गहन मनन के मंथन से जब इंसान आत्मशाक्षात हुआ तब
जब शिक्षा नहीं थी तब भी लोग शिक्षित थे , फर्क सिर्फ इतना था कि उस वक़्त लोगों के पास लिखने पढ़ने की शिक्षा नहीं थी जो आज है ।
सौ साल में आज बहुत परिवर्तन है , मगर लिखंत पढंत वाली शिक्षा और कल्पनाओं एवं आत्मज्ञान में आज भी उतना ही अंतर है जितना पहले था ।
आज भी संपुर्ण देश हो या विश्व , कमान संभालने के लिए
लिखंत पढंत वाले शिक्षा का होना कोई ज़रुरी नहीं है ।
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