सच्चाई कहीं रक्खी हुई नहीं है ।
कि जब चाहें आप उसे खरीद लें ।
सच्चाई तो सिर्फ आप के दिल में है ।
झूठ को कहीं से सीखने की जरूरत नहीं पड़ती ।
झूठ तुमको , तुम्हारी जरुरतें सिखा देती हैं ।
तुम्हारी जरुरतों ने झूठ को इतना बढ़ा दिया है ।
कि अब हर पल तुम्हारी जिंदगी ,
सिर्फ झूठ के बल पर ही कट रही है ।
यही वजह है कि सच के एक भी अल्फाज़ , अब
तुम्हें अपने जुबान पर लाने में अपराध जैसे लगते हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें