Translate

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

तुम कौन हो ?

तुम जिस्म के एक खुबसूरत इमारत में हो जो खंडहर भी होता है और गिरता टूटता भी है ।
तुम ईंट और पत्थरों से बनाए हुए मकान की मियाद जान और समझ सकते हो लेकिन जिस्म रुपी मकान की किसी भी तरह की कोई भी मियाद नहीं है ।
इस मकान का कब क्या होना है न तो इसे जान सकते हो और न कभी समझ सकते हो ।

पूरी जिंदगी मैंने तुम्हारे खुशियों के लिए संघर्ष करते - करते मर गया लेकिन फिर भी तुम्हें मेरी कदर समझ में नहीं आई । जिंदगी भर तुम्हें सिर्फ यही एहसास रहा कि मैं बेकार हूं तुम्हारे किसी काम का नहीं हूं , लेकिन आज मेरे मर जाने के बाद तुम्हें मेरी कदर उस समय आई जब मेरे छोड़ जाने वाले संघर्षों को तुम्हें करना पड़ रहा है ।

अब तुम सोचते हो कि काश वो दुनिया में रहे होते लेकिन तुम्हें शायद यह नहीं पता था कि मैं दुनिया से जाने के लिए ही तो आया था ।
तुम को भी एक दिन इस दुनियां से चले जाना है और जाने वालों को आज तक दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं पाई है और न तो कभी रोक पायेगी ।

तुम्हारे चाहने से कोई फायदा नहीं क्यों कि जाने के बाद फिर वापस आने का कोई रास्ता नहीं है ।
तुम मेरी बातों को और मेरे संघर्षों को याद कर सकते हो और लोगों को बता सकते हो , लोगों को सुना सकते हो , मेरे समाधिस्थल ( कब्र ) पर आकर दो आंसू टपका सकते हो उससे ज्यादा और कुछ नहीं कर पाओगे ।

अगर मुहब्बत है मुझसे तो मेरे बताए हुए रास्तों पर चलना । अपनें मां , बाप , भाई , बहन , रिश्तेदारों और दोस्तों की इज्जत करना , कभी रुठना मत ।
तुम्हारी औकात जैसी हों उसके मुताबिक जो परेशानियों में हों उनकी मदद करना , इससे तुम्हें दुनिया से जाने का दुःख नहीं होगा ।

इस दुनियां में आता कौंन है ? और 
इस दुनियां से जात कौन है ?
सब आत्मा ( रुह ) का खेल है जिस्म तो यहां मिट्टी से बनता है और मिट्टी में मिला भी दिया जाता है ।
आत्मा ( रुह ) इसमें आती है और फिर वही आत्मा ( रुह ) ही निकल कर इस दुनियां से चली जाती है ।
यहां की चीज यहीं रह जाती है और
वहां की चीज वहां चली जाती है ।

जब तुमने ही मुझे दफ़नाया ।
जब तुमने ही मुझे फूंका ।
तो फिर तुम्हें मुझसे मोह कैसा ।
अगर यह समझते हो कि यह दुनियां की एक परंपरा है तो उसी तरह सारे रिश्तों की एक परंपरा है जिसे इंसान बन कर इंसानियत और मुहब्बत से निर्वाह करते हुए इस दुनियां से जाना ।
ऐसा कभी मत करना की तुमसे किसी का दिल टूटे या किसी को दिली तकलीफ हो ।

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं ।
सामां हैं सौ बरस के पल की खबर नहीं ।।


कोई टिप्पणी नहीं: