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शनिवार, 18 जुलाई 2020

दौर

आज वो दौर नहीं है जो पांच महीना पहले था  ।
आज हर लोगों के चेहरे पर घबराहट और डर है 
चाहे वो कोरोना जैसी बीमामारी का हो या अपनी
जरूरतों को पूरा करने का हो ।
लगभग 80% लोग गहरे चिंतन और डिपरेशन के
शिकार हैं जिसकी मौजूदा बहुत सारी परिस्थितियां
हैं जिसके व्याख्यान की जरूरत मैं नहीं समझता 
नहीं पूरे तो एकाध कारण तो आप के साथ भी होंगे
जिससे अंदाजा लगा सकते हैं ।
सबकी दिक्कतें अलग अलग हैं, सबकी आवश्यकताएं 
अलग अलग हैं कल जो बहुत प्रेम से मिलता था आज
वह बहुत जल्दी में रहता है यदि आप ने रोक दिया तो
बस औपचारिकता निभाते हुए एक दो बातें हो जाती हैं
मगर उन बातों में भी मजबुरियां और समस्याएं ही होती हैं मेरे सर्वे से यह महसूस हुआ कि आज के इस परिवेश में लोगों को सहानुभूति की कोई जरुरत नहीं है ।
अगर आप किसी का भला चाहते हैं आज आप सक्षम हैं 
तो अपने करीबी लोगों को आर्थिक सहायता करें चाहे वो
थोड़ा हो या ज्यादा ताकि उनकी कुछ तो दिक्कतें दूर हों 
भले ही आप के माध्यम से एक दिन ही चैन से गुजरे ।
आज इससे बड़ी कोई सहानुभूति नहीं है ये हमेशा याद रहेगी। बहुत सारे लोग हैं जो हर तकलीफ को चुपचाप
सकते रहेंगे मगर किसी से कहेंगे नहीं अगर आप उनको
कुछ देंगे तो वो नहीं नहीं ही कहेंगे मगर अब आप के उपर निर्भर करता है कि इस सहानुभूति रुपी सहायता को आप कि अंदाज में पुरा करते हैं कि उसे खुशी भी हो और वो ले ले । आप के अच्छे विचारों और सहयोग की भावना में ईश्वर अल्लाह आप की मदद करे। 

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