धार्मिक परंपराओं को जड़ से मिटाने का प्रयास करने वाले लोग भी हैं , और धार्मिक परंपराओं को क़ायम रखने वाले लोग भी हैं ।
जो धार्मिक परंपराएं सदियों से और कई पुस्तों से चली आ रहीं हैं । उन धार्मिक परंपराओं में किसी भी प्रकार या माध्यम से छेड़छाड़ करना उचित नहीं है । अपनी - अपनी आस्थाओं , मान्यताओं और परंपराओं के मुताबिक जो जैसे ख़ुश हैं । उसमें उन्हें ख़ुश रहने दिया जाना चाहिए ।
इसके अलावा आज के परिवेश में कुछ एैसी भी धार्मिक और सामाजिक परंपराएं उत्पन्न हो रही हैं , कि जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी ।
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