कि मैंने आए हुए अवसर को छोड़ कर गलत किया था , फिर सिर्फ पस्ताने के सिवा कुछ नहीं रहता और लोग अक्सर बात ही बात में एक कहानी की तरह लोगों से कहते भी हैं कि यह अवसर पहले मेरे ही पास आया था , लेकिन मैंने शुरु नहीं किया। 
जिसने किया आज वो बहुत आगे निकल चुके हैं । अब पहचानते भी नहीं।
यदि वही अवसर जिंदगी में कभी दुबारा आ जाता है तो उसके माध्यम से अपने गोल को अचीव करना उतना आसान नहीं होता जितना कि पहली बार के अवसर में आया था।
क्यों कि अवसर एक ही हो सकता है लेकिन लाने वाले व्यक्ति अलग अलग हो सकते हैं । 
जितनी आसानी , जितनी सुविधाएं , जितना सहयोग पहली बार आए हुए अवसर में हमें प्राप्त होता है । वही चीजें दूसरी बार के अवसर में नहीं होती , इस लिए अगर कोई अवसर आप के पास आया है या आता है तो वह बहुत ही साधारण तो दिख सकता है लेकिन जब आप उसे अच्छी तरह से समझेंगे तो उसमें आप को अपने गोल को प्राप्त करने का रास्ता जरुर नज़र आएगा ।
सकारात्मक सोंच ही सकारात्मक दिशा को दिखा सकती है । नकारात्मक सोंच हमेशा ग़लत दिशा की ओर ले जाती है ।
इस लिए नकारात्मक और सकारात्मक यानी निगेटिव और पाजेटिव दोनों विचारों कि तुलना कर लेना चाहिए जिसमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि निगेटिव / नकारात्मकता बीस न पड़े ।
अब यहां एक समस्या यह उत्पन्न होती है कि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं कि जो इन दोनों की तुलना एक साथ नहीं कर पाते जिसका नतीजा यह होता है कि कोई निगेटिव से भरा होता है तो कोई पाजेटिव से भरा हुआ है । 
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दोनों में फर्क करना जानते हैं ।
ऐसी परिस्थितियों में जो तुम्हारी नज़र में सही लगे उससे सलाह अवश्य लें , और फिर आत्ममंथन करें ।

बुधवार, 30 नवंबर 2022

दौलत भी क्या चीज़ है

दौलत है तो हर जगह और हर किसी के तुम हो ।
दौलत नहीं है तो हर जगह से , हर किसी के दिल से और हर किसी की नज़रों से गुम हो ।
ये दौलत भी क्या चीज़ है ....... कि
कोई दौलत के पीछे भागते - भागते मर जाता है ।
तो किसी के पीछे दौलत भागती है ।

रविवार, 27 नवंबर 2022

भुमिका

भूमिका के साथ विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखें ।
पहले भूमिका की हेडिंग लिख कर भूमिका तीन चार लाईन में पुरी हो जाती थी ।
फिर व्याख्या की हेडिंग लिख कर डेढ़ दो पेज विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखी जाती थी ।
ये दौर पढ़ाई का था।
अब ज्यादा तर लोगों में फोन ने भुमिका के स्थान को विस्तार पूर्वक व्याख्या की धारा पकड़ा चुका है
अब ज्यादा तर यह सुनने और देखने को मिल रहा है कि लोग भुमिका को इतना लंबा कर देते हैं कि अक्सर अपने मूल मकसद अर्थात खास बात / मुख्य बात को भूल जाते हैं कि उन्हें पुछना क्या था या कहना क्या था।
अक्सर यह सुनने को मिलता है कि देखिए मैं तो वो बात ही भूल गया जिसके लिए फोन किया था ।
भुमिका ने जो विस्तार पकड़ा है उसमें है क्या ?
सिर्फ बेवकूफी वाली बातें जैसे - कहां हैं ?
क्या हो रहा है ? और सुनाईए ?
इसमें से पहला सवाल - कहां हैं ?
यह अक्सर एक से दो बार पुछा जाता है । 
क्या हो रहा है ?
और सुनाईए ?
यह बार बार आता है ।
कौन कौन है ? 
क्या बना है ? 
और सुनाओ ? जैसे निरर्थक बातें जिसे कहने या पूछने की कोई आवश्यकता नहीं है  लेकिन यह फोनटाक फोबिया है , जो गहरे डिप्रेशन से होते हुए स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन पैदा करता है ।



शनिवार, 26 नवंबर 2022

स्वर्ग और नर्क में बहुत दूरी नहीं है

दो चार क़दम पे तुम थे ।
दो चार क़दम पे हम थे ।।
दो चार क़दम ये लेकिन ।
सौ मिलों से क्या कम थे ।।

दो चार क़दम पे स्वर्ग भी है ।
दो चार क़दम पे नर्क भी है ।।
दो चार क़दम नर्क के इतने हसीन नज़र आते हैं कि लोग दौड़ कर उसमें समा जाते हैं ।
जब फंस जाते हैं तब समझ में आता है कि ये मैं कहां आ गया हूं , जब की नर्क ने खुद तुम्हें नहीं बुलाया उसने अपनी चकाचौंध से तुम्हें सिर्फ आकर्षित किया और तुम इस आकर्षण में वशीभूत हो कर दौड़ पड़े ।
तुम्हें नर्क का एहसास तुरंत नहीं हुआ , नर्क ने तो तुम्हें स्वर्ग जैसा आनन्द तब तक दिया जब तक कि तुम अपने पुन्य कर्मों से खोखले नहीं हो गये ।
फिर तुम्हारे पास नर्क भोगने के सिवाय बचा ही क्या है ?
स्वर्ग की ओर जाने के लिए कोई चकाचौंध नहीं है ।
कोई आकर्षण नहीं है , बल्कि दुःख है । तकलीफें हैं। त्याग है । तपस्याएं हैं आदि...... इत्यादि..... हैं ।
स्वर्ग भी अपनी ओर बुलाता है लेकिन स्वर्ग के दो चार क़दम सौ मीलों से कम नहीं लगते ।
इस मायावी संसार से विरक्त होना पड़ता है ।
जिसको जो चाहिए वो सब है यहां , अब निर्णय तुम को करना है कि तुम पाना क्या चाहते हो और जाना कहां चाहते हो ।

रविवार, 6 नवंबर 2022

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।
इसमें उपासना और इबादत के अनन्त रास्ते हैं ।
जिसको जैसे अच्छा लगता है ।
जिसको जैसे आनन्द आता है ।
जिन तरीकों से मुरादें पूरी होती हैं ।
जिन आस्था से सफलता प्राप्त होती है ।
वे वैसे करते हैं ।
किसी को समझाना…...... क्यूं है ?
तुम जैसे हो वैसे ही रहो ....... ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी कोई मुरादें हासिल की है ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी सफलता को प्राप्त की है ।
तो लोगों को भी बताओ ।
लोगों को भी सिखाओ ।
न कि उसे उसके मार्ग से भटकाओ ।
किसी के धर्म और कर्म में कभी बाधा मत बनो
सभी इंसान हैं । सबकी अलग अलग सोंच है ।
उपरोक्त बातों द्वारा इसमें जातियों का कोई संबंध नहीं है ।
इस धरती पर सिर्फ चार प्रकार की जातियां हैं ।
1 - पुरुष / मर्द ।
2 - स्त्री / औरत ।
3 - अमीर / धनवान ।
4 - गरीब / निर्धन ।
इसके बाद कोई जात नहीं है ।
माना कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पुरक हैं ।
ठीक इसी तरह अमीर और गरीब भी एक दूसरे के पुरक हैं ।
स्त्री को पुरुष की आवश्यकता है ।
पुरुष को स्त्री की आवश्यकता है ।
गरीब को अमीर की आवश्यकता है ।
अमीर को गरीब की आवश्यकता है ।
हरलोग अपनी मर्यादा में रहते हुए अपने कर्तव्यों
का पालन करें । इसी को इंसानियत कहते हैं ।

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022

मुहब्बत में भी एक दुनिया है ।

एक तरफ़ दुनिया है , जो अपनी तरफ़ आकर्षित करती है और एक तरफ़ किसी की मुहब्बत है , जो अपनी आगोश में समेट कर दुनिया को भुलवाना चाहती है , दुनियां से दूर रखना चाहती है ।
दुनियां में अगर जाऊं तो यहां मुहब्बत नहीं है और मुहब्बत में अगर जाऊं तो वहां दुनिया नहीं है ।
अंत में यह एहसास हुआ कि इस दुनिया में जो दुनिया है , वह बहुत ही अलग तरह की दुनिया है , जिसमें चंद लोगों के सिवा कोई किसी का नहीं है ।
मुहब्बत में भी एक दुनिया है जिसमें सब अपने हैं । मुहब्बत के सिवा वहां कुछ भी नहीं ।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

दो मित्र

कुछ लोगों का मिजाज रईशी होता है , जो खानदानी है । किसी भी हाल में हों मगर उनकी रईशी बू बांस मरते दम तक नहीं जाती । कुछ लोग उनकी नकल करने में उजड़ जाते हैं । खैर ये अलग मैटर है , जिसके पास जितना होता है वो अपने हिसाब से अपनी ज़िंदगी का इंज्वॉय करता है । सब अपनी नसीब , अपनी सामाजिकता और अपनी औकात पर निर्भर करता है , इसमें न तो आप किसी को रोक सकते हैं और न तो समझा सकते हैं यदि आप ने अपना समझ कर हमदर्दी में कुछ राय पुर्वक समझाया तो पीठ पीछे आप की औकात दिखा दी जाती है ।
कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं कि आप कुछ भी हों मुंह पर ही आप की औकात नाप देते हैं ।
मैं आप को दो ऐसे मित्र की कहानी सुना रहा हूं जिसमें आप को ये महसूस होगा कि दुनियां और समाज की चकाचौंध में जाने के अंजाम क्या होते हैं और अपने भविष्य को लेकर जो सतर्क होते हैं वे क्या करते हैं , जिससे उनके और उनके आने वाली पीढ़ी किसी विपत्ति के समय में सुरक्षित कैसे हो सकती है ।
दो व्यक्ति थे । जिनकी सर्विस के दौरान ही मित्रता हुई । दोनों मित्र एक साथ रिटायर हुए , दोनों को काफी पैसा मिला .....।
एक मित्र ने दूसरे मित्र से जमीन खरीदने की बात की मगर उसे यह फाल्तू काम लगा तो उसने सुझाव देना छोड़ दिया और चुपचाप जाकर शहर में ही सिर्फ दस लाख खर्च कर के एक जमीन ले ली और दूसरे मित्र ने दस लाख की एक कार खरीदी ,
वक्त गुजरता गया दस साल बीत गए जमीन वाले को अपनी जमीन निकाल कर कुछ और करने की सूझी उस ने अपनी जमीन बेची तो उसे एक करोड़ पच्चीस लाख मिले और कार वाले मित्र की कार एक कबाड़ी वाला सिर्फ पच्चीस हजार रुपए दे कर ले गया ।
अब फैसला आप के हाथ में है कि आप जमीन की शक्ल में सोना से भी मंहगी चीज बनाकर बेचना चाहते हैं कि कबाड़ के भाव में गाड़ी ।
बढ़ती मंहगाई , बढ़ती आबादी के बीच सोने का भाव भी गिरता है । गाड़ियों के भाव में भी गिरावट और डिस्काउंट आते रहते हैं लेकिन जमीन के भाव को आज तक मैंने डाउन होते नहीं देखा ।
इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे आप्शन होते हैं जो आप के आत्ममंथन पर निर्भर करता है कि आप अपने आप को कैसे सेक्योर रहते हुए विकास की ओर ले जा सकते हैं ।

रविवार, 16 अक्तूबर 2022

आत्मा को परमात्मा में लीन कर देना

( औलिया अल्लाह मतलब पहुंचे हुए संत और फ़कीर जो अपनी आत्मा को परमात्मा में लीन कर चुके हों )
 मैंने औलिया अल्लाह को देखा है ।
मैंने औलिया अल्लाह से बातें भी की है ।
मैंने औलिया अल्लाह के कुछ करिश्मों को भी देखा है । उनके करिश्मे को मैंने अपने उन ख्वाहिशों को पूरा होने में देखा है जिन ख्वाहिशों की मुझे हद से ज्यादा ज़रुरत थी ।
मैंने औलिया अल्लाह के साथ बहुत साल गुजारे हैं किसी लालच में नहीं ।
किसी मकसद से नहीं ।
सिर्फ उनकी मुहब्बत में ।
उस वक्त मुझे उनकी ताकत का पता नहीं था ।
जब पता हुआ तो इल्म की रौशनी पाने की ख्वाहिश हुई ।
उनके आगे मेरी चाहतों का क्या मोल ?
उन्हें पता है कि मेरी चाहतें मेरे लिए उचित है या नहीं।
हम तो बिन पानी मछली की तरह तड़पते हैं अपने मकसद को पाने के लिए ।
लेकिन वो वही करते हैं जिसमें मेरी भलाई है ।
वो ये कभी नहीं करते जिसमें मेरी तबाही हो ।
वे लोग नादान और अनजान हैं कि जिन्हें औलिया अल्लाह मिले हों मगर समझ न सके और उन्हें छोड़ कर अपना रास्ता कहीं और नाप लेते हैं , लेकिन उनकी नज़र उन सभी के हर हरकतों पर रहती है जो अपने हाथ से उनके हाथ को पकड़ कर उनका हो गया हो।
दुनियाबी इल्म किस्मत से मिलती है और दीनी इल्म औलिया अल्लाह के शोहबत में रहने से ।
बस सब्र करो और इतना करो कि औलिया अल्लाह भी घबरा जाएं और बुरी किस्मत भी पीछा छोड़ दे ।मैं जानता हूं कि औलिया अल्लाह लिखे हुए तक़दीर को बदल देते हैं पर मुझे यह नहीं मालूम कि मेरी किस्मत में क्या है बस जो हालात मेरे सामने है वही रज़ा ए इलाही है।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

तुम कौन हो ?

1 - दुनियां में आने के लिए एक दायरे में आना पड़ता है । एक आकार का रुप लेना पड़ता है , जैसे आदमी का जिस्म हो या किसी पशु पंक्षी का और वो दायरा महदूद होता है । इस लिए तुम भी एक महदूद दायरा हो लेकिन तुम्हारे इस महदूद दायरे में भी एक चीज ला महदूद है । जिसे रुह कहा जाता है , जो ला महदूद जगह से आती है , जहां कोई महदूदियत नहीं होती इसी को पकड़ना और साधना पड़ता है , लेकिन तुम्हारा महदूद जिस्म इसे समझ नहीं पाता और अंत में ये तुम्हारे महदूद जिस्म से निकल कर ला महदूदियत में चली जाती है । वहीं इसका असली और वास्तविक जगह है । तुम्हारा शरीर विकृत हो सकता है । तुम्हारा शरीर मिट भी जाता है । लेकिन रुह अजर और अमर है जो न कभी मिटती है और न तो कोई मिटा सकता है । अगर तुम चाहते हो , तो इस महदूद दुनिया और महदूद जिस्म में होते हुए भी ला महदूदियत को पा सकते हों ।- 
जब तुम्हें एक ला महदूद जगह से दूसरी महदूद जगह पर ट्रांसफर किया जा रहा था तो तुम्हें यह मंजूर नहीं था फिर जब तुम्हें बताया गया कि उस महदूदियत में रहते हुए भी तुम ला महदूद कैसे हो पाओगे और जहां से जा रहे हो वहां जब चाहे तब कैसे आ जा सकते हों , तब जा कर तुम अपना ट्रांसफर करवाने के लिए तैयार हुए , जब ट्रांसफर हुआ तो नौ महीने तक तुम्हें एक महदूद दायरे में रखने के बावजूद ला महदूदियत से जोड़े रक्खा गया फिर नौ महीने बाद तुम्हें बाहर निकाला गया फिर भी तुम बाहर आ कर नौ महीने तक तड़पते रहे अपने लामहदूदियत के मुकाम पे जाने के लिए लेकिन उसके बाद तुम भूलना शुरू किए और धीरे धीरे आज सारे रास्ते भूल चुके हो । तुम्हें कुछ याद नहीं। 

2 - अल्लाह से जो तुम मांगते हों उसकी एक हद है
लेकिन उसके देने की कोई हद नहीं मगर हद तुम बनाते हो , हद में मांग कर इस लिए वो तुम्हारी जरूरत के मुताबिक हद में दे देता है ।

3 - दरिया से कभी बूंद की ख्वाहिश मत करो अगर पचा पाओ तो दरिया को ही पचाने की कोशिश करो अगर ये भी न हो पाए तो खुद में ही एक दरिया बन जाओ।

4 - मांगने से बेहतर पाने का इंतजार करो हो सकता है कि अल्लाह तुम्हारे लिए तुम्हारी सोंच से भी ज्यादा देने वाला हो ।
इसि इंतजार को सब्र कहा जाता है और तुम्हारे हर सब्र में वो तुम्हारे साथ है ।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

उसकी नज़र में

उस की नज़र में मैं बेवकूफ इस लिए हूं क्यो कि मैं सच बोलता हूं । सच्चाई कड़वी होती है जो आसानी से नहीं पचती ।
सच्चाई का सहारा लेने के लिए जब किसी सच्चे इंसान की जरुरत पड़ेगी तो तुम मुझे ढूंढते हुए मेरे पास आओगे ।
लेकिन झूठ का सहारा लेने के लिए तुम्हें किसी को ढूंढने की आवश्यकता नहीं है , क्यों कि झूठ के मामले में तो तुम खुद ही पारंगत हो ।

शनिवार, 20 अगस्त 2022

जिसकी जितनी किस्मत थी

जिसकी जितनी किस्मत थी ।
उतना उसका हिस्सा आया ।।

किसी को ज़रुरत से कम आया ।
किसी को जरुरत से ज्यादा आया ।।

किसी को गुर्बते रुसवाई आया ।
किसी को दौलतें जागीर आया ।।

किसी की आंखों में नीर आया ।
किसी के हाथों में खीर आया ।।

मुझे सब्र था तो राहे सूलूक में ।
मेरे हिस्से में मेरा पीर आया ।।

जावेद उन सब को अब भूल जा ।
तू नज़र में जिसके हक़ीर आया ।।

शब्दार्थ - 
हक़ीर = छोटा , तुच्छ , नीच , गिरा हुआ इत्यादि ।

राहे सूलूक = ग़रीब , दुखियारों की मदद करना ,
                  ईश्वर की तलाश , आत्मा को     परमात्मा     
                  में लीन करना आदि इत्यादि ।
                  
पीर = कामिल मुर्शीद , संत , पहुंचे हुए फ़कीर , 
          औलिया अल्लाह , सच्चे गुरु आदि इत्यादि 
          
नीर = पानी , आंखों से संबंध होने पर आंसू ।

खीर = विषेश प्रकार का स्वादिष्ट व्यंजन ।

गु़र्बत = ग़रीबी , गुर्बते = जरुरत से ज्यादा ग़रीब ।

रुसवाई = हंसी का पात्र बनना , लोगों के द्वारा
               मजाक उड़ाया जाना आदि इत्यादि ।
               
दौलतें जागीर = बे शुमार दौलत , इलाके का
                       मालिक , जरुरत से ज्यादा धन
                       का होना अति सम्मानित सम्मान
                       में लोगों का सर झुक जाना ।                                           

गुरुवार, 21 जुलाई 2022

घर का मुखिया

बचपन में सुनता था कि गांव में पटिदारी है ।
वो पटिदारियां पिता जी की थीं , जिन्हें हर अवसर पर पूछा जाता था और खुद भी लोग हमेशा आया जाया करते थे । बड़ी एकता और मोहब्बत थी उस जमाने की पटिदारी में , बिना पटिदारी के राय मशविरा के किसी कार्य को संपन्न कर लेना संभव ही नहीं था।
गांव में सभी पटिदारों का घर ज्यादातर हमारे घर के आस पास में ही था ।
जैसे - जैसे होश संभालता गया, घर गृहस्थी आ गयी । जिम्मेदारीयां बढ़ गयीं । पिता जी के पटिदारी में ज्यादा तर लोग इस दुनियां से चले गए एकाध लोग जो बचे हैं वो भी खटिया ही पकड़े हुए है ।
कोई मामला होता है तो आज भी लोग उन्हीं से समझने जाते हैं । लेकिन अब वो भी धीरे - धीरे गांव के हो गये हैं , क्यों कि वो पटिदार हमारे नहीं पिता जी के थे ।
हमारे पटिदार गांव में नहीं हमारे घर में ही पड़े हुए हैं । पिता जी की पटिदारी बहुत अच्छी थी । 
हमारी पटिदारी तो बहुत दुखदाई है । किसी से बात चीत है तो किसी से छत्तीस का आंकड़ा , जब की सारे पटिदार एक ही घर में रहते हैं ।
अब किसी को कहां वक्त मिलता है कि गांव में जाकर पुरानी पटिदारी और खानदान के लोगों की ख़ैर खैरियत ले सके ।
घर में प्रवेश करते ही लगता है कि जैसे गांव में आ गए हैं ।
जितने लोग उतने विचार ।
घर में बसे गांव का मलिक आधुनिक विचारधाराओं एवं परिधानों के आगे नतमस्तक है , जैसे वो रिटायर हो चुका है।
जिंदगी के बचे हुए दिनों को गुंगे और बहरे बनकर खामोशी से अपनी आंखों में पट्टी बांध कर काट लेना चहता है ।
कुछ घर में बसे गांव के मालिक का सम्मान अगर बचा है तो उन्हें भी कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के तहत भ्रमित कर दिया है । जिसका नतीजा किसी को बुरा और दुश्मन समझते हैं । 
तो किसी को हमदर्द , लेकिन ये बनावटी चश्मे काफी दिनों तक बरकरार नहीं रहते । लेकिन इतना तो जरुर होता है कि आंख बंद होते ही घर में बसे गांव में लंबा विवाद छोड़ जाते हैं ।
गांव का मुखिया हो या  
घर का मुखिया हो या 
अपने परिवार का किसी के कहने पर पुर्णत: विश्वास कर लेना मुर्खता ही नहीं बल्कि महा मुर्खता है । इसमें सत्यता की पड़ताल स्वयं करनी चाहिए ।
पेड़ की हर शाख बराबर नहीं होती , फिर भी पोषण हर शाख को बराबर पाने का अधिकार है ।
पनाह मांगता हूं मैं ऐसी पटिदारी से कि न तो कोई घर से बाहर निकल कर अलग अपना घर बनवाना चाहता है और न तो बनाने देता है ।
कुछ लोगों को देखा है कि अगर वो घर से निकल कर अपना एक घर बना लिए हैं फिर भी पुराने घर में ताला लगा कर अपना अधिकार जमाए हुए हैं ।
भाई ही तो पटिदार बनता है और आज के इस हरामखोर जमाने में न तो छोटों को कोई तमीज है न तो बड़ों को । मिला जुला कर सारे रिश्ते इस ज़माने के आकाओं ने खूंटी पर टांग दिया है ।

अर्थात -
पहले एक घर था 
उस एक घर में छव, सात लोग पैदा हुए ।
परिवार और बढ़ने पर एक ही घर में सबका गुजर बसर हो पाना मुश्किल था ।
लोगों ने घर से निकल कर पांच , छव घर बनाया 
इस तरह एक मुहल्ला हो गया ।
आज वो मुहल्ला फिर एक ही घर में तैयार हो गया है ।

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

मेरी दुनियां है तुझमें कहीं

औलाद क्या है ?
इसे बाप ही जानता है। 
बाप क्या होता है ?
इसे औलाद ही जानता है । 
बाप का दर्द हो सकता है , कि औलाद कुछ देर के लिए न समझ सके , लेकिन 
बाप के लिए औलाद का दर्द बहुत जानलेवा होता है । औलाद के दर्द के आगे बाप , अपने सारे दुःख दर्द भूल जाता है । लेकिन वो औलाद अपना दुःख दर्द किस से कहे ? 
जिसका बाप अपनी औलाद के बचपन में ही दुनियां को छोड़ गया हो ।

बाप जिंदा है तो ये एहसास होता है।
मेरी दुनियां है तुझमें कहीं।
तेरे बिन मैं क्या कुछ भी नहीं।।
बाप के न होने से हर वक्त यह एहसास होता है।
तुम गए ...................!
सब गया .................।।
कोई अपनी ही मिट्टी तले ।
दब गया ..................।

क्या करुं आप मेरे एहसास में जो इतना घुले हुए हैं कि आज तेईस साल में भी आप की एक एक बात आज भी याद है। ऐसा लगता है कि आप से मिले हुए तेईस साल नहीं बल्कि तेईस घंटे बीते हों न जाने किस वक्त आप के पुकारने की आवाज मेरे कानों से टकरा जाय............ ।

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

अपराधी कौन नहीं है ?

अपराध होने के कारण ....... ।
अपराध सिर्फ शराब के नशे में ही नहीं होता है ।
अपराध दौलत के नशे में भी होता है ।
अपराध बहुत मज़बूरी में भी होता है ।
अपराध बहुत ग़रीबी में भी होता है ।
अपराध जवानी के नशे में भी होता है ।
अपराध शार्ट कपड़ों के आकर्षण से भी होता है ।
अपराध अंग प्रदर्शन से भी होता है ।
अपराध जलन और नफ़रत की भावनाओं से भी होता है ।
अपराध किसी को नीचा दिखाने के कारण भी होता है ।
अपराध किसी की सामाजिक प्रतिष्ठा को धुमिल करने के लिए भी होता है ।
अपराध किसी का पेट पालने के लिए भी होता है ।
अपराध कभी - कभी न्याय को साबित करने के लिए भी होता है ।
अपराध अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए भी होता है ।
अपराध खुद को बचाने के लिए भी होता है ।
अपराध किसी को बचाने के लिए भी होता है ।
अपराध काम वासना की हवश में भी होता है ।
अपराध क्रोध में भी होता है ।
अपराध लोभ में भी होता है ।
अपराध मोह में भी होता है ।
अपराध मोहब्बत में भी होता है ।
अपराध बिजनेस में धोखाधड़ी का भी होता है ।
अपराध शिक्षा जगत में डिग्रियों के धोखाधड़ी का भी होता है ।
अपराध चिकित्सा जगत में भी होता है ।
अपराध कानूनी पैर पैतडे में भी होता है ।
अपराध बैंकिंग सेक्टर में भी होता है ।
अपराध राजनीति में भी होता है ।
अपराध करते हुए कोई पकड़ा गया ।
अपराध कर के कोई फरार है । जानकारी में रहते हुए भी आज तक पकड़ा नहीं गया ।
अपराध किये बगैर किसी को अपराधी साबित कर दिया गया ।
अपराध कहां नहीं है ?
अपराधी कौन नहीं है ?
कोई परदे में है ।
कोई सरेआम है ।
कोई राष्ट्रीय अपराधी है ।
कोई अंतर राष्ट्रीय अपराधी है ।
अपराधी समाज की नजरों में कितने परसेंट होंगे ?
अपराधी कानून की नज़रों में कितने परसेंट होंगे ?
अपराधी अल्लाह और ईश्वर की नजरों में 99% हैं 
अपराधी हर कार्यालयों में हैं ।
अपराधी हर विभाग में हैं ।
अपराधी हर चौराहे पर है ।
अपराधी हर गली में हैं ।
अपराधी हर नुक्कड़ पर है ।
अपराधी हर गांव में हैं ।
अपराधी हर कस्बे में हैं ।
अपराधी हर ब्लाक में हैं ।
अपराधी हर तहसील में हैं ।
अपराधी हर जिले में हैं ।
अपराधी हर नगर में हैं ।
अपराधी हर महानगर में हैं ।
अपराधी हर राज्य में हैं ।
अपराधी हर देश में हैं ।
अपराधी सिर्फ मर्डर करने वाला ही नहीं है ।
अपराधी चोरी करने वाले भी हैं ।
अपराधी ठगी करने वाले भी हैं ।
अपराधी बेईमानी करने वाले भी हैं ।
अपराधी घूसखोरी करने वाले भी हैं ।
अपराधी धोखाधड़ी करने वाले के साथ ही साथ गलतफहमियां पैदा करने वाले भी हैं ।

रविवार, 3 जुलाई 2022

तुम अगर तुम हो तो क्या तुम हो ?

तुमने मुझे अपना समझा ? या नहीं समझा ।
तुमने मुझे दिल से चाहा ? या नहीं चाहा ।
इन बातों से मुझे न तो कोई फर्क पड़ता है और
न तो मुझे कोई परवाह है ।
अगर मुझे फर्क पड़ता है । अगर मुझे किसी बात की परवाह है तो सिर्फ इस बात की , 
कि मैंने तुम्हें चाहा है और वो भी बे पनाह.....
दिल की गहराइयों से ........... ।

मुझे तुमसे कुछ पाने की लालच नहीं है ।
सच तो यह है कि मैंने तुमसे कुछ हासिल करने की कभी कोई ख्वाहिश ही नहीं रक्खी ।

छल करना तुम्हें आता होगा, मुझे नहीं
तुम छलावे में आ सकते हो लेकिन मैं नहीं
मुझे तुमसे कोई छल नहीं करना 
लेकिन हां तुम्हें एक दिन मैं यह एहसास जरुर करा दुंगा कि चाहत किसे कहते हैं ?
और किसी को दिल की गहराइयों से चाहना क्या होता है ।

तुम , अगर तुम हो तो क्या तुम हो ?
मैं , अगर मैं हूं तो क्या मैं हूं ?
इसे सिर्फ साबित ही नहीं , बल्कि एहसास भी करा दुंगा कि मुझमें और तुममें फर्क क्या है ? 
और क्युं है ।

रविवार, 26 जून 2022

छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए

एक फिल्म देखा था , "मदर इंडिया " जिसमें नायक की पारिवारिक स्थिति दयनीय है।
नायक और नायिका यानी कि पति और पत्नी दोनों खेत की जुताई करते हैं। खेत जोतने के बीच एक बहुत वजन और बड़ा पत्थर का टुकड़ा पड़ा हुआ था , जिसे नायक ने स्वयं अकेले ही उसे अपने दोनों हाथों से ढकेल कर खेत से बाहर निकालने की कोशिश करता है । अचानक वह पत्थर का टुकड़ा ऊपर से नीचे की ओर सरक जाता है , जिसमें नायक का दोनों हाथ दब कर खराब हो जाता है।
अब उसकी जिंदगी बिना हाथ के न जीने के लायक रही और न मरने के।
एक रात वह उठा और अपने बीबी और बच्चों को देखा न जाने वह मोह माया और अपने लाचारी के सोचों के कितने हद तक पहुंच गया कि उसी रात चुपके से घर छोड़ कर गायब हो गया , उसके बाद से उसका पता पुरी फिल्म में कहीं नहीं चला।
इस घटनाक्रम को बताने कि जरुरत क्यों पड़ी मुझे ? 
 सिर्फ इस लिए कि जो लोग आत्म हत्या कर लेते हैं।
आत्म हत्या का मतलब क्या है ?
अपने ही हाथों द्वारा अपने जीवन लीला को समाप्त कर देना । सवाल के मुताबिक तो जवाब यही होगा।
लेकिन आत्म हत्या की जरुरत क्यों पड़ती है ?
इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं , आप खुद भी सोंच सकते हैं , जिसकी वजह से आत्म हत्या करने वाले के दिलोदिमाग में यह गुज जाता है कि अब आगे और जिवित रहने कि कोई आवश्यकता नहीं है।
अल्लाह (ईश्वर) न करे कि किसी के जिंदगी में ऐसा मोड़ आए।
यह जीवन है । इस जीवन में बहुत सारे मोड़ आते हैं , जिनको आप स्वयं ही मैनेज कर सकते हैं और आप को ही मैनेज करना भी पड़ता है फिर भी अगर ऐसे मोड़ पर आकर खड़े हो गए हों जहां मौत के सिवा कोई रास्ता न रह गया हो , तो भी आप को एक काम करना चाहिए ।
वह कौन सा काम है ? जिसे आत्महत्या के पहले करना चाहिए ।
यह सोचना चाहिए कि आप के मरने से कितने लोग कानूनी और मानसिक रुप से परेशान होंगे ।
यह अलग बात है कि आप सोसाईट नोट तैयार कर देंगे फिर भी लोगों को आप के न होने का दर्द तो रहेगा ही ।
वहां दर्द कम होता है जब आप अचानक गायब हो जाएंगे । जैसे ऊपर मैंने फिल्म का एक शाट दिखाया वहां भी वह मर सकता था लेकिन कैसे ? फंदा लगा नहीं सकता , ज़हर खा नहीं सकता क्यों कि उसके पास तो दोनों हाथ ही नहीं हैं , फिर भी वह दरिया में डूब सकता था । ट्रेन के आगे आ सकता था । मरने का रास्ता उसे मिल जाता मगर उसने आत्महत्या नहीं किया , फिर आप क्यों ?
आप भी वहां से गायब हो जाइए न , जहां आप अपनी जीवन लीला समाप्त करना चाहते हैं ।
दुनियां छोटी नहीं है । आप की सोचों से भी बड़ी है।
जाओ ......। 
ऐसी जगह चले जाओ कि जहां तुम्हारी आखरी सांस तक तुम्हारा कोई जानने वाला तुमसे न मिल पाए और न तो कभी जान पाए , क्यों कि तुम उन सभी के लिए मर चुके हो जो भी तुम्हें जानते हैं । 
वहां अपने जिंदगी की सुरुआत ऐसे करो कि जैसे तुमने एक नया जीवन पाया है ।
बस हो गई आत्महत्या । यही तो है आत्महत्या ।
इस जीवन को जिसने दिया है । उसी को समाप्त करने दो , खुद से समाप्त करने का तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है । खुद से समाप्त करने पर आत्म लोक में नहीं जाओगे बल्कि प्रेतलोक में चले जाओगे । 
अंत में बस इतना ही -
छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए ।
मे मुनासिब नहीं जिंदगी के लिए ।।
लेख पसंद आये तो कमेंट जरुर करें , यदि कोई कमी महसूस हो तो सलाह जरुर दें ।

सोमवार, 9 मई 2022

समझदार और चालाक

समझदार और चालाक वो नहीं जो अपने स्वार्थ के लिए किसी को भी छल लेता है , बल्कि समझदार और चालाक वो है जो अपनी आवश्यकताओं को पुरी करने के लिए एक इमानदारी से भरा हुआ जीवनयापन का रास्ता बना लेता है।
जिसमें न तो किसी को छलने की जरुरत होती है और ना ही अपने आप को किसी से छुपाने की

शुक्रवार, 18 मार्च 2022

आप के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है ?

आप कितने ईमानदार हैं ?
आप कितने बेईमान हैं ?
आप का किरदार कैसा है ? 
आप की सोंच कैसी है ?
आप के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है ?
आप के प्रति लोगों का व्यवहार कैसा है ?
इसे आप बहुत अच्छी तरह से जानते हैं ।
लेकिन अपने आप को समृद्ध बनाने और विकास की ओर बढ़ाने की परवाह को नज़रंदाज़ कर के , आप लोगों के हर चीज को जानने के चक्कर में , अपने वक़्त और उर्जा को ज्यादा बर्बाद करते हैं ।
जिस दिन आप खुद को समझने और खुद को आगे बढ़ाने के चक्कर में पड़ेंगे , तो लोगों के चक्कर को छोड़ देंगे ।

मंगलवार, 15 मार्च 2022

समझना और समझाना

किसी को समझने के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है । 
कुछ वक़्त देना पड़ता है । 
कुछ दिन गवाने पड़ते हैं ।
हर व्यक्ति अपने आप को समझाने की कोशिश में लगा हुआ है । पुरी बात / मुआमला , समझने से पहले अपनी बातों के माध्यम से खुद ही समझाना शुरु कर देते हैं ।
लेकिन हर लोग समझने की कोशिश नहीं करते । 
अपनी समझाने के चक्कर में ।
समझना और समझाना दोनों अलग - अलग प्रकृयाएं हैं ।
बिना किसी की पुरी बात समझे हुए कुछ समझाया नहीं जा सकता । अकसर ऐसा भी होता है कि जब किसी को पुरी तरह से समझ लेंगे , तो फिर समझाने की जरुरत नहीं पड़ती । बेहतर तो यही होगा कि जबतक कोई समझाने को न कहे तब-तक किसी को समझाने की कोशिश न करें । यही सबसे बड़ी समझदारी है । क्यों कि पता नहीं अगला व्यक्ति उस समय किस मुड में हो । बातों ही बातों में बात का बतंगड़ भी हो जाता है । कभी कभी अपशब्दों के प्रयोग से धरापकड़ी भी हो जाती है । जहां आप के बोलने की आवश्यकता न हो वहां खामोशी बनाए रखना सबसे बड़ी कला और समझदारी है ।
आज के इस तनावपूर्ण दौर में सभी लोग हमेशा फ्रेश मूड में नहीं होते ।

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

पगड़ी क्या है ?

सर पर बंधी पगड़ी , टोपी ,गाम्छा , रुमाल , या मुकुट सब एक ही इज्जत और सम्मान का प्रतीक होते हैं ।
कभी - कभी वक़्त ऐसा भी आ जाता है , कि इस पगड़ी को उतार कर किसी के कदमों में डाल कर , आपको अपनी या अपने भाई , बहन, मां , बाप , औलाद , या कर्ज़ के माफ़ी के लिए इज्जत की भीख मांगनी पड़ती है ।
जो इंसान हैं , और इज्जतदार हैं । जिन्हें पता है , कि पगड़ी क्या है ? और इसका स्थान कहां है ? वो सारे दर्द भूल कर अपने चरणों में पड़ी पगड़ी को उठा कर उसके सर पर अपने हाथों से ही पहनाते हैं ।
लेकिन दुःख और अफसोस इस बात का है कि गुमराह करने वालों से कैसे बचोगे ।

बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

वसीयत नहीं की थी

मेरे लिए आप ने कोई वसीयत नहीं की थी ।
हां कुछ वादे किये थे, कुछ किस्में खाईं थीं ।
उन्हीं कस्मों और वादों को मैंने वसीयत मान ली थी ।
जिसकी वजह से आज भी पुरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभा रहा हूं ।
लेकिन अब मुझे यह एहसास हो चुका है , कि आप मेरे नहीं थे । मेरे होने का झूठा नाटक कर के मुझसे पराए ही रहे ।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

भरोसा क्या है ?

भरोसा जब किसी पर होता है , तो वह जिंदगी में सिर्फ एक बार ही होता है ।
ज़िंदगी में किसी के उपर बार - बार भरोसा नहीं होता ।
किसी का भरोसा तोड़ना तो बहुत ही आसान होता है , लेकिन भरोसा तोड़ने से पहले यह जरुर याद रक्खें कि आप अपने बहुत ही भरोसेमंद व्यक्ति को खो रहे हैं ।
दुबारा आप उस व्यक्ति को अपने करीब कर तो सकते हैं ।
लेकिन आप के करीब होने में उसकी कोई मजबूरी हो सकती है ।
दुबारा करीब कर लेने से इसका मतलब यह कभी मत सोचिएगा कि वह आप के साथ पहले जैसे भरोसे के साथ ही अब भी है ।
भरोसा क्या है ?
भरोसा प्रेम का दूसरा रुप है , जिसे क़ायम रखने के लिए प्रेम के साथ भरोसे को कायम रखने की जिम्मेदारियों का एहसास होना जरुरी है ।

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

ज़िंदगी गुज़ारने के लिए

संघर्ष करते हुए उम्र कट गई , मगर वो कमी पूरी नहीं हुई जो जिंदगी भर रही । उस वक्त लोगों की बातों पर यकीन नहीं हुआ , लेकिन अब यकीन हो गया है , कि कमी पूरी होना नशीब में ही नहीं था ।
माना कि नशीब जिंदगी का एक अहम हिस्सा है । लेकिन नशीब के विपरित संघर्ष करने का मशगला अच्छा था ।
शायद ज़िन्दगी गुजारने के लिए , नशीब में संघर्ष करना ही लिखा था ।

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

विज्ञान क्या है ? शिक्षा क्या है ? आध्यात्म क्या है ?

कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है विज्ञान ।
कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है शिक्षा ।
गहन मनन के मंथन से जब इंसान आत्मशाक्षात हुआ तब
जन्म हुआ आध्यात्म का ।
जब शिक्षा नहीं थी तब भी लोग शिक्षित थे , फर्क सिर्फ इतना था कि उस वक़्त लोगों के पास लिखने पढ़ने की शिक्षा नहीं थी जो आज है ।
सौ साल में आज बहुत परिवर्तन है , मगर लिखंत पढंत वाली शिक्षा और कल्पनाओं एवं आत्मज्ञान में आज भी उतना ही अंतर है जितना पहले था ।
आज भी संपुर्ण देश हो या विश्व , कमान संभालने के लिए
लिखंत पढंत वाले शिक्षा का होना कोई ज़रुरी नहीं है ।
ईश्वर के द्वारा प्रदान की गई कल्पनाओं , विचारों एवं आत्म मनन की शिक्षा सभी को मिल्ती है , अंतर सिर्फ इतना सा होता है कि कोई - कोई ऐसा होता है जो देश की सत्ता , कुर्सी , कमान को संभाल लेता है । और कोई ऐसा भी है जो आदेशों का पालन करने के लिए डंडा लेकर चौकीदारी में दिन / रात गेट पर खड़ा रहता है ।

सोमवार, 31 जनवरी 2022

शब्द निकालने से पहले

शब्द ही है जो इंसान के दिल को इतना दुखी कर देता है कि वो जीवन भर के लिए दूर हो जाता है ।
शब्द ही है जिस पर इंसान अपना सब कुछ लुटा देता है ।
कोई भी शब्द निकालने से पहले एक बार विचार जरुर कर लें ।