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गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

शोषण और छल

जब कोई अकेली लड़की या औरत अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए घर से निकलती है , तो वह शोषण का शिकार बनती है ।

जब कोई लड़का या मर्द अकेले अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए घर से निकलते हैं , तो वह छल का शिकार होते हैं ।

दोनों पक्षों में कोई सुरक्षित नहीं है ।

जिंदगी में कभी न कभी । किसी न किसी मोड़ पर उपरोक्त का शिकार तो होना ही है ।

शोषण और छल करने वाले किसी दूसरे ग्रह या गोले से नहीं आते हैं । यह लोग इसी धरती पर हमारे समाज में , हमारे आस-पास ही , अपने शिकार की तलाश में लगे रहते हैं ।

सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

सारांश

अगर एक से पांच मिनट की शार्ट विडियो मुख्य उद्देश्यों को दर्शा सकतीं हैं , तो एक से पांच लाईन का कंटेंट , लंबे व्याख्यान का सारांश नहीं हो सकता है क्या ?

शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

सोशल मीडिया पर पेज और चैनल

दुनियां में हर इंसान पैसा कमाना चाहता है ।

पैसा कमाने के लिए कभी-कभी वह उस हद से भी गुजर जाता है ।

जिसके लिए उसका दिल कभी गवारा नहीं करता  ।

आप के जिंदगी में क्या प्राब्लम है ?

कैसी घुटन है ? 

कैसा दर्द है ?

इस मामले में मैं कोई चर्चा नहीं करुंगा क्यों कि यह आप सभी लोगों का अपना - अपना निजी मामला है । मतलब यह है कि पुरे समाज में सभी के अपने - अपने तरीके हैं , जिसके मुताबिक सुख और दुःख हैं  ।

सभी के सीनों में एक दर्द है । एक सपने हैं , जिसे पूरा करने की चाहत और दर्द एवं घुटन से उसे दूर होने की उम्मीदें दबी पड़ी हैं । इस लिए इस टापिक को छोड़ता हूं ।

पैसा कमाने के लिए अब सोशल मीडिया भी अवसर दे रही है और बहुत सारे लोग हैं , जो अच्छी-खासी इनकम भी करते हैं ।

वाट्सएप , फेसबुक , इंस्टाग्राम , टेलीग्राम , स्नैपचैट ,

ट्विटर , यूट्यूब इत्यादि ।

कहीं भी जा कर अपना एकाउंट बना लीजिए और अपने अनुभव , अपने टैलेंट के अनुसार काम करिए ।

आप से एक बार सिर्फ एकाउंट वेरिफिकेशन किया जाता है । जिससे पता चल सके कि कोई और नहीं बल्कि एकाउंट क्रिएट करने वाले आप ही है ।

आप के किसी पोस्ट पर एप्रुवल लेने की जरूरत नहीं पड़ती यही कारण है कि आज जितनी भी सोशल साईटें हैं सभी में करोड़ों से उपर लोग हैं ।

फेसबुक में आप को पेज़ और ग्रूप बनाने का विकल्प दिया जाता है और लोग बनाते भी हैं ।

कुछ ग्रूप ऐसे हैं , जिसमें ज्वाइन करने पर मेम्बर बना दिया जाता है । आप के पोस्ट को एप्रूवल की कोई आवश्यकता नहीं होती । 

जैसे फेसबुक पर पोस्ट करते ही पब्लिक में शो होती है वैसे ही ग्रूप में भी शो होती है ।

यही कारण है कि उन ग्रूपों में भी लाखों और करोड़ों लोग जुड़े हुए हैं ।

अगर आप ने कोई ग्रूप बनाया है , तो अपनी शर्तों को पहले ही बताएं , जिससे जुड़ने वाले लोग आप की शर्तों के मुताबिक जुड़ सकें ।

हर पोस्ट पर एप्रूवल जरुरी है , और एडमिन जिसकी पोस्ट को चाहे एप्रूफ दे कर पोस्ट करें , जिसकी पोस्ट को चाहें पेंडिंग में डाल कर न करें ।

ऐसी परिस्थितियों में ग्रूप ग्रो कैसे करेगा और ज्यादा से ज्यादा लोग कैसे जुड़ सकेंगे ।

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जुड़े हुए लोग ग्रूप को छोड़ने लगते हैं , और अगर पड़े भी रहते हैं तो कोई पोस्ट नहीं करते । अगर कोई नोटिफिकेशन आता भी है तो उसे देखने के बजाय स्क्रीन पर से ही स्कीप कर के हटा दिया जाता है ।

मेरे कहने का उद्देश्य मात्र इतना ही है कि कोई भी ग्रूप बनाएं तो उसमें आप कैसी पोस्ट चाहते हैं  । अपने नीयम और शर्तों को बता दें , जिससे जुड़ने वाले लोग अपनी हद में पोस्ट और कमेन्ट कर सकें , यदि कोई अभद्रता करता है , तो उसे नोटिस करें उसपर भी न माने तो एकाउंट ब्लॉक कर दें ।

लेकिन ग्रूप या चैनल जो कुछ भी हो उसमें जुड़ने वाले लोग अपने विचारों को , अपने लेखों को , अपने कलाओं को  , सीधे प्रस्तुत करने का मौका प्राप्त कर सकें  । एप्रूवल वाले मामले में जब ज्यादा लोग जुड़े होते हैं , तो एडमिन को इतना समय भी नहीं मिलता कि वह यह देख सकें कि कौन सी पोस्ट एप्रूफ हो चुकी है और कौन सी पोस्ट अभी पेंडिंग में पड़ी हुई है ।

प्लेटफार्म स्वतंत्र होना चाहिए जब फेसबुक , इंस्टाग्राम टेलीग्राम , स्नैपचैट आदि ने एप्रूवल की सीमा को हटा चुकीं हैं , जिसका परिणाम दुनियां के सामने है । आज़ ये मिडिया उस मुकाम पर हैं , कि जहां हम और आप भी उन्हीं के प्लेटफार्म पर काम करते हैं । हमारा या आप का कोई पर्सनल एप या सोशल मीडिया का कोई साईट नहीं है।

संक्षिप्त में इतना ही काफी है । आगे आप के पेज़ हैं । आप का चैनल है । आप का विचार है , और आप की मर्जी है ।



शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

इस दुनियां में

1 - मैं इस दुनियां में मुकम्मल भेजा गया था ।
मुझे मालूम नहीं था, कि यहां दिलों को , सपनों को , घरों को , समाजों को , रिश्तों को मतलब हर तरह से तोड़ने वाले लोग भी मिलते हैं । जिन सपनों को अपने दिलोदिमाग में बरसों सज़ा के रक्खा था , अब टुकड़े समेटने पे भी कोई अक्श नहीं मिलता ।

2 - मैं इस दुनियां में मुहब्बत से , मुहब्बत के लिए
मुहब्बत लेकर आया था ।
मुझे मालूम नहीं था , कि यहां नफरत और दर्द देने वाले लोग भी मिलते हैं ।

3 - मैं इस दुनियां में जिसके माध्यम से आया ।
उसी ने मुझे रिश्तों के जाल में फंसाया ।
मुझे मालूम नहीं था , कि यहां रिश्तों का कोई मोल नहीं होता । यहां रिश्तों को तार - तार करने वाले लोग भी मिलते हैं ।

4 - मैं इस दुनियां में सच्चाई , इमानदारी , प्रेम और अपनापन लेकर आया था । मुझे मालूम नहीं था कि यहां सच को झूठ और झूठ को सच साबित करने वाले लोग भी मिलते हैं ।

5 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे दूध पीने को मिला । जिसने मुझे दूध पिलाया उसी ने मुझे तरह - तरह के खाने भी खिलाये । मुझे मालूम नहीं था , कि यहां गांजा ,

भांग ,

चरस , अफ़ीम , स्मैक , ताड़ी , शराब पीने और पिलाने वाले लोग भी मिलते हैं ।

6 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे मालूम नहीं था , कि इस दुनियां में मुझे किसने भेजा है ?
मैं जिसके माध्यम से इस दुनियां में आया , तो उसी ने मुझे बताया कि तुम्हें इस दुनियां में किसने भेजा है ।

7 - मैं इस दुनियां में आया तो मुझे मालूम नहीं था कि दुःख दर्द सुन कर हंसने , मज़ाक उड़ानें और खुश होने वाले लोग भी मिलते हैं ।

इस लिए तुम अपनी सारी बात । सभी दुःख दर्द और जरुरतें , उसी से कहो जिसने तुम्हें इस दुनियां में भेजा है , वो कभी हंसेगा नहीं । वो कभी मज़ाक नहीं उडाएग । वो बहुत खुश होगा , कि मेरे बन्दे ने आज मुझसे कुछ कहा है ।

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

सामान के बदले सामान

वही दौर अच्छा था । जब लोग सामान के बदले सामान लिया और दिया करते थे ।
तब आपसी प्रेम भी बहुत ज्यादा था ।
जबसे नोट की धुर्री पर दुनिया आयी तब से विभिन्न प्रकार के अपराध और विवाद बढ गये हैं । भाई - भाई से दूर हो रहा है । बेटा बाप से दूर हो गया है । कोई पागल हो जाता है , तो किसी का हार्ट अटैक हो जाता है , कोई गलत राह चुन लेता है , तो कोई संन्यास ले लेता है ।

शनिवार, 23 सितंबर 2023

अपराध क्यों ? और किसके लिए ?

तुमने पैदा हुए बच्चे को भी देखा है ।

तुमने बच्चे को दौड़ते खेलते हुए भी देखा है ।

तुमने नौजवानों को भी देखा है ।

तुमने बीमार को भी देखा है ।

तुमने बुढ़े हुए लोगों को भी देखा है ।

तुमने मरे हुए लोगों को भी देखा है ।

तुमने हर परिस्थितियों में

विभिन्न प्रकार के लोगों को भी देखा है ।

जब यह साबित हो गया है कि 

यहां कोई भी ज़िंदा नहीं रहेगा ।

आदमी से लेकर जानवर तक ।

पेड़ से लेकर पहाड़ तक ।

सब को एक दिन मरना ही है ।

तो फ़िर तरह - तरह के अपराध क्यों ?

और किसके लिए ?

परिस्थितियां हमेसा एक जैसी नहीं होती हैं ।

कभी तुम अपने लिए जीते हो ।

कभी अपनों के लिए जीते हो ।

कभी औरों के लिए जीते हो ।

कोई भी परिस्थिति यह कभी नहीं कहती है कि

तुम अपराध करो ।

चाहे अपने लिए हो ...... ।

अपनों के लिए हो या औरों के लिए हो ।

तुमने अगर किसी के लिए भी अपराध किया है ।

तो उसके भागीदार , उसकी जवाबदेही और उसका पाप , पुन्य , दंड से उन लोगों का कोई मतलब और सरोकार नहीं है ।

सारी चीजें तुम्हीं पर आएंगी ।

इस दुनियां से जाने के पहले तीन चीजें होती हैं ।

1 - अपने अपराध के द्वारा जुटाई गई सारी चल अचल संपत्ति या तो किसी को देकर जाओगे ।

2 - या तो छोड़ कर जाओगे ।

3 - या तो मिटा कर जाओगे ।

यह सब यही पर बट कर बिखर जाने वाली है ।

यहां से कुछ भी साथ में लेकर जाने का कोई भी रास्ता नहीं है ।

दुनियां से कैसे जाता है आदमी यह भी तुमने देखा है ।

तुम्हें बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है ।

इस दुनियां में हर लोग अपनी - अपनी किस्मत लेकर आते हैं और उसी के मुताबिक जीते हैं , फिर चले जाते हैं । हां इतना जरूर कहूंगा कि तुम्हारे माध्यम से इस दुनियां में जो आया है , उसकी जिम्मेदारियां तब तक तुम्हारे उपर हैं । जब-तक की वो अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए ।

तुम जब-तक जिंदा हो तब तक जो ज़िम्मेदारियां तुम्हारी बनती हैं , उसे जायज़ तरीके से पुरा करने की कोशिश करो ।

यह ख्याल रहे कि इसमें कोई भी क़दम ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो नाजायज और अपराधिक तरीके से हों ।

रविवार, 20 अगस्त 2023

दुनियां का सारा निचोड़ तो सिर्फ तुम में ही है

जब तुम मेरे पास होते हो ........... ।
तो न कहीं जाने को मन करता है और न किसी परिचित या मित्र से मिलने का जी चाहता है ।
मन बस यही चाहता है , कि चुपचाप तुम्हारे साथ तुम्हारे पास ही पड़ा रहूं  लेकिन जब किसी का फोन आ जाता है । तब बहुत डिस्टर्बेंस महसूस होता है , और जब कोई मिलने को कहता है । तब तो और भी मन खौल उठता है , लेकिन जब कोई यह कह देता है , कि मैं आप से मिलने के लिए आ रहा हूं । तब तो ऐसा लगता है , कि जैसे मेरी जान ही निकल जाएगी । 
क्या करुं यह सब , तब ही होता है । जब तुम मेरे पास मेरे साथ होते हो............. ।
सोचता हूं कि वह दिन कैसा होगा ?
उस दिन का एक - एक पल कैसा होगा । 
जब तुम मेरे साथ मेरे पास नहीं होगे ।
दुनियां की सारी रंगीनियां ............. ।
दुनियां के सारे ऐशो-आराम ..…....... ।
दुनियां का सारा निचोड़ तो सिर्फ तुम में ही है ।
मेरे बिना हो सकता है कि तुम कुछ हो सकते हो ।
लेकिन तुम्हारे बिना तो मैं कुछ भी नहीं हूं ।
तुम्हारे ऊपर मेरा कोई प्रतिबंध नहीं है....... ।
तुम्हारे ऊपर मेरा कोई दबाव भी नहीं है.......... ।
यह सिर्फ इस लिए है , कि मुझे तुम्हारे ऊपर अटूट विश्वास है , और इससे भी ज्यादा अगर कुछ है । तो वह तुमसे बे पनाह मुहब्बत है ।
ये अलग बात है कि मैं एक जिस्म में हूं , लेकिन 
मेरी हर धड़कन....... ।  
मेरी हर सांसें...... । 
यहां तक कि मेरी जान भी तुम्हारे अंदर ही है ।
मेरा जीना भी तुमसे ही है और
मेरा मरना भी तुमसे ही है ।
तुम्हारे बगैर मैं सिर्फ एक ढांचे की तरह ही हूं ।
मेरे लिए ..... । 
मुझे इस दुनियां में ज़िंदा रहने के लिए ।
तुम्हारा मेरे पास होना ज़रूरी है ।
तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है ।
तुम्हारी ज़रा सी भी उदासी.....। ख़ामोशी..... । और मायुसी..... ।
मेरा सुख चैन सब छींन लेती है ।
जब कभी फुर्सत के वक्त मिले , तो दो मिनट के लिए ही सही मगर एक बार मेरे बारे में भी जरुर सोंच लेना ।
मुझे उम्मीद है कि तुम्हें इस बात का एहसास हो जाएगा , कि तुम्हें मैंने किस नज़रिए से देखा है । तुम्हें अपना क्या समझा है ।
तुम्हें अपने रुह की गहराइयों से क्या महसूस किया है....... ।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन

कुछ काम भी ऐसे हैं । कुछ बातें भी ऐसी हैं । जिन्हें हम लोगों की नज़रों से छुप - छुप कर करते हैं ।
जहां तन्हाई होती है  । जहां हम अकेले होते हैं  । न तो किसी के होने का भय और न तो किसी के आने कि चिंता  । उस समय आपस की सारी शर्मोहया की दीवारें टूट जातीं हैं । आपस का सारा भय मिट जाता है ।
इस एकांत तन्हाई में निर्भय होकर क्या होता है । इसको हम भी जानते हैं और आप भी जानते हैं ।
यही चीज जब सामाजिक हो जाती है । सभी के संज्ञान में आ जाती है , कि यह दो लोग अब एक सुत्र में बध चुके हैं । अब ये दोनों लोग अपना जीवन अपने हिसाब से जीएंगे । तब हम दोनों एक साथ एक घर में होते हैं  ।
जिस घर में हम होते हैं । उस घर में एक पुरा परिवार भी होता है । जहां सबको पता होता है कि हम दोनों आपस में क्या हैं और फिर हम दोनों सभी के कुछ न कुछ तो लगते ही हैं ।
उस समय बहुत लाज लगती है । जिस समय हम दोनों अकेले एक रुम में होते हैं । यह बात हर पल दिमाग़ में घूमती रहती है , कि इस अकेले पन में क्या हो सकता है  । आखिर यह तन्हाई किस लिए है ? इस बात को तो इस घर में रहने वाले अधिकतर लोग जानते होंगे ।
यह विचार उस तरह की जिंदगी नहीं जीने देता जो जिंदगी पहले के अकेलेपन में था  । जब लोगों से लुका छुपी में  बीत रहा था ।
उस समय हम निर्भय थे । आपस के एक विचारधारा में थे । एक ही सोंच और एक ही ख्याल में थे । तब विचारों के विचलित होने का भी कोई डर नहीं था ।
लेकिन परिवार में तो एकाग्र होना । निर्भय होना । एक सुत्र में बंध कर हर छण को जी पाना संभव ही नहीं हो पाता है ।
क्या इस घरेलू परंपरा से समाज में सभ्यता क़ायम हो सकती है ?
मेरे समझ से शादी तब हो जब अपना निजी घर हो लेकिन ऐसा भारत में पांच पर्सेंट लोग ही कर सकते हैं  । पंचानबे पर्सेंट लोगों को तो अपने पिता के घर में ही रहना पड़ता है  । इस मुआमले में पिता खुद यह चाहता है , कि मेरी पतोह मेरे ही घर में रहे  । जब कि बहुत कम घर ऐसे होते हैं कि जहां छोटा परिवार है  । हमारे देश में अधिकतर ज्वाइंट फैमिली हैं । जिसमें विवाहित लोग भी होते हैं और अविवाहित लोग भी होते हैं  ।
मस्तिष्क है तो सोचना समझना तो सभी को पड़ता है  । कोई भी आज के दौर में  इस परंपरागत बातों से अंजान नहीं है  , फर्क सिर्फ इतना ही है कि सभी लोग खामोशी साधे हुए परंपरागत तरीके से इसे सेलिब्रेट करते हैं  । जब कि यह परंपरा नहीं है , कि हम उसी ज्वाइंट फैमिली वाले मकान में रहें  । आर्थिक अभाव ने इस समस्या को सहते - सहते परंपरा बना दिया है ।
लगभग पंचानबे पर्सेंट लोगों को अपना घर बनाना पड़ता है  , लेकिन तब , जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और आगे वही चीजें वे बच्चे भी झेलते हैं  , जो हम आप अपने पिता के ज्वाइंट फैमिली में झेलते हैं ।
इस लिए हर माता-पिता और हर सास - ससुर को चाहिए कि दहेज़ और दिखावे को त्याग कर उन दिनों को एक मकान की व्यवस्था में सहयोग करें जिससे ये दोनों अपनी जिंदगी अपने शौक , अपनी खुशियों और अपनी चाहतों के मुताबिक जी सकें ।
ऐसा करने से कोई किसी से बिछड़ नहीं जाता है और न तो दूर हो जाता है , बल्कि परिवार , भाई , बहन , रिश्तेदार सभी से लगाव बढ़ जाता है । सभी से आपसी प्रेम और भाईचारा बना रहता है ।
यह खंडित तब हो जाता है  । इसमें नफरत तब पैदा हो जाती है । जब आपसी विवाद कर के हमें या आप को या आने वाली संतानों को अलग-अलग होना पड़ता है ।
सारा जीवन फुर्सत और तन्हाई का समय ढूंढने में निकल जाता है । बिड़ले ही होंगे जिन्हें ऐसा समय मिलता होगा । अगर हया है । लाज और शर्म है तो ऐसे समय का मिलना बहुत बड़ा सौभाग्य के समान होता है अन्यथा आदमी अगर बेशर्म हो जाय तो समय भी है । फुर्सत भी है । उनके होंठों पर चुप्पी भी है जिन्होंने उन्हें इस के लिए मान्यता दी है ।
चाहे बच्चे हों , जवान हों या बूढ़े हों ।
सबको सब मैनेज कर लेते हैं  ।

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन ।।

बुधवार, 9 अगस्त 2023

एक दिन बिक जाएंगे माटी के मोल

सत्कर्म और कुकर्म अलग-अलग हैं ।
इबादत और पूजा अलग-अलग हैं ।
पुन्य और पाप दोनों अलग-अलग हैं ।
पाप पाया नहीं जाता कमाया जाता है ।
पाप के लिए कुछ करना पड़ता है ।
कुछ पाप अंजाने में होते हैं ।
कुछ पाप जान बूझ कर होते हैं ।
कुछ पाप के हम भागीदार होते हैं ।
कुछ पाप हमें विरासत में मिलते हैं ।
बिना कमाए हुए पाप जो हमें विरासत में मिलते हैं
वो अपने लोगों के कुकर्म की देन है ।
जो कई पीढ़ी पीछा नहीं छोड़ती ।
इसी तरह पुन्य भी कमाया जाता है ।
पुन्य भी विरासत में मिलती है ।
जो कई पीढ़ी तक पीछा नहीं छोड़ती ।
जिस कर्म से लोगों को दुःख पहुंचे और उस दुःख में लोगों के मुंह से बद्दुआ निकले , हाय भी निकले , अभिशाप भी निकले एवं श्राप भी निकले ।
यह निकलना जारी हो जाता है ।
लोगों के हर रोज की बातों में और बातों ही बातों में लोगों के द्वारा दी गई कभी किसी मिसालों में लोग चरित्र हीनता और कुकर्मता का प्रमाण देते हैं ।
ऐसे ही सत कर्म से जब लोगों के हाथ आशिर्वाद के लिए उठ जाएं , जब लोगों के मुंह से दुआएं निकल पड़े , जब लोगों के बीच अच्छाईयों की चर्चा होने लगें , तब भी मिसालों में नाम आने लगता है ।
यह सब कमाई गयी चीजें हैं , जो अपने जीवन से लेकर अपने पीछे आने वाले लोगों तक को मिलती हैं । लोगों के चर्चाओं में भी और लोगों के मिसालों में भी । इस लिए हमेशा इस बात का ध्यान होना चाहिए कि हमारी वाणी और हमारे कर्तव्य किसी को दुखी न करें ।
जब कभी अपनी शिकायत सुनो तो समझ लो कि कहीं कुछ गलती हुई है । यही चीज़ कुकर्मता की ओर ले जाना शुरु करती है । तब अपने सत्कर्म को बढ़ाना शुरु कर दो , जब तुम्हारे कुकर्म का पलड़ा भारी होने लगें तो सत्कर्म का पलड़ा भारी करना शुरू कर दो ।
ये कोई और नहीं करेगा ये तुमसे शुरु हुई है तो तुम्हीं से खतम भी होगी । कहीं ऐसा न हो कि तुम इस दुनियां से चले जाओ और सब अपने आने वाले लोगों के लिए विरासत में छोड़ जाओ और पीढ़ी दर पीढ़ी लोग आप की बातें और मिसालें सुनते रहें ।
एक दिन बिक जाएंगे माटी के मोल ।
जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल ।।

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

भविष्य वक्ता

जो भविष्य वक्ता होते हैं । 
जो लोगों के भविष्य के बारे में एक - एक पल को जानते हैं । ऐसे लोग बहुत ही विशाल ह्रदय के होते हैं । लोगों के भविष्य को देख कर यह जानते हुए भी कि आगे आने वाला समय अंधकारमय है , फिर भी वह यही कहते हैं , कि आगे आने वाला समय बहुत ही उज्जवल और लाभदायक होगा , धन से अमीर होने की संभावना है ।
दुश्मन मित्र हो जाएंगे , और मित्र सबसे बड़े सहयोगी हो जाएंगे ।
यह खुशफहमी से भरा हुआ एक सब्जबाग है ।
जिसकी खुशी में आदमी बिन्दास जीता है , क्यों कि उसके दिमाग में यह गुंजता रहता है कि अब मैं अमीर बन जाउंगा , कोई मेरा अनहित नहीं कर सकता । अब तो सब मेरे हित में ही होंगे ।
चलो ये भी ठीक है , कम से कम झूठी तसल्ली और झूठी गलतफहमी में ही सही , आदमी अपने अच्छे दिनों के इंतजार में खुशी से जीता तो है ।
अब आगे ईश्वर ही जाने कि वह भविष्य वक्ता की बातों को सही करेगा या उस बात को सही कर देगा जिस बात को भविष्य वक्ता ने सामने वाले के दिल को रखने के लिए अपने तरफ से बना कर कही है ताकि वह अपने जीवन से निराश न हो सकें ।
लेकिन आज के दौर में हर आदमी अपने आप में माडलाईज एवं आर्टिफिशियल भविष्य वक्ता बना घूम रहा है ।
जब जिसको चाहा यह कह देते हैं कि अब तुम्हारे भीख मांगने के दिन करीब आ गये हैं ।
ऐसा इस लिए है कि हर लोग यही चाहते हैं , कि जो कोई भी कुछ करे तो उनसे राय मशविरा जरुर करें । भले ही वो अपन सारा काम स्वयं करें किसी से कुछ पूछने या बताने की आवश्यकता नहीं समझते है । लेकिन जब आप से एक छोटी सी भूल या चूक हो जाती है तो उसपर अपने ज्ञ्यान का पिटारा खोल देते हैं । जब कि खुद को कभी मुड़ कर यह नहीं देखते कि स्वयं से कभी भूल या चूक हुई है या नहीं या मैंने खुद आज तक कितनी सफलताएं हासिल की है , मगर इन सब बातों की कोई प्रवाह नहीं है । उन्हें तो अपनी भविष्यवाणी देना ज़रूरी है ।
निष्कर्ष - 
यदि आप किसी का सहयोग नहीं कर सकते हैं , तो किसी के मनोबल को गिराने का कार्य कभी भी न करें । जहां तक हो सके मित्रवत भाव से सहयोग और व्यवहार करें , उसके मनोबल को ऊंचा उठाने की कोशिश करें । यदि उसके कार्य में कोई चूक या भूल हो गई है , तो उसे खूबसूरत अंदाज में सही सुझाव दें , जिससे उसे इस बात का एहसास हो सके कि मेरे साथ भी कोई सहयोगी और मार्गदर्शक के रुप में है ।
ऐसा कभी न कहें कि यह गलती या चूक जो तुमसे हुईं है वो इस लिए हुईं कि , तुमने अपने इस काम के बारे में न तो मुझे कभी बताया और न तो मुझसे कभी राय लेना उचित समझा , बल्कि यह कहें कि
कोई बात नहीं इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है । यह चूक और गलती तो अक्सर लोगों से हो ही जाती है । इसके समाधान का कोई रास्ता निकाला जाएगा । कोई समस्या ऐसी नहीं है कि जिसका समाधान न हो । आप निराश न हों , बल्कि प्रयास करते रहें ।