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सोमवार, 20 जुलाई 2020

कोसिश

उस हर गलत काम में बडी तेजी से सफलता मिलती है जिसकी तुम्हारे ज़िन्दगी में कोई जरुरत नहीं है ।
जब भी सही काम करने की सोचोगे तो हर कदम पर 
रुकावटे आएंगी मगर कोशिश बन्द नहीं करना है ।

रविवार, 19 जुलाई 2020

गलती

कुछ गलतियां नासमझी में होती हैं ।
कुछ गलतियां अनजाने में होती हैं  ।
अफसोस दोनों का उतना ही होता है 
जितना जान बुझ कर हो जाने वाली 
गलती का होता है ।

समझो

आपस में की जारही बात को समझने के दो ही रास्ते हैं
1- कही गयी बात को मान लो ।
2- या तो झेल कर समझो ।

शनिवार, 18 जुलाई 2020

मंजिल

जिस दिन से आप के दिल और दिमाग से मौत का डर 
निकल जाएगा उस दिन से थोड़ा दिन और मेहनत करना
पड़ेगा आप को आप कि मंजिल मिल जाएगी ।

दौर

आज वो दौर नहीं है जो पांच महीना पहले था  ।
आज हर लोगों के चेहरे पर घबराहट और डर है 
चाहे वो कोरोना जैसी बीमामारी का हो या अपनी
जरूरतों को पूरा करने का हो ।
लगभग 80% लोग गहरे चिंतन और डिपरेशन के
शिकार हैं जिसकी मौजूदा बहुत सारी परिस्थितियां
हैं जिसके व्याख्यान की जरूरत मैं नहीं समझता 
नहीं पूरे तो एकाध कारण तो आप के साथ भी होंगे
जिससे अंदाजा लगा सकते हैं ।
सबकी दिक्कतें अलग अलग हैं, सबकी आवश्यकताएं 
अलग अलग हैं कल जो बहुत प्रेम से मिलता था आज
वह बहुत जल्दी में रहता है यदि आप ने रोक दिया तो
बस औपचारिकता निभाते हुए एक दो बातें हो जाती हैं
मगर उन बातों में भी मजबुरियां और समस्याएं ही होती हैं मेरे सर्वे से यह महसूस हुआ कि आज के इस परिवेश में लोगों को सहानुभूति की कोई जरुरत नहीं है ।
अगर आप किसी का भला चाहते हैं आज आप सक्षम हैं 
तो अपने करीबी लोगों को आर्थिक सहायता करें चाहे वो
थोड़ा हो या ज्यादा ताकि उनकी कुछ तो दिक्कतें दूर हों 
भले ही आप के माध्यम से एक दिन ही चैन से गुजरे ।
आज इससे बड़ी कोई सहानुभूति नहीं है ये हमेशा याद रहेगी। बहुत सारे लोग हैं जो हर तकलीफ को चुपचाप
सकते रहेंगे मगर किसी से कहेंगे नहीं अगर आप उनको
कुछ देंगे तो वो नहीं नहीं ही कहेंगे मगर अब आप के उपर निर्भर करता है कि इस सहानुभूति रुपी सहायता को आप कि अंदाज में पुरा करते हैं कि उसे खुशी भी हो और वो ले ले । आप के अच्छे विचारों और सहयोग की भावना में ईश्वर अल्लाह आप की मदद करे। 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

नजरिय

क्या बात है आज बहुत अच्छे लग रहें हैं आप ?
मैं तो जैसे रोज रहता हूँ वैसे ही आज भी हूं आप
के प्यार भरे नजरिये से देखने का कमाल है ।
हो सकता है कि आज से पहले आप ने इस नजरिये
से न देखा हो कि मैं अच्छा लगता ।

सोमवार, 13 जुलाई 2020

मकान

गांव में पड़ा मेरा सात खंड का मकान जो मिट्टी, लकड़ी
और खपरैल का बना हुआ है बीस वर्सों से मेरे इंतज़ार में
ढह रहे हैं उनकी सिर्फ लकड़ी बेच दूं तो तुम्हारे फ्लैट जैसे सात फ्लैट और आ जाएंगे ।

शनिवार, 11 जुलाई 2020

बात

फिल्म जो दिखाएगा वही आप देखेंगे। वहां आप के सवाल सुनने वाला कोई नहीं है और न तो जवाब देने वाला ।
फिल्म की स्टोरी लिखने वाला कोई और होता है । फिल्म को बनाने वाला कोई और होता है और फिल्म में काम करने वाला कोई और होता हैं । यही हाल न्यूज पेपर, मैगजीन, किताबें, टीवी सिरियल्स, टीवी न्यूज इत्यादि की भी होती है । जिसे चुपचाप आप देखते , सुनते या पढते हैं । मगर जब चार लोग बैठ कर आपस में बात करते हैं तब आप खामोशी से न बैठ पाते हैं न किसी की बात पुरी सुन पाते हैं हर किसी के बात का जवाब आप के पास रहता है ।
भले आप को उचित अनुचित का फर्क न समझ में आया हो भले आप के जवाब का सर पैर न हो भले आप को इस बात का ज्ञान न हो कि बात किससे की जा रही है और कौन कर रहा है लेकिन सभी के बातों का जवाब देने का जिम्मा आप ही ले लेते हैं जब की ये गलत है ।
चार लोगों के बैठने पर बात चित तो होना तै है मगर जिससे जो बात कर रहा हो या कुछ पूछ रहा हो तो वहाँ खामोशी जरुरी है कभी कभी जब पहले के पास जवाब नहीं होता तो वो दूसरे से पूछता है । कभी कभी ऐसा भी होता है कि कोई अपनी बात या राय सामूहिक रखता है जिसमें कोई भी अपनी राय या सहमती दे सकता है लेकिन बेहतर तो यही होगा कि जबतक आप से जवाब, राय या सहमति न मागी जाय तबतक आप खामोश ही रहें तो ही अच्छा है बीच बीच में कूद कर अपनी छवि न बिगाडे ।
बात चित करने का ढंग क्या होता है उसे जानें बहुत सारे 
लोग ऐसे भी हैं कि दो लोगों के बीच में यानी आपस में ही अपने आगे सामने वाले की कुछ सुनते ही नहीं अब आप ही जरा सोच कर बताएं कि कैसे बात किया जाए  ? 
समझ में नहीं आता कि ये लोग खामोशी पूर्वक कैसे तीन घंटे फिल्म देख लेते हैं या कुछ पढ लेते हैं ।

वकील

मैं एक वकील हूँ जादूगर नहीं 
वहां कोर्ट में लडाई सबूतों पर लड़ी जाती है 
कल्पनाओं पर नहीं , झूठ हो या सच सबूत सब के पेश
करने पड़ते हैं ।

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

बर्दास्त

जिंदगी को जिने के लिए और उसे खुशहाल बनाने के लिए जजबात की जरूरत नहीं होती बल्कि बर्दास्त की जरूरत होती है बहुत कुछ सुनना पड़ता है , बहुत कुछ झेलना पड़ता है , बहुत कुछ बर्दास्त करना पड़ता है ।
जिंदगी अपने सही ढर्रे पर एक दो दिन में नहीं आती और
न एक दो साल में आती है काफी वक़्त लगता है ।