Translate

रविवार, 6 दिसंबर 2020

सबसे पहले और सबसे बड़ा हल

हर समस्याओं का समाधान सिर्फ कानून ही नहीं है ।
सबसे पहले और सबसे बड़ा हल आपसी बात चित भी होती है । जब बातों से मुआमले हल न हों तो ही कानून का सहारा लें । लेकिन इस बात को याद रक्खें कि कानून से न्याय आप के जीतेजी इस जिंदगी में मिल पाएगा या नहीं ।


शनिवार, 5 दिसंबर 2020

इन्सानों से इन्सानों का छुपा क्या है

इंसानों से इंसानों का छुपा क्या है । सब एक दूसरे की हकीकत को जानते हैं । हां ये अलग बात है , कि कोई अजनबी है । जिसे आप नहीं जानते , तो उसका सब कुछ छुपा है । लेकिन अगर जानने पर आ जाओ , तो उसके प्रतिद्वंदी और उस से जलने वाले , उसके दुश्मन ही उसके सात पुस्त की दास्तान बता देंगे । आप को उस अजनबी से मिलने और बात करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । यही है आधुनिक मानव सभ्यता । जब कुछ छुपा ही नहीं है , तो फिर क्या जनरल और क्या स्पेशल , अगर जनरल और स्पेशल है , तो सिर्फ पैसे की वजह से है । मानवता के नजरिये से अन्याय है । इसी अन्याय को आज लोग अपना स्टैंडर्ड समझते हैं । दिन रात इसी के पीछे भाग रहे हैं । खुद को परेशान और बर्बाद किये जा रहे हैं । जब कि यहां से कुछ भी तुम्हें रिफन्ड नहीं होने वाला सिवाए हताश और निराश होने के । जो वास्तविकता  है  उस  वास्तविकता  को   समझो , अपने आप को और अपने काम को एक नजरिये से देखने और करने की सकारात्मक क्षमता पैदा करो , आप   के उपर जिसका जो अधिकार है उसे पूरी निष्ठा और इमानदारी से निभाते हुए पूरा करो । इसमे कोई कैटेगरी नहीं है । इसमें न कोई स्पेशल है और न तो कोई जनरल ये सब आप के अपने लोग हैं । जिसे आप ने बनाया हो , कमाया हो , या कोई रिलेशन हो , हैं तो आप के ?
तुम्हारे व्यवहार में , तुम्हारी सोंचों में और तुम्हारे कर्मों में ही जनरल और स्पेशल है । इससे मुक्त हो जाने में ही तुम्हारी भलाई है । सभी का एक बराबर स्नेह पाने का कोई और रास्ता नहीं है ।

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

कफ़न घसोट शायद ऐसे ही होते हैं

मेरी एक बाग है । एक दिन मेरे एक मित्र ने बाग को देखने और घूमने की इच्छा जताई , मैने कहा ठीक है सुबह में आइए तो चलें दो चार घंटे वही बैठेंगे ।
गर्मी का महीना था , भयंकर गर्मी पड़ रही थी । सुबह आठ बजे के बाद से ही धूप की किरण इतनी तेज लगती थी कि जैसे जिस्म में ही हल जाएगी । ऊपर से कोरोना काल , हर तरफ पुलिसकर्मी घूम रहे थे । जो भी घर से बाहर सड़क पर नजर आ जाता था । तो ऐसी पिटाई करते थे कि जैसे मर्डर का मुजरिम मिल गया हो । खैर मैने बाग में चारपाई और कुर्सी भेजवा दी थी । कुछ देर बाद मित्र महोदय अपने एक साथी के साथ आए । हम लोग बाग की ओर चल पड़े बाग में पहुंचे तो मित्र के साथी तुरन्त चारपाई पर लंबे हो गये हम दोनों लोग कुर्सी पर बैठे बात कर रहे थे । उस वक़्त काफी चर्चित टापिक कोरोना ही था । बातों के दर्मियांन ही मेरी नजर बाग के बाऊंडरी पर पड़ी जो सागौन के पेड़ की कतार से बनाई गयी थी । लकड़ी के पीलर में कंटीला तार भी लगाया गया था लेकिन बाहरी जानवरों ने कई जगहों पर गिरा दिया था ।
एक पेड़ का तना कुछ बदसूरत नज़र आ रहा था । मैने मित्र को साथ में लिया और बाऊंडरी की ओर बढा करीब पहुंचने पर हम दोनों ने देखा एक पेड़ के तने से लगभग पांच फिट ऊंचाई तक उसकी छाल किसी ने निकाल ली थी ।
बहुत दुख हुआ ऐसा लगा जैसे किसी ने जिस्म से खाल खींच ली हो। जैसे कब्र पर पड़ी चादर खीच ली हो । जैसे मुर्दे के ऊपर से कफन खींच लिया गया हो । बहुत देर तक खामोश मैं दुखी मन से देखता रहा , तभी मित्र ने कहा क्या सोंच रहे हैं ? मैने मित्र की ओर देखा और पूछा देख रहे हैं इस पेड़ की हाल? क्या कफन घसोट शायद ऐसे ही होते हैं ? मित्र कुछ न कह सके , ऐसा लगा जैसे वो भी दुखी थे ।

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

भले ही आप के धर्म से उसका धर्म अलग हो

मानव की उत्पत्ति मानव से ही हुई है । न कि किसी जानवर से । सृष्टि के सभी मानव एक ही मानव के वंसज हैं ।
आज विभिन्न समुदाय , विभिन्न धर्म , विभिन्न भेषभुसा , विभिन्न भाषाएं सब अलग अलग विचारधारा और वहां के परिवेश के मुताबिक हैं । आप के दो चार भाई या दो चार लड़के हैं तो वो एक विचार धारा के नहीं हैं । भले ही आप के शक्त नियमों का पालन करते हैं । ये तभी तक कर सकते हैं जब तक आप जीवित हैं । और सभी को एक साथ लेकर चलने की आप के अंदर एक मजबूत धारणा है । मगर जिस दिन आप इस दुनियां से चले जाएंगे उसके बाद सभी अपनी अपनी ख्वाहिशों के मुताबिक जीने के लिए आजाद हो जाएंगे । इस लिए न किसी को बुरा कहिए और न किसी के ऊपर कोई कमेंट करें ये उसकी जिंदगी है । वो भी इस दुनियां में अपनी ख़ुशी के मुताबिक जीने के लिए आया है । वो भी स्वतंत्रता पूर्वक न की दास प्रथा के युग में है । मानवता की नजर से देखोगे तो वो तुम्हारा कुछ न कुछ तो जरुर लगेगा भले ही आप के धर्म से उसका धर्म अलग हो ।

बुधवार, 2 दिसंबर 2020

सबसे बड़ा सवाल तो तुम खुद ही हो

दुनियां जबतक खत्म नहीं हो जाएगी तब तक सवाल बनते रहेंगे और उठते रहेंगे ।
क्यों कि सबसे बड़ा सवाल तो तुम खुद ही हो , जबतक तुम हो सवाल बनते रहेंगे जिस दिन जवाब बन क़र उठोगे उस दिन से कोई सवाल न पैदा होगा और न उठेगा । इस लिए सवालों के घनचक्कर से निकल जाओ और जवाब बन जाओ लोग अपना सवाल हल करने के लिए तुम्हें ढूँढना शुरु कर देंगे और तुम्हारे पीछे पीछे लगे रहेंगे । सवालों का कभी अंत नहीं होता लेकिन हजार सवाल पर एक जवाब ही भारी पड़ जाता है और सभी को खामोश भी कर देता है ।

सोमवार, 30 नवंबर 2020

मैं तुम्हें बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा

जिंदादिली से मर जाना मैं बर्दाश्त कर लुंगा , लेकिन जिस दिन तुम्हारा ज़मीर मर गया , उस दिन मैं तुम्हें बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा , उस दिन से तुम मेरे लिए ज़िंदा लाश की तरह ही नज़र आओगे ।

रविवार, 29 नवंबर 2020

पहचान की गहराई तक उतरना

पहचान हो जाना , पहचान बनाना और पहचान की गहराई तक उतरना ये तीन मामले हैं ।

1- पहचान हो जाना -
आप जिस जगह पर रहते हैं वहां हालात और जरूरतों के मुताबिक लोगों से पहचान हो जाती हैं जैसे -
किराने की दुकान वाले , शब्जी वाले , दूध वाले , चाय वाले पान वाले , मैडिकल स्टोर , वस्त्रालय वाले , फल वाले, जूता चप्पल के विक्रेता आदि इत्यादि ।

2- पहचान बनाना -
ये जान बुझ कर लोग करते हैं जिसमें 90% लोगों के अपने निजी स्वार्थ होते हैं । जहाँ जैसी जरुरत पड़ती है वैसे लोगों का इस्तेमाल करते है ।

3- पहचान की गहराई तक उतरना -
इसमें लोग अपने पहचान को आप के रिफरेंस से आप के ही बहुत करीबी लोगों तक पहुँच बनाना शुरू कर देते हैं । जिसे आप जान कर अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं ।
ऐसे लोग धोखेबाज़ और मक्कार होते हैं । अगर आप अपने करीबी लोगों से मिलवाकर पहचान कराते हैं तो ठीक है ।
लेकिन बिना आप के पहचान कराये अगर वो आप के करीबी लोगों से पहचान बढाना शुरू कर दिया है तो ये समझ लेना की आप को कभी भी किसी बड़ी मुश्किल में डाल सकता है और ऐसी मुसीबत में ऐसे लोग आप के बहुत करीबी लोगों को ही आप के अगेंस्ट गलत फहमी पैदा कर के खड़ा कर देगा । जिससे आप अपने ही लोगों के सामने कमजोर पड़ जाएंगे । आप हर किसी को न सफाई दे पाएंगे और न सभी को समझा पाएंगे और न तो सभी के दिलों से गलतफहमीयों को निकाल पाएंगे । सिर्फ़ एक अजनबी के पहचान को स्वयं बढा लेने के कारण। 
अगर अपनी इज्जत आबरु और खुद को बचाए रखना हो तो ऐसे लोगों से तुरन्त उसी वक़्त दूर हो जाएं जिस वक़्त वो अपने मरजी से आप के करीबी लोगों से अपनी पहचान को गहराई तक ले जाने लगे। 
तब ये भी समझ लेना की अब इसे आप के पहचान की बहुत जरुरत नहीं रही । अब वो आप से ज्यादा पावर तलाश रहा है , जो आप को भी डाऊन कर सके और उसका मक़सद हल हो सके और ये सब उन्हीं लोगों में तलाशेगा जो लोग भी आप के करीबी होंगे चाहे दोस्त हों या रिश्तेदार या आप के खानदान जो भी हों , मगर आप के करीबी ही होंगे ।

सुझाव - 
आप अपनी पहचान को अपने तक ही सीमित रक्खें अपने लोगों से परिचित कराने से पहले उसके बारे में खुद ही पूरी जानकारी प्राप्त करें घरेलु बैकग्राउंड भी जानें ये विस्तृत जानकारी आप खुद करें ऐसा न हो कि किसी से पूछे हों या किसी से सुने हों । पूछने और सुनने वाली जानकारी में अंतर होता है । खुद से चल कर ली गई जानकारी संतोष जनक होती है । आवश्यकता पड़ने पर आप उसके घर भी जा सकते हैं या किसी को भेज सकते हैं अथवा एमरजेंसी में सूचित भी कर सकते हैं ।

शनिवार, 28 नवंबर 2020

जो हुआ अच्छा ही हुआ

सब्र , संतोष , इंतज़ार इन शब्दों के मायने एक ही हैं ।
सब्र आप को परेशान कर सकता है लेकिन निराश नहीं ।
सब्र हजारों परेशानियों से बचाते हुए ऐसे मुकाम पर लाता है जिसकी आपने कभी कल्पना भी न की हो और आप स्वतः ही बोल उठते हैं कि जो हुआ अच्छा ही हुआ ।
जरुरी नहीं है कि किसी मजबुरी को सब्र का नाम दिया जाय
वास्तविक सब्र वह है कि जब आप सही या गलत जैसे भी हो अपने काम को करने में सछम हों मगर उसमें अपनी हिकमत और मनबढई का इस्तेमाल किये बिना ही आप सब्र करते हैं ।

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

मैने आप के ऊपर भरोसा किया

अब आप अपनी मनगढंत या हकीकत जो भी सफाई मुझे देंगे उससे मेरा खोया हुआ कुछ भी नहीं लौट सकता । 
मैंने आप के ऊपर भरोसा किया वो भी आप से पूछ कर लेकिन आप की एक गलती ने मेरी जिंदगी के सारे सपनों को मिट्टी में मिला दिया । 

बुधवार, 25 नवंबर 2020

बाद में तुम्हें दुख होता है

मुझे मालूम है कि तुम मुझे बहुत चाहते हो , मानते हो , प्यार भी करते हो , जब भी कही जाते हो तो एक बार यह जरुर सोंचते हो कि अगर वो भी साथ होती तो कितना अच्छा होता ।
तुम जब कुछ भी खाते हो तो भी मेरी याद आती है ।
तुम जब कुछ भी खरीदते हो तो भी मेरी याद आती है ।
और जब मेरे लिए कुछ भी नहीं लाते हो तो मुझे सिर्फ आस्चर्य होता है । लेकिन बाद में तुम्हें दुख होता है ।