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बुधवार, 30 नवंबर 2022

दौलत भी क्या चीज़ है

दौलत है तो हर जगह और हर किसी के तुम हो ।
दौलत नहीं है तो हर जगह से , हर किसी के दिल से और हर किसी की नज़रों से गुम हो ।
ये दौलत भी क्या चीज़ है ....... कि
कोई दौलत के पीछे भागते - भागते मर जाता है ।
तो किसी के पीछे दौलत भागती है ।

रविवार, 27 नवंबर 2022

भुमिका

भूमिका के साथ विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखें ।
पहले भूमिका की हेडिंग लिख कर भूमिका तीन चार लाईन में पुरी हो जाती थी ।
फिर व्याख्या की हेडिंग लिख कर डेढ़ दो पेज विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखी जाती थी ।
ये दौर पढ़ाई का था।
अब ज्यादा तर लोगों में फोन ने भुमिका के स्थान को विस्तार पूर्वक व्याख्या की धारा पकड़ा चुका है
अब ज्यादा तर यह सुनने और देखने को मिल रहा है कि लोग भुमिका को इतना लंबा कर देते हैं कि अक्सर अपने मूल मकसद अर्थात खास बात / मुख्य बात को भूल जाते हैं कि उन्हें पुछना क्या था या कहना क्या था।
अक्सर यह सुनने को मिलता है कि देखिए मैं तो वो बात ही भूल गया जिसके लिए फोन किया था ।
भुमिका ने जो विस्तार पकड़ा है उसमें है क्या ?
सिर्फ बेवकूफी वाली बातें जैसे - कहां हैं ?
क्या हो रहा है ? और सुनाईए ?
इसमें से पहला सवाल - कहां हैं ?
यह अक्सर एक से दो बार पुछा जाता है । 
क्या हो रहा है ?
और सुनाईए ?
यह बार बार आता है ।
कौन कौन है ? 
क्या बना है ? 
और सुनाओ ? जैसे निरर्थक बातें जिसे कहने या पूछने की कोई आवश्यकता नहीं है  लेकिन यह फोनटाक फोबिया है , जो गहरे डिप्रेशन से होते हुए स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन पैदा करता है ।



शनिवार, 26 नवंबर 2022

स्वर्ग और नर्क में बहुत दूरी नहीं है

दो चार क़दम पे तुम थे ।
दो चार क़दम पे हम थे ।।
दो चार क़दम ये लेकिन ।
सौ मिलों से क्या कम थे ।।

दो चार क़दम पे स्वर्ग भी है ।
दो चार क़दम पे नर्क भी है ।।
दो चार क़दम नर्क के इतने हसीन नज़र आते हैं कि लोग दौड़ कर उसमें समा जाते हैं ।
जब फंस जाते हैं तब समझ में आता है कि ये मैं कहां आ गया हूं , जब की नर्क ने खुद तुम्हें नहीं बुलाया उसने अपनी चकाचौंध से तुम्हें सिर्फ आकर्षित किया और तुम इस आकर्षण में वशीभूत हो कर दौड़ पड़े ।
तुम्हें नर्क का एहसास तुरंत नहीं हुआ , नर्क ने तो तुम्हें स्वर्ग जैसा आनन्द तब तक दिया जब तक कि तुम अपने पुन्य कर्मों से खोखले नहीं हो गये ।
फिर तुम्हारे पास नर्क भोगने के सिवाय बचा ही क्या है ?
स्वर्ग की ओर जाने के लिए कोई चकाचौंध नहीं है ।
कोई आकर्षण नहीं है , बल्कि दुःख है । तकलीफें हैं। त्याग है । तपस्याएं हैं आदि...... इत्यादि..... हैं ।
स्वर्ग भी अपनी ओर बुलाता है लेकिन स्वर्ग के दो चार क़दम सौ मीलों से कम नहीं लगते ।
इस मायावी संसार से विरक्त होना पड़ता है ।
जिसको जो चाहिए वो सब है यहां , अब निर्णय तुम को करना है कि तुम पाना क्या चाहते हो और जाना कहां चाहते हो ।

रविवार, 6 नवंबर 2022

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।
इसमें उपासना और इबादत के अनन्त रास्ते हैं ।
जिसको जैसे अच्छा लगता है ।
जिसको जैसे आनन्द आता है ।
जिन तरीकों से मुरादें पूरी होती हैं ।
जिन आस्था से सफलता प्राप्त होती है ।
वे वैसे करते हैं ।
किसी को समझाना…...... क्यूं है ?
तुम जैसे हो वैसे ही रहो ....... ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी कोई मुरादें हासिल की है ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी सफलता को प्राप्त की है ।
तो लोगों को भी बताओ ।
लोगों को भी सिखाओ ।
न कि उसे उसके मार्ग से भटकाओ ।
किसी के धर्म और कर्म में कभी बाधा मत बनो
सभी इंसान हैं । सबकी अलग अलग सोंच है ।
उपरोक्त बातों द्वारा इसमें जातियों का कोई संबंध नहीं है ।
इस धरती पर सिर्फ चार प्रकार की जातियां हैं ।
1 - पुरुष / मर्द ।
2 - स्त्री / औरत ।
3 - अमीर / धनवान ।
4 - गरीब / निर्धन ।
इसके बाद कोई जात नहीं है ।
माना कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पुरक हैं ।
ठीक इसी तरह अमीर और गरीब भी एक दूसरे के पुरक हैं ।
स्त्री को पुरुष की आवश्यकता है ।
पुरुष को स्त्री की आवश्यकता है ।
गरीब को अमीर की आवश्यकता है ।
अमीर को गरीब की आवश्यकता है ।
हरलोग अपनी मर्यादा में रहते हुए अपने कर्तव्यों
का पालन करें । इसी को इंसानियत कहते हैं ।

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022

मुहब्बत में भी एक दुनिया है ।

एक तरफ़ दुनिया है , जो अपनी तरफ़ आकर्षित करती है और एक तरफ़ किसी की मुहब्बत है , जो अपनी आगोश में समेट कर दुनिया को भुलवाना चाहती है , दुनियां से दूर रखना चाहती है ।
दुनियां में अगर जाऊं तो यहां मुहब्बत नहीं है और मुहब्बत में अगर जाऊं तो वहां दुनिया नहीं है ।
अंत में यह एहसास हुआ कि इस दुनिया में जो दुनिया है , वह बहुत ही अलग तरह की दुनिया है , जिसमें चंद लोगों के सिवा कोई किसी का नहीं है ।
मुहब्बत में भी एक दुनिया है जिसमें सब अपने हैं । मुहब्बत के सिवा वहां कुछ भी नहीं ।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

दो मित्र

कुछ लोगों का मिजाज रईशी होता है , जो खानदानी है । किसी भी हाल में हों मगर उनकी रईशी बू बांस मरते दम तक नहीं जाती । कुछ लोग उनकी नकल करने में उजड़ जाते हैं । खैर ये अलग मैटर है , जिसके पास जितना होता है वो अपने हिसाब से अपनी ज़िंदगी का इंज्वॉय करता है । सब अपनी नसीब , अपनी सामाजिकता और अपनी औकात पर निर्भर करता है , इसमें न तो आप किसी को रोक सकते हैं और न तो समझा सकते हैं यदि आप ने अपना समझ कर हमदर्दी में कुछ राय पुर्वक समझाया तो पीठ पीछे आप की औकात दिखा दी जाती है ।
कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं कि आप कुछ भी हों मुंह पर ही आप की औकात नाप देते हैं ।
मैं आप को दो ऐसे मित्र की कहानी सुना रहा हूं जिसमें आप को ये महसूस होगा कि दुनियां और समाज की चकाचौंध में जाने के अंजाम क्या होते हैं और अपने भविष्य को लेकर जो सतर्क होते हैं वे क्या करते हैं , जिससे उनके और उनके आने वाली पीढ़ी किसी विपत्ति के समय में सुरक्षित कैसे हो सकती है ।
दो व्यक्ति थे । जिनकी सर्विस के दौरान ही मित्रता हुई । दोनों मित्र एक साथ रिटायर हुए , दोनों को काफी पैसा मिला .....।
एक मित्र ने दूसरे मित्र से जमीन खरीदने की बात की मगर उसे यह फाल्तू काम लगा तो उसने सुझाव देना छोड़ दिया और चुपचाप जाकर शहर में ही सिर्फ दस लाख खर्च कर के एक जमीन ले ली और दूसरे मित्र ने दस लाख की एक कार खरीदी ,
वक्त गुजरता गया दस साल बीत गए जमीन वाले को अपनी जमीन निकाल कर कुछ और करने की सूझी उस ने अपनी जमीन बेची तो उसे एक करोड़ पच्चीस लाख मिले और कार वाले मित्र की कार एक कबाड़ी वाला सिर्फ पच्चीस हजार रुपए दे कर ले गया ।
अब फैसला आप के हाथ में है कि आप जमीन की शक्ल में सोना से भी मंहगी चीज बनाकर बेचना चाहते हैं कि कबाड़ के भाव में गाड़ी ।
बढ़ती मंहगाई , बढ़ती आबादी के बीच सोने का भाव भी गिरता है । गाड़ियों के भाव में भी गिरावट और डिस्काउंट आते रहते हैं लेकिन जमीन के भाव को आज तक मैंने डाउन होते नहीं देखा ।
इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे आप्शन होते हैं जो आप के आत्ममंथन पर निर्भर करता है कि आप अपने आप को कैसे सेक्योर रहते हुए विकास की ओर ले जा सकते हैं ।

रविवार, 16 अक्तूबर 2022

आत्मा को परमात्मा में लीन कर देना

( औलिया अल्लाह मतलब पहुंचे हुए संत और फ़कीर जो अपनी आत्मा को परमात्मा में लीन कर चुके हों )
 मैंने औलिया अल्लाह को देखा है ।
मैंने औलिया अल्लाह से बातें भी की है ।
मैंने औलिया अल्लाह के कुछ करिश्मों को भी देखा है । उनके करिश्मे को मैंने अपने उन ख्वाहिशों को पूरा होने में देखा है जिन ख्वाहिशों की मुझे हद से ज्यादा ज़रुरत थी ।
मैंने औलिया अल्लाह के साथ बहुत साल गुजारे हैं किसी लालच में नहीं ।
किसी मकसद से नहीं ।
सिर्फ उनकी मुहब्बत में ।
उस वक्त मुझे उनकी ताकत का पता नहीं था ।
जब पता हुआ तो इल्म की रौशनी पाने की ख्वाहिश हुई ।
उनके आगे मेरी चाहतों का क्या मोल ?
उन्हें पता है कि मेरी चाहतें मेरे लिए उचित है या नहीं।
हम तो बिन पानी मछली की तरह तड़पते हैं अपने मकसद को पाने के लिए ।
लेकिन वो वही करते हैं जिसमें मेरी भलाई है ।
वो ये कभी नहीं करते जिसमें मेरी तबाही हो ।
वे लोग नादान और अनजान हैं कि जिन्हें औलिया अल्लाह मिले हों मगर समझ न सके और उन्हें छोड़ कर अपना रास्ता कहीं और नाप लेते हैं , लेकिन उनकी नज़र उन सभी के हर हरकतों पर रहती है जो अपने हाथ से उनके हाथ को पकड़ कर उनका हो गया हो।
दुनियाबी इल्म किस्मत से मिलती है और दीनी इल्म औलिया अल्लाह के शोहबत में रहने से ।
बस सब्र करो और इतना करो कि औलिया अल्लाह भी घबरा जाएं और बुरी किस्मत भी पीछा छोड़ दे ।मैं जानता हूं कि औलिया अल्लाह लिखे हुए तक़दीर को बदल देते हैं पर मुझे यह नहीं मालूम कि मेरी किस्मत में क्या है बस जो हालात मेरे सामने है वही रज़ा ए इलाही है।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

तुम कौन हो ?

1 - दुनियां में आने के लिए एक दायरे में आना पड़ता है । एक आकार का रुप लेना पड़ता है , जैसे आदमी का जिस्म हो या किसी पशु पंक्षी का और वो दायरा महदूद होता है । इस लिए तुम भी एक महदूद दायरा हो लेकिन तुम्हारे इस महदूद दायरे में भी एक चीज ला महदूद है । जिसे रुह कहा जाता है , जो ला महदूद जगह से आती है , जहां कोई महदूदियत नहीं होती इसी को पकड़ना और साधना पड़ता है , लेकिन तुम्हारा महदूद जिस्म इसे समझ नहीं पाता और अंत में ये तुम्हारे महदूद जिस्म से निकल कर ला महदूदियत में चली जाती है । वहीं इसका असली और वास्तविक जगह है । तुम्हारा शरीर विकृत हो सकता है । तुम्हारा शरीर मिट भी जाता है । लेकिन रुह अजर और अमर है जो न कभी मिटती है और न तो कोई मिटा सकता है । अगर तुम चाहते हो , तो इस महदूद दुनिया और महदूद जिस्म में होते हुए भी ला महदूदियत को पा सकते हों ।- 
जब तुम्हें एक ला महदूद जगह से दूसरी महदूद जगह पर ट्रांसफर किया जा रहा था तो तुम्हें यह मंजूर नहीं था फिर जब तुम्हें बताया गया कि उस महदूदियत में रहते हुए भी तुम ला महदूद कैसे हो पाओगे और जहां से जा रहे हो वहां जब चाहे तब कैसे आ जा सकते हों , तब जा कर तुम अपना ट्रांसफर करवाने के लिए तैयार हुए , जब ट्रांसफर हुआ तो नौ महीने तक तुम्हें एक महदूद दायरे में रखने के बावजूद ला महदूदियत से जोड़े रक्खा गया फिर नौ महीने बाद तुम्हें बाहर निकाला गया फिर भी तुम बाहर आ कर नौ महीने तक तड़पते रहे अपने लामहदूदियत के मुकाम पे जाने के लिए लेकिन उसके बाद तुम भूलना शुरू किए और धीरे धीरे आज सारे रास्ते भूल चुके हो । तुम्हें कुछ याद नहीं। 

2 - अल्लाह से जो तुम मांगते हों उसकी एक हद है
लेकिन उसके देने की कोई हद नहीं मगर हद तुम बनाते हो , हद में मांग कर इस लिए वो तुम्हारी जरूरत के मुताबिक हद में दे देता है ।

3 - दरिया से कभी बूंद की ख्वाहिश मत करो अगर पचा पाओ तो दरिया को ही पचाने की कोशिश करो अगर ये भी न हो पाए तो खुद में ही एक दरिया बन जाओ।

4 - मांगने से बेहतर पाने का इंतजार करो हो सकता है कि अल्लाह तुम्हारे लिए तुम्हारी सोंच से भी ज्यादा देने वाला हो ।
इसि इंतजार को सब्र कहा जाता है और तुम्हारे हर सब्र में वो तुम्हारे साथ है ।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

उसकी नज़र में

उस की नज़र में मैं बेवकूफ इस लिए हूं क्यो कि मैं सच बोलता हूं । सच्चाई कड़वी होती है जो आसानी से नहीं पचती ।
सच्चाई का सहारा लेने के लिए जब किसी सच्चे इंसान की जरुरत पड़ेगी तो तुम मुझे ढूंढते हुए मेरे पास आओगे ।
लेकिन झूठ का सहारा लेने के लिए तुम्हें किसी को ढूंढने की आवश्यकता नहीं है , क्यों कि झूठ के मामले में तो तुम खुद ही पारंगत हो ।

शनिवार, 20 अगस्त 2022

जिसकी जितनी किस्मत थी

जिसकी जितनी किस्मत थी ।
उतना उसका हिस्सा आया ।।

किसी को ज़रुरत से कम आया ।
किसी को जरुरत से ज्यादा आया ।।

किसी को गुर्बते रुसवाई आया ।
किसी को दौलतें जागीर आया ।।

किसी की आंखों में नीर आया ।
किसी के हाथों में खीर आया ।।

मुझे सब्र था तो राहे सूलूक में ।
मेरे हिस्से में मेरा पीर आया ।।

जावेद उन सब को अब भूल जा ।
तू नज़र में जिसके हक़ीर आया ।।

शब्दार्थ - 
हक़ीर = छोटा , तुच्छ , नीच , गिरा हुआ इत्यादि ।

राहे सूलूक = ग़रीब , दुखियारों की मदद करना ,
                  ईश्वर की तलाश , आत्मा को     परमात्मा     
                  में लीन करना आदि इत्यादि ।
                  
पीर = कामिल मुर्शीद , संत , पहुंचे हुए फ़कीर , 
          औलिया अल्लाह , सच्चे गुरु आदि इत्यादि 
          
नीर = पानी , आंखों से संबंध होने पर आंसू ।

खीर = विषेश प्रकार का स्वादिष्ट व्यंजन ।

गु़र्बत = ग़रीबी , गुर्बते = जरुरत से ज्यादा ग़रीब ।

रुसवाई = हंसी का पात्र बनना , लोगों के द्वारा
               मजाक उड़ाया जाना आदि इत्यादि ।
               
दौलतें जागीर = बे शुमार दौलत , इलाके का
                       मालिक , जरुरत से ज्यादा धन
                       का होना अति सम्मानित सम्मान
                       में लोगों का सर झुक जाना ।