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गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

अवसर जब आता है

अवसर जब आता है , तो समझ में जल्दी नहीं आता , क्यों कि यह हजारों निगेटिव सवाल खड़ा कर देता है।
लोग निगेटिविटि से भर जाते हैं।
निगेटिविटि बहुत ही चालाक और समझदार बना देती है।
अवसर को छोड़ने के लिए निगेटिविटि दिमाग में यह भर देता है कि यह पहली बार नहीं है ये तो फिर आएगा कभी भी शुरु कर लेंगे।
जब अवसर चला जाता है तब यह एहसास होता है कि मैंने आए हुए अवसर को छोड़ कर गलत किया था , फिर सिर्फ पस्ताने के सिवा कुछ नहीं रहता और लोग अक्सर बात ही बात में एक कहानी की तरह लोगों से कहते भी हैं कि यह अवसर पहले मेरे ही पास आया था , लेकिन मैंने शुरु नहीं किया। 
जिसने किया आज वो बहुत आगे निकल चुके हैं । अब पहचानते भी नहीं।
यदि वही अवसर जिंदगी में कभी दुबारा आ जाता है तो उसके माध्यम से अपने गोल को अचीव करना उतना आसान नहीं होता जितना कि पहली बार के अवसर में आया था।
क्यों कि अवसर एक ही हो सकता है लेकिन लाने वाले व्यक्ति अलग अलग हो सकते हैं । 
जितनी आसानी , जितनी सुविधाएं , जितना सहयोग पहली बार आए हुए अवसर में हमें प्राप्त होता है । वही चीजें दूसरी बार के अवसर में नहीं होती , इस लिए अगर कोई अवसर आप के पास आया है या आता है तो वह बहुत ही साधारण तो दिख सकता है लेकिन जब आप उसे अच्छी तरह से समझेंगे तो उसमें आप को अपने गोल को प्राप्त करने का रास्ता जरुर नज़र आएगा ।
सकारात्मक सोंच ही सकारात्मक दिशा को दिखा सकती है । नकारात्मक सोंच हमेशा ग़लत दिशा की ओर ले जाती है ।
इस लिए नकारात्मक और सकारात्मक यानी निगेटिव और पाजेटिव दोनों विचारों कि तुलना कर लेना चाहिए जिसमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि निगेटिव / नकारात्मकता बीस न पड़े ।
अब यहां एक समस्या यह उत्पन्न होती है कि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं कि जो इन दोनों की तुलना एक साथ नहीं कर पाते जिसका नतीजा यह होता है कि कोई निगेटिव से भरा होता है तो कोई पाजेटिव से भरा हुआ है । 
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दोनों में फर्क करना जानते हैं ।
ऐसी परिस्थितियों में जो तुम्हारी नज़र में सही लगे उससे सलाह अवश्य लें , और फिर आत्ममंथन करें ।

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