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बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

परिवर्तन

सच्चाई जान कर आप कुछ नहीं कर पाओगे ।
अन्जाने में आप बहुत कुछ कर जाओगे ।

बेहतर यही होगा कि जिस चीज से अंजान हो उससे अंजान ही रहो अगर हकिकत जानने के पीछे भागोगे तो दर्द और नफ़रत के सिवा कुछ भी नहीं मिलेगा ।
ये अलग बात है कि कुछ चीजों की सच्चाई जानने की जरूरत पड़ती है मगर उसे भी जान कर आप उसमें कोई परिवर्तन नहीं कर सकते । अगर परिवर्तन की कोशिश करोगे तो सबसे पहले विरोधी आप ही बनोगे इस लिए जो जैसे है वैसे ही रहने दो हां बेहतर यही है कि आप को अगर परिवर्तन करतना है तो खुद में ही करें ।
यकीन मानो अगर आप को आप के जिंदगी के बारे में पैदा होने से लेकर मरने तक के एक एक पल की सच्चाई बता दी जाए तो आप का जीना मुश्किल हो जाएगा ।
जो बीत रहा है उसे अप जी रहे हैं और देख भी रहे हैं मगर आने वाले कल के बारे में आप को क्या पता बस एक आस है एक उम्मीदें हैं और एक खूबसूरत प्लान के साथ सपने जिसके सहारे कल आज में बदल जाता है और आप जीते जा रहे हैं ।

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020

फैस्टिवल

भारत में विभिन्न प्रकार के फैस्टिवल हैं जो सभी के पाकेट खाली कर देने वाले हैं लेकिन एक फैस्टिवल ऐसा है जिसे चुनाव के नाम से जाना जाता है जिस में 80% जनता के पाकेट में कुछ न कुछ तो आ ही जाता है ।

सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

इस दुनियां में

इस दुनियां में कोई भी चीज बेकार नहीं है। सब का काम कहीं न कहीं कभी न कभी तो पड़ता ही है । बेकार तो उस वक्त लगती है । जब आप को उसकी जरुरत नहीं होती ।

रविवार, 18 अक्तूबर 2020

लाल मिर्च

अगर लाल मिर्चा पिसा हुआ आप के मुंह में डाल दिया जाय तो उसके तीखे पन से आप सनक जाएंगे । तीखापन बर्दाश्त नहीं होगा , आप की ज़ुबान सुन्न पड़ने लगेगी खोंपडी जरुरत से ज्यादा गरम हो जाएगी। 
ठीक इसी तरह जब आप के मुंह से आप की ज़ुबान जब कोई कड़वाहट भरे शब्द निकालती है तो सुनने वाला भी सनक जाता है । और उससे भी ज्यादा सनक जाता है जितना लाल मिर्च के पाउडर से आप सनकेंगे और खोंपड़ी तो इतनी गरम हो जाती है कि हत्या भी हो जाती है ।
अतः आप वैसा ही खाना पसंद करते हैं जो आप के मुंह को आराम दे और जुबान को स्वादिष्ट और मस्त लगे। 
ठीक इसी तरह आप अपने व्यवहार और बोल चाल में शब्दों का इस्तेमाल भी करें ताकी आप से मिलने वाले लोग आप का साथ न छोड़ना चाहें और बातों से आप के दिवाने हों जाएं। 

शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

एक ही भूल

आज तुम्हारा वक़्त है ........
हर आरजू पुरी करना .........
कुछ छोड़ना मत ..........
न तो कुछ भूलना ..........
क्यों कि एक ही भूल .........
तुम्हारे मौत का कारण बन जाएगी ..........
और दुनियां का कोई भी इंसान ...........
तुम्हें बचा नहीं सकता ।

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

जरुरी नहीं

जरुरी नहीं कि हर बात का जवाब खुल्लम खुल्ला दिया जाए थोड़े से इशारे बहुत कुछ समझने के लिए काफी होते हैं ।

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

शब्द

अगर शब्दों की गहराई में उतरना जानते हो तो दो चार शब्द ही जिंदगी के मायने को समझा जाते हैं ।

बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

नफ़रत

मैं जिसे मानता हूं तो ऐसे मानता हूं कि जैसे मेरी जान उसके अन्दर बसती है लेकिन जब नफ़रत हो जाती है तो ऐसी नफ़रत करता हूँ कि जैसे लोग नर्क से नफरत करते हैं ।

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

एक अकेला

एक अकेला आदमी अगर अपनी जिद पर उतर जाए तो करोडो आदमी की जिंदगी बर्बाद और खत्म कर सकता है ।

सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

संगठित परिवार

एक संगठित परिवार में जो औलाद पैसा कमाता है उसकी मान्यता ज्यादा होती है । हर लोग उसी के इर्द गिर्द मंडराते हैं । हर कोई उसी को खोजते हुए और उसी से मिलने के लिएआते हैं । लेकिन अगर घर रह रहे व्यक्ति से कोई मिलने आ जाये तो पीठ पीछे यह जरूर सुनाया जाता है कि " अरे चूतिये हैं साले..... लोफरों का साथ है अब क्या करियेंगा " जब की बिना सच्चाई जाने वो कमाने वाला भी पूछता है कौन था ? सवाल कर के बिना जवाब सुने यह बड़े आसानी से कह देता है कि "चुपचाप घर रहो लोफरों का साथ छोड़ दो आज के बाद मैं किसी के साथ देखना नहीं चहता और न दरवाजे पर इन चूतियों और लाखैरों को मैं देखुं यही है तुम्हारे नाजायज़ पैसा फूकने का अंजाम मैं मर मर कर पैसा भेजु और तुम उसका गलत इस्तेमाल करो " जब की उस कमाने वाले को नहीं पता कि एमरजेंसी में यही लोग काम आते हैं । आप का पैसा बाद में आता है लेकिन उससे पहले यही लोग आते हैं खैर वो सही कहे या गलत सब ठीक है सभी बे हिचक स्वीकार भी कर लेते हैं । लेकिन जो औलाद पैसा नहीं कमाता उसकी कोई औकात नहीं होती अगर वो गलत को गलत और सही को सही कहे तो भी उसकी बात को कोई अहमियत नहीं दी जाती और न तो कोई सुनने को तैयार होता है इसकी हर बात बकवास और फाल्तु लगती है मगर जिस्मानी और भागदौड़ के सारे काम घर रह कर इसी को करना पड़ता है । घर को देखते हुए सभी सामाजिक, पारिवारिक , हित , मीत और रिश्तेदारी सभी को समय समय पर देखना है । अगर खेत बारी है तो उसमें भी लग कर पसीना बहाना पड़ता है अगर गाय गोरु है तो उसे भी संभालना पड़ता है । यानी नीव का ईट जो घर है वही बनता है ।
जहां जो खर्च आता है वो मिलता तो जरूर है मगर हर चीज़ का हिसाब भी देना पड़ता है ।
"जब मैं कमा रहा हूँ और पैसा दे रहा हूँ तो तुम्हें कहीं कमाने जाने की क्या जरूरत है घर पर रहो घर देखो, घर पर भी तो किसी का रहना जरुरी है" इन बातों से और सभी के दबाव से उसे अपने जीवन को अपने आजादी से जीने का अवसर नहीं मिलता यूं कहीए कि उसकी सारी इच्छाएं मार कर आजादी भी छीन ली जाती है ।
एक समय ऐसा भी आता है जब घर रहने वाले को नाकारा साबित कर दिया जाता है और उसी घर में उसे अलग भी कर दिया जाता है ।
अलग करने पर उसके हिस्से में गाय, गोबर और खेती आती है मगर जो काम रहा था उसके हिस्से में लम्बी फोर व्हीलर शान्दार बंगला और बैंक बैलेंस आता है जो पहले ही वो सब अंडर ग्रांउड बनाता रहा ऐश करने के लिए उस नीव के ईट को अलग तो करना ही पड़ेगा वरना सब में बराबर की हिस्सेदारी भी देनी होगी किसी कि जिंदगी बर्बाद कर के अपना काम निकालना कहां का न्याय है ।
खुद को अकेले छल से राजा बन जाना किस काम का जिसके सुख को भोगने में जब अपने ही न हों।