Translate

शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

चल पड़ा हूं सफ़र पे अब अपने

उठ गया हूं.... , तो कोई बैठेगा ।
चल पड़ा हूं सफ़र पे अब अपने ।।

अब सफ़र से तो कोई लौटेगा ।
उठ गया हूं.. , तो कोई बैठेगा ।।

खोना , पाना , आना , जाना ।
सदियों का है , ये खेल पुराना ।।

सोंच है कि सब-कुछ मिल जाए ।
सोंच- सोंच कर सारी उम्र गंवाए ।।

सबको परखा , सबको जाना ।
क्या कभी खुद को पहचाना ।।

कोई टिप्पणी नहीं: