जिसमें न तो किसी को छलने की जरुरत होती है और ना ही अपने आप को किसी से छुपाने की
hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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सोमवार, 9 मई 2022
समझदार और चालाक
समझदार और चालाक वो नहीं जो अपने स्वार्थ के लिए किसी को भी छल लेता है , बल्कि समझदार और चालाक वो है जो अपनी आवश्यकताओं को पुरी करने के लिए एक इमानदारी से भरा हुआ जीवनयापन का रास्ता बना लेता है।
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डायलॉग
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JAVED GORAKHPURI
शुक्रवार, 18 मार्च 2022
आप के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है ?
आप कितने ईमानदार हैं ?
आप कितने बेईमान हैं ?
आप का किरदार कैसा है ?
आप की सोंच कैसी है ?
आप के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है ?
आप के प्रति लोगों का व्यवहार कैसा है ?
इसे आप बहुत अच्छी तरह से जानते हैं ।
लेकिन अपने आप को समृद्ध बनाने और विकास की ओर बढ़ाने की परवाह को नज़रंदाज़ कर के , आप लोगों के हर चीज को जानने के चक्कर में , अपने वक़्त और उर्जा को ज्यादा बर्बाद करते हैं ।
जिस दिन आप खुद को समझने और खुद को आगे बढ़ाने के चक्कर में पड़ेंगे , तो लोगों के चक्कर को छोड़ देंगे ।
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मंगलवार, 15 मार्च 2022
समझना और समझाना
किसी को समझने के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है ।
कुछ वक़्त देना पड़ता है ।
कुछ दिन गवाने पड़ते हैं ।
हर व्यक्ति अपने आप को समझाने की कोशिश में लगा हुआ है । पुरी बात / मुआमला , समझने से पहले अपनी बातों के माध्यम से खुद ही समझाना शुरु कर देते हैं ।
लेकिन हर लोग समझने की कोशिश नहीं करते ।
अपनी समझाने के चक्कर में ।
समझना और समझाना दोनों अलग - अलग प्रकृयाएं हैं ।
बिना किसी की पुरी बात समझे हुए कुछ समझाया नहीं जा सकता । अकसर ऐसा भी होता है कि जब किसी को पुरी तरह से समझ लेंगे , तो फिर समझाने की जरुरत नहीं पड़ती । बेहतर तो यही होगा कि जबतक कोई समझाने को न कहे तब-तक किसी को समझाने की कोशिश न करें । यही सबसे बड़ी समझदारी है । क्यों कि पता नहीं अगला व्यक्ति उस समय किस मुड में हो । बातों ही बातों में बात का बतंगड़ भी हो जाता है । कभी कभी अपशब्दों के प्रयोग से धरापकड़ी भी हो जाती है । जहां आप के बोलने की आवश्यकता न हो वहां खामोशी बनाए रखना सबसे बड़ी कला और समझदारी है ।
आज के इस तनावपूर्ण दौर में सभी लोग हमेशा फ्रेश मूड में नहीं होते ।
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शनिवार, 12 फ़रवरी 2022
पगड़ी क्या है ?
सर पर बंधी पगड़ी , टोपी ,गाम्छा , रुमाल , या मुकुट सब एक ही इज्जत और सम्मान का प्रतीक होते हैं ।
कभी - कभी वक़्त ऐसा भी आ जाता है , कि इस पगड़ी को उतार कर किसी के कदमों में डाल कर , आपको अपनी या अपने भाई , बहन, मां , बाप , औलाद , या कर्ज़ के माफ़ी के लिए इज्जत की भीख मांगनी पड़ती है ।
जो इंसान हैं , और इज्जतदार हैं । जिन्हें पता है , कि पगड़ी क्या है ? और इसका स्थान कहां है ? वो सारे दर्द भूल कर अपने चरणों में पड़ी पगड़ी को उठा कर उसके सर पर अपने हाथों से ही पहनाते हैं ।
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बुधवार, 9 फ़रवरी 2022
वसीयत नहीं की थी
मेरे लिए आप ने कोई वसीयत नहीं की थी ।
हां कुछ वादे किये थे, कुछ किस्में खाईं थीं ।
उन्हीं कस्मों और वादों को मैंने वसीयत मान ली थी ।
जिसकी वजह से आज भी पुरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभा रहा हूं ।
लेकिन अब मुझे यह एहसास हो चुका है , कि आप मेरे नहीं थे । मेरे होने का झूठा नाटक कर के मुझसे पराए ही रहे ।
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मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022
भरोसा क्या है ?
भरोसा जब किसी पर होता है , तो वह जिंदगी में सिर्फ एक बार ही होता है ।
ज़िंदगी में किसी के उपर बार - बार भरोसा नहीं होता ।
किसी का भरोसा तोड़ना तो बहुत ही आसान होता है , लेकिन भरोसा तोड़ने से पहले यह जरुर याद रक्खें कि आप अपने बहुत ही भरोसेमंद व्यक्ति को खो रहे हैं ।
दुबारा आप उस व्यक्ति को अपने करीब कर तो सकते हैं ।
लेकिन आप के करीब होने में उसकी कोई मजबूरी हो सकती है ।
दुबारा करीब कर लेने से इसका मतलब यह कभी मत सोचिएगा कि वह आप के साथ पहले जैसे भरोसे के साथ ही अब भी है ।
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रविवार, 6 फ़रवरी 2022
ज़िंदगी गुज़ारने के लिए
संघर्ष करते हुए उम्र कट गई , मगर वो कमी पूरी नहीं हुई जो जिंदगी भर रही । उस वक्त लोगों की बातों पर यकीन नहीं हुआ , लेकिन अब यकीन हो गया है , कि कमी पूरी होना नशीब में ही नहीं था ।
माना कि नशीब जिंदगी का एक अहम हिस्सा है । लेकिन नशीब के विपरित संघर्ष करने का मशगला अच्छा था ।
शायद ज़िन्दगी गुजारने के लिए , नशीब में संघर्ष करना ही लिखा था ।
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मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022
विज्ञान क्या है ? शिक्षा क्या है ? आध्यात्म क्या है ?
कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है विज्ञान ।
गहन मनन के मंथन से जब इंसान आत्मशाक्षात हुआ तब
जब शिक्षा नहीं थी तब भी लोग शिक्षित थे , फर्क सिर्फ इतना था कि उस वक़्त लोगों के पास लिखने पढ़ने की शिक्षा नहीं थी जो आज है ।
सौ साल में आज बहुत परिवर्तन है , मगर लिखंत पढंत वाली शिक्षा और कल्पनाओं एवं आत्मज्ञान में आज भी उतना ही अंतर है जितना पहले था ।
आज भी संपुर्ण देश हो या विश्व , कमान संभालने के लिए
लिखंत पढंत वाले शिक्षा का होना कोई ज़रुरी नहीं है ।
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सोमवार, 31 जनवरी 2022
शब्द निकालने से पहले
शब्द ही है जो इंसान के दिल को इतना दुखी कर देता है कि वो जीवन भर के लिए दूर हो जाता है ।
शब्द ही है जिस पर इंसान अपना सब कुछ लुटा देता है ।
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JAVED GORAKHPURI
रविवार, 28 नवंबर 2021
मां , बाप के न होने का दर्द
मां , बाप के न होने का दर्द उन्हें ज्यादा होता है जिन्हें उनकी खिदमत और जरुरतों का खयाल होता है ।
दर्द तो उन्हें भी होता है जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मां , बाप का सहारा लिया करते हैं ।
बहुत किस्मत वाले होते हैं वो लोग जिनके पास मां और बाप दोनों होते हैं ।
यह जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति के किस्मत में मां और बाप दोनों मौजूद हों किसी के पास मां है तो बाप नहीं ।
किसी के पास बाप हैं तो मां नहीं ।
किसी-किसी के पास तो दोनों नहीं हैं ।
इस लिए जो हैं उनकी परवाह दिल से करिये क्यों कि आप की परवाह करने में इन्होंने अपने शौक़ सपने किसी की भी परवाह नहीं की , आज इन्हें भी आप की जरूरत है ।
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