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गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

तुम कौन हो ?

1 - दुनियां में आने के लिए एक दायरे में आना पड़ता है । एक आकार का रुप लेना पड़ता है , जैसे आदमी का जिस्म हो या किसी पशु पंक्षी का और वो दायरा महदूद होता है । इस लिए तुम भी एक महदूद दायरा हो लेकिन तुम्हारे इस महदूद दायरे में भी एक चीज ला महदूद है । जिसे रुह कहा जाता है , जो ला महदूद जगह से आती है , जहां कोई महदूदियत नहीं होती इसी को पकड़ना और साधना पड़ता है , लेकिन तुम्हारा महदूद जिस्म इसे समझ नहीं पाता और अंत में ये तुम्हारे महदूद जिस्म से निकल कर ला महदूदियत में चली जाती है । वहीं इसका असली और वास्तविक जगह है । तुम्हारा शरीर विकृत हो सकता है । तुम्हारा शरीर मिट भी जाता है । लेकिन रुह अजर और अमर है जो न कभी मिटती है और न तो कोई मिटा सकता है । अगर तुम चाहते हो , तो इस महदूद दुनिया और महदूद जिस्म में होते हुए भी ला महदूदियत को पा सकते हों ।- 
जब तुम्हें एक ला महदूद जगह से दूसरी महदूद जगह पर ट्रांसफर किया जा रहा था तो तुम्हें यह मंजूर नहीं था फिर जब तुम्हें बताया गया कि उस महदूदियत में रहते हुए भी तुम ला महदूद कैसे हो पाओगे और जहां से जा रहे हो वहां जब चाहे तब कैसे आ जा सकते हों , तब जा कर तुम अपना ट्रांसफर करवाने के लिए तैयार हुए , जब ट्रांसफर हुआ तो नौ महीने तक तुम्हें एक महदूद दायरे में रखने के बावजूद ला महदूदियत से जोड़े रक्खा गया फिर नौ महीने बाद तुम्हें बाहर निकाला गया फिर भी तुम बाहर आ कर नौ महीने तक तड़पते रहे अपने लामहदूदियत के मुकाम पे जाने के लिए लेकिन उसके बाद तुम भूलना शुरू किए और धीरे धीरे आज सारे रास्ते भूल चुके हो । तुम्हें कुछ याद नहीं। 

2 - अल्लाह से जो तुम मांगते हों उसकी एक हद है
लेकिन उसके देने की कोई हद नहीं मगर हद तुम बनाते हो , हद में मांग कर इस लिए वो तुम्हारी जरूरत के मुताबिक हद में दे देता है ।

3 - दरिया से कभी बूंद की ख्वाहिश मत करो अगर पचा पाओ तो दरिया को ही पचाने की कोशिश करो अगर ये भी न हो पाए तो खुद में ही एक दरिया बन जाओ।

4 - मांगने से बेहतर पाने का इंतजार करो हो सकता है कि अल्लाह तुम्हारे लिए तुम्हारी सोंच से भी ज्यादा देने वाला हो ।
इसि इंतजार को सब्र कहा जाता है और तुम्हारे हर सब्र में वो तुम्हारे साथ है ।

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