कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं कि आप कुछ भी हों मुंह पर ही आप की औकात नाप देते हैं ।
मैं आप को दो ऐसे मित्र की कहानी सुना रहा हूं जिसमें आप को ये महसूस होगा कि दुनियां और समाज की चकाचौंध में जाने के अंजाम क्या होते हैं और अपने भविष्य को लेकर जो सतर्क होते हैं वे क्या करते हैं , जिससे उनके और उनके आने वाली पीढ़ी किसी विपत्ति के समय में सुरक्षित कैसे हो सकती है ।
दो व्यक्ति थे । जिनकी सर्विस के दौरान ही मित्रता हुई । दोनों मित्र एक साथ रिटायर हुए , दोनों को काफी पैसा मिला .....।
एक मित्र ने दूसरे मित्र से जमीन खरीदने की बात की मगर उसे यह फाल्तू काम लगा तो उसने सुझाव देना छोड़ दिया और चुपचाप जाकर शहर में ही सिर्फ दस लाख खर्च कर के एक जमीन ले ली और दूसरे मित्र ने दस लाख की एक कार खरीदी ,
वक्त गुजरता गया दस साल बीत गए जमीन वाले को अपनी जमीन निकाल कर कुछ और करने की सूझी उस ने अपनी जमीन बेची तो उसे एक करोड़ पच्चीस लाख मिले और कार वाले मित्र की कार एक कबाड़ी वाला सिर्फ पच्चीस हजार रुपए दे कर ले गया ।
अब फैसला आप के हाथ में है कि आप जमीन की शक्ल में सोना से भी मंहगी चीज बनाकर बेचना चाहते हैं कि कबाड़ के भाव में गाड़ी ।
बढ़ती मंहगाई , बढ़ती आबादी के बीच सोने का भाव भी गिरता है । गाड़ियों के भाव में भी गिरावट और डिस्काउंट आते रहते हैं लेकिन जमीन के भाव को आज तक मैंने डाउन होते नहीं देखा ।
इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे आप्शन होते हैं जो आप के आत्ममंथन पर निर्भर करता है कि आप अपने आप को कैसे सेक्योर रहते हुए विकास की ओर ले जा सकते हैं ।
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