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गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

कुछ भी हैरत नहीं है दुनियां में

कौन सी चीज खो दिया तुमने ।
आज़ बर्बस ही रो दिया तुमने ।।

चुभ रहा है तुम्हें , आज जो कांटा ।
उस को पहले ही , बो दिया तुमने ।।

कुछ भी हैरत नहीं है दुनियां में ।
मिल रहा है वही जो दिया तुमने ।।

अब चुप-चाप देखते सहते जाओ ।
दुखती रग को जो टो दिया तुमने ।।

वो तो हंसा करता था हर लोगों पर जावेद ।
आज क्यूं मुझसे मिलते ही रो दिया तुमने ।।

बुधवार, 30 दिसंबर 2020

वक़्त ऐसा भी आने वाला है

रब ने उसको अजीब ढाला है ।
सामने उसके  चांद  काला  है ।।

जो भी देखे वो पूजना चाहे ।
रुप उसका बड़ा निराला है ।।

काट कर मैंने सख्त चट्टानें ।
रास्ता बीच से निकाला है ।।

हक़ भी जीने का छींन लेंगे लोग ।
वक़्त  ऐसा  भी आने  वाला  है ।।

चैन और नींद उड़ गई जावेद ।
रोग  कैसा  ये  हमने पाला है ।।

सोमवार, 28 दिसंबर 2020

रेगिस्तान की रेत उसे पानी से लहराती हुई झील नज़र आ रही है

वो प्यासा है । रेगिस्तान की रेत उसे पानी से लहराती हुई झील नज़र आ रही है । वो पानी पानी चिल्ला कर निढाल और पस्त हो चुका है । बस अब दम निकलना बाकी है ।आप सक्षम हैं , उसकी जान बचाने में , आप को सुचित कर रहा हूं कि उसे पानी दे कर उसकी जान बचा लें , लेकिन आप को मेरी बातों पर शक है । आप को प्रमाण चाहिए , जब-तक आप प्रमाण प्राप्त करेंगे तब तक उसके प्राण निकल जाएंगे । इसका क्या मतलब है ?
कोई मरता है तो मर जाए लेकिन आप को अपनी संतुष्टि लोगों के जान से प्यारी है ।
प्रमाण तो बाद में भी लिए जा सकते हैं । संतुष्टि तो जान बचाने के बाद भी की जा सकती है ।
आज यही हाल है किसानों का , ग़रीबों का और बेरोज़गारों का , बेरोज़गार और गरीब का क्या होगा ? ये तो बाद की बात है , लेकिन किसानों का कुछ भी नहीं होना है । वो चाहे सारी ज़िन्दगी ऐसे ही धरने पर बैठे रहे , जब सरकार ने कह दिया कि मैं बिल वापस नहीं कर सकता , कुछ संसोधन करने के लिए तैयार हूं तो बात स्पष्ट हो चुकी है ।
कोर्ट का मामला तो एक सुनहरा जाल है । कोर्ट में मंदिर , मस्जिद का भी मामला था , जिसपर पुरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई थी , लेकिन इस निर्णय से जनता का विश्वास उठ चुका है । किसान का मामला भी इसी तरह से गुजरेगा ।
आज सिर्फ तीन चीजें ही मुख्य रूप से हाईजैक और हावी है जैसे किसान पर नौजवानों की लाठी , बैलेट गन , पानी की बर्षात और आंसू गैस , फोर्स लगा कर जनता को पिटवाना आम बात है । दूसरी चीज कोर्ट जो हम चाहेंगे वही होगा और तीसरी चीज ई,वी,एम, जहां जितनी सीटें चाहेंगे उतनी निकालेंगे सिर्फ ई,वी,एम ही बंद हो जाय तो सारे राज़ खुल जाएंगे और सत्ता बदल जाएगी ।

रविवार, 27 दिसंबर 2020

मैं उसकी चाहत से संतुष्ट हूं

रब की चाहत में ही मेरी चाहत है । खोना भी उसी के मर्जी से है, और पाना भी उसी के मर्जी से है , अब खोने का डर , और पाने की चाहत से मैं बहुत ऊपर उठ चुका हूं , इस लिए मैं उसकी चाहत से संतुष्ट हूं ।

शनिवार, 26 दिसंबर 2020

मेरी औकात को कभी नापने की कोशिश मत करना

मेरी काबिलियत पर शक मत करना , और मेरी औकात को कभी नापने की कोशिश भी मत करना । तुम्हें जो जरुरत हो उसे मुझसे कहो , तुम मुझसे वो मांगो जो तुम्हें दुनिया का कोई भी व्यक्ति न पुरा कर सके , तुम्हे अगर किसी देश का बादशाह या किसी देश का प्रधानमंत्री भी बनना है । तो भी मुझसे कहो और इतना कहो , कि मैं तुम्हारी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए , अपने रब और उसके रसूल से मांगने के लिए मजबूर हो जाऊं ।

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

मेरी मुहब्बत की इन्तहा

ये एक अजीब विडंबना है या कि मेरी मुहब्बत की इन्तहा ।
अपने छोटे छोटे बच्चे अक्सर छोटे छोटे भाई नज़र आते हैं ।
मुहब्बत तो दोनों से बराबर ही है लेकिन जब यादाश्त कमजोर पड़ने लगती है , तो उसी बड़े , छोटे भाई का नाम मुंह से निकल पड़ता है । बचपन की यादें मरते दम तक नहीं जाती , मगर आज तक नहीं समझ पाया कि सब कुछ कैसे भूल कर किनारा कर लेते हैं लोग ।
जिस भाई ने अपनी उंगली पकड़ाकर चलना सिखाया था , और जिस भाई ने मेरी ऊंगली पकड़ कर चलना सीखा था जब दोनों की उंगलियां हमेशा के लिए छूट जाती हैं , तो मेरे जैसे एहसासमंद लोगों का , सिर्फ़ खाली जिस्म रह जाता है , मगर उसमें कोई जान नहीं रहती । तन्हाई , उदासी और खामोशी के काले बादल छा जाते हैं ।

गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

इससे ग़लत फहमियां बढ़ने लगती हैं

हर समस्याओं का समाधान है मुलाक़ात । और मुलाकात में जरुरी है उन सभी पहलुओं पर बात , जिनके कारण समस्याएं उत्पन्न हुई हैं ।
बहाने बना कर दूरी बनाना , इससे ग़लत फहमियां बढ़ने लगती हैं । जिससे शक मज़बूत होता चला जाता है ।

बुधवार, 23 दिसंबर 2020

एक दिन इस दुनियां को छोड़ना तो है ही

बहुत अच्छी दुनिया है । 
बहुत सारे स्वाद हैं । 
बहुत तरह के लोग हैं । 
बहुत तरह के आनन्द हैं । 
बहुत सारे सपने हैं। 
बहुत सारी ख्वाहिशें हैं । 
बहुत ही आकर्षक और आस्चर्य जनक भूल भुलैया है । दुःख है ,
सुख है , 
हंसना भी , 
रोना भी , 
अपने भी हैं । 
अपनत्व भी है । 
और प्रेम भी है । 
बचपन भी है । 
लड़कपन भी है । 
जवानी भी है । 
बुढ़ापा भी है । 
यहां स्वर्ग भी है । 
यहां नर्क भी है । 
सब कुछ तो है । 
झूठे को सच्चा भी किया जाता है 
और सच्चे को झूठा भी किया जाता है । 
सिर्फ एक सच्चाई है , 
जिसे कभी कोई झुठला न सका 
और न तो कोई झुठला पाएगा , 
वो है मौत । 
सब कुछ होने के बाद भी अमरत्व यहां नहीं है । 
कोई अमर नहीं रह सकता , 
आखिर मरना तो है ही । 
एक दिन इस दुनियां को छोड़ना तो है ही , 
लेकिन उस घड़ी , 
उस मुकाम,
और  उस कारण को भी कोई नहीं जानता । 
जिस जगह , 
जिस समय , 
जिस कारण से मरना है । 
यह सोंच कर सारी आशाएं निराशा में बदल जाती हैं । 
सारी ख्वाहिशें खत्म सी लगती हैं । 
सारी इच्छाएं कमजोर पड़ जाती हैं । 
दुनिया खाली खाली और वीरान सी लगने लगती है । 
सारे सुर संगीत रोने पिटने जैसी सुनाई पड़ने लगती है । 
मन को बहलाने या वक़्त को काटने का कोई रास्ता नहीं रहता लेकिन स्वयं से मर भी नहीं सकते , 
इस लिए उसी में आ कर डूबना और खोना पड़ता है 
जिसमें पुरी दुनियां डूबी और खोई है , 
लेकिन अपने ईमान और अपनी सच्चाई को बचाते हुए ।

मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

कौन से संत, महात्मा, ओझा, सोखा और गुरु को ढूंढ रहे हो

कौन से संत , महात्मा , ओझा , सोखा और गुरु को ढूंढ रहे हो ? कौन से औलिया , फ़कीर और पीर को ढूंढ रहे हो ?
जिसके माध्यम से इस दुनियां में आप पैदा हुए हैं , उस से बड़ा औलिया , फ़कीर और पीर दूसरा और कौंन हो सकता है । ( आस्था और विश्वास ) मुत्तक़ी और परहेज़गार पहले इनके बनो चाहे ये ज़िंदा हों या पर्दा कर गये हों , क्यों कि जब मौत आती है , तो पहले यही लोग आते हैं , और अगर ये लोग ज़िंदा हैं , तो खानदान के बुजुर्ग लोग आते हैं । क्यों नहीं कोई औलिया , फ़कीर या पीर आता है ? । मरते वक्त लोग इन लोगों का नाम नहीं लेते लेकिन 90% लोगों की जुबान से यही सुना जाता है कि लोग अपने ही लोगों का नाम बताते हैं , कि वो मुझे अपने साथ ले जाने आये हैं ।

सोमवार, 21 दिसंबर 2020

अब बहोत फासले हैं हमारे तुम्हारे

कहां अब मुहब्बत कहां वो भाईचारे ।
अब बहोत फासले हैं हमारे , तुम्हारे ।।

कभी वक़्त था , जब तुम्हीं थे हमारे ।
चले थे हम इन्हीं उंगलियों के सहारे ।।

सितारों में क्या डूबना, खोजना ।
दुनिया में अभी बहोत हैं नज़ारे ।।

गांव को , शहर को , लोग लेते हैं गोद ।
क्यूं ?  सड़क के किनारे पड़े हैं बेचारे ।।

उन्हें क्या खबर जिनकी जन्नत यहीं  है ।
नज़र बन्द है सिर्फ तुम्हारे या की हमारे ।।

जावेद मेरे पास भी है रौशन सा चांद ।
उसी से चम- चमाते हैं लाखों सितारे ।।

रविवार, 20 दिसंबर 2020

आप के बाप की भी इंसल्ट कर सकता है

जो आप को अपना समझता है , वो आप की जिंदगी से जुड़ी हुई हर चीज़ को अपना समझता है । जो आप को अपना नहीं समझता , वो आप की इंसल्ट क्या आप के बाप की भी इंसल्ट कर सकता है ।

शनिवार, 19 दिसंबर 2020

ये कौन है जो मेरा पांव अभी भी पकड़ा है

वक्त ने तोड़ दिया हालात ने भी जकड़ा है ।
ये कौन है जो मेरा पांव अभी भी पकड़ा है ।।

समझ चुका है कि अब मौत ही सजा है मेरी ।
इससे बचने की कोई तरक़ीब लिए अकड़ा है ।।

चलेगी ज़ुबान न आवाज़ गले से निकलेंगी ।
वक़्त इस दुनिया में सबसे ज्यादा तगड़ा है ।।

अजीब लोग हैं यहां सरेआम मुकर जाते हैं ।
ये जाल बुनने वाले आठ पैर के मकडा है ।।

समझ रहे हो तो सब्र कर के जीलेना जावेद ।
यहां सब पतलब परस्ती का सारा झगड़ा है ।।

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

इसका भुगतान तो तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा

जब बादशाहों की हुकूमत थी तब भी देश में गद्दार थे ।
जब नवाबों की हुकूमत थी तब भी देश में गद्दार थे ।
जब अंग्रेजों की हुकूमत थी तब भी देश में गद्दार थे ।
आज लोकतंत्र है । आज किसी बादशाह या नवाब की हुकूमत नहीं है । तो क्या आज देश में गद्दार नहीं हैं ?
आज तो पहले के उन दौर से ज्यादा देश में गद्दार पैदा हो गये हैं ।
1- देश में भाईचारा को खंडित करने वाला कौन है ?
2- देश में जात , धर्म , और मजहबों को बांटने वाला कौंन है ?
3- देश में देश की सही ख़बर न देने वाला कौंन ?
4- देश में जनता के बीच भेदभाव पैदा करने वाला कौंन है ?
इन सवालों के जवाब को पूरा देश जानता है । ऐसे  लोगों को देश का गद्दार न कहें तो क्या देश भक्त कहा जाएगा ?
एक मकान को बनाने के लिए बहुत सारे लोगों और बहुत सारे मटेरियल्स की जरूरत पड़ती है ठीक वैसे ही एक देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए सभी देशवासियों की आवश्यकता होती है । सभी का अपने अपने स्तर से योगदान होता है । इसमें कहीं कोई धार्मिक भेदभाव नहीं होते ।
किसी भी वर्ग , समुदाय या धर्म को ग़लत नजरिए से न देखा जाए और न तो उनको विशेष रूप से एकिकृत कर के गन्दे ढंग से राजनीत की जाय । सबसे पहले दोषी तो वही लोग हैं जो अपने स्वार्थ के लिए अपने ही देश में अपने ही देश वासियों को जात पात के रुप में उकसाया और दूसरे जाति के लोगों के प्रति नफ़रत की आग बोना शुरू किया , वो भी ऐसा करने के लिए पार्टी का लाइसेंस तक बनवा डाले हैं ।
क्या संविधान में ऐसा कोई नीयम लिखा है कि हर धर्म के लोग अपनी अपनी पार्टी बनायें ?
ऐसी परंपरा शुरू करने वाले लोगों को तो आजीवन कारावास दे देना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसा करने के लिए कोई सोंच भी न सके नफ़रत होती है मुझे ऐसे लोगों से जो लोग धर्मों और जात पात की राजनीत करते हैं ।
अगर मेरी हुकूमत होती तो मैं उनके ऊपर भी राशुका लगा देता जो समाज में कहीं भी किसी से भी जात का नाम ले लेते या चर्चा करते हुए पाये जाते ।
देश आज़ादी के बाद से पुर्वजों ने जो भाईचारा क़ायम कर के चलते रहे हैं उसे पूरी तरह से तो नहीं तोड़ पाये हैं लेकिन जितना टूटा है उसका अंजाम आप के आंखों के सामने है ।
वह दिन दूर नहीं जब हर एक व्यक्ति को महसूस होगा कि उन्माद या बहकावे में आकर मैंने ग़लत किया है ।
हम जिस परिवेश और परिस्थितियों में जीते हैं उसमें सभी वर्ग , समुदाय के लोगों से आपसी भाईचारे का संबंध होता है 
जब हमारे पुर्वजों ने नहीं छोड़ा तो हम किसी के बहकावे या उन्मादी बातों में क्यों उल्झें । ये अलग बात है कि आज जो नफ़रत में चूर है लेकिन जिंदगी के कुछ ऐसे मोड़ भी आते हैं
जहां हमें सबके साथ की आवश्यकता होती है । इस बात का हमेशा ध्यान रखना कि आने वाली पीढ़ी तुम्हारे नफ़रत की खोखली जड़ को जिस दिन समझ लेगी उस दिन तुम संसार के सबसे बड़े पागल और देश द्रोही की नज़र से देखे जाओगे वो भी अपने ही लोगों के बीच चाहे वो किसी भी धर्म का हो , शिकारी अपना शिकार कर के निकल जाएगा लेकिन उसका भुगतान तो तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा ।

मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

देश से देशवासियों की आखरी लड़ाई

किसान जो लड़ाई लड़ रहे हैं । यही देश से देशवासियों की आखरी लड़ाई है । पुरे भारत वासियों की सिम्पैथी किसानों के साथ जुड़ी हुई है । अब इसी में फैसला हो जाएगा कि     " जय "  किसके साथ लगाना है और किसके साथ जोड़ कर बोलना है , जय जवान रहेगा  , जय बिजनेसमैन होगा या जय किसान रहेगा । अन्नदाता की औकात क्य है ? अन्नदाता का सम्मान कितना है ? इनके लिए कितना किया जाता है ? और अन्नदाता को देश कब कितना और क्या देता है ये भी किसी से छुपा नहीं है । किसान बिना कर्ज लिए भी आत्महत्या करता है और छोटे छोटे कर्ज लेकर भी मरता है और सारी जिंदगी नर्क से भी बदतर गुजारता है लेकिन उन बिजनेसमैनों का क्य जो हज़ारों करोड़ कर्ज लेकर विदेशों में अपनी ज़िंदगी स्वर्ग की तरह काटते हैं ।

रविवार, 13 दिसंबर 2020

किसान अपने उगाये हुए सामानों के मुल्य का निर्धारण खुद करें

बहुत सारी चीज़ें ऐसी हैं जिसके मुल्य का निर्धारण गवर्नमेंट ने नहीं बल्कि लोगों ने किया है । होल सेल में भी चोरी और कालाबाजारी होती है । फुटकर रेट में भी चोरी और कालाबाजारी होती है । वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मशीन और शेर तराज़ू में भी घपलेबाजी शामिल है ।
कहीं से कुछ भी लेंगे तो पैसा तो आप को पूरा देना पड़ेगा जिसमें पच्चीस पैसे भी कम नहीं लेगा लेकिन तौल में आप को सामान पुरा नहीं मिलेगा ।
यहां तक कि डब्बा बन्द सामान एवं पैकिंग में भी पूरा वजन नहीं होता । पच्चीस पैसा तो अब बाजार में नहीं चलता , पचास पैसा भी गायब है । एक रुपये का छोटा वाला सिक्का भी कोई नहीं लेता , कोई भी सिक्का हो अब बैंक वाले भी नहीं लेते ।
बहुत सारे बिजनेस दस , पंद्रह ,और पच्चीस पैसे के प्राफिट पर निर्भर होता है ।
जिस जिस चीज का भी गवर्नमेंट ने मुल्य का निर्धारण किया है । उसमें होल सेलर को ईमानदारी से पालन करना चाहिए लेकिन ये लोग भी कीमत बढ़ाकर लेते हैं । अब आप सोंचे कि फुटकर विक्रेता क्या करते होंगे । फुटकर वाले तो अपनी मनमानी करते हैं । जो चाहें रेट लगायें ये उनकी मर्जी ।
मार्केट में अगर सौ दुकान है तो पक्की और प्रिंटेड बिल देने वाले सिर्फ एक या दो लोग ही मिलेंगे बाकी निन्यानबे टैक्स की चोरी करते हैं या टैक्स फ्री हैं ? शायद इसी लिए पक्की बिल नहीं देते ।
मार्केट में किसी भी चीज का मीट हो उसके मुल्य का निर्धारण कौंन करता है ?
मार्केट में कोई भी शब्जी हो उसके फुटकर विक्रेता के मुल्य का निर्धारण कौंन करता है ?
जब फुटकर विक्रेता मुल्य का निर्धारण स्वयं करते हैं तो एक किसान अपने द्वारा उपजाये हुए अन्न की कीमत को क्यों नहीं निर्धारित कर सकता , दलहन फुटकर विक्रेता के वहां पंचानबे रुपये से लेकर एक सौ तीस रुपये तक है ।
शब्जी चालिस रुपये से लगाये अस्सी रुपये तक है ।
आप अगर जिम्मेदार व्यक्ति हैं तो आप को सभी चीजों के कीमतों का पता है । अब आप बताएं कि अगर आप के पास रोटी और चावल नहीं है तो शब्जी और मीट किस काम के अगर आप मार्केट में जाएंगे तो सबसे सस्ता आप को आटा और चावल ही मिलेगा इस लिए मैं किसानों से यही कहना चाहूंगा कि वो अपने अनाज की कीमत के रेट को भी स्वयं निर्धारित कर लें जैसे गेहूं सौ रुपया किलो कर दें , चावल ,एक सौ पच्चीस , आटा एक सौ बीस इसी तरह जितनी भी चिजें उगाते हैं सभी चीजों के मुल्य का निर्धारण खुद ही करें । जिसे आवश्यकता होगी वो खरीदेगा इसमें इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है । जब आप उगाएंगे तभी तो लोग पाएंगे , कोई जबरदस्ती नहीं ले सकता आप अपनी मेहनत और क़ीमत को पहचानें ।
जबतक आप खुद रेट का निर्धारण नहीं करेंगे तब तक कोई करने वाला नहीं है । जब बड़े बड़े बिजनेसमैन आप से सस्ते रेट पर लेकर स्टाक करेंगे तो उनकी मर्जी पर निर्भर होगा कि वो किस रेट पर बेचेंगे या कोई प्रोडेक्ट तैयार करेंगे ये उनकी मर्जी पर है ।

गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

मुंशी प्रेमचंद की कहानियों जैसी सच्चाई है डॉ तालिब गोरखपुरी की शायरी में

नहीं छोड़ेगी ज़िंदा बदनसीबी मार डालेगी   ।
मुझे लगता है ऐ तालिब ग़रीबी मार डालेगी ।।

या ख़ुदा घबरा गया हूं गर्दिशे अइयाम से   ।
इससे बेहतर है कि दे दे मौत ही आराम से ।।

या इलाही ये मेरा कैसा मुकद्दर हो गया    ।
हाथ में आते ही मेरे सोना पत्थर हो गया ।।

सारा  घर  चूता  रहा  बर्सात  में   ।
न दिन में बच्चे सो सके न रात में ।।

हो गयी  दुनियां  मेरी बर्बाद  कैसे  चुप  रहूं ।
और क़ातिल है अभी आज़ाद कैसे चुप रहूं ।।

भूखे , प्यासे  और  नंगे भर रहें  हैं सिसकियां ।
सुन के मज़लूमों की ये फरियाद कैसे चुप रहूं ।।

ग़रीबी का दर्द दर्शाते हुए ये शेर मशहूर शायर व अदीब डॉ तालिब गोरखपुरी की शायरी से चुने गए हैैं ।
इस तरह के हज़ारों शेर उनकी ग़ज़लों में मौजूद हैं ।
अबतक इनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं । जिन में चंद मशहूर किताबों के नाम निम्न लिखित हैं ।
1- उजाले उनकी यादों के ।
2- दास्तांने फिराक ।
3- सितारों से आगे तथा अन्य ।
अबतक इनको अदबी ख़िदमात के लिए अदबी सोसायटीयों ने बहुत से एवार्ड से नवाज़ा है । जिनमें काबिले जिक्र एवार्ड 1- मिर्ज़ा ग़ालिब एवार्ड
2- फिराक गोरखपुरी एवार्ड
3- कृष्ण बिहारी नूर एवार्ड
4- कैफ़ी आज़मी एवार्ड भी शामिल हैं ।

बुधवार, 9 दिसंबर 2020

अपने साथ बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया

मुझे तो ऐसा लगता है कि जैसे देश का मोडिफिकेशन 80% हो चुका है । लेकिन कोई भी चीज देश हीत या समाज हित के पक्ष में नहीं दिख रही है। बेरोजगारी पहले से और बढ़ गई है , लूट , रहजनी , के साथ क्राईम भी बढ़ गया है ।
कोरोना से पहले कुछ कुछ प्राब्लम थी लेकिन कोरोना अपने साथ बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया , जिसने हर एक व्यक्ति को परिवर्तित कर के रख दिया , जिसे आप कहीं भी देख सकते हैं
पहले का जीवन काफी हद तक सामान्य था , जन मानस के हालात बनते थे और बिगड़ते थे , लेकिन आज बिगड़ने के सिवा बनने का कोई रास्ता नहीं है ।
कोरोना काल में खाद्य सामग्री डोर टू डोर लोग बेचते थे और सस्ता था । हर लोगों के लेने के लायक़ था , लेकिन कोरोना में जैसे ही ढील मिली सामानों की कीमत ने आसमान छू लिया है । दैनिक आवश्यकताओं में कोई भी चीज ऐसी नहीं है कि जिसकी क़ीमत में गिरावट आई हो , यहां तक कि यत्रा भाड़ा भी डबल तिबल हो चुका है । कोरोना महामारी थी , जो सिर्फ इन्शानों पर थी न कि सामानों पर , कोरोना में आज जो ढील दी गई है । इससे ऐसा नहीं है कि देश और देश की जनता मालामाल हो गई है । हर त्राशदी के बाद सब-कुछ सामान्य होने में काफ़ी समय लग जाता है । मगर कीमतें बढ़ाना , यात्रा भाड़ा बढ़ाना ये टेंडेंसी नहीं समझ में आती ।
 छोटे से लेकर बड़े वाहनों को चलाने का एक नियम बनाया गया था जिससे यात्रा करने में भी यात्रीयों के बीच दूरी बनी रहे जैसे- पैर से चलाने वाले रिक्शा पर एक सवारी , तीन चक्का टैम्पू में सिर्फ दो लोग वो भी पीछे सीट पर , चार चक्का वाहन वाले सबसे पीछे दो बीच वाली सीट में दो और 
सबसे आगे एक चालक और एक पैसेंजर इसका पालन सिर्फ फस्ट अन लाकडाऊन में हुआ था जिसके कारण यात्रा भाड़ा बढा था परन्तु सेकन्ड अन लाकडाऊन से कोरोना से पहले वाला नियम लागू लोगों ने खुद कर लिया है । किसी भी नियम का या डिस्टेंसिंग का या मास्क का कोई पालन नहीं है । जब गाडियां ओवरलोड और कस कर चलने लगीं हैं तो किराया भी कम हो जाना चाहिए मगर पैसा ज्यादा दे देना भलाई या मजबूरी जो भी समझते हों लेकिन नियमों का पालन करना जरूरी या मजबूरी नहीं है ?

मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

जिसकी पाकेट भरी होती है

लोग कहते हैं कि परदेश में अपने पराए हो जाते हैं । और पराए अपने हो जाते हैं । सारे रिश्ते बन जाते हैं मां , बाप भी मिल जाते हैं । लेकिन ये सब खाली पाकेट नहीं होता , ये सब उसके साथ होता है , जिसकी पाकेट भरी होती है । ये सब यहां भी होता है , अगर आप की पाकेट भरी हुई है ।

सोमवार, 7 दिसंबर 2020

प्रकृति का सौन्दर्य

उसे भी जाने के हज़ार रास्ते हैं

अगर आप के पास पैसा आने का रास्ता है , तो वो भी आएग , जिसे आप चाहते हैं । और उसे भी आने का रास्ता है । जिसे आप ने कभी सोचा ही नहीं ।
अगर आप के पास पैसा आने का रास्ता नहीं है । तो उसे भी जाने के हजार रास्ते हैं । जिसे आप अपनी जिंदगी से कभी जाने देना नहीं चाहते ।
पाने और खोने का जादू या चमत्कार आप के अंदर नहीं है । सब आप के पैसे के अंदर है ।

रविवार, 6 दिसंबर 2020

सबसे पहले और सबसे बड़ा हल

हर समस्याओं का समाधान सिर्फ कानून ही नहीं है ।
सबसे पहले और सबसे बड़ा हल आपसी बात चित भी होती है । जब बातों से मुआमले हल न हों तो ही कानून का सहारा लें । लेकिन इस बात को याद रक्खें कि कानून से न्याय आप के जीतेजी इस जिंदगी में मिल पाएगा या नहीं ।


शनिवार, 5 दिसंबर 2020

इन्सानों से इन्सानों का छुपा क्या है

इंसानों से इंसानों का छुपा क्या है । सब एक दूसरे की हकीकत को जानते हैं । हां ये अलग बात है , कि कोई अजनबी है । जिसे आप नहीं जानते , तो उसका सब कुछ छुपा है । लेकिन अगर जानने पर आ जाओ , तो उसके प्रतिद्वंदी और उस से जलने वाले , उसके दुश्मन ही उसके सात पुस्त की दास्तान बता देंगे । आप को उस अजनबी से मिलने और बात करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । यही है आधुनिक मानव सभ्यता । जब कुछ छुपा ही नहीं है , तो फिर क्या जनरल और क्या स्पेशल , अगर जनरल और स्पेशल है , तो सिर्फ पैसे की वजह से है । मानवता के नजरिये से अन्याय है । इसी अन्याय को आज लोग अपना स्टैंडर्ड समझते हैं । दिन रात इसी के पीछे भाग रहे हैं । खुद को परेशान और बर्बाद किये जा रहे हैं । जब कि यहां से कुछ भी तुम्हें रिफन्ड नहीं होने वाला सिवाए हताश और निराश होने के । जो वास्तविकता  है  उस  वास्तविकता  को   समझो , अपने आप को और अपने काम को एक नजरिये से देखने और करने की सकारात्मक क्षमता पैदा करो , आप   के उपर जिसका जो अधिकार है उसे पूरी निष्ठा और इमानदारी से निभाते हुए पूरा करो । इसमे कोई कैटेगरी नहीं है । इसमें न कोई स्पेशल है और न तो कोई जनरल ये सब आप के अपने लोग हैं । जिसे आप ने बनाया हो , कमाया हो , या कोई रिलेशन हो , हैं तो आप के ?
तुम्हारे व्यवहार में , तुम्हारी सोंचों में और तुम्हारे कर्मों में ही जनरल और स्पेशल है । इससे मुक्त हो जाने में ही तुम्हारी भलाई है । सभी का एक बराबर स्नेह पाने का कोई और रास्ता नहीं है ।

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

कफ़न घसोट शायद ऐसे ही होते हैं

मेरी एक बाग है । एक दिन मेरे एक मित्र ने बाग को देखने और घूमने की इच्छा जताई , मैने कहा ठीक है सुबह में आइए तो चलें दो चार घंटे वही बैठेंगे ।
गर्मी का महीना था , भयंकर गर्मी पड़ रही थी । सुबह आठ बजे के बाद से ही धूप की किरण इतनी तेज लगती थी कि जैसे जिस्म में ही हल जाएगी । ऊपर से कोरोना काल , हर तरफ पुलिसकर्मी घूम रहे थे । जो भी घर से बाहर सड़क पर नजर आ जाता था । तो ऐसी पिटाई करते थे कि जैसे मर्डर का मुजरिम मिल गया हो । खैर मैने बाग में चारपाई और कुर्सी भेजवा दी थी । कुछ देर बाद मित्र महोदय अपने एक साथी के साथ आए । हम लोग बाग की ओर चल पड़े बाग में पहुंचे तो मित्र के साथी तुरन्त चारपाई पर लंबे हो गये हम दोनों लोग कुर्सी पर बैठे बात कर रहे थे । उस वक़्त काफी चर्चित टापिक कोरोना ही था । बातों के दर्मियांन ही मेरी नजर बाग के बाऊंडरी पर पड़ी जो सागौन के पेड़ की कतार से बनाई गयी थी । लकड़ी के पीलर में कंटीला तार भी लगाया गया था लेकिन बाहरी जानवरों ने कई जगहों पर गिरा दिया था ।
एक पेड़ का तना कुछ बदसूरत नज़र आ रहा था । मैने मित्र को साथ में लिया और बाऊंडरी की ओर बढा करीब पहुंचने पर हम दोनों ने देखा एक पेड़ के तने से लगभग पांच फिट ऊंचाई तक उसकी छाल किसी ने निकाल ली थी ।
बहुत दुख हुआ ऐसा लगा जैसे किसी ने जिस्म से खाल खींच ली हो। जैसे कब्र पर पड़ी चादर खीच ली हो । जैसे मुर्दे के ऊपर से कफन खींच लिया गया हो । बहुत देर तक खामोश मैं दुखी मन से देखता रहा , तभी मित्र ने कहा क्या सोंच रहे हैं ? मैने मित्र की ओर देखा और पूछा देख रहे हैं इस पेड़ की हाल? क्या कफन घसोट शायद ऐसे ही होते हैं ? मित्र कुछ न कह सके , ऐसा लगा जैसे वो भी दुखी थे ।

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

भले ही आप के धर्म से उसका धर्म अलग हो

मानव की उत्पत्ति मानव से ही हुई है । न कि किसी जानवर से । सृष्टि के सभी मानव एक ही मानव के वंसज हैं ।
आज विभिन्न समुदाय , विभिन्न धर्म , विभिन्न भेषभुसा , विभिन्न भाषाएं सब अलग अलग विचारधारा और वहां के परिवेश के मुताबिक हैं । आप के दो चार भाई या दो चार लड़के हैं तो वो एक विचार धारा के नहीं हैं । भले ही आप के शक्त नियमों का पालन करते हैं । ये तभी तक कर सकते हैं जब तक आप जीवित हैं । और सभी को एक साथ लेकर चलने की आप के अंदर एक मजबूत धारणा है । मगर जिस दिन आप इस दुनियां से चले जाएंगे उसके बाद सभी अपनी अपनी ख्वाहिशों के मुताबिक जीने के लिए आजाद हो जाएंगे । इस लिए न किसी को बुरा कहिए और न किसी के ऊपर कोई कमेंट करें ये उसकी जिंदगी है । वो भी इस दुनियां में अपनी ख़ुशी के मुताबिक जीने के लिए आया है । वो भी स्वतंत्रता पूर्वक न की दास प्रथा के युग में है । मानवता की नजर से देखोगे तो वो तुम्हारा कुछ न कुछ तो जरुर लगेगा भले ही आप के धर्म से उसका धर्म अलग हो ।

बुधवार, 2 दिसंबर 2020

सबसे बड़ा सवाल तो तुम खुद ही हो

दुनियां जबतक खत्म नहीं हो जाएगी तब तक सवाल बनते रहेंगे और उठते रहेंगे ।
क्यों कि सबसे बड़ा सवाल तो तुम खुद ही हो , जबतक तुम हो सवाल बनते रहेंगे जिस दिन जवाब बन क़र उठोगे उस दिन से कोई सवाल न पैदा होगा और न उठेगा । इस लिए सवालों के घनचक्कर से निकल जाओ और जवाब बन जाओ लोग अपना सवाल हल करने के लिए तुम्हें ढूँढना शुरु कर देंगे और तुम्हारे पीछे पीछे लगे रहेंगे । सवालों का कभी अंत नहीं होता लेकिन हजार सवाल पर एक जवाब ही भारी पड़ जाता है और सभी को खामोश भी कर देता है ।

सोमवार, 30 नवंबर 2020

मैं तुम्हें बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा

जिंदादिली से मर जाना मैं बर्दाश्त कर लुंगा , लेकिन जिस दिन तुम्हारा ज़मीर मर गया , उस दिन मैं तुम्हें बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा , उस दिन से तुम मेरे लिए ज़िंदा लाश की तरह ही नज़र आओगे ।

रविवार, 29 नवंबर 2020

पहचान की गहराई तक उतरना

पहचान हो जाना , पहचान बनाना और पहचान की गहराई तक उतरना ये तीन मामले हैं ।

1- पहचान हो जाना -
आप जिस जगह पर रहते हैं वहां हालात और जरूरतों के मुताबिक लोगों से पहचान हो जाती हैं जैसे -
किराने की दुकान वाले , शब्जी वाले , दूध वाले , चाय वाले पान वाले , मैडिकल स्टोर , वस्त्रालय वाले , फल वाले, जूता चप्पल के विक्रेता आदि इत्यादि ।

2- पहचान बनाना -
ये जान बुझ कर लोग करते हैं जिसमें 90% लोगों के अपने निजी स्वार्थ होते हैं । जहाँ जैसी जरुरत पड़ती है वैसे लोगों का इस्तेमाल करते है ।

3- पहचान की गहराई तक उतरना -
इसमें लोग अपने पहचान को आप के रिफरेंस से आप के ही बहुत करीबी लोगों तक पहुँच बनाना शुरू कर देते हैं । जिसे आप जान कर अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं ।
ऐसे लोग धोखेबाज़ और मक्कार होते हैं । अगर आप अपने करीबी लोगों से मिलवाकर पहचान कराते हैं तो ठीक है ।
लेकिन बिना आप के पहचान कराये अगर वो आप के करीबी लोगों से पहचान बढाना शुरू कर दिया है तो ये समझ लेना की आप को कभी भी किसी बड़ी मुश्किल में डाल सकता है और ऐसी मुसीबत में ऐसे लोग आप के बहुत करीबी लोगों को ही आप के अगेंस्ट गलत फहमी पैदा कर के खड़ा कर देगा । जिससे आप अपने ही लोगों के सामने कमजोर पड़ जाएंगे । आप हर किसी को न सफाई दे पाएंगे और न सभी को समझा पाएंगे और न तो सभी के दिलों से गलतफहमीयों को निकाल पाएंगे । सिर्फ़ एक अजनबी के पहचान को स्वयं बढा लेने के कारण। 
अगर अपनी इज्जत आबरु और खुद को बचाए रखना हो तो ऐसे लोगों से तुरन्त उसी वक़्त दूर हो जाएं जिस वक़्त वो अपने मरजी से आप के करीबी लोगों से अपनी पहचान को गहराई तक ले जाने लगे। 
तब ये भी समझ लेना की अब इसे आप के पहचान की बहुत जरुरत नहीं रही । अब वो आप से ज्यादा पावर तलाश रहा है , जो आप को भी डाऊन कर सके और उसका मक़सद हल हो सके और ये सब उन्हीं लोगों में तलाशेगा जो लोग भी आप के करीबी होंगे चाहे दोस्त हों या रिश्तेदार या आप के खानदान जो भी हों , मगर आप के करीबी ही होंगे ।

सुझाव - 
आप अपनी पहचान को अपने तक ही सीमित रक्खें अपने लोगों से परिचित कराने से पहले उसके बारे में खुद ही पूरी जानकारी प्राप्त करें घरेलु बैकग्राउंड भी जानें ये विस्तृत जानकारी आप खुद करें ऐसा न हो कि किसी से पूछे हों या किसी से सुने हों । पूछने और सुनने वाली जानकारी में अंतर होता है । खुद से चल कर ली गई जानकारी संतोष जनक होती है । आवश्यकता पड़ने पर आप उसके घर भी जा सकते हैं या किसी को भेज सकते हैं अथवा एमरजेंसी में सूचित भी कर सकते हैं ।

शनिवार, 28 नवंबर 2020

जो हुआ अच्छा ही हुआ

सब्र , संतोष , इंतज़ार इन शब्दों के मायने एक ही हैं ।
सब्र आप को परेशान कर सकता है लेकिन निराश नहीं ।
सब्र हजारों परेशानियों से बचाते हुए ऐसे मुकाम पर लाता है जिसकी आपने कभी कल्पना भी न की हो और आप स्वतः ही बोल उठते हैं कि जो हुआ अच्छा ही हुआ ।
जरुरी नहीं है कि किसी मजबुरी को सब्र का नाम दिया जाय
वास्तविक सब्र वह है कि जब आप सही या गलत जैसे भी हो अपने काम को करने में सछम हों मगर उसमें अपनी हिकमत और मनबढई का इस्तेमाल किये बिना ही आप सब्र करते हैं ।

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

मैने आप के ऊपर भरोसा किया

अब आप अपनी मनगढंत या हकीकत जो भी सफाई मुझे देंगे उससे मेरा खोया हुआ कुछ भी नहीं लौट सकता । 
मैंने आप के ऊपर भरोसा किया वो भी आप से पूछ कर लेकिन आप की एक गलती ने मेरी जिंदगी के सारे सपनों को मिट्टी में मिला दिया । 

बुधवार, 25 नवंबर 2020

बाद में तुम्हें दुख होता है

मुझे मालूम है कि तुम मुझे बहुत चाहते हो , मानते हो , प्यार भी करते हो , जब भी कही जाते हो तो एक बार यह जरुर सोंचते हो कि अगर वो भी साथ होती तो कितना अच्छा होता ।
तुम जब कुछ भी खाते हो तो भी मेरी याद आती है ।
तुम जब कुछ भी खरीदते हो तो भी मेरी याद आती है ।
और जब मेरे लिए कुछ भी नहीं लाते हो तो मुझे सिर्फ आस्चर्य होता है । लेकिन बाद में तुम्हें दुख होता है ।

रविवार, 22 नवंबर 2020

मुझे आप के स्वर्ग की जरुरत नहीं है

तुम्हें लगता है कि मैं नर्क में हूं तो मैं अपने नर्क में ही खुश और संतुष्ट हूं । मुझे आप के स्वर्ग की जरुरत नहीं है  । लेकिन आप अपने स्वर्ग में रह कर दुखी और परेशान क्यूँ हैं ?

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

4जी मोबाइल है

फोर जी मोबाइल है ।
फोर जी सिम कार्ड है ।
फोर जी टावर भी लगा हुआ है ।
वोल्टी और फोर जी नेटवर्क भी शो करता है ।
फोर जी नेटवर्क ज्यादातर दो या तीन प्वाईन्ट शो करता है ।
बहुत कम कभी कभी पांच प्वाईन्ट नेटवर्क शो करता है।
डाटा भी शो करता है मगर डाटा कनेक्शन इतना वीक होता है कि एक प्वाईन्ट पकडता है तो एक प्वाईन्ट छोड़ देता है ।
कभी कभी दोनों प्वाईन्ट छोड़ देता है ।
लगता है कि डाटा कनेक्शन की फ्रिकवेनशी खुद कम कर दी जाती है जिससे नेट यूज करना काफी मुश्किल होता है ।
इतना महंगा मोबाइल और सब कुछ फोर जी मगर बारह घंटे में आठ घंटा टू जी बना पड़ा रहता है ।
इसपर भी वाइस कालिंग के दौरान कभी इधर से आवाज साफ नही जाती तो कभी उधर से आवाज साफ नहीं आती कालिंग काट कर के पुनः लगाना पड़ता है कि शायद अब आवाज़ सही आने जाने लगेगी ।
अगर आप एक , डेढ या दो जीबी डाटा रोज पाने वाला रिचार्ज कराये हैं तो एक दिन का पुरा डाटा यूज ही नहीं हो पाता है । और कोई भी कंपनी वाला ये नहीं सोंचता कि हमारे कंपनी की सर्विस जब बहुत बेहतर नहीं है तो कम से कम डाटा तो छोड़ दें जब कनेक्टिविटी सही होगी तो लोग यूज कर लेंगे । डाटा यूज करने का समय तो अनलिमिटेड होना चाहिए । मैने ये सारी हाल ग्रामीण इलाकों की बताई है ।
शहरों की जो भी हाल हो यहां ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क को 3जी से 4जी में अपग्रेड किया गया है इसको मैने होते हुए नहीं देखा है सिर्फ मैसेज आया था तो उसमें पढ कर जाना है कुल मिलाकर अस्सी परसेंट लोग 2जी , 3जी और 4जी में उल्झे हुए हैं संतुष्ट वही लोग हैं जो टावर के करीब हैं ।

सोमवार, 16 नवंबर 2020

कल ईश्वर ने नहीं बनाया है

नीद को अर्धमृत्यु ( आधी मौत ) भी कहा जाता है ।
गांवों में बुजुर्गों के द्वारा एक कहावत भी सुनी है कि -
गहरी नींद में सोया हुआ व्यक्ति और मरा हुआ व्यक्ति दोनों एक समान होते हैं ।
वास्तविक मृत्यु की बेला कोई भी हो सकती है । लेकिन मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि इस दुनियां में आया हुआ कोई भी व्यक्ति मरने के लिए कल का सूरज नहीं देख सकता जैसे कुछ परिणाम मैं आप को बताता हूं ।
1- कोई शाम को मर गया उसने कल का सूरज नहीं देखा ।
2- कोई रात में ही मर गया उसने कल का सूरज नहीं देख ।
3- कोई भोर में ही मर गया उसने कल का सूरज नहीं देख ।
4- कोई आठ बजे दिन में , कोई 9 , 10 , 11 , 12 यानी सुबह होने से लेकर भोर के पहर तक में मरते हैं ।
अब कोई ऐसा भी है कि सुबह हो गई सूरज निकल गया और वो मर गया तो उसने आज का सूरज देखा है कल का नहीं । कल का सूरज कोई भी नहीं देख सकता ।
वास्तविकता तो ये है कि कल कभी होता ही नहीं सब आज होता है । सिर्फ एक पहचान के लिए कल का नाम दिया गया है जैसे दिनों का नाम , महीनों का नाम , साल का सन , और लोगों का नाम सब पहचान के लिए नामकरण किये गये हैं । सिर्फ बेला , पहर और पल होते हैं । सुबह की बेला से लेकर दोपहर तक में बहुत से पल होते हैं जिसे छंड़ भी कहा जाता है ।
अगर ईश्वर ने आप को दिया है तो सिर्फ रात और दिन इन्हीं रात और दिन में सभी बेला, पल और एक एक छंड़ हैं बाकी सब लोगों ने बनाया है । कल ईश्वर ने नहीं बनाया है ।
कल के बारे में सोचने के लिए ईश्वर ने नहीं कहा है ।
मुझे उम्मीद है कि आप लेख को अच्छी तरह समझ गये होंगे अगर आप के अंदर कोई सवाल रह गया हो तो मेरे ब्लॉग को फालों कर के पूछ सकते हैं या मुझे 7388939329 पर काल करें या इसी नम्बर पर वाट्सेप करें । अगर आप के अंदर किसी भी प्रकार के विचार हों जिसे आप लोगों को बताना चाहते हैं तो आप अपने विचारों को लिखें और मुझसे संपर्क करें मैं आप के विचार आप के नाम के साथ अपने ब्लॉग पर शेयर करुंगा ।

शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

दूसरी महाभारत

कोरोना काल के लाकडाउन पीरियड इस बीसवीं शताब्दी की बहुत बड़ी त्रासदी रही है । और जो शायद ही कोई भूल पाएगा । आज अनलाकडाऊन काल चल रहा है । इसमें कुछ आजादियां जरुर मिली हैं । मगर वो बात नहीं है जो कोरोना काल से पहले का वक़्त था ।
अप्रैल सन दो हज़ार बीस से आज नवम्बर सन दो हज़ार बीस यानी लगातार इन आठ महीनों में मैने ग्रामीण इलाकों के सर्वो में हर वर्ग हर आयु के लोगों को आर्थिक संकट से गुजरते हुए पाया ।
अनुमानतः ऐसा लगता है कि अगर स्थिति यथावत बनी रही तो संभवतः पूर्ववत स्थिति में लोगों को आने में लगभग सात से दस साल का समय भी लग सकता है ।
कोई भी परिवर्तन या छोटा हो या बड़ा इंसान के हालात और वक़्त के अनुसार बदलते परिवेश पर भी निर्भर करता है । लेकिन देश का परिवेश और लोगों के हालात को अगर गहराई से देखा जाए तो ऐसा लगता है कि देश और देशवासी पुनः एक बार दूसरी महाभारत की ओर बढ़ रहे हैं ।
बीते हुए महाभारत का कारण तो पुरा भारत और विश्व जानता है । मगर इस महाभारत का कारण भी जल्द ही समझ में आ जाएगा ।
बस अब आप को हर परिस्थिति से गुजरने और इसे झेलने के लिए तैयार रहना होगा ।

गुरुवार, 12 नवंबर 2020

अपना प्रयास जारी रखें

1-  मेरे पास पैसा नहीं है  ।
2- मेरी कोई पहचान नहीं है  ।
3- मेरे सामने अभी कुछ दिक्कत है  ।
4- लोग क्या कहेंगे  ।
5- लोग क्या सोचेंगे  ।
6- मै औरों की तरह नहीं हूं  ।
7- मुझमें और लोगों में अन्तर है  ।
8- भाग्य के आगे कोई कुछ भी नहीं  ।
9- अमीर गरीब सब नसीब से होते हैं  ।
10- मेरे ऊपर घरेलु जिम्मेदारियां हैं  ।
11- मेरे बच्चे अभी छोटे हैं  ।
12- मुझे किसी से बात करने में शर्म महसूस होती है ।
13- रोज कमाना है रोज खाना है  ।
14- मेरे ऊपर बहुत कर्जा लदा है  ।
15- फ्री माईड नहीं हूं काफी टेनशन है  ।
16- चलने के लिए साधन नहीं है ।
17- सोंच कर बताऊंगा  ।
18- मेरे स्टेटस के खिलाफ है ।
ये सब एक बहाने हैं । और उनके हैं । जिनके कोई लक्ष नहीं होते । ये सारी बातें उस वक़्त सामने आतीं हैं जब आप किसी से किसी बिजनेस या कुछ करने के संबंध में बात करते हैंं । बात करने के पहले आप को यही आदमी हर तरह से ठीक और आप के योजनाओं के मुताबिक सही और सक्षम दिखता है । पूरे जोश, उर्जा और आशाओं के साथ आप बात करने जाते हैं मगर जब आप को ऊपर लिखी 18 प्वाईन्ट सामने आते हैं तो आप का दिल टूट जाता है जिससे आप निगेटिविटी में जाने लगते हैं ।
ऐसे में आप होपलेस हुए बिना अपनी पाजिविटी बनाए रखें और अपनी तरह के व्यक्ति की तलाश जारी रखें । आप को आप के सोंचों के मुताबिक कोई न कोई तो जरूर मिलेगा बस आप अपना प्रयास जारी रखें ।

मंगलवार, 10 नवंबर 2020

सबसे बड़ा भिखारी कौन है ?

क्या ऐसा नहीं लगता कि भारत की एक चौथाई जनसंख्या घरों में न रह कर बल्कि रोड पर जिंदगी गुजारती है ।
क्यों कि इनके पास घर है ही नहीं ।
मंदिर के सामने, मस्जिद के सामने , रेलवे स्टेशन , बस स्टैण्ड और सबसे ज्यादा संख्या सड़क के किनारे पटरी पर बचपन से जवानी और बुढापा भी गुज़र जाता है । जीना भी यहीं और मरना भी यहीं। 
पता नहीं इनके पास वोटर आईडी राशन कार्ड वगैरह है भी या नहीं । ऐसे लोग आते कहां से हैं ?
1- कुछ कचरे के डब्बे में डाल दिये गये ।
2- कुछ को जान बुझ कर छोड़ दिया गया ।
3- कुछ सच मुच गायब हो गये ।
4- कुछ वैध हैं कुछ अवैध हैं ।
कुछ ने सड़क के किनारे ही प्लास्टिक से घेर लिया है ।
80% लोग आज भी वैसे ही पड़े हैं ।
क्या सारी योजनाएं सिर्फ उन्हीं के लिए हैं जिनके पास सब कुछ है ? सभी लोगों की सोंच भी उन्हीं के लिए हैं जिनके पास सब कुछ है ? इनके लिए भी तो कुछ योजनाएं होना चाहिए , अगर आवास और कालोनी नहीं है तो कम से कम निशुल्क शराय तो हो आखिर ये लोग भी तो भारत के ही नागरिक हैं । ये लोग नर्क की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं या इसी तरह जीने के लिए छोड़ दिया गया है ?
जब की ये लोग आत्मनिर्भर सुरु से ही हैं चाहे भीख मांग कर खाएं या कचड़ा बीन कर उसे बेच कर ।
जब जो चाहे अपने अमीरी के नशे में रौंद कर चला जाय ।
रात में हल्के का सिपाही भी डेली पैसे वसुलता है । अब इन दोनों में सबसे बड़ा भिखारी कौन है ?

सोमवार, 9 नवंबर 2020

कौन क्या है

जरुरी नहीं कि सिर्फ मर्द ही गहरी चाल चलना जानता है ।
जब औरत अपनी चाल चलना शुरु करती है । तो बड़े से बड़े खिलाड़ी मर्दों के दिमाग खट्टे हो जाते हैं । औकात समझ में आ जाती है कि कौन क्या है ।

रविवार, 8 नवंबर 2020

औरत के आगे मर्द

औरत के आगे मर्द की कोई औकात नहीं है ।
जो प्राथमिकताएं मर्द को मिली है वो सिर्फ मर्द के थोड़े से सहयोग के कारण जिससे वे मर्दों को जन्म देती हैं ।
अगर औरत स्वयंम से जन्म दे पाती तो मर्दों की इस दुनियां में कोई जरुरत नहीं होती ।

औरत और लड़कियों

औरत और लड़कियों की दुश्मनी भी औरत और लड़कियों से होती है । और ये इतनी खतरनाक होतीं हैं । कि आसानी से इसकी तह में जा पाना संभव नहीं होता। 
हैरत की बात तो ये है । कि इसमें क्राईम कम और दिमागी मार बहुत ही भयंकर होती है ।

शनिवार, 7 नवंबर 2020

कोई जब दिल से निकल जाता है ( मेरा विचार )

कोई जब दुनियां से चला जाता है तो दुनियां मिट नहीं जाती ये दुनियां उसके लिए मिट जाती जो दुनियां से चला गया ।
जब कोई घर छोड़ कर चला जाता है तो घर गिर नहीं जाता जाने वाला इस विशाल दुनियां के किसी कोने में अजनबी बन कर जिंदगी गुजारता है मगर जो घर में रह जाता है उसे उसकी यादें , कुछ बातें रह जाती हैं जो धीरे धीरे वक़्त के साथ मिट जाती हैं ।
जब कोई दिल से निकल जाता है तो निकलने वाला और निकालने वाला दोनों को अपने सोच के मुताबिक जिंदगी जीने का रास्ता मिल जाता है कोई किसी के लिए मर नहीं जाता , मरना इतना आसान नहीं है मरने का एक वक़्त तै है जब वो वक्त आ जाएगा तो फिर कोई इस दुनियां में तुम्हें रोक भी नहीं सकता। 
किसी के होने से जीना और किसी के न होने से मरना इसमें सच्चाई है मगर ऐसा सिर्फ 5% लोगों के साथ हुआ है और होता भी है मगर सबके साथ नहीं ।
इस दुनियां वालों ने मुहब्बत के नाम पर कितनों कि जिंदगियां बर्बाद कर दी , इस दुनियां वालों ने अपने पन का नाटक कर के न जाने कितनों के अधिकार और सपनों को छीन लिया, इस दुनियां वालों ने अपने स्वार्थ के लिए क्या क्या नहीं किया ।
इस बहुरंगी दुनियां में कब किसके साथ क्या होगा या हो जाए इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है ।
मै आप को बहका नहीं रहा हूँ और न भ्रमित कर रहा हूँ 
कभी जब फुर्सत के वक़्त मिले तो आराम से लेट कर इस दुनियां और दुनियां वालों के बारे में अपने दिल से पूछना दिल सारी सच्चाई सामने ला कर रख देगा मगर फर्क सिर्फ इतना है कि आज हम हकीकत का सामना नहीं कर पाते और न करना चाहते हैं सिर्फ दिमाग लगाने पर विश्वास करते हैं ।

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

ज़हर का प्याला

आप के कुछ हल्के से स्पर्श ....... ।
आप के कुछ अन कहे जवाब ..... ।
मेरी आँखों से आप की आंखों का न मिला पाना ।
कभी धीरे से चेहरे का उठना ......... ।
कभी चुपके से पल्कों को उठा कर झांकना ।
कभी अपने हसीन चेहरे को झुकाए ..... ।
अपने दातों से गुलाबी होंठ के पहले परत को काटना ।
और मोंती जैसे दांतों के बीच से गदाये हुए होंठों का
बार बार छलकना ......... । और बहुत सारी बातें .... ।
जो आप के दिल से निकल कर मेरे दिल में आ कर ठहरी हुई हैं  , जिसे न कभी भूल सकता हूँ और
न किसी से कह सकता हूँ ।
न जाने क्यूँ आप की सिर्फ एक याद ने
मेरी पुरी रात की नींद चुरा गयी ।
क्या करुं एक एक पल एक एक सदी ।
एक एक जनम लेने जैसा लगता है ।
वो चांदनी रात जब छत से उतर कर .... ।
बगल वाले झील के शाहिल से बधी नाव ।
और सारी रात नाव में लेटे ....... ।
तुम चांद को ताकती और मैं चांद जैसे तुम्हारे चेहरे को ।
उफ ! अब ऐसे में कोई धुंधला चांद मेरे सामने आए ।
जिसके करीब काले बादलों का साया हो और
वो अपने पुरजोर कोशिश से तुम्हें ढंक कर अपने अंदर
समा लेना चाहता हों, ये कभी मुझसे गवारा नहीं होगा ।
अब तो ज़िंदा रहने के सिर्फ़ दो ही रास्ते हैं ।
या तो मुझे ज़हर का प्याला दे दो ...... ।
या फिर हमेशा के लिए अपनी पनाह में ले लो ।
तुम्हारे बगैर मैं खुद को लावारिश और अनाथ 
महसूस करने लगा हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ।

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

मोटिवेशन का मतलब क्या है ?

मोटिवेशन का मतलब क्या है ?
अपनी बातों से किसी को इतना उत्साहित कर देना कि वो हर बात मानने को तैयार हो जाए और अपनी पुरी उर्जा के साथ लग जाये। अगर इसको ठेठ और प्रचलित शब्द में कहा जाए तो इसे कहते हैं किसी को भी अपनी बातों में लपेट लेना और इतनी चालाकी से कि सामने वाले को यह जरा भी एहसास न हो कि उसे लपेटा जा रहा है ।
अपनी लच्छेदार बातों से उसके अंदर इतना उर्जा भर देना कि वो जरुरत से ज्यादा एनरजेटिक हो जाए ताकी न किसी कि बात सुने और न मानने को तैयार हो ।
मुझे बार बार यह एहसास होता है कि जितने भी मोटिवेश्नल स्पीकर हैं शायद वो प्रैक्टिकल में नहीं हैं ऐसी ऐसी बातें बोल जाते हैं कि जरा भी एहसासमंद आदमी हो तो उसे घृणा हो जाएगी उसे यह एहसास हो जाता है कि ये जरुरत से ज्यादा बोल रहा है जो दिल और दिमाग के बजाय सर के ऊपर से गुजर जाती है । यह स्पष्ट साबित हो जाता है कि ये आदमी यहां बैठे हजारों या सैकड़ों लोगों को लपेट रहा है ।
खैर वास्तविकता पर दिये गये वक्तव्य को सुन कर सोचा जा सकता है लेकिन जब लोग मोटिवेट करते वक़्त ओवर कान्फिडेन्स में चले जाते हैं तो उस वक़्त और भी ज्यादा तालियां लोगों के द्वारा मिलती है ।
मगर पता नहीं क्यूँ मुझे इन लोगों की बातों में कोई इंट्रेस्ट नहीं क्यों कि मैं जानता हूँ कि ये लोग लोगों को लपेटने के माहिर हैं और लोगों को लपेटने का दो चार लाख रुपये घंटा भी लेते हैं । सुना है कि अब तो इसकी ट्रेनिंग और कोर्स भी होने लगा है ।
जब कोई जमीन से उठ कर जिंदगी से संघर्ष करता हुआ किसी ऊंचे मुकाम को हासिल करता है फिर अपने संघर्षों और विचारों को बताते हुए जब कोई नयी राह दिखाता है तो मैं प्रभावित होता हूं और ऐसे लोगों कि कही हुई बातों के एक एक शब्दों में मैं डूब कर सोंचने पर मजबूर हो जाता हूँ क्यों कि ऐसे लोगों की बातों में हकीकत होती है जो लोगों को प्रेरित करती है ऐसे लोग न किसी के बातों में लपेटाते हैं और न ही किसी को लपेटते हैं प्रमाण के साथ हकीकत सामने लाकर रख देते हैं ।

मंगलवार, 3 नवंबर 2020

हमने तो ये समझा था

दिल तोड़ के जाना था तो आये ही नहीं होते ।
मुह मोड़ के जाना था तो आये ही नहीं होते ।।

राहें हैं बहुत उल्झी मंजिल का निशां गुम है ।
कश्ती है तलातुम में साहिल का निशान गुम है ।।
यूं छोड़ा के जाना था तो आये ही नहीं होते ।
दिल तोड़ के जाना था .............................।।

जो प्यार के राही हैं दुनियां से नहीं डरते ।
अंजाम हो जैसा भी परवाह नहीं करते।। 
गर ख़ौफे़ जमाना था तो आये ही नहीं होते ।
दिल तोड़ के जाना था ...........................।।

हमने तो ये समझा था तुम फूल बिछाओगे ।
हर हाल में हर वादा तुम अपना निभाओगे ।।
कांटा ही चुभाना था तो आये ही नहीं होते ।
दिल तोड़ के जाना था ..........................।।

जावेद की ये आदत है हर हाल में खुश रहना ।
हंस हंस के ज़माने का हर जुल्मों सितम सहना ।।
मुझको ही रुलाना था तो आये ही नहीं होते ।
दिल तोड़ के जाना था ...............................।।

रविवार, 1 नवंबर 2020

मर्दानगी

मर्द को क्या पता अपनी मर्दानगी का, मर्द की मर्दानगी को औरत जानती है ।
जिस दिन औरत अपने औरतपन पर उतर जाएगी उस दिन से भारत में बलात्कार की घटना तो दूर बलात्कारी ढूढने से भी नहीं मिलेंगे,, बस इनके जागने की जरूरत है ।

शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

सोंचने पर मजबूर

इस दुनियां में ऐसे लोग भी आते हैं । जो सोंचने पर मजबूर कर देने वाले सनकी, दिवाने और जुनूनी हैं । जो अपनी चाहतों को पुरा करने के लिए अपनी जान भी दे देते हैं । और जान ले भी लेते हैं ।

जीतने का सिस्टम

पैसे से चुनाव जीतने का सिस्टम अलग होता है ।
फटी पाकेट वाले के जीतने का सिस्टम अलग होता है ।
इससे ज्यादा विस्तार में कहना मैं उचित नहीं समझता क्यों कि आप से बड़ा राजनीत का खिलाड़ी और कौन हो सकता है । अब घर जा कर फुर्सत से बैठो और यह सोचो कि आप कौन से सिस्टम से जीतना चाहते हैं ।

बचपन की यादें

बचपन की यादें नौजवानी में हंसाती हैं और नौजवानी की यादें बुढ़ापे में रुलाती हैं ।

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020

चेन सिस्टम

रोटी , सब्जी , दाल , चावल ये चार चीजें आप को तीनों टाईम चाहिए चाहे आप झोंपड़ी में हों या महल में ।
ये कैसे मिलेंगी ?
और कहाँ से आती हैं ?
इसको स्वदिस्ट तरीके से तैयार करने के लिए आप को 
मसाले की जरूरत पड़ती है ।
मसाले कैसे और कहाँ से आएंगे ?
तीसरा मामला कपड़े का हे ।
चौथा मामला दवाई का है ।
पांचवां मामला शिक्षा का है ।
छठवाँ मामला रोजगार का है ।
सातवां मामला आलीशान बंगले का है। 
आठवां मामला उस बंगले में अपने सहूलियतों के हर सामान को जुटाने का है ।
ये सभी पैसों पर आधारित हैं ।
अब उपरोक्त सभी चीजों को हासिल करने के लिए आप को मोटा पैसा चाहिए ।
इसका रास्ता अगर आप खुद बनाते हैं तो आप अपने अनुसार निर्धारित समय पर सब हासिल कर सकते हैं ।
अगर किसी चेन सिस्टम का हिस्सा बन कर हासिल करना चाहते हैं तो सबसे पहले उसे सब हासिल होगा जिसने चेन सिस्टम को बनाया है । उसके बाद आप के सपने हासिल होंगे ।
पंचनबे परसेन्ट लोग चेन सिस्टम को बनाने वाले को उसके लछ्य से ज्यादा हासिल करवा देते हैं और जब अपना नम्बर आता है तो खुद टूट जाते हैं ।
या पुरा सिस्टम ही बंद हो जाता है ।
इससे बेहतर है कि आप जितनी मेहनत किसी और के लिए करने में अपने समय का नुकसान करते हैं उपर से इनकम के उम्मीद पर कर्जदार भी हो जाते हैं ।
उसी गुड सुत्र पर आप खुद के लिए लोगों को हासिल करें और प्राथमिक आवश्यकताओं से शुरू करें। 
जिसकी इन चेन सिस्टमों में लगे तमाम लोगों को जरुरत है। 

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

पैसे के लिए

पैसे के लिए जो तुमने कर ढाला काश तुम इसे समझ पाते ।
अगर जरा भी अपनों के बारे में सोचे होते तो तुम्हारे करनी पर आज मुझे शर्मिंदा नहीं होना पड़ता ।
तुम्हें मैं क्या समझु , मेरी समझ से बाहर होते जा रहे हो ।

बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

हर पल से अंजान

हर आदमी अपने ज़िन्दगी के बीते हुए दिनों के एक एक पल को जानता है ।
लेकिन जिंदगी में आने वाले दिन के एक एक पल से हर कोई अंजान है ।

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

आर्थिक आज़ादी

इस देश में मुर्खों और पागलों की कमी नहीं है ।
महान शायर गालिब के कथनानुसार चार पंक्तियां -
चूतियों की कमी नहीं गालिब ।
एक ढूढो हजार मिलते हैं ।।
नगद ढूढो तो उधार मिलते हैं ।
उधार ढूंढो तो बेशुमार मिलते हैं ।।
नेता गिरी एक ऐसा धंधा है । जहां ऐसे ही लोग बेशुमार मिलते हैं । क्यों कि इन चूतियों को नौकरी , तनख्वाह या कैरियर की जरूरत नहीं होती बस पद चाहिए ।
क्यों कि ये धन्धा सीधे देश से होता है । पार्टी को सत्ता में आने से या खुद चुनाव जीत लेने से देश में हिस्सेदारी मिल जाती है । और ये बात सभी नहीं जानते , बस इतना जानते हैं कि किस पार्टी का माला जपना है । किस पार्टी को नीचा दिखाना है और उसका विरोध करना है । उसकी कमियों को दिखा कर माइंड़ डाईवर्ट कर देना है और वो भी उन लोगों का जो राजनीत में इनट्रेस्ट नहीं रखते अपने कमाने खाने में व्यस्त रहते हैं ।
ऐसे ही लोगों को कुछ लालच दे कर इकट्ठा करना और 
धरना , प्रदर्शन और उपद्रव करना साथ में लाठी भी खाना और खिलवाना है । लेकिन पूरे प्रक्रिया में राष्ट्रिय लीडर नहीं होता सब यही बेशुमार वाले होते हैं ।
यकीन न हो तो कोई भी अनाप सनाप पार्टी बना लो सैकड़ों में तो तुरंत मिल जाएंगे फिर हजारों में और इसी तरह बढते हुए बेशुमार वाले कैटेगरी के लोग भर जाएंगे ।
यहां कोई क्वाईलिफिकेशन या डिगरी की जरूरत नहीं होती आत्म निर्भर बनने के लिए हर तरह की संपन्नता का होना जरुरी है । जो रोज कमाता है तब खाता है तो ऐसे लोग आत्म निर्भर कैसे बनेंगे ।
ऐसे लोगों की महामंडी आज भी गरम है । जिसे राजनीति के नाम से जाना जाता है । इसी मंडी में तुम्हें तुम्हारा सही अधिकार मिलेगा और बोलबाला भी ।
जो पार्टीयां बनी हैं उसे सब जानते हैं इससे हटकर अलग से एक पार्टी बनाओ और देश के साथ देश वासियों को भी एक अलग दिशा दो जिसमें सभी के पास समय की आजादी और आर्थिक आजादी दोनों हो ।

सोमवार, 26 अक्तूबर 2020

मुहब्बत के नाम पर

किसी के पास मुहब्बत है ।
किसी के पास दौलत है ।
दोनों एक साथ हर किसी को नहीं मिल्ती ।
80% ऐसे लोग हैं जिनके पास दोनों मेसे कुछ भी नहीं है ।
दौलत के नाम पर खुद परस्ती में जीना और मुहब्बत के नाम पर मुहब्बत का एक खूबसूरत नाटक है । जिसके अंधे पन में जिंदगी गुजरती जा रही है ।

रविवार, 25 अक्तूबर 2020

अटूट विश्वास

आप जिसे अपना मानते हैं ।
आप जिस पे भरोसा करते हैं ।
आप जिसकी हर बात मान लेते हैं ।
आप जिसकी बातों में सबूत की जरूरत नहीं समझते। 
सबसे पहले आप के जजबात से खिलवाड़ वही करता है ।
सबसे पहले आप को वही छलता है ।
सबसे पहले आप को नीचा दिखाना वही चाहता है ।
सबसे पहले विश्वास घात वही करता है ।
यह सब तो एक ऐसी परंपरा बन चुकी है जैसे कोई रिवाज़ ।
घबराओ मत जो जिस काबिल हो उस हिसाब से आज़माइश सबकी करते रहा करो। किसी के दिल और दिमाग को बदलते ज्यादा वक़्त नहीं लगता ।
कौन किसके कितने करीब है यह वह भी जानना चाहता है जो खुले तौर पर या पीठ पीछे आप का विरोधी है ।
और ऊपर कही गयी सारी समस्याएं ज्यादा तर यही लोग क्रियेट करते हैं सिर्फ एक दूसरे के अटूट विश्वास को देख कर ।

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

अदभुत कला

कुछ गीतकार कुछ गायक कुछ संगीतकार कुछ कलाकार हमारे देश में ऐसे हैं कि वो भारत के एक रत्न के समान हैं। जिन्हें सुन कर कोई आंसू बहाता है तो कोई मन के दर्द को हल्का करता है । तो कोई उमंग और मस्ती में डूब जाता है ।
आप के अंदर अगर किसी भी प्रकार का टैलेंट है चाहे वो किसी भी प्रकार का हो कला एक बहुत ही अदभुत चीज होती है तो उसे न दबाएं और न रोकें आप अपनी कला को अपने देश के सामने लाएं इससे बहुतों को प्रेरणा और आगे आने का हौसला मिलेगा कुछ को सीखने का अवसर भी बनेगा। आज आप हैं कल नहीं होंगे मगर आप की यादें हमेशा लोगों के दिलों में बनी रहेंगी ।
अगर आप को अपनी कला को समाज के बीच लाने का कोई रास्ता न मिल पा रहा हो और मजबूर हों तो मुझसे संपर्क करें। मुझे ऐसे लोगों की तलाश है और मैं उन्हें उनके योग्यता के मुताबिक पुरा प्रयास और सहयोग भी करुंगा। 
आप मुझसे काल या वाट्सेप के द्वारा भी जुड़ सकते हैं ।
मेरा नम्बर - 7388939329
                9936351220
VOICE OF HEART = दिल की आवाज़ 
के ब्लागर - डा. जावेद अहमद खान
      स्पेशलिस्ट -  C.N.T. सेलुलर नेरेशमेंट थेरेपी 
                       कोशिकीय पोशण चिकित्सा 


बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

परिवर्तन

सच्चाई जान कर आप कुछ नहीं कर पाओगे ।
अन्जाने में आप बहुत कुछ कर जाओगे ।

बेहतर यही होगा कि जिस चीज से अंजान हो उससे अंजान ही रहो अगर हकिकत जानने के पीछे भागोगे तो दर्द और नफ़रत के सिवा कुछ भी नहीं मिलेगा ।
ये अलग बात है कि कुछ चीजों की सच्चाई जानने की जरूरत पड़ती है मगर उसे भी जान कर आप उसमें कोई परिवर्तन नहीं कर सकते । अगर परिवर्तन की कोशिश करोगे तो सबसे पहले विरोधी आप ही बनोगे इस लिए जो जैसे है वैसे ही रहने दो हां बेहतर यही है कि आप को अगर परिवर्तन करतना है तो खुद में ही करें ।
यकीन मानो अगर आप को आप के जिंदगी के बारे में पैदा होने से लेकर मरने तक के एक एक पल की सच्चाई बता दी जाए तो आप का जीना मुश्किल हो जाएगा ।
जो बीत रहा है उसे अप जी रहे हैं और देख भी रहे हैं मगर आने वाले कल के बारे में आप को क्या पता बस एक आस है एक उम्मीदें हैं और एक खूबसूरत प्लान के साथ सपने जिसके सहारे कल आज में बदल जाता है और आप जीते जा रहे हैं ।

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020

फैस्टिवल

भारत में विभिन्न प्रकार के फैस्टिवल हैं जो सभी के पाकेट खाली कर देने वाले हैं लेकिन एक फैस्टिवल ऐसा है जिसे चुनाव के नाम से जाना जाता है जिस में 80% जनता के पाकेट में कुछ न कुछ तो आ ही जाता है ।

सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

इस दुनियां में

इस दुनियां में कोई भी चीज बेकार नहीं है। सब का काम कहीं न कहीं कभी न कभी तो पड़ता ही है । बेकार तो उस वक्त लगती है । जब आप को उसकी जरुरत नहीं होती ।

रविवार, 18 अक्तूबर 2020

लाल मिर्च

अगर लाल मिर्चा पिसा हुआ आप के मुंह में डाल दिया जाय तो उसके तीखे पन से आप सनक जाएंगे । तीखापन बर्दाश्त नहीं होगा , आप की ज़ुबान सुन्न पड़ने लगेगी खोंपडी जरुरत से ज्यादा गरम हो जाएगी। 
ठीक इसी तरह जब आप के मुंह से आप की ज़ुबान जब कोई कड़वाहट भरे शब्द निकालती है तो सुनने वाला भी सनक जाता है । और उससे भी ज्यादा सनक जाता है जितना लाल मिर्च के पाउडर से आप सनकेंगे और खोंपड़ी तो इतनी गरम हो जाती है कि हत्या भी हो जाती है ।
अतः आप वैसा ही खाना पसंद करते हैं जो आप के मुंह को आराम दे और जुबान को स्वादिष्ट और मस्त लगे। 
ठीक इसी तरह आप अपने व्यवहार और बोल चाल में शब्दों का इस्तेमाल भी करें ताकी आप से मिलने वाले लोग आप का साथ न छोड़ना चाहें और बातों से आप के दिवाने हों जाएं। 

शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

एक ही भूल

आज तुम्हारा वक़्त है ........
हर आरजू पुरी करना .........
कुछ छोड़ना मत ..........
न तो कुछ भूलना ..........
क्यों कि एक ही भूल .........
तुम्हारे मौत का कारण बन जाएगी ..........
और दुनियां का कोई भी इंसान ...........
तुम्हें बचा नहीं सकता ।

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

जरुरी नहीं

जरुरी नहीं कि हर बात का जवाब खुल्लम खुल्ला दिया जाए थोड़े से इशारे बहुत कुछ समझने के लिए काफी होते हैं ।

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

शब्द

अगर शब्दों की गहराई में उतरना जानते हो तो दो चार शब्द ही जिंदगी के मायने को समझा जाते हैं ।

बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

नफ़रत

मैं जिसे मानता हूं तो ऐसे मानता हूं कि जैसे मेरी जान उसके अन्दर बसती है लेकिन जब नफ़रत हो जाती है तो ऐसी नफ़रत करता हूँ कि जैसे लोग नर्क से नफरत करते हैं ।

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

एक अकेला

एक अकेला आदमी अगर अपनी जिद पर उतर जाए तो करोडो आदमी की जिंदगी बर्बाद और खत्म कर सकता है ।

सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

संगठित परिवार

एक संगठित परिवार में जो औलाद पैसा कमाता है उसकी मान्यता ज्यादा होती है । हर लोग उसी के इर्द गिर्द मंडराते हैं । हर कोई उसी को खोजते हुए और उसी से मिलने के लिएआते हैं । लेकिन अगर घर रह रहे व्यक्ति से कोई मिलने आ जाये तो पीठ पीछे यह जरूर सुनाया जाता है कि " अरे चूतिये हैं साले..... लोफरों का साथ है अब क्या करियेंगा " जब की बिना सच्चाई जाने वो कमाने वाला भी पूछता है कौन था ? सवाल कर के बिना जवाब सुने यह बड़े आसानी से कह देता है कि "चुपचाप घर रहो लोफरों का साथ छोड़ दो आज के बाद मैं किसी के साथ देखना नहीं चहता और न दरवाजे पर इन चूतियों और लाखैरों को मैं देखुं यही है तुम्हारे नाजायज़ पैसा फूकने का अंजाम मैं मर मर कर पैसा भेजु और तुम उसका गलत इस्तेमाल करो " जब की उस कमाने वाले को नहीं पता कि एमरजेंसी में यही लोग काम आते हैं । आप का पैसा बाद में आता है लेकिन उससे पहले यही लोग आते हैं खैर वो सही कहे या गलत सब ठीक है सभी बे हिचक स्वीकार भी कर लेते हैं । लेकिन जो औलाद पैसा नहीं कमाता उसकी कोई औकात नहीं होती अगर वो गलत को गलत और सही को सही कहे तो भी उसकी बात को कोई अहमियत नहीं दी जाती और न तो कोई सुनने को तैयार होता है इसकी हर बात बकवास और फाल्तु लगती है मगर जिस्मानी और भागदौड़ के सारे काम घर रह कर इसी को करना पड़ता है । घर को देखते हुए सभी सामाजिक, पारिवारिक , हित , मीत और रिश्तेदारी सभी को समय समय पर देखना है । अगर खेत बारी है तो उसमें भी लग कर पसीना बहाना पड़ता है अगर गाय गोरु है तो उसे भी संभालना पड़ता है । यानी नीव का ईट जो घर है वही बनता है ।
जहां जो खर्च आता है वो मिलता तो जरूर है मगर हर चीज़ का हिसाब भी देना पड़ता है ।
"जब मैं कमा रहा हूँ और पैसा दे रहा हूँ तो तुम्हें कहीं कमाने जाने की क्या जरूरत है घर पर रहो घर देखो, घर पर भी तो किसी का रहना जरुरी है" इन बातों से और सभी के दबाव से उसे अपने जीवन को अपने आजादी से जीने का अवसर नहीं मिलता यूं कहीए कि उसकी सारी इच्छाएं मार कर आजादी भी छीन ली जाती है ।
एक समय ऐसा भी आता है जब घर रहने वाले को नाकारा साबित कर दिया जाता है और उसी घर में उसे अलग भी कर दिया जाता है ।
अलग करने पर उसके हिस्से में गाय, गोबर और खेती आती है मगर जो काम रहा था उसके हिस्से में लम्बी फोर व्हीलर शान्दार बंगला और बैंक बैलेंस आता है जो पहले ही वो सब अंडर ग्रांउड बनाता रहा ऐश करने के लिए उस नीव के ईट को अलग तो करना ही पड़ेगा वरना सब में बराबर की हिस्सेदारी भी देनी होगी किसी कि जिंदगी बर्बाद कर के अपना काम निकालना कहां का न्याय है ।
खुद को अकेले छल से राजा बन जाना किस काम का जिसके सुख को भोगने में जब अपने ही न हों। 

शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

संभावनाएं

जहाँ बुद्धिमान लोग ज्यादा रहते हैं वहां काम बिगड़ने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं । 
जहां मुर्ख लोग ज्यादा होते हैं वहां भी काम बिगड़ने की 
संभावनाएं ज्यादा होती हैं ।
जहां मुर्ख और बुद्धिमान दोनों तरह के लोग होते हैं वहां 
काम बनने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं चाहे मुर्ख काम बना ले या बुद्धिमान ।

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

बच्चा बच्चा

कुछ लोगों को देश का बच्चा बच्चा जानता है लेकिन वे
देश के बच्चे बच्चे को नहीं बल्कि अपने और अपने कुछ लोगों के परिवार और उनके बच्चों को जानते हैं ।

सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

सहन शक्ति

जहां पर किसी को किसी पर भरोसा न रह जाए ।
जहां बारह घंटे में नब्बे परसेन्ट झूठ बोलाजाता हो। 
जहां हर किसी की पीठ पीछे खिल्ली उड़ाई जाती हो
उसकी बुराई की जाती हो ।
जिस देश में प्रधान मंत्री को भी गाली दी जाती हो ।
जहाँ हर कोई हर किसी को शक के नजरिये से देखता हो। जहाँ पर मामले को समझने का इंटरेस्ट कम लोग रखते हों और आंकड़ेबाजी करने वाले ज्यादा हों। 
जहां आफवाहों का ह्यूमर ज्यादा उड़ाया जाता हो। 
जहां कानून व्यवस्था आधा अधीन और आधा मनमरजी हो। जहां गरीब, मजदूर,और महिलाओं की कोई औकात न समझी जाती हो । जहां जनता का कोई अधिका न हो और न कोई सुनवाई हो ।
जहां पर कई हुकुमतें चलती हों जैसे -
1- क्रिमनल
2-भु माफिया 
3-माफिया
4- नेतागिरी
5- दादा गिरी
6- स्मगलर तथा अन्य 
जहां इमानदारी कम और बेईमानी ज्यादा होती जा रही हो । जहां पैसे तो पूरे लिए जाते हैं मगर तौल में सामान कम दिये जाते हैं । जहां शुद्धता घट गयी हो और मिलावट बढ गयी हो। जहां हर संबन्ध में स्वार्थ भर गया हो । जहां लोग सहयोगी कम और मतलबी ज्यादा हों। 
जहां फाईल खसकाने का पैसा लिया जाता हो। 
जहां एक साइन करने का पैसा लिया जाता हो। 
जहां झूठ बोलने का पैसा लिया जाता हो। 
जहां रौब दिखा कर, धमकाकर पैसा लिया जाता हो। 
जहां बात करने का पैसा लिया जाता हो। 
जहां सलाह देने का पैसा लिया जाता हो। 
कुछ जगहों पर प्रवेश करने का पेसा लिया जाता है ।
जहां पेशाब करने का पैसा लिया जाता है ।
जहां शौच करने का पैसा लिया जाता है ।
जहां वेश्यालयों से और वेश्यावृत्ति करने वाली से भी पैसा लाया जाता है ।
जहां पुल क्रास करने का पैसा लिया जाता हो। 
जहाँ रोड़ पर चलने का पैसा लिया जाता हो। 
जहां मर्डर करने का पैसा लिया जाता हो ।
जहाँ किडनैपिंग का पैसा लिया जाता है। 
जहां वोट डालने का पैसा लिया जाता हो ।
बचा क्या है देश और देशवासियों के भ्रष्ट होने में ।
इसी बीच अपने और अपने परिवार के जिंदगी के सफर को पुरा करना है । एक नयी एनरजेटिक उर्जा के साथ नयी सोच पैदा करनी होगी ताकी नित नये बढते प्रदूषण से निपटा जा सके और सहन शक्ति मजबूत हो सके। 

शनिवार, 3 अक्तूबर 2020

कुछ भूल गये

कुछ भूल गये तो क्या हुआ ।
कुछ छोड़ गये तो क्या हुआ ।।

कुछ शर्तों पे साथ निभाते हैं  ।
कुछ मक़सद से हाथ मिलाते हैं ।।

सबके जखमों को सहना है ।
कुछ भी न किसी से कहना है ।।

धीरे धीरे सब कट जाएगा ।
जीवन का दर्द सिमट जाएगा ।।

तुम अपना धंधा चटकाये रहो ।
लोगों को खुद में भटकाये रहो ।।

वो चलता है चलता जाएगा ।
एक दिन मंजिल भी पाएगा ।।

तुम बोझ बनो या रोग बनो ।
सबको परवाह नहीं होती ।।

पराश्रित हो कर जीने में ।
आसानी से मौत नहीं होती ।।

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

सुरक्षा

अगर किसी के लिए दवा नहीं बन सकते तो उसके लिए रोग भी मत बनो । अगर किसी के काम नहीं आ सकते तो उसके लिए बोझ भी मत बनो ।
लेकिन जहाँ सारी संवेदनाएं मरती जा रही हों लोगों को खुद का एहसास न रह गया हो वहां कोई किसी के सुरक्षा के बारे में क्यों सोंचेगा बल्कि अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी ।
आत्म निरभरता पैदा करने के लिए दिल को इतना मजबूत तो करना ही पड़ेगा ।

बुधवार, 30 सितंबर 2020

रंगीनीयां

नींद में देखे गये सपने को सच करने की जरूरत नहीं होती क्यों कि वह जितना भी होता है वो अपने आप में कंपलीट होता है । बस एक आश्चर्य में डाल देने वाली याद रहती है । ऐसे सपने में चाहे कितनी भी बड़ी से बड़ी घटनाएं हो जाएं मगर नींद खुलने पर खुद को सही सलामत पाते हैं । खुली आँखों से देखे जाने वाले सपने में चार चीजें शामिल होती हैं जैसे -
1- दिल ।
2- दिमाग ।
3- प्लैनिंग ।
4- खुली आँखों से सपने को सजोना ।
अब यहीं संघर्ष शुरु होता है । हर वक़्त खयालो में डूबे रहना कि कब और कितना जल्दी इसे पूरा कर लिया जाय क्यों कि इस सपने में फिल्म कि तरह सब कुछ दिखता है । यही वजह है कि इस सपने की रंगीनीयां देखने वाले को एक भी पल चैन से रहने नहीं देती ।

मंगलवार, 29 सितंबर 2020

पैसा

इस दुनियां में अनेक प्रकार के लोग हैं ।
किसी को समझना मुश्किल है तो किसी को समझाना मुश्किल है । विचारों से सभी के ताल मेल नहीं बैठते लेकिन पैसे से सभी के ताल मेल बैठ जाते हैं ।

सोमवार, 28 सितंबर 2020

भूख

भूख कई तरह की होती है ।
किसी की भूख मिटाने से पहले यह समझ लें कि उसे किस तरह की भूख है और उसे मिटा पाने में आप सछम हैं या नहीं । कहीं ऐसा न हो कि आप किसी की भूख मिटाने के चक्कर में खुद ही न मिट जाएं ।

रविवार, 27 सितंबर 2020

एक वाक्य

अपशब्दों से भरी हुई । घृणा से भरी हुई । अपमानित के नजरिये से । आप के द्वारा बोला गया एक वाक्य किसी को अर्थविछिप्त , हाईपर टेन्शन , ब्रेन हैमरेज, हाई ब्लडप्रेशर , हर्ट अटैक , विद्रोही , क्रिमिनल , दुश्मन , और आप से हमेशा के लिए दूर भी कर सकती है ।
इस लिए हमेशा बोलते समय अपने वाणी पर संयम और 
लगाम रक्खें ।

बुधवार, 23 सितंबर 2020

सलाहकार

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आते हैं जिन से जिंदगी एक नया मोड़ लेकर सवर जाती है और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जिंदगी में ऐसी कुंडली मार के बैठ जाते हैं जो अच्छे खासे चलते हुए भाग्य को सही दिशा से उल्टी दिशा में बदल देते हैं और आप को एहसास भी नहीं होता जिससे जिंदगी बर्बाद हो जाती है ।
जब कुछ भी नहीं बचता और उनका मक़सद पुरा हो जाता है तो बड़े ही आसानी से आप की जिंदगी से निकल जाते हैं ।
ऐसे में आप को सोचना है कि सही क्या है और गलत क्या है । यह काम आसान नहीं है मगर परखने का प्रयास जरूर करें किसी पर आंख मूद कर विश्वास करना या कर लेना बहुत बड़ी नादानी होगी ।
आप को किसी सलाहकार की जरुरत नहीं है क्यों कि आप का कोई मंत्रिमंडल नहीं है और न तो कोई बहुत बड़ा बिजनेस की आप सलाहकार पालें , आप के पास भी दिल और दिमाग है । आप अपने दिमाग से सोचे दिल से मनन करें दिल जो कहे उसे करें ।
जिंदगी में सलाह की भी कभी कभी जरुरत पड़ती है । आप जो चाहते हैं उसमें आप से ज्यादा आगे कोई हो और कामयाब भी हो तो आप उनके पास बैठें और उनसे सलाह लें झोला छाप सलाहकार हर कदम पर मिलेंगे उनके चक्कर में कभी न पड़े ।
जिस चीज की सलाह लेना है यदि उस चीज का पारंगत व्यक्ति नहीं है तो घबराने की जरुरत नहीं है क्यों कि आप की योजना युनिक हो सकती है । अगर आप के दिमाग मे उपजी है तो थोड़ा और माइंड लगाएं उसका रास्ता भी उपजेगा क्यों कि जब भी कोई आविष्कार हुआ है तो वो अकेले ही हुआ है किसी सलाहकार ने नहीं किया है ।
हां यह अलग बात है कि कुछ कामों में टीम वर्क हुआ है मगर वह तब हुआ है जब पुरी टीम का लक्ष्य एक रहा है मगर दिमागी उपज तो सिर्फ एक की ही रही है । यानी की टीम के लोगों को भी उसकी आवश्यकता रही है । यहां सलाहकार वही हो सकता है जिसके दिमाग की उपज है ।यानी स्वयं में आप से बड़ा सलाहकार न कोई है और न कोई हो सकता है ।
अतः सतर्क रहें , सचेत रहते हुए अपने काम को अंजाम दे , जो आने वाले दिनों में भले ही किसी के लिए प्रेरणा न बने लेकिन किसी के जीने का सहारा तो जरुर बनेगा ।

मंगलवार, 22 सितंबर 2020

नाराज़

तुम रुठ कर ही क्या करोगे जब तुम्हें कोई मनाने वाला ही नहीं है । रुठा तो तब जाता है जब आप का कोई हो जिसे आप की चिंता हो जो आप के सुख दुःख और भावनाओं को समझता हो ।
ये अलग बात है कि आप अपनी किस्मत से या अपने आप से नाराज होते हों  । ऐसे में किसी की जरुरत नहीं चाहे कोई हो या न हो ऐसे में सिर्फ दो ही लोग होते हैं ।
1- आप की अन्तर आत्मा ।
2- आप का रब ( ईश्वर )
दिल की वेदना सिधे वहाँ तक पहुंचती है मगर शर्त यह है कि दिल साफ और ईमानदारी से भरा होना चाहिए ।

सोमवार, 21 सितंबर 2020

अमीर

कुछ लोग सारी जिंदगी किसी के नहीं हो पाते 
कुछ लोग अजनबी को भी अपना बना लेते हैं ।
कुछ लोगों के पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं होता 
और कुछ लोगों के पास कुछ भी न होकर सब कुछ होता है क्यों कि ऐसे लोग दिल और दिमाग के बहुत अमीर होते हैं ।

रविवार, 20 सितंबर 2020

सपने

तुम्हारी हर चीज कैद की जा सकती है मगर तुम्हारी सोचो को इस दुनियां में कोई भी कैद नहीं कर सकता ।

अपने लिए सपने सभी संजोते हैं लेकिन 95% लोगों की पुरी जिंदगी कट जाती है लेकिन उनके सपने पूरे नहीं होते ।

1% ऐसे लोग हैं जिन्हें सपने देखने की जरुरत नहीं पडती क्यों कि उन्हें पैदा होने से पहले ही उनकी सोंचो से ज्यादा सब कुछ पहले ही बन चुका होता है ।

 1% ऐसे लोग हैं जिनके सपने में उनके अपनों का साथ होता है और ईश्वरीय सहायता भी प्राप्त होती है ।

1% ऐसे लोग हैं जिन्होंने धोखे से सब कुछ हासिल किये हुए होते हैं ।

2% ऐसे लोग हैं जो अपने सपने पूरे तो कर लेते हैं मगर         उसका सुख  और आनंद उनके किस्मत में नहीं होता मंजिल मिलते ही दुनियां छोड़ना पड़ता है ।

टोटल 5% लोग हुए जिनकी गिन्ती सफल व्यक्तियों में होती है बाकी के लोगों के सपने किसी के समझ में नहीं आते या लोग समझना नहीं चाहते या उसके ऊंचे खयालात और सोंचो से लोग मन ही मन जलन रखने लगते हैं ।
इस लिए साथ और सहयोग देने के बजाय हर मोड़ पर टांग खींचने के लिए अपनी पुरी उर्जा लगा देते हैं उन्हें इस बात की परवाह नहीं होती कि हर रहस्य का पर्दा एक दिन खुलता है ।
जीने के लिए किसी न किसी प्रकार के सपने का होना जरुरी है कम से कम इसी के रंगीन खयालों में लोग अपने ज़िन्दगी को आराम से या उसके आस पर काटते तो रहते हैं वरना बे मक़सद या बे वजह जिंदगी को काटना आसान नहीं बल्कि बे हद मुश्किल है ।
जो है उसे अपनाओ , जितना है उतने में अपने आप को संतुष्ट करना सीखो , इस बात को मानते हुए कि जो तुम्हारा है वो तुम्हारा ही रहेगा उससे कोई भी तुम्हें वंचित ( दुर ) नहीं कर सकता और जो तुम्हारा नहीं है वो सारी जिंदगी तुम्हारा नहीं होगा चाहे तुम कुछ भी कर ढालो ।

शनिवार, 19 सितंबर 2020

विरासत

उसके पास इतना था कि उसने पुर्खों की विरासत को रखा लिया , तुम्हारे पास तो भूजी भांग भी नहीं है कि तुम कोई विरासत को बचाओ तुम पेट की आग बुझाओगे की किसी की विरासत देखोगे  ।

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

बेरोजगारी

बिमारी से भी बड़ी बिमारी है 
भूख , समस्या और बेरोजगारी  ।

कर्मकांड

दुनियां में आने से पहले आने के लिए कोई कर्मकांड नहीं है लेकिन दुनियां से जाने के बाद कई कर्मकांड किये जाते हैं ।
शायद इसी लिए कि सारी मोहमाया मिट जाए और यही होता भी है जब जो पास नहीं होता तो धीरे धीरे सांसारिक गतिविधियों में उलझ कर सब खत्म हो जाता है । ये अलग बात है कि कभी किसी ने कोई चर्चा छेड़ दी तो कुछ बातें याद आ जाती हैं मगर दिल और दिमाग के किसी कोने में यह बात तो रहती ही है कि अब वे इस दुनियां में नहीं रहे ।

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

रिशी

ये दुनियां हमसे पहले भी थी और हमारे बाद भी रहेगी ।
हमसे पहले जैसी थी वैसी आज नहीं है और आज जैसी है वैसी आगे नहीं होगी ।
जो चले गये उन्हों ने आज के दौर को नहीं देखा हमारे जाने के बाद हम लौट कर कल के दौर को देखने नहीं आ पाएंगे हर चीज़ का अपना अलग दौर होता है ।
इसी दुनियां में एक ऐसा भी दौर था जब लोग दो तीन हजार साल तक रह कर गये उसके बाद सैकड़ों साल जीने वाले लोग भी आए और अब चालिस, पचास बहुत ज्यादा तो अस्सी साल तक जीने वालों का दौर चल रहा है । मैने एक कहानी पढी थी उसमें एक रिशी थे जो ताड़ के पेड़ के पत्ते जिसे डम्फा भी कहा जाता है उसी का छप्पर बना कर उसी में रह रहे थे । उसी रास्ते से एक दूसरे रिशी कही जा रहे थे जब उनकी नजर उस छप्पर पर पड़ी तो वो छप्पर के पास गये उन्होंने देखा एक आदमी उसमें सो रहा था ।
रिशी के खांसने पर पहले रिशी जो सो रहे थे वे आहट पाकर उठ कर बैठ गये देखा सामने कोई आदमी खड़ा है तुरंत ही उन्हें बैठने को कहा फिर उन्हें पानी पिलाया पानी पी लेने के बाद इन्हों ने कहा कि आप इस पत्ते की जगह एक छोटा सा घर क्यूँ नहीं बना लेते तो रिशी ने कहा कि मैं डेढ हजार साल इसी पत्ते के नीचे गुजार चुका हूँ और अब बचे हुए डेढ हजार साल में क्या होगा इसे छोड़ कर जाना ही होगा अगर पांच दस हजार साल की जिंदगी होती तो कुछ सोंचता खैर आप बताओ आप का घर कहां हैं ?
इस बात पर आने वाले रिशी ने कहा कि मैं तो दो हजार साल से सिर्फ इस पृथ्वी पर घूम रहा हूँ पेड़ों के नीचे रात गुजार लेता हूँ सोचा कहीं स्थाई आप की तरह ठहर जाऊं मगर अब एक हजार साल के लिये क्या रुकूं इसे भी शैर कर के गुजार दुंगा यह कहते हुए खड़े हो गये चलते वक़्त उन्होंने कहा कि इस एक हजार साल में आगर इधर से फिर गुजरना हुआ तो जरूर मिलुंगा। 
अब सोंचिए कि तीन हजार साल की उमर उन लोगों के लिए कुछ भी नहीं थी जिसकी वजह से उन लोगों ने कुछ भी नहीं बनाया और आज आप की उमर कितनी हो सकती है ये आप को एहसास है और इतनी ही उमर में आप को सब कुछ चाहिए भले ही सारी उमर अपनी इच्छाओं को मारना पड़े ।

बुधवार, 16 सितंबर 2020

मीडिया

फेसबुक , यूट्युब , ट्वीटर , इंस्टाग्राम , ब्लॉग आदि इत्यादि ये सब सोशल मीडिया है ।
इसपर सिर्फ एकाउंट या चैनल बना लेने से ही काम नहीं होत । सबसे पहले आप इस बत को सोंच ले कि आप किस मक़सद से आना चाहते हैं ।
समाज को अपने विचारों से एक नयी दिशा देना चाहते हैं समाज से कुछ सीखना चाहते हैं या समाज को भ्रमित कर के गंदा करना चाहते हैं ।
हर प्लेटफार्म पर लोग हैं और हर तरह के लोग हैं और सबको कुछ न कुछ बोलना है , कुछ न कुछ कहना है या कुछ न कुछ तो दिखाना ही है । 
हम क्या कर रहे हैं यह सही है या गलत कितने लोग देखते हैं इसका एक्सन रिएक्शन क्या है शायद इससे कुछ न लेना देना है और न कोई मतलब बस लगे पड़े हैं । यूटियुब पर भी बहुत सारे लोग हैं जो किसी न किसी चीज की जानकारी देने आते हैं कुछ दिन रहते हैं फिर अचानक गायब हो जाते हैं । कुछ लोग ऐसे भी हैं कि पुरी पुरी सीरीज दिखाते हैं जिसे स्टेप बाई स्टेप दो तीन विडियो में समझाया जा सकता है मगर समय खींचना पन्द्रह से बीस या और ज्यादा विडियो दिखवाने के बाद भी वे टिप्स एण्ड ट्रिक्स पुरे सही नहीं साबित होते विवर्स को दुखी होना पड़ता है ।
कुछ लोग अपनी विडियो को बूम कराने के लिए टाईटल कुछ और देते हैं अंदर मामले कुछ और होते हैं ।
ज्यादा दिन ऐसे लोग भी नहीं टिकते । कुछ ऐसे भी युट्युबर हैं जो टिप्स ऐन्ड ट्रिक्स या टेक्नीकल पर जानकारियां तो देते हैं मगर शायद वो प्रैक्टिकल में नहीं होते हैं ।
जानकारियां तो दे देते हैं मगर जब कोई उसे प्रैक्टिकल में लेता है तो कहीं न कहीं कोई न कोई प्राब्लम आ ही जाती है । जिसके समाधान के लिए बहुत सारे लोगों की विडियोज देखनी पड़ती हैं । हर रोज हर प्लेटफार्म पर लोग आ रहे हैं । हो सकता है कोई प्रैक्टिकल किया हुआ आए और सही जानकारी दे, वही टिकेगा जो सही होगा जिससे लोगों कि समस्याएं हल होंगी ।

सोमवार, 14 सितंबर 2020

शिकार

सुख औ दुख , बिमारी और मौत , अमिरी और गरीबी ये 
ऐसी सच्चाई हैं कि जिससे इनकार नहीं किया जा सकता हर आदमी इनमें किसी न किसी का शिकार तो होता ही है अंत में जब मौत का शिकार होता है तो जिंदगी की पूरी कहानी ही मिन्टों में समाप्त हो जाती है ।
अचरज की बात तो ये है कि जब इसमें से कोई भी चीज आती है तो अचानक आ जाती है ।
कभी यह नहीं कहती कि मैं आ रही हूं ।

शनिवार, 12 सितंबर 2020

जिंदगी

हर आदमी की अपनी जिंदगी है ।
कोई अभाव में जीता है ।
कोई प्रभाव में जीता है ।
कोई दबाव में जीता है ।
कोई अपने स्वभाव में जीता है । जीते तो सभी हैं। 
कोई अपने लिए जीता है तो कोई अपनों के लिए जीता है ।
जिंदगी का फलसफा ही बहुत अजीब है ।
देखने का नजरिया और सुनने का नजरिया भी अलग अलग   है । ज्यादा तर लोग ऐसे भी हैं कि उन्हें अपनी या अपने लोगों की कोई चिंता परवाह नहीं होती बल्कि दूसरों का चक्कर ज्यादा रहता है ।
जब की अपने बारे में अगर वक़्त निकाल कर सोचे तो हम कहां हैं और हमारा दाइत्व क्या है बखुबी समझ आएगा मगर इसकी भी परवाह नहीं ।
छीटा कशी तो अक्सर लोग करते रहते हैं मगर किसने क्या किया ? क्यों किया ? जब उसके तह में जाकर देखेंगे तो यही जवाब मिलता है कि जो हुआ वह ठीक ही हुआ ।
बिना किसी को समझे खुद अपने आप से मनगढंत हल नहीं निकाल लेना चाहिए ।
इस दुनियां में आने वाला हर आदमी वही करता है जो उसके भाग्य में लिखा हुआ है । भाग्य से अधिक या कम कोई चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता ।

भोजन

कुछ लोग ये समझते हैं कि भोजन अपने आप बन जाता है । मगर ऐसा नहीं है भोजन बनाने के लिए बहुत सारी सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है । भोजन में 
सभी चीजें जैसा बनाना है वैसी सामग्री हिसाब से डालना पड़ता है इसमें आग का भी रोल होता है । बहुत सारी जीजें ऐसी भी होती हैं कि उन्हें अगर ज्यादा आग की स्पीड दे दी जाम तो वह नष्ट भी हो सकता है अगर नष्ट नहीं हुआ तो स्वाद में अंतर हो जाएगा ।
कुछ पकवान मद्धिम आंच पर पाकाये जाते हैं और कुछ को ज्यादा हीट की आवश्यकता होती है ।
खाना बनाते समय वहां मौजूद रहना जरुरी है और पुरा ध्यान खाना बनाने की ओर होना चाहिए ।
खाना बनाते समय इधर उधर की बातों को सोंचना या उसे छोड़ कर किसी और काम में लग जाना नुकसान दे हो सकता है । एक बात तो निश्चित मान लिजिए कि इधर उधर के कामो में ध्यान बटा कर बनाए गये खाने का स्वाद अलग हो जाता है और खाना बनाने में ध्यान लगाने पर उसका स्वाद अलग होगा मुझे जहां तक तजुरबा है कि खाने को किस रुप में बनाया गया है इसे मैं बता सकता हूँ  । खाना अपने साथ हुए व्यवहार को बताता है और यह तभी जान जाएंगे जब आप को खाना बनाने में इंट्रेस्ट हो । अगर आप को खाना बनाने में दिलचस्बी नही है तो आप सिर्फ इतना ही जान सकते हैं कि नमक ज्यादा है या कम मिर्च ज्यादा है कि कम, मीठा फीका है या ज्यादा । जब की ये कामन सी बात है इन सब चिजों का अनुभव तो स्वतः अप की ज़ुबान की स्वाद कलियां करा देती हैं । खाना बनाना सिर्फ लड़कियों और महिलाओं का ही काम नहीं है इसे पुरुष वर्ग के लोग भी सीख सकते हैं क्यों कि ये भी एक कला है जो जीवन के हर मोड़ पर काम आती है ।

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

फुर्सत

इतने भी खाली मत रहो कि कोई भी , कभी भी , कहीं भी मिल ले । बिना किसी काम के अपने साथ साथ आप का भी पुरा दिन बे मक़सद नष्ट कर दे ऐसे में न आप कुछ कर सकें न कही जा सके और न कुछ सोच सके इस से बेहतर है कि खुद को इतना व्यस्त कर दो कि अगर कोई मिलना भी चाहे तो आप अपने आप से पूछे कि मैं फुर्सत में कब हो पाऊंगा ।

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

रिवाज

कभी भी मिलिये किसी से मिलिये या आप फोन पर ही बात कर रहे हों तो लोग इस बात को पुछना नहीं भुलते कि क्या हाल है सब कुछ ठीक है न  ।
अगले व्यक्ति को ये जवाब देना पड़ता है कि हां सब ठीक है बल्कि सच्चाई तो ये है कि कुछ भी ठीक नहीं है हर इंसान अपने आप में ही उलझा हुआ है और वह इस कोरोना जैसी महामारी के बाद अपनी नये तरीके से ज़िन्दगी को चलाने और जीने के लिए संभावनाओं को तलाशने में लगा हुआ है । सब कुछ ठीक है कह देना तो लोगों का एक तकिया कलाम यानी की फारमेल्टी, रिवाज, या परंपरा कह सकते हैं कि बन चुका है ।

बुधवार, 9 सितंबर 2020

दिल और दिमाग

दिल और दिमाग दोनों गतिशील होते हैं ।
वक़्त और हालात के मुताबिक आहिस्ता आहिस्ता ठहराव आता है । समझदार और एहसासमंद लोगों को कुछ ज्यादा ही भटकना पडता है । कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं जो बुढ़ापे की ओर कदम बढा चुके होते हैं मगर आदत और हरकतें बचपने की ही होती हैं ।

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

खूंन

अच्छाई के लिए बहाया गया या बुराई के लिए बहाया गया अपने लिए बहाया गया या अपनों के लिए बहाया गया ।
देश के लिए बहाया गया या देश के नेताओं के लिए बहाया गया । पैसे के लिए बहाया गया या रुतबे के लिए बहाया गया । रिश्तों के लिए बहाया गया या औलाद के लिए बहाया गया। खूंन और पसीना जिसके लिए बहाया जाता है उसको इसकी कीमत का एहसास नहीं होता लेकिन जो बहाता है वो जानता है कि खूंन और पसीना बहा कर क्या खोया है और क्या पाया है ।

रविवार, 6 सितंबर 2020

सफर

कभी कभी मंजिल के बहुत करीब हो कर भी मिनट भर में सब कुछ बिखर जाता है हम वहीं पहुँच जाते हैं जहाँ से हमने सफर को शुरु किया था ।

शनिवार, 5 सितंबर 2020

अन्त

किसी भी चीज के सुरुआत का रास्ता तो सभी ढूँढ लेते हैं
मगर उसके अंत के बारे में कोई नहीं जानता ।

सोमवार, 31 अगस्त 2020

संकेत

एक सपना है जो जागने नहीं देता ।
एक सपना है जो सोने नहीं देता ।
इस बात को तो बहुत सारे लोग जानते हैं ।
लेकिन एक सपना ऐसा भी होता है जब दर्दनाक चीख के साथ आदमी उठ कर बैठ जाता है ।
कभी कभी तो आदमी इतना डरा हुवा होता है कि रोने भी लगता है । 
अब इसमें कौन से अर्थ निकाले जाएं , जागने न देने वाले
या सोने न देने वाले । जब की यही सपना है जो भूत ,
भविष्य और वर्तमान तीनों से संबंध रखता है जिसमें जीवन की सार्थकता और कुछ संकेत छुपे होते हैं ।

बुधवार, 26 अगस्त 2020

आत्महत्या

आत्महत्या मुझे नहीं मालुम कि लोग क्यूँ करते हैं ।
मेरे विचार से क्रोध की आखरी सीमा भी हो सकती है ।
जीने के लिए जब कोई वजह ही न रह जाय तब भी हो सकती है । विचारवान न होना भी हो सकता है । 
कल्पनाशील न होना भी हो सकता है । सामाजिक प्रतिष्ठा के हनन होने के कारण भी हो सकता है ।
जीवन में कभी कभी ऐसे वक़्त भी आते हैं जब आगे भी मौत पीछे भी मौत दायें भी मौत और बाएं भी मौत यानी कि दूर दूर तक हर तरफ सिर्फ मौत ही आखरी रास्ता हो और मौत के सिवा कुछ भी नहीं तब भी हो सकती है ।
कुछ ऐसी बातें, कुछ ऐसे कारनामें , कुछ ऐसे राज जिससे कानूनन मौत की सजा हो सकती है इस लिए भी आत्महत्या हो सकती है । 
ऊपर बताए गये कारणों के अलावा भी बहुत सारे कारण होते हैं लेकिन पता नहीं क्यूँ मुझे ऐसा लगता है कि वास्तविक आत्महत्या पांच परसेंट ही होती है ।
पंचानबे परसेंट हत्या को आत्महत्या का रुप देने की कोशिश की जाती है जिसमें रियल्टी से भरे हुए नाटक और सबूतों का न होना अस्सी परसेंट लोगों को कामयाब बना देती है । 

रविवार, 23 अगस्त 2020

अनपढ

मुर्ख और अनपढ में फर्क होता है ।
मुर्ख सही और गलत के फर्क को नहीं समझ पाता ।

अनपढ सिर्फ पढना लिखना नहीं जानता सूझ बूझ
और चालाकी के मामले में पढे लिखे लोगों को भी
चुना लगा देता है ।

शनिवार, 22 अगस्त 2020

रिश्ता

सब्र और विश्वास का नाम है रिश्ता ।
कोई भी रिश्ता शर्तों पर नहीं निभाए जाते ।
संबंधों में शर्तें हो सकती हैं मगर रिस्तों में नहीं ।

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

मुस्कान

तुमको या तुम्हारी हैसियत को छीनना कोई बहुत बड़ी
बात नहीं है और न मेरे लिए मुश्किल का काम ,
छीनने वाले तो होठों की मुस्कान तक छीन लेते हैं ।

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

हमदर्दी

कभी किसी को बिना मांगे अपनी मरजी से कोई राय न दें। कभी किसी को कुछ करने की सलाह न दें। 
बहुत ज्यादा अगर अपनत्व है । 
बहुत ज्यादा अगर लगाव है ।
बहुत ज्यादा अगर उसकी चिंता है ।
तो उसके कुछ न करने की समस्याओं को उसके साथ बैठ कर समझने की कोशिश करें। 
और वह कुछ करे इसके लिए अपनी सलाह न दे के बल्कि उसकी आर्थिक मदद करें निस्वार्थ भाव से। 
यह कहना अलग बात है कि वह जब सक्षम हो जाए तो उसे वापस कर दे ।
लेकिन मदद अपनी शर्तों पर नहीं होना चाहिए । इसे उसी के ऊपर छोड़ो उसके जो समझ में आए करे। 
हो सकत है कि सफल होने के लिए आप से ज्यादा आईडियाज हों उसके पास ।
कोई आदमी फालतू नहीं रहना चाहता एक कुत्ता भी रोटी के लिए दिन रात एक किये रहता है कुत्ते को पैसा नहीं चाहिए लेकिन जीने के लिए रोटी जरुर चाहिए ।
इसी तरह इंसान को तो दोनों चीजें चाहिए रोटी भी और 
पैसा भी और इस युग में तो बच्चों को भी पैसा चाहिए फिर कौन है जिसे पैसा नहीं चाहिए ।
जब आप किसी से यह कहते हैं कि कुछ करो यार तो आप कि इस बात से उसे ऐसा लगता है कि जैसे उसकी खिल्ली उड़ाई जा रही हो ।
सिर्फ यह कहने से कि कुछ करो यार ।
कुछ शुरू किजिए ।
आखिर ऐसे कबतक घुमेंगे ।
कैसे काम चलेगा ।
ये सारी बातें निराधार हैं अपनत्व और अपनों की नहीं हैं। अगर वास्तव में आप को कष्ट है उसे अपना मानते और समझते हैं तो आप उससे पूछने के बजाय उसका कोई रोज़गार शुरु करा देते लेकिन आप को तो सिर्फ बातों से हमदर्दी जताना है ।

बुधवार, 19 अगस्त 2020

आत्मनिर्भर

परासृत , परजीवी , या पराधीन रहने से न तो कभी मनोकामना पुरी होती है और न तो स्वयं के जीवन में
कभी सफलता मिलती है ।
अगर इन्हीं उपरोक्त परिस्थितियों में रहते हुए कोई अपनी मनोकामनाएं पुरी करना चाहता है और अपने जीवन में
कामयाबी भी हासिल करना चाहता है तो किसी न किसी
प्रकार का अपराध निस्चित है। 
अपराध लालच और आवश्यकताओं की जड़ है ।
ऐसी परिस्थितियों में घिरने , उलझने या अपनी संभावनाओं को तलाशने से बेहतर है कि आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की जाय ।

रविवार, 16 अगस्त 2020

रुसवाई

जिन रिश्तों में इज्ज़त , मान, सम्मान न हो। 
जिन रिश्तों में पीठ पीछे खिल्ली उड़ाई जाती हो ।
जिन रिश्तों में अनमने ढंग से बात की जाती हो ।
जिन रिश्तों में जाते ही हर किसी को बोझ महसूस होने
लगता हो, खामोशी सी छा जाए और बिना खुद बोले 
कोई कुछ बोलने को तैयार ही न हो ।
जिन रिश्तों में आप को हसी का पात्र बना दिया जाय ।
जिन रिश्तों में हर बात का कटाछ पूर्वक जवाब दिया जाय और ऐसी बात बोली जाय जो बे वजह हों जिनका बोलना न उचित हों और न जरुरी हों मन बढई में बोली जाए जो आप के दिल और दिमाग दोनों को दुखी कर दे तो ऐसे रिश्ते चाहे वो जन्म से पैदायशी मिले हों या आप ने खुद बनाये हों उससे चुपचाप मुंह मोड़ कर भूल जाना चाहिए इसी में भलाई होगी वरना ऐसे ही लोग अपने ही 
लोगों की बे वजह जग में रुसवाई करते फिरते हैं। 

मंगलवार, 11 अगस्त 2020

संतुस्टी

नास्तिकता से भरे हुए लोग भी हैं और आस्तिकता से भरे हुए लोग भी हैं दोनों की अपनी मान्यताएँ हैं दोनों के अपने विचार हैं धर्मों में भी लोगों की अपनी अपनी संतुष्टि है ।
फिर ऐसे में किसी को कुछ कहना अपनी बेवकूफी है ।
अगर किसी को कुछ कहना ही है तो उस वक़्त ही कहा जा सकता है जब आप नास्तिकता , आस्तिकता और सारे धर्मों को गहराई से समझ कर उसमें महारथ हासिल कर लें तब। 
तब उम्मीद है कि शायद ही आप किसी को कुछ कह सकें। उन्माद और जलन तो उनके अंदर पैदा होता है जो इन सब से अंजान हैं । बेहतर होगा कि लोगों के बहकावे में आने से पहले उसकी सच्चाई को जानने की कोशिश करें ।

सोमवार, 10 अगस्त 2020

कायनात

वक्त के आगे तुम एक तिनके के बराबर भी नहीं हो
जिसके आगे पूरी कायनात झुकती है ।

पानी

नायक-  "बारिश ने अपने पानी की चादर में ओढा कर मुझे भी। पानी पानी कर दिया ,। 

नायिका -  "और आप पानी की चादर ओढ़े 
हुए मुझे अपने आप से लिपटा कर मुझे भी पानी पानी
कर दिये हैं । अभी तक तो कुछ सुखा था कुछ गीला था
मगर अब तो सब कुछ भीग चुका है ,।

आदमी

हर आदमी अपने अपने चालाकी में लगा हुआ है ।
कोई ऊचाइयों को छू लेता है तो कोई गढहे में जा 
गिरता है । 

रविवार, 2 अगस्त 2020

शादी

शादी से पहले की जिंदगी और शादी के बाद की जिंदगी में अंतर होता है सब कुछ बदलने के साथ ही साथ मान्यताएँ और परंपराओं को भी ध्यान में रखते हुए उसे निभाना पड़ता है मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सिर्फ अपने मक़सद से मतलब है चाहे मान्यताएँ बिगडे़ या परंपराएं टूटे इन्हें समाज और लोक लाज किसी की परवाह नहीं  । शादी विवाह , मरनी करनी, व्रत त्यौहार इत्यादि में आना जाना आवश्यक है लेकिन कुछ परिस्थितियाँ हर जगह लागु नहीं होती जैसे आप की पत्नी त्यौहार मनाने अपने मायके चली जाए, दवा कराने अपने मायके चली जाए, हर सलाह मायके से लिए जाएं ये सब क्या है ?
अच्छे पति पत्नी के ये काम नहीं है अच्छे पति पत्नी मायका और ससुराल दोनों का ख्याल रखते हैं मगर समयानुसार । आप रोज मायके जाएं और लौट आएं ये अलग बात है । त्यौहार के अवसर पर या तो एक हफ्ता पहले जाएं या पन्द्रह दिन पहले और वहां रह कर त्यौहार मना कर आ सकती  हैं लेकिन ये काम बार बार न करें । एक बार की बात कुछ विशेष परिस्थितियों में आ जाता है । बार बार ऐसा करने से हास्यास्पद हो जाता है ।
मेरी दवा सिर्फ मयके में मिलती है ।
मेरे मायके में बहुत अच्छे अच्छे डाक्टर हैं ये भी बार बार कहना उचित नहीं है और न तो दवा कराने बार बार जाना ठीक है ऐसा करना रहस्यात्मक हो जाता है ।
ऐसा नहीं है कि हर कोई राम मनोहर लोहिया और पी,जी,आई के बगल में ही रहता है जब अटक जाती है तो पति ही अच्छा डाक्टर बताता है और ले भी जाता है ।
अगर आप किराये के मकान में रहती हैं तो आप त्यौहार 
मनाने अपने मायके या ससुराल जहां चाहें जा सकती हैं । अगर आप के ससुराल में कोई नहीं है आप अकेले हैं तो भी आप अपने घर जा सकती हैं ।
अगर आप ससुराल में अलग हैं और वहां के लोगों का व्यवहार आप के प्रति अच्छा नहीं है तो भी आप अपने 
घर जा सकती हैं । घर और ससुराल पति और परिवार सब का उचित ख्याल रखते हुए चलें कहीं ऐसा न हो की एक को बनाने में कई चीजें बिगड़ जाएं । कुछ चीजे बिगड़ जाएं तो कोई बात नहीं बनिस्बत उनके जिनका बना रहना आवश्यक है । जिससे आप को जीना है , जिसके साथ आप को जीना है ,और जहाँ आप को जीना है । इस बात का मनन करना और ध्यान देना आवश्यक है । विचारों में गंभीरता लाएं इसी में भलाई है । चाहे मायका हो या ससुराल किसी को तोड़ने की कोशिश न करे बेहतर यही होगा की दोनों को बनाए रक्खें । दोनों जगहों में अपना हस्तछेप न करें यह न सोचे कि एक टूटेगा तो दूसरा बचा रहेगा। दोनों टूटेगा फर्क सिर्फ इतना ही होगा की एक पहले टूटेगा तो दूसरा बाद में मगर टूटेंगे दोनो । बिखराव की बात सामने आने पर उसमें आग में खर डालने वाला काम न कर के उसे एक बने रहने की ही सलाह दे क्यों कि जो होना है वो तो होगा ही लेकिन अपनी वैल्यू और छवि को न बिगाडें। आप का आच्छा कर्तव्य और अच्छे विचार ही लोगों को याद आएंगे । संबंधों में आग लगाने वालों से हर कोई दूर रहना चाहता है ।

शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

लुटेरा

जबसे मैने होश सम्भाला है अक्सर मुझे ये महसूस होता है कि मैं बहुत बड़ा लुटेरा और लालची हो गया हूँ लेकिन
किसी के माल और जान का नहीं बल्कि ज्ञान का जिसके
बिना मन में हर पल एक व्याकुल्ता बनी रहती है ।

लूट

लूटने और लुट जाने की कुछ वजह होती है । तुम इस लायक कभी हुए ही नहीं कि तुम किसी को लूट सको या तुम्हें कोई लूट सके। मेरे पास ऐसी कभी कोई मजबूरी या जरुरत आई ही नहीं कि मुझे किसी को लूटना पडे ।लेकिन मेरे पास इतना था कि जिसने जितना चाहा उतना लुटा हर लूटने वाला अपनी जरुरत से ज्यादा लूट कर गया कभी कोई खाली हाथ वापस नहीं गया और मैं चुप चाप इस दुनियां वालों का तमाशा देखता रहा। ज़िन्दगी भर लूटाने के बाद भी आज भी मैं वैसे ही हूं जैसे पहले था। आश्चर्य  इस बात का है कि लोग अपनी जरुरत से ज्यादा मुझे लूटे मगर आज भी वो वहीं हैं जहाँ पहले थे आज भी मुझसे आगे नहीं हो पाए ।

बुधवार, 29 जुलाई 2020

सुरक्षा

किसी को गलत रास्ते पर चलता देख कर उसे तुरंत रोकने की कोशिश मत करना , अगर रोकोगे तो बेवकूफ, जलन रखने वाले और उसकी कामयाबी में बाधक बनने वाले दुश्मन कहलाओगे और इन्हीं सब नजरिए से वो हमेशा आप को देखेगा । इन सब से रोकने के लिए किसी माध्यम का प्रबंध करो जिनकी बातों को मानना उसकी मजबूरी हो ।
दूसरा पहलु -
दौर के मुताबिक, लोगों के सोंच के मुताबिक अगर उसे उसी के अपनाए हुए रास्ते के मुताबिक अपनी सलाह दे दो जिसे वो ढूँढ रहा है तो आप उसके सबसे करीबी हो जाओगे , सबसे अच्छे शुभ चिन्तक बन जाओगे । उसे ये एहसास हो जाएगा कि आप उसके साथ हैं और उसके भलाई के बारे में सोंचते हैं ।
तीसरा पहलू - 
अब यह आप के उपर निर्भर करता है कि आप क्या चाहते हैं किसी को भलाई के रास्ते पर लाना चाहते हैं कि बुराई के सहायक बन कर वाहवाही पा कर अपना कुछ स्वार्थ पुरा करना चाहते हो । जब की आप का नाम दोनों में आएगा चाहे बुराई हो या भलाई, आप का मक़सद क्या था ये राज भी खुलेगा । इस लिए आप के हर तरह के विचार आप के साथ हैं अपनी सुरक्षा, अपने लोगों की सुरक्षा और अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए आप कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं ।

दुख

दुख तो इस बात का है कि बिना चाहे ही दुख खेर लेता है
सुख की चाहत में न जाने कबतक दुखी रहना पड़ेगा। 

मंगलवार, 28 जुलाई 2020

स्वर्ग

अगर मेरा बस चलता इस दुनियां में न आने का तो मैं
स्वर्ग छोड़ कर इस नर्क में कभी नहीं आता। 
इस दुनियां में आने पर और इस दुनियां से जाने पर किसी का कोई बस नहीं चलता ।

औकात

मर्द की औकात औरत चंद दिनों में जान लेती है लेकिन
औरत की औकात जानने में मर्द की पूरी ज़िन्दगी गुजर
सकती है ।

सोमवार, 27 जुलाई 2020

दोस्त

 दोस्त किसे कहते हैं ?
इसके बारे में मैं अपने विचार बताउगा ।
दोस्त का शाब्दिक अर्थ संधिविछेद कर के देखें -
दो + अस्त = दोस्त ।
दो का मतलब एक और एक दो ।
अस्त का मतलब ढूबना ।
जब दो लोग आपस में एक दुजे के विचारों में 
समस्याओं में , सुख, दुख में , वर्तमान में , भविष्य में 
सोते जागते, डुबे रहते हों तो उन्हें दोस्त कहा जाता है ।
इसी परिस्थिति में ये वाक्यांश आते हैं जैसे -
जो कुछ मेरा वो सब तेरा  ।
जो कुछ तेरा वो सब मेरा  ।।
इसे ही दोस्त कहते हैं जहाँ कोई हिसाब नहीं होता ,
जहाँ कोई स्वार्थ नहीं होता , जहा सिर्फ शान्ति होती है
मन और मस्तिष्क की, जहां सिर्फ आनन्द होता है ह्रदय
के प्रेम का, जहां न कोई तुम रहता है और न कोई मैं 
वहां सिर्फ हम होते हैं ।
फिर किसी एक का दुख नहीं होता , वह दुख हमारा हो
जाता है , सुख हमारा हो जाता है , असफलता हमारी हो
जाती है , सफलता हमारी हो जाती है , आदि इत्यादि ।
क्या आप ने कभी ऐसी दोस्ती की है या हुई है ?
सिर्फ साथ रहने से। साथ घूमने से। साथ कुछ काम करने से दोस्ती का नाम नहीं दिया जा सकता है इसे पहचान 
कहा जा सकता है । इसे परिचित कहा जा सकता है ।
इसे विश्वास कहा जा सकता है । इसे एक भरोसा कहा जा सकता है । इसे पार्टनर कहा जा सकता है ।
आप के साथ रहने वाला व्यक्ति आप के साथ मौल में भी
जाता है , बिग बजार में भी जाता है , मार्केट में भी जाता है आप अपने लिए शौपिंग करते हो जो जो चीजें आप अपने लिए लेते हैं क्या उसके लिए भी लेते हैं जो आप के साथ है नहीं न । इसी लिए अपने बराबर हर चीज़ उसके लिए नहीं खरीद सकते क्यों कि वह आप का दोस्त नहीं है आप तो सिर्फ दोस्ती के नाम पर उसे लपेटे हुए हैं । हर पल हर जगह साथ रहने वाले व्यक्ति को आप ने दोस्ती का नाम दे कर बहकाया है और आप उसे साथ लेकर अपना स्वार्थ पुरा करने में लगे हैं आप जब कुछ खरीदते हैं और उसी से पुछते भी हैं कि अच्छा है न, ठीक लगेगा न और सिर्फ अपने लिए लेते हैं तो वो आप की इस हरकत से एहसास कर लेता है कि आप उसके लिए क्या हैं और कितने करीब हैं और उसके किन किन मामलों में शामिल हैं इससे साथ रहने वाले को दुख होता है वह सोचता है कि अगर मेरे पास भी पैसा होता तो जो उसके लिए पसंद किया है वैसे ही अपने लिए भी अपनी पसंद की चीजों को खरीदता इस लिए आप को जब भी कुछ भी लेना हो तो अकेले ही जाएं किसी ऐसे परिचित को साथ न लें जिसे आप अपना दोस्त कहते हैं ।
आप लोगों से निवेदन है कि दोस्त और परिचित के फर्क 
को समझने की कोशिश करें दोस्ती के नाम को कलंकित
कर के उसे बदनाम न करें ।

गुरुवार, 23 जुलाई 2020

आकर्षण

सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र तो ये दुनिया ही है ।
80% ईस्वर द्वारा बनाया गया बाकी 20% दुनियां में
आने वाले लोगों के द्वारा निर्मित हुआ है और हर दिन कुछ न कुछ बनता बिगड़ता रहता है जो अपनी ओर आकर्षित कर के लोगों को भ्रमित कर देती हैं ।
ये कभी न कभी सबको एहसास होता है कि हम अमर 
लोक में नहीं बल्कि मृत्यु लोक में रहते हैं जिसे छोड़ कर
हर किसी को एक दिन जाना ही पड़ेगा लेकिन किसी न किसी आकर्षण में फंस कर भ्रमित हो कर भूल जाते हैं ।
और ऐसा बहुत कुछ कर जाते हैं लोग कि जो एक मानव
के द्वारा दूसरे मानव के लिए उचित नहीं होता ।
फिर भी सब कुछ भूल कर जीने की जगह अच्छी है जो
पूरी तरह होश में आ जाएं और सभी आकर्षणों से दूर 
होकर जीना चाहें तो एक पल भी यहां जी पाना नामुमकिन है । वक़्त काटने के लिए किसी न किसी चीज को अपनाना पड़ता है मगर कोई भी ऐसी चीज न करें जिससे लोगों को नुकसान हो ऐसा करें कि खुद के साथ ही साथ लोगों का भी भला हो और विश्व के अंदर नई चेतना का संचार हो ।

मंगलवार, 21 जुलाई 2020

तुम

जिस दिन से तुम मुझे अपना महसूस करने लगोगी उस
दिन से न तुम, तुम रह जाओगी और न मैं , मैं रह जाउंगा 
इसे कहते हैं दो जिस्म और एक जान। 

सोमवार, 20 जुलाई 2020

कोसिश

उस हर गलत काम में बडी तेजी से सफलता मिलती है जिसकी तुम्हारे ज़िन्दगी में कोई जरुरत नहीं है ।
जब भी सही काम करने की सोचोगे तो हर कदम पर 
रुकावटे आएंगी मगर कोशिश बन्द नहीं करना है ।

रविवार, 19 जुलाई 2020

गलती

कुछ गलतियां नासमझी में होती हैं ।
कुछ गलतियां अनजाने में होती हैं  ।
अफसोस दोनों का उतना ही होता है 
जितना जान बुझ कर हो जाने वाली 
गलती का होता है ।

समझो

आपस में की जारही बात को समझने के दो ही रास्ते हैं
1- कही गयी बात को मान लो ।
2- या तो झेल कर समझो ।

शनिवार, 18 जुलाई 2020

मंजिल

जिस दिन से आप के दिल और दिमाग से मौत का डर 
निकल जाएगा उस दिन से थोड़ा दिन और मेहनत करना
पड़ेगा आप को आप कि मंजिल मिल जाएगी ।

दौर

आज वो दौर नहीं है जो पांच महीना पहले था  ।
आज हर लोगों के चेहरे पर घबराहट और डर है 
चाहे वो कोरोना जैसी बीमामारी का हो या अपनी
जरूरतों को पूरा करने का हो ।
लगभग 80% लोग गहरे चिंतन और डिपरेशन के
शिकार हैं जिसकी मौजूदा बहुत सारी परिस्थितियां
हैं जिसके व्याख्यान की जरूरत मैं नहीं समझता 
नहीं पूरे तो एकाध कारण तो आप के साथ भी होंगे
जिससे अंदाजा लगा सकते हैं ।
सबकी दिक्कतें अलग अलग हैं, सबकी आवश्यकताएं 
अलग अलग हैं कल जो बहुत प्रेम से मिलता था आज
वह बहुत जल्दी में रहता है यदि आप ने रोक दिया तो
बस औपचारिकता निभाते हुए एक दो बातें हो जाती हैं
मगर उन बातों में भी मजबुरियां और समस्याएं ही होती हैं मेरे सर्वे से यह महसूस हुआ कि आज के इस परिवेश में लोगों को सहानुभूति की कोई जरुरत नहीं है ।
अगर आप किसी का भला चाहते हैं आज आप सक्षम हैं 
तो अपने करीबी लोगों को आर्थिक सहायता करें चाहे वो
थोड़ा हो या ज्यादा ताकि उनकी कुछ तो दिक्कतें दूर हों 
भले ही आप के माध्यम से एक दिन ही चैन से गुजरे ।
आज इससे बड़ी कोई सहानुभूति नहीं है ये हमेशा याद रहेगी। बहुत सारे लोग हैं जो हर तकलीफ को चुपचाप
सकते रहेंगे मगर किसी से कहेंगे नहीं अगर आप उनको
कुछ देंगे तो वो नहीं नहीं ही कहेंगे मगर अब आप के उपर निर्भर करता है कि इस सहानुभूति रुपी सहायता को आप कि अंदाज में पुरा करते हैं कि उसे खुशी भी हो और वो ले ले । आप के अच्छे विचारों और सहयोग की भावना में ईश्वर अल्लाह आप की मदद करे। 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

नजरिय

क्या बात है आज बहुत अच्छे लग रहें हैं आप ?
मैं तो जैसे रोज रहता हूँ वैसे ही आज भी हूं आप
के प्यार भरे नजरिये से देखने का कमाल है ।
हो सकता है कि आज से पहले आप ने इस नजरिये
से न देखा हो कि मैं अच्छा लगता ।

सोमवार, 13 जुलाई 2020

मकान

गांव में पड़ा मेरा सात खंड का मकान जो मिट्टी, लकड़ी
और खपरैल का बना हुआ है बीस वर्सों से मेरे इंतज़ार में
ढह रहे हैं उनकी सिर्फ लकड़ी बेच दूं तो तुम्हारे फ्लैट जैसे सात फ्लैट और आ जाएंगे ।

शनिवार, 11 जुलाई 2020

बात

फिल्म जो दिखाएगा वही आप देखेंगे। वहां आप के सवाल सुनने वाला कोई नहीं है और न तो जवाब देने वाला ।
फिल्म की स्टोरी लिखने वाला कोई और होता है । फिल्म को बनाने वाला कोई और होता है और फिल्म में काम करने वाला कोई और होता हैं । यही हाल न्यूज पेपर, मैगजीन, किताबें, टीवी सिरियल्स, टीवी न्यूज इत्यादि की भी होती है । जिसे चुपचाप आप देखते , सुनते या पढते हैं । मगर जब चार लोग बैठ कर आपस में बात करते हैं तब आप खामोशी से न बैठ पाते हैं न किसी की बात पुरी सुन पाते हैं हर किसी के बात का जवाब आप के पास रहता है ।
भले आप को उचित अनुचित का फर्क न समझ में आया हो भले आप के जवाब का सर पैर न हो भले आप को इस बात का ज्ञान न हो कि बात किससे की जा रही है और कौन कर रहा है लेकिन सभी के बातों का जवाब देने का जिम्मा आप ही ले लेते हैं जब की ये गलत है ।
चार लोगों के बैठने पर बात चित तो होना तै है मगर जिससे जो बात कर रहा हो या कुछ पूछ रहा हो तो वहाँ खामोशी जरुरी है कभी कभी जब पहले के पास जवाब नहीं होता तो वो दूसरे से पूछता है । कभी कभी ऐसा भी होता है कि कोई अपनी बात या राय सामूहिक रखता है जिसमें कोई भी अपनी राय या सहमती दे सकता है लेकिन बेहतर तो यही होगा कि जबतक आप से जवाब, राय या सहमति न मागी जाय तबतक आप खामोश ही रहें तो ही अच्छा है बीच बीच में कूद कर अपनी छवि न बिगाडे ।
बात चित करने का ढंग क्या होता है उसे जानें बहुत सारे 
लोग ऐसे भी हैं कि दो लोगों के बीच में यानी आपस में ही अपने आगे सामने वाले की कुछ सुनते ही नहीं अब आप ही जरा सोच कर बताएं कि कैसे बात किया जाए  ? 
समझ में नहीं आता कि ये लोग खामोशी पूर्वक कैसे तीन घंटे फिल्म देख लेते हैं या कुछ पढ लेते हैं ।

वकील

मैं एक वकील हूँ जादूगर नहीं 
वहां कोर्ट में लडाई सबूतों पर लड़ी जाती है 
कल्पनाओं पर नहीं , झूठ हो या सच सबूत सब के पेश
करने पड़ते हैं ।

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

बर्दास्त

जिंदगी को जिने के लिए और उसे खुशहाल बनाने के लिए जजबात की जरूरत नहीं होती बल्कि बर्दास्त की जरूरत होती है बहुत कुछ सुनना पड़ता है , बहुत कुछ झेलना पड़ता है , बहुत कुछ बर्दास्त करना पड़ता है ।
जिंदगी अपने सही ढर्रे पर एक दो दिन में नहीं आती और
न एक दो साल में आती है काफी वक़्त लगता है ।