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शनिवार, 15 जून 2019

बहुत गहरी उदासी है

बहुत गहरी उदासी है   ।
मुहब्बत आज प्यासी है ।।
मिले थे फूल जो ताज़ा   ।
वो बिस्तर आज बासी है ।।
बहोत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,

एक वक्त साथ का        ।
एक वक्त याद का        ।।
सिमट रही है शाम भी   ।
उल्झन अच्छी-खासी है ।।
बहुत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,

वो ऐसी रात गुजारी है    ।
कि जैसे उम्र गुजरी है    ।।
जो उतरी रूह में खुशबू  ।
अभी सांसों में जरा सी है ।।
बहुत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,

कोई ख्वाहिश न बाकी थी ।
अभी तो रात आधी थी    ।।
कि जैसे फूल पे शबनम    ।
वो मुझपर बे लेबासी है     ।।
बहुत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

एक पंखुडी गुलाब की  ।
एक पंखुडी जनाब की  ।।
होश में तब हम कहाँ थे ।
बिछड़ना लगती फांसी है ।।
बहोत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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