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रविवार, 20 अगस्त 2023

दुनियां का सारा निचोड़ तो सिर्फ तुम में ही है

जब तुम मेरे पास होते हो ........... ।
तो न कहीं जाने को मन करता है और न किसी परिचित या मित्र से मिलने का जी चाहता है ।
मन बस यही चाहता है , कि चुपचाप तुम्हारे साथ तुम्हारे पास ही पड़ा रहूं  लेकिन जब किसी का फोन आ जाता है । तब बहुत डिस्टर्बेंस महसूस होता है , और जब कोई मिलने को कहता है । तब तो और भी मन खौल उठता है , लेकिन जब कोई यह कह देता है , कि मैं आप से मिलने के लिए आ रहा हूं । तब तो ऐसा लगता है , कि जैसे मेरी जान ही निकल जाएगी । 
क्या करुं यह सब , तब ही होता है । जब तुम मेरे पास मेरे साथ होते हो............. ।
सोचता हूं कि वह दिन कैसा होगा ?
उस दिन का एक - एक पल कैसा होगा । 
जब तुम मेरे साथ मेरे पास नहीं होगे ।
दुनियां की सारी रंगीनियां ............. ।
दुनियां के सारे ऐशो-आराम ..…....... ।
दुनियां का सारा निचोड़ तो सिर्फ तुम में ही है ।
मेरे बिना हो सकता है कि तुम कुछ हो सकते हो ।
लेकिन तुम्हारे बिना तो मैं कुछ भी नहीं हूं ।
तुम्हारे ऊपर मेरा कोई प्रतिबंध नहीं है....... ।
तुम्हारे ऊपर मेरा कोई दबाव भी नहीं है.......... ।
यह सिर्फ इस लिए है , कि मुझे तुम्हारे ऊपर अटूट विश्वास है , और इससे भी ज्यादा अगर कुछ है । तो वह तुमसे बे पनाह मुहब्बत है ।
ये अलग बात है कि मैं एक जिस्म में हूं , लेकिन 
मेरी हर धड़कन....... ।  
मेरी हर सांसें...... । 
यहां तक कि मेरी जान भी तुम्हारे अंदर ही है ।
मेरा जीना भी तुमसे ही है और
मेरा मरना भी तुमसे ही है ।
तुम्हारे बगैर मैं सिर्फ एक ढांचे की तरह ही हूं ।
मेरे लिए ..... । 
मुझे इस दुनियां में ज़िंदा रहने के लिए ।
तुम्हारा मेरे पास होना ज़रूरी है ।
तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है ।
तुम्हारी ज़रा सी भी उदासी.....। ख़ामोशी..... । और मायुसी..... ।
मेरा सुख चैन सब छींन लेती है ।
जब कभी फुर्सत के वक्त मिले , तो दो मिनट के लिए ही सही मगर एक बार मेरे बारे में भी जरुर सोंच लेना ।
मुझे उम्मीद है कि तुम्हें इस बात का एहसास हो जाएगा , कि तुम्हें मैंने किस नज़रिए से देखा है । तुम्हें अपना क्या समझा है ।
तुम्हें अपने रुह की गहराइयों से क्या महसूस किया है....... ।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन

कुछ काम भी ऐसे हैं । कुछ बातें भी ऐसी हैं । जिन्हें हम लोगों की नज़रों से छुप - छुप कर करते हैं ।
जहां तन्हाई होती है  । जहां हम अकेले होते हैं  । न तो किसी के होने का भय और न तो किसी के आने कि चिंता  । उस समय आपस की सारी शर्मोहया की दीवारें टूट जातीं हैं । आपस का सारा भय मिट जाता है ।
इस एकांत तन्हाई में निर्भय होकर क्या होता है । इसको हम भी जानते हैं और आप भी जानते हैं ।
यही चीज जब सामाजिक हो जाती है । सभी के संज्ञान में आ जाती है , कि यह दो लोग अब एक सुत्र में बध चुके हैं । अब ये दोनों लोग अपना जीवन अपने हिसाब से जीएंगे । तब हम दोनों एक साथ एक घर में होते हैं  ।
जिस घर में हम होते हैं । उस घर में एक पुरा परिवार भी होता है । जहां सबको पता होता है कि हम दोनों आपस में क्या हैं और फिर हम दोनों सभी के कुछ न कुछ तो लगते ही हैं ।
उस समय बहुत लाज लगती है । जिस समय हम दोनों अकेले एक रुम में होते हैं । यह बात हर पल दिमाग़ में घूमती रहती है , कि इस अकेले पन में क्या हो सकता है  । आखिर यह तन्हाई किस लिए है ? इस बात को तो इस घर में रहने वाले अधिकतर लोग जानते होंगे ।
यह विचार उस तरह की जिंदगी नहीं जीने देता जो जिंदगी पहले के अकेलेपन में था  । जब लोगों से लुका छुपी में  बीत रहा था ।
उस समय हम निर्भय थे । आपस के एक विचारधारा में थे । एक ही सोंच और एक ही ख्याल में थे । तब विचारों के विचलित होने का भी कोई डर नहीं था ।
लेकिन परिवार में तो एकाग्र होना । निर्भय होना । एक सुत्र में बंध कर हर छण को जी पाना संभव ही नहीं हो पाता है ।
क्या इस घरेलू परंपरा से समाज में सभ्यता क़ायम हो सकती है ?
मेरे समझ से शादी तब हो जब अपना निजी घर हो लेकिन ऐसा भारत में पांच पर्सेंट लोग ही कर सकते हैं  । पंचानबे पर्सेंट लोगों को तो अपने पिता के घर में ही रहना पड़ता है  । इस मुआमले में पिता खुद यह चाहता है , कि मेरी पतोह मेरे ही घर में रहे  । जब कि बहुत कम घर ऐसे होते हैं कि जहां छोटा परिवार है  । हमारे देश में अधिकतर ज्वाइंट फैमिली हैं । जिसमें विवाहित लोग भी होते हैं और अविवाहित लोग भी होते हैं  ।
मस्तिष्क है तो सोचना समझना तो सभी को पड़ता है  । कोई भी आज के दौर में  इस परंपरागत बातों से अंजान नहीं है  , फर्क सिर्फ इतना ही है कि सभी लोग खामोशी साधे हुए परंपरागत तरीके से इसे सेलिब्रेट करते हैं  । जब कि यह परंपरा नहीं है , कि हम उसी ज्वाइंट फैमिली वाले मकान में रहें  । आर्थिक अभाव ने इस समस्या को सहते - सहते परंपरा बना दिया है ।
लगभग पंचानबे पर्सेंट लोगों को अपना घर बनाना पड़ता है  , लेकिन तब , जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और आगे वही चीजें वे बच्चे भी झेलते हैं  , जो हम आप अपने पिता के ज्वाइंट फैमिली में झेलते हैं ।
इस लिए हर माता-पिता और हर सास - ससुर को चाहिए कि दहेज़ और दिखावे को त्याग कर उन दिनों को एक मकान की व्यवस्था में सहयोग करें जिससे ये दोनों अपनी जिंदगी अपने शौक , अपनी खुशियों और अपनी चाहतों के मुताबिक जी सकें ।
ऐसा करने से कोई किसी से बिछड़ नहीं जाता है और न तो दूर हो जाता है , बल्कि परिवार , भाई , बहन , रिश्तेदार सभी से लगाव बढ़ जाता है । सभी से आपसी प्रेम और भाईचारा बना रहता है ।
यह खंडित तब हो जाता है  । इसमें नफरत तब पैदा हो जाती है । जब आपसी विवाद कर के हमें या आप को या आने वाली संतानों को अलग-अलग होना पड़ता है ।
सारा जीवन फुर्सत और तन्हाई का समय ढूंढने में निकल जाता है । बिड़ले ही होंगे जिन्हें ऐसा समय मिलता होगा । अगर हया है । लाज और शर्म है तो ऐसे समय का मिलना बहुत बड़ा सौभाग्य के समान होता है अन्यथा आदमी अगर बेशर्म हो जाय तो समय भी है । फुर्सत भी है । उनके होंठों पर चुप्पी भी है जिन्होंने उन्हें इस के लिए मान्यता दी है ।
चाहे बच्चे हों , जवान हों या बूढ़े हों ।
सबको सब मैनेज कर लेते हैं  ।

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन ।।

बुधवार, 9 अगस्त 2023

एक दिन बिक जाएंगे माटी के मोल

सत्कर्म और कुकर्म अलग-अलग हैं ।
इबादत और पूजा अलग-अलग हैं ।
पुन्य और पाप दोनों अलग-अलग हैं ।
पाप पाया नहीं जाता कमाया जाता है ।
पाप के लिए कुछ करना पड़ता है ।
कुछ पाप अंजाने में होते हैं ।
कुछ पाप जान बूझ कर होते हैं ।
कुछ पाप के हम भागीदार होते हैं ।
कुछ पाप हमें विरासत में मिलते हैं ।
बिना कमाए हुए पाप जो हमें विरासत में मिलते हैं
वो अपने लोगों के कुकर्म की देन है ।
जो कई पीढ़ी पीछा नहीं छोड़ती ।
इसी तरह पुन्य भी कमाया जाता है ।
पुन्य भी विरासत में मिलती है ।
जो कई पीढ़ी तक पीछा नहीं छोड़ती ।
जिस कर्म से लोगों को दुःख पहुंचे और उस दुःख में लोगों के मुंह से बद्दुआ निकले , हाय भी निकले , अभिशाप भी निकले एवं श्राप भी निकले ।
यह निकलना जारी हो जाता है ।
लोगों के हर रोज की बातों में और बातों ही बातों में लोगों के द्वारा दी गई कभी किसी मिसालों में लोग चरित्र हीनता और कुकर्मता का प्रमाण देते हैं ।
ऐसे ही सत कर्म से जब लोगों के हाथ आशिर्वाद के लिए उठ जाएं , जब लोगों के मुंह से दुआएं निकल पड़े , जब लोगों के बीच अच्छाईयों की चर्चा होने लगें , तब भी मिसालों में नाम आने लगता है ।
यह सब कमाई गयी चीजें हैं , जो अपने जीवन से लेकर अपने पीछे आने वाले लोगों तक को मिलती हैं । लोगों के चर्चाओं में भी और लोगों के मिसालों में भी । इस लिए हमेशा इस बात का ध्यान होना चाहिए कि हमारी वाणी और हमारे कर्तव्य किसी को दुखी न करें ।
जब कभी अपनी शिकायत सुनो तो समझ लो कि कहीं कुछ गलती हुई है । यही चीज़ कुकर्मता की ओर ले जाना शुरु करती है । तब अपने सत्कर्म को बढ़ाना शुरु कर दो , जब तुम्हारे कुकर्म का पलड़ा भारी होने लगें तो सत्कर्म का पलड़ा भारी करना शुरू कर दो ।
ये कोई और नहीं करेगा ये तुमसे शुरु हुई है तो तुम्हीं से खतम भी होगी । कहीं ऐसा न हो कि तुम इस दुनियां से चले जाओ और सब अपने आने वाले लोगों के लिए विरासत में छोड़ जाओ और पीढ़ी दर पीढ़ी लोग आप की बातें और मिसालें सुनते रहें ।
एक दिन बिक जाएंगे माटी के मोल ।
जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल ।।

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

भविष्य वक्ता

जो भविष्य वक्ता होते हैं । 
जो लोगों के भविष्य के बारे में एक - एक पल को जानते हैं । ऐसे लोग बहुत ही विशाल ह्रदय के होते हैं । लोगों के भविष्य को देख कर यह जानते हुए भी कि आगे आने वाला समय अंधकारमय है , फिर भी वह यही कहते हैं , कि आगे आने वाला समय बहुत ही उज्जवल और लाभदायक होगा , धन से अमीर होने की संभावना है ।
दुश्मन मित्र हो जाएंगे , और मित्र सबसे बड़े सहयोगी हो जाएंगे ।
यह खुशफहमी से भरा हुआ एक सब्जबाग है ।
जिसकी खुशी में आदमी बिन्दास जीता है , क्यों कि उसके दिमाग में यह गुंजता रहता है कि अब मैं अमीर बन जाउंगा , कोई मेरा अनहित नहीं कर सकता । अब तो सब मेरे हित में ही होंगे ।
चलो ये भी ठीक है , कम से कम झूठी तसल्ली और झूठी गलतफहमी में ही सही , आदमी अपने अच्छे दिनों के इंतजार में खुशी से जीता तो है ।
अब आगे ईश्वर ही जाने कि वह भविष्य वक्ता की बातों को सही करेगा या उस बात को सही कर देगा जिस बात को भविष्य वक्ता ने सामने वाले के दिल को रखने के लिए अपने तरफ से बना कर कही है ताकि वह अपने जीवन से निराश न हो सकें ।
लेकिन आज के दौर में हर आदमी अपने आप में माडलाईज एवं आर्टिफिशियल भविष्य वक्ता बना घूम रहा है ।
जब जिसको चाहा यह कह देते हैं कि अब तुम्हारे भीख मांगने के दिन करीब आ गये हैं ।
ऐसा इस लिए है कि हर लोग यही चाहते हैं , कि जो कोई भी कुछ करे तो उनसे राय मशविरा जरुर करें । भले ही वो अपन सारा काम स्वयं करें किसी से कुछ पूछने या बताने की आवश्यकता नहीं समझते है । लेकिन जब आप से एक छोटी सी भूल या चूक हो जाती है तो उसपर अपने ज्ञ्यान का पिटारा खोल देते हैं । जब कि खुद को कभी मुड़ कर यह नहीं देखते कि स्वयं से कभी भूल या चूक हुई है या नहीं या मैंने खुद आज तक कितनी सफलताएं हासिल की है , मगर इन सब बातों की कोई प्रवाह नहीं है । उन्हें तो अपनी भविष्यवाणी देना ज़रूरी है ।
निष्कर्ष - 
यदि आप किसी का सहयोग नहीं कर सकते हैं , तो किसी के मनोबल को गिराने का कार्य कभी भी न करें । जहां तक हो सके मित्रवत भाव से सहयोग और व्यवहार करें , उसके मनोबल को ऊंचा उठाने की कोशिश करें । यदि उसके कार्य में कोई चूक या भूल हो गई है , तो उसे खूबसूरत अंदाज में सही सुझाव दें , जिससे उसे इस बात का एहसास हो सके कि मेरे साथ भी कोई सहयोगी और मार्गदर्शक के रुप में है ।
ऐसा कभी न कहें कि यह गलती या चूक जो तुमसे हुईं है वो इस लिए हुईं कि , तुमने अपने इस काम के बारे में न तो मुझे कभी बताया और न तो मुझसे कभी राय लेना उचित समझा , बल्कि यह कहें कि
कोई बात नहीं इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है । यह चूक और गलती तो अक्सर लोगों से हो ही जाती है । इसके समाधान का कोई रास्ता निकाला जाएगा । कोई समस्या ऐसी नहीं है कि जिसका समाधान न हो । आप निराश न हों , बल्कि प्रयास करते रहें ।

शुक्रवार, 30 जून 2023

बाहर कहीं कुछ भी नहीं है जो कुछ भी है वह सब तुम दोनों के अंदर ही है ।

पुरुषों को कभी ये उम्मीद नहीं रहती कि कोई महिला उसकी सुन्दरता की तारीफ करे ।
लेकिन हर महिला को ये उम्मीद करती है कि हर पुरुष उसके सुन्दरता की तारीफ करे ।
पुरुष के बिना महिला की जिंदगी कोई जिंदगी नहीं है फिर भी हर महिला के दिमाग में यह ग़लत फहमी कूट - कूट कर भरी हुई है कि उनके बिना पुरुष जी ही नहीं सकता , इन्हें यह भी लगता है कि हर पुरुष सिर्फ महिलाओं के अंग का प्यासा है ।
अगर वास्तव में महिला चरित्रवान है तो उसे पुरुष के अहमियत का एहसास होगा ।
अगर चरित्रवान नहीं है तो एहसास का कोई मतलब नहीं , फिर भी उसके जीवन में पुरुष ही होता है चाहे तुम हो या कोई और हो ।
कभी कभी तो दोनों होते हैं घर में तुम और बाहर में वो । अब तुम्हीं बताओ कि अंगों का भूखा प्यासा सबसे ज्यादा कौन है महिला या पुरुष ?
किसी के उपर आरोप लगाना आवश्यक नहीं है बल्कि एहसास का होना आवश्यक है ।
अच्छे और साकारात्मक विचार का होना आवश्यक है । गंभीरता का होना आवश्यक है ।
दोनों एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण हैं परन्तु महत्वपूर्णता का सार समझ में आना आना आवश्यक है । 
संबंध मनमाने ढंग से बना लेना न तो कोई मतलब है और न तो हत्वपुर्ण यह तो अन्याय और पाप का रास्ता है जो कभी पीछा नहीं छोडता है ।
संबंध जो सामाजिक ढंग से सबकी सहमति से जोड़ा गया है यह महत्वपूर्ण है फिर आपस में ब्लेम और कमेंट कैसा अपने जीवन को आपस में अर्जेस्ट करो एक दूसरे को समझो और उस ईश्वर का शुक्रिया करो कि ईश्वर ने जो तुम्हें दिया है उसी में अपनी खुशियों को तलाशो , जीवन को शांत और खुशनुमा माहौल देकर जीना सीखो ।
तुम जो ढूंढ रहे हो वह बाहर कहीं कुछ नहीं है जो कुछ भी है वो सब तुम दोनों के अंदर ही है ।
तुम्हें कोई गर्लफ्रेंड बनाने की जरूरत नहीं है
तुम्हें कोई ब्वायफ़्रेंड बनाने की जरूरत नहीं है
तुम्हें कोई प्रेमी बनाने की जरूरत नहीं है 
तुम्हें कोई प्रेमिका बनाने की जरूरत नहीं है
बस तुम्हारी सोच और नजरिए का कमाल है
अपनी सोच को बदलो , अपने नजरिए को बदलो
जो तुम्हारी पत्नी है उसी में गर्लफ्रेंड और प्रेमिका भी है बस नजरिए को बदल कर देखो ।
जो तुम्हारा पति है उसी में ब्वायफ़्रेंड और प्रेमी भी है बस नजरिए को बदल कर देखो ।

मंगलवार, 27 जून 2023

समय का चक्र अनवरत चलता रहता है

अगर साधु के घर में शैतान पैदा हो सकता है ,तो शैतान के घर में साधु भी पैदा हो सकता है ।
अमीर के घर में ग़रीब भी पैदा हो सकता है और
ग़रीब के घर में अमीर भी पैदा हो सकता है ।
समय का यह चक्र है जो कभी रुकता नहीं अनवरत चलता ही रहता है ।
किसी को देख कर उसका जजमेंट मत करो वो जो कुछ भी है अपने नसीब से है और तुम जो हो तो तुम भी अपने नसीब से ही हो इस लिए जजमेंट हमेशा खुद की करो अपने अच्छाईयों और बुराईयों की क्यों कि यही तुम इस दुनियां से लेकर जाओगे और यही तुम अपने जानने वालों के लिए चर्चा के लिए छोड़ जाओगे ।
इस लिए हमेशा अच्छी यादें छोड़ कर जाने का प्रयास करना, ऐसा मत करना कि जब भी तुम्हारी बात आए तो गाली से शुरू हो और गाली पर खत्म हो ।

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

कृप्टोकरेंसी

कृप्टो करंसी का मार्केट बहुत बड़ा है। कहीं कुछ मिल जाता है , तो कहीं कुछ डूब भी जाता है । इसपर पुरी तरह से आशा कर लेने पर दिल को धक्का भी लगता है । इस लिए इसे एक एक्सपर्ट और आधुनिक जुआ या सट्टेबाजी भी कहा जा सकता है । जिसे खेलने के लिए उतने पैसे से खेलें कि जितना पैसा आप भूल सकते हों , इस पैसे पर निर्भर होकर न लगाएं ।
कृप्टो करंसी के जानकार कम लोग हैं और ऐसे लोग जो जानकार हैं वे लोगों के चक्कर में कम रहते हैं , कारण कि इन्हें आनलाइन पैसा कमाना होता है जो डेली अर्निंग का मामला होता है । इसमें नेटवर्किंग की आवश्यकता नहीं होती । हां पैसा अगर कम है तो कम अर्निंग होती है । ज्यादा पैसे से ज्यादा अर्निंग होती है , ऐसे में तीन से चार पार्टनर एक हो सकते हैं ।
शैयर मार्केट और ट्रेडिंग जैसे सेक्टर में ज्यादा पैसों की आवश्यकता होती है इसमें भी पार्टनर बनने के लिए धैर्य का होना जरूरी है साथ ही साथ अगर आप भी इस प्लेटफार्म के जानकार हैं तो आप को अपने पार्टनर से कोई शिक़ायत नहीं होगी क्यों कि सारी प्रक्रिया आप के आंखों के सामने से होकर ही गुजरेगी और यदि आप जानकार नहीं है तो फिर विश्वास करिए । तीन बार लगातार नुकसान होने पर बंद कर दीजिए ।
सबसे बेहतर तो यही होगा कि पहले आप खुद सीखने कि कोशिश करें उसके बाद ही कोई क़दम बढ़ाएं ।
बिटक्वॉइन और इथेरियम की कोई नेटवर्किंग नहीं है । आप को एक्सचेंज पर जाकर खरीदना पड़ता है और बेचना भी पड़ता है । इन्हीं की सफलताओं को दिखा कर इन्हीं को बता कर भारत में तमाम नेटवर्किंग क्वाईन आ गई है जब कि आप को और हमको सबको पता है कि नेटवर्किंग हमेशा सबसे पहले फाउंडर्स को अमीर बनाती हैं । बाईं चांस सुरुआती दौर के रीडर्स भी कुछ कमा लेते हैं , लेकिन डाऊन लाईन से कलंकित और आरोपित तो होना ही पड़ता है । तो हम फिर ऐसा क्यु करें ? हमें लोगों को वहीं चीज देनी चाहिए जिसे वो अपनी इच्छा से कर सकें , अपनी इच्छा से करने को कहें , अपनी इच्छा से सीखने को कहें और उसे मैं स्वयं इतना ट्रेंड कर सकूं कि मैं रहुं या न रहुं उसे मेरी कोई आवश्यकता न रह जाय ।
उसका फायदा उसके साथ उसका नुकसान भी उसके साथ उसे कोई शिक़ायत करने का मौका ही न रह जाए । बिल्कुल हर बात पारदर्शिता से भरी होनी चाहिए ।
जीवन में हमेशा हर सेक्टर में डाउनलाइन का काल तो आएगा ही और ऐसे में हमारे पास वक्त ही नहीं होता कि मैं अपने डाउनलाइन से मिल सकूं ।
हमारे बहाने को, हमें किसी और कंपनी में जुड़ जाने को , मेरा डाउनलाइन भी जानता है क्यों कि वो मेरे ही उपर आसृत है इस लिए उसका ध्यान हमेशा सिनिर पर रहता है , भले ही सिनियर डाउनलाइन को भूल जाएं ।
इसका बहुत बड़ा कारण यह है कि लोग लोगों को प्लान से ज्यादा अपनी बातों में लपेटते हैं ।
प्लान दिखाते समय प्लान सुनने वाले के चेहरे पर कई प्रकार के रंग आते जाते हैं । प्लान का पचहत्तर प्रतिशत हिस्सा समझ में ही नहीं आता और प्लानर बीच - बीच में पुछता रहता है कि यहां तक तो आप क्लीयर है , समझ में आ रहा है न तो आगे बढ़े ?
कोई सवाल हो तो पुछ लिजिएगा , सुनने वाले हां सर , ठीक है सर , समझ रहा हूं , पुछ लुंगा । कह कर खामोशी साध लेता है और चुपचाप प्लान को सुन्ता रहता है । प्लान खतम होने पर ऐसा लगता है कि जैसे कोई बहुत बड़ी मुसिबत सिर से टली और हम बाहर आए । उसके बाद क्या होता है , आप ने प्लान लोगों दिखाया होगा तो आप खुद जानते हैं ।
ज्वॉइन करने की एक डेट मिलती है किसी की ये डेट आती है तो किसी की कभी नहीं आती ।
बीस साल में कोई नेटवर्क ऐसा नहीं है कि जिसे मैंने जाना नहीं देखा नहीं अस्सी प्रतिशत को तो किया भी मगर परिणाम आप भी जानते हैं । नेटवर्करों से कुछ छुपा नहीं है ।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम पहले प्लानर बनते हैं और फिर प्लानर बनाते हैं यही सिस्टम लोगों को फ्लॉप करता है । जरुरत प्लानर बनने की नहीं है जरुरत सिस्टम को समझने कि है जैसा कि ऊपर मैंने बताया है कि हर तरह से एक्सपर्ट कर देना , प्लान तो अनपढ़ भी सुनता है और वह निचोड़ निकाल लेता है कि मुझे करना क्या है और इसमें करना है हि क्या ? 
लोगों को जोड़ना है और आज की डेट में सबसे बदनाम शब्द लोगों को जोड़ने जुड़ाने का है ।
हमें उपर उठना होगा लोगों को तकनीक सिखानी होगी आज कल सभी के पास एंड्रॉयड और आईओएस स्मार्टफोन है , उनको उन्हीं के मोबाईल पर सिखाया जाय ताकि वो खुद सब कुछ कर सकें और लोगों से भी करा सकें । 

गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

अवसर जब आता है

अवसर जब आता है , तो समझ में जल्दी नहीं आता , क्यों कि यह हजारों निगेटिव सवाल खड़ा कर देता है।
लोग निगेटिविटि से भर जाते हैं।
निगेटिविटि बहुत ही चालाक और समझदार बना देती है।
अवसर को छोड़ने के लिए निगेटिविटि दिमाग में यह भर देता है कि यह पहली बार नहीं है ये तो फिर आएगा कभी भी शुरु कर लेंगे।
जब अवसर चला जाता है तब यह एहसास होता है कि मैंने आए हुए अवसर को छोड़ कर गलत किया था , फिर सिर्फ पस्ताने के सिवा कुछ नहीं रहता और लोग अक्सर बात ही बात में एक कहानी की तरह लोगों से कहते भी हैं कि यह अवसर पहले मेरे ही पास आया था , लेकिन मैंने शुरु नहीं किया। 
जिसने किया आज वो बहुत आगे निकल चुके हैं । अब पहचानते भी नहीं।
यदि वही अवसर जिंदगी में कभी दुबारा आ जाता है तो उसके माध्यम से अपने गोल को अचीव करना उतना आसान नहीं होता जितना कि पहली बार के अवसर में आया था।
क्यों कि अवसर एक ही हो सकता है लेकिन लाने वाले व्यक्ति अलग अलग हो सकते हैं । 
जितनी आसानी , जितनी सुविधाएं , जितना सहयोग पहली बार आए हुए अवसर में हमें प्राप्त होता है । वही चीजें दूसरी बार के अवसर में नहीं होती , इस लिए अगर कोई अवसर आप के पास आया है या आता है तो वह बहुत ही साधारण तो दिख सकता है लेकिन जब आप उसे अच्छी तरह से समझेंगे तो उसमें आप को अपने गोल को प्राप्त करने का रास्ता जरुर नज़र आएगा ।
सकारात्मक सोंच ही सकारात्मक दिशा को दिखा सकती है । नकारात्मक सोंच हमेशा ग़लत दिशा की ओर ले जाती है ।
इस लिए नकारात्मक और सकारात्मक यानी निगेटिव और पाजेटिव दोनों विचारों कि तुलना कर लेना चाहिए जिसमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि निगेटिव / नकारात्मकता बीस न पड़े ।
अब यहां एक समस्या यह उत्पन्न होती है कि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं कि जो इन दोनों की तुलना एक साथ नहीं कर पाते जिसका नतीजा यह होता है कि कोई निगेटिव से भरा होता है तो कोई पाजेटिव से भरा हुआ है । 
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दोनों में फर्क करना जानते हैं ।
ऐसी परिस्थितियों में जो तुम्हारी नज़र में सही लगे उससे सलाह अवश्य लें , और फिर आत्ममंथन करें ।

बुधवार, 30 नवंबर 2022

दौलत भी क्या चीज़ है

दौलत है तो हर जगह और हर किसी के तुम हो ।
दौलत नहीं है तो हर जगह से , हर किसी के दिल से और हर किसी की नज़रों से गुम हो ।
ये दौलत भी क्या चीज़ है ....... कि
कोई दौलत के पीछे भागते - भागते मर जाता है ।
तो किसी के पीछे दौलत भागती है ।

रविवार, 27 नवंबर 2022

भुमिका

भूमिका के साथ विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखें ।
पहले भूमिका की हेडिंग लिख कर भूमिका तीन चार लाईन में पुरी हो जाती थी ।
फिर व्याख्या की हेडिंग लिख कर डेढ़ दो पेज विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखी जाती थी ।
ये दौर पढ़ाई का था।
अब ज्यादा तर लोगों में फोन ने भुमिका के स्थान को विस्तार पूर्वक व्याख्या की धारा पकड़ा चुका है
अब ज्यादा तर यह सुनने और देखने को मिल रहा है कि लोग भुमिका को इतना लंबा कर देते हैं कि अक्सर अपने मूल मकसद अर्थात खास बात / मुख्य बात को भूल जाते हैं कि उन्हें पुछना क्या था या कहना क्या था।
अक्सर यह सुनने को मिलता है कि देखिए मैं तो वो बात ही भूल गया जिसके लिए फोन किया था ।
भुमिका ने जो विस्तार पकड़ा है उसमें है क्या ?
सिर्फ बेवकूफी वाली बातें जैसे - कहां हैं ?
क्या हो रहा है ? और सुनाईए ?
इसमें से पहला सवाल - कहां हैं ?
यह अक्सर एक से दो बार पुछा जाता है । 
क्या हो रहा है ?
और सुनाईए ?
यह बार बार आता है ।
कौन कौन है ? 
क्या बना है ? 
और सुनाओ ? जैसे निरर्थक बातें जिसे कहने या पूछने की कोई आवश्यकता नहीं है  लेकिन यह फोनटाक फोबिया है , जो गहरे डिप्रेशन से होते हुए स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन पैदा करता है ।