जिस चीज से मानव डरता है उस डर को पूरे मानव
बिरादरी में फैलाता है, सोते, जागते, हर पल , सारी जिंदगी इस डर के अलाप को मंत्र और किसी पुन्य
काम कि तरह अलापता रहता है ।
हमारा भारत देश इस वक्त मुसलमानों से बहुत डरा
हुआ है । हर जगह सिर्फ इन्हीं कि चर्चा, चाहे राजनैतिक मंच हो या धार्मिक कार्यक्रम ।
देश के धार्मिक माहौल को बिगाड़ने से चंद लोगों का
फायदा तो होगा ही मगर इसके पीछे देश सैकडों साल
पिछे चला जाएगा ।
hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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सोमवार, 13 मई 2019
डर
शनिवार, 11 मई 2019
अजनबी
गरीब से गरीब आदमी के परिवार में भी जब कोई भाई
या लडका कुछ करने की बात करता है तो उसके लिए
ऐसे रास्ते निकाले जाते हैं जिससे उसके खानदान या परिवार के द्वारा किये गए कार्यों की पुनरावृत्ति न हो बल्कि एक नया डेवलपमेंट हो ।
भारत देश के मुखिया को शायद यह पता नहीं कि यह
देश हमारा एक परिवार है और हम अपने परिवार के पढे लिखे लोगों को नये नये डेवलपमेंट कि ओर ले जाने
से बेहतर पकौडे तलवाना पसंद करते हैं ।
निहायत ही शर्म के अलावा तकललीफदे बात है ये ।
मुखिया के इस विचार से यह पता चलता है कि वे देश
और देश के नागरिक के अलावा कुछ और सोंच रहे हैं ।
देश उनके लिए अजनबी और नागरिक पराये हैं ।
फाइनेंस
भारत देश का पैसा लेकर विदेश भागने वालों का फाइनेंस हो सकता है मगर बेरोजगार अपना कोई रोजगार कर सके इसके लिए उसे फाइनेंस नहीं मिलता ।
डेट एक्सपायर
सन् 2014 से सन् 2019 के इन पांच सालों के सफर में
हमारे देश में कई करोड़ लोग सरकारी सर्विस पाने की
डेट को एक्सपायर कर चुके होंगे , जिसमें से एक मैं भी हूँ ।
नागरिक
भारत देश का नागरिक होने के कारण हर पहलू पर
गहराई से मंथन करने के बाद एक भय सा लगने लगता है, पाता नहीं क्यों पिछले एक साल से मुझे ऐसा लगता है कि कहीं 2019 में पुनः सरकार बनाने से पहले भारत
देश के कई टुकड़ों में विभाजित हो जाने की खबर न आ जाये ।
जैसे सोवियत संघ रातों रात सात टुकड़ों में बट चुका था
यह खबर सुबह लोगों ने समाचार पत्रों से जाना ।
गुरुवार, 9 मई 2019
सहमत
सुप्रीम कोर्ट के पुर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कन्डे काट्जू जी
के विचारों से मैं पूरी तरह से सहमत हूं ।
अब ये बात अलग है कि उनके द्वारा कही गयी कड़वी सच्चाई को देश या देश के नागरिक कबूल न कर पावें तो क्या किया जाए ।
देश
जब भी कोई अपने देश से दूसरे देश में जाता है तो उसे
उसी देश से पहचाना जाता है जिस देश से वो आता है
इस लिए किसी देश को एक आदमी नहीं बनाता । देश को देश बनाने में सभी देश वासियों का सहयोग होता है ।
बुधवार, 8 मई 2019
समझ
किसी बात को कहना है तो उसे साफ साफ कह ढालो
आप को अपनी बात कहने की जरूरत है न कि समझाने की ।
कहने वाले से ज्यादा सुनने वाला समझता है ।
एक लाईन
जरुरी नहीं है कि किसी बात को कहने के लिए
लंबी चौड़ी भूमिका बनाई जाए ।
अपनी बात को एक लाईन में भी कहा जा सकता है ।
शुक्रवार, 3 मई 2019
शब्दों और वाक्यों
शब्दों और वाक्यों को सुरक्षित रखने के लिए कुल छव स्थान होते हैं ।
1- दिमाग ।
2- आंख ।
3- जुबान ।
4- दिल ।
5- कागज ।
6- रिकार्डिंग ।
दिमाग, आंख, जुबान, दिल, और रिकार्डिंग को जब लोग झुठला देते हैं तब कागजी लिखंत को पेश किया जाता है ।