दर्जा दर्जा गिरा इस कदर है ।
झूठ दिल मे सच दर बदर है ।।
कब कहा वो मिले लूट ले हम ।
कतिलाना याहा हर नजर है ।
जो जाहा है वहीं सोचता है ।।
वक़्त का चाहे कोई पहर है ।
मुझको मालूम है सबकी मक्करिया ।
हंस के मिलता हूँ ये मेरा हुनर है ।।
झूठ से तुम कहाँ तक बचोगे l
झूठ वालों का सारा नगर है ।।
इस जहाँ मे तुम्हे खुद है जीना ।
बस अकेले ही चलना सफ़र है ।।
खुद को कैसे बचावोगे जावेद ।
उसके जादू मे इतना असर है ।।
hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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बुधवार, 7 नवंबर 2018
गिरा इस कदर है
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