बहुत गहरी उदासी है ।
मुहब्बत आज प्यासी है ।।
मिले थे फूल जो ताज़ा ।
वो बिस्तर आज बासी है ।।
बहोत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,
एक वक्त साथ का ।
एक वक्त याद का ।।
सिमट रही है शाम भी ।
उल्झन अच्छी-खासी है ।।
बहुत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो ऐसी रात गुजारी है ।
कि जैसे उम्र गुजरी है ।।
जो उतरी रूह में खुशबू ।
अभी सांसों में जरा सी है ।।
बहुत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कोई ख्वाहिश न बाकी थी ।
अभी तो रात आधी थी ।।
कि जैसे फूल पे शबनम ।
वो मुझपर बे लेबासी है ।।
बहुत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
एक पंखुडी गुलाब की ।
एक पंखुडी जनाब की ।।
होश में तब हम कहाँ थे ।
बिछड़ना लगती फांसी है ।।
बहोत गहरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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