hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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शुक्रवार, 27 मार्च 2020
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JAVED GORAKHPURI
गुरुवार, 26 मार्च 2020
लाकडाऊन
प्राकृतिक महामारी पर किसी का कोई वश नहीं।
ये पांच रूप में बनाए गये हैं जैसे -
1- आग
2- पानी
3- हवा
4- भूकंप
5-बिमारी
लेकिन हमारे देश में एक और महामारी है जिसे
धर्मवाद/जातिवाद के नाम से जाना जाता है।
इस महामारी को लोगों ने खुद अपने स्वार्थ के तहत
फैलाया है और ये एक दिन या एक साल में नहीं फैला
इसे पूरे भारत को जकड़ने में काफी समय लगा है और
इसे फैलाने के लिए तमाम गैंग रजिस्टर्ड हैं जैसे -
1- बहुजन समाज पार्टी
2- समाजवादी पार्टी
3-अंबेडकर समाज पार्टी
4- अकाली दल तथा अन्य
लगभग हर प्रांत में आप को दल या पार्टी मिल ही जायेगी जो एकता और भाईचारे की बात न कर के जात
पात के भेद भाव की बातें होती हैं जिसमें लोगों के सोचों
को लोगों से अलग किया जाता है।
जिसका नतीजा भयावह रूप लेता गया।
जिसमें मंदिर , मस्जिद, फिर हिन्दू मुस्लिम फिर लिंचिंग
फिर आगजनी , तोड़फोड़ आदी इत्यादि।
इन तमाम दंगों में भी लाकडाऊन किया जा सकता था।
अगर लाकडाऊन किया जाता तो कई लाख लोग आज
भिखारी की जिंदगी जीने को मजबूर न हुये होते।
कर्फ्यू उस वक़्त भी लगे लेकिन एकतरफा आताताई और फोर्स अपने काम को अंजाम देती रही न जाने कितने लोग गोलियों से भून दिये गये।
उफ जुर्म और मनमानी की इन्तेहा।
क्या मानव के मस्तिष्क पटल से कभी मिट पाएगा ?
लोगों का मानना है की श्राप अब इस कलयुग में नहीं
लगता लेकिन ऐसा नहीं है आज तुरन्त नहीं लगता मगर
लगता है।
जैसे हम आसमान में फ्रिक्वेंसी छोड़ते हैं तो उसे रेडियो,
टेलिविज़न, मोबाईल कैच कर के चलता है उसी तरह
जब मानव के दिल से वेदना निकलती है तो वो भी आसमान में नेटवर्क के फ्रिक्वेंसी की तरह सेफ हो जाती है जिसे दो चीजें रीड़ करती हैं
1- ईश्वर, अल्लाह
2- प्रकृति
नवम्बर एक प्रोसीड करता है नम्बर दो को
जैसा आदेश प्राप्त होता है वैसी आपदा, महामारी
सृष्टि में प्रकृति द्वारा फैल जाती है।
इस लिए किसी भी इंसान के दिल को दुखी न करें
भाईचारा कायम करें किसी के बहकावे में न आएं।
आज जो महामारी आई है उस से बचें और ईश्वर, अल्लाह, गाड, जिस भी रुप में जैसे भी आप मानते हैं उसी तरह मानते हुए प्रार्थना, प्रेयर और इबादत अपने अपने घरों में करें।
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मंगलवार, 24 मार्च 2020
कोरोना वायरस
नोज पैड, मास्क, आज लगाना आवश्यक है।
जब कि मैने टीवी समाचरों और लोगों को आते
जाते लोगों में देख रहा हूँ कि ज्यादा तर लोग नोज
पैड/मास्क को मूह पर तो लगाए हैं मगर नाक को
नहीं बन्द कर रहे हैं शायद उन्हें लगाने का सिस्टम
न पता हो या फिर अपनी जि़दगी और कोरोना वायरस
के प्रति सिरियस न होकर शौक या फैशन में लगा रहे हैं।
पांच से छव फिट की दूरी से बात करने का मतलब स्पसट है कि वैक्टीरिया ( किटाड़ू ) आप के मुंह में नहीं बल्कि सांसों के जरिए अटैक ज्यादा होता है।
कृपया नोज पैड / मास्क लगाएं तो मुँह के साथ नाक को भी जरूर ढंक कर रक्खें ।
2- हाथ में भी गलब्ज का इस्तेमाल करें।
3- किसी के मोबाईल, ईयर फोन, रूमाल आदी का प्रयोग भूल कर भी न करें।
4- न तो अपने किसी सामान को किसी को छूने दें और
न तो किसी के सामान को छूने की कोशिश करें।
5- रुपये या सिक्के को छूने के बाद किसी को भी न छुवें। पूरा कपड़ा चेन्ज करें हाथ को अच्छी तरह से धोयें
फिर नहाएं उसके बाद घर के लोगों के संपर्क में आएं।
6- हाथ मुंह ढंक कर एटीएम रूम में अकेले जाएं।
7- हाथ मुंह की सेफ्टी के साथ अगर रैन कोट भी पहने
तो ज्यादा लाभ होगा क्यों कि बिना रेनकोट के बाहर
निकलने पर घर लोटते ही अपने कपड़े को भी तुरन्त
धोयें बिना धोवे न कहीं टांगें और न इधर उधर रक्खें ।
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सोमवार, 23 मार्च 2020
सुपर पावर
लगभग पूरी दुनिया में इंसान और इंसानियत को मारने
मिटाने का बाजार काफी गर्म हो चुका था।
कहीं हुकूमत तो कहीं पब्लिक।
कहीं जनता और फोर्स तो कहीं नश्लवाद।
कहीं धर्मवाद तो कहीं ऊंच नींच ।
सभी जगह राजनीति शाजिश का हाथ पाया गया।
कुछ को दुनिया में सुपर पावर बनने की चाहत तो
कुछ को अपने ही देश में सुपर पावर बनने की मनमानी
शायद ये सभी लोग भूल बैठे थे कि इस दुनियां को बनाने
वाला ही पहला और आखरी सुपर पावर है जिसके अलावा कोई कुछ भी नहीं।
उसके सिर्फ एक अटैक जिसे आप कोरोना वायरस के
नाम से जानते हैं जिसके कारण आज पूरी दुनिया को
अपने अपने घरों में दुबकना पड़ रहा है।
अगर वो चाहे तो ये दुबकना भी काम नहीं आने वाला
ये तो उसकी मन्शा के उपर है कि वो दुनियां को क्या
दिखाना चाहता है। दूर तक अगर इंसान बनकर सोंचोगे
तो सब समझ जाओगे।
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रविवार, 22 मार्च 2020
बीमार
सारा दिन घर में पड़े पड़े बीमार सा लगने लगा हूँ ।
क्या करूं बेड रूम फिर किचन फिर बथ रूम, ट्वायलेट
रूम थोड़ा बाहर बरामदे में कुछ देर लान में और क्या करूं ऐसा लगता है जैसे मार्सल्ला लगा हो।
सुनने में आ रहा है कि बाहर किसी काम से या किसी
मजबूरी में जाने पर बिना कुछ पूछे पुलिस पीटने लग रही है ।
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शुक्रवार, 20 मार्च 2020
अपनी मरजी
अपनी जि़दगी अपनी मरजी से जीने का सबको हक है।
आप अपनी मरजी से जीना चाहते हैं तो खुल कर पूरे
जुनून के साथ जियें ।
लेकिन कुछ बातें याद रक्खें जैसे -
1- अपने किसी भी सामान का नुकसान न करें।
2- अपनी शुरछा का पूरा ध्यान रक्खें ।
3- आप के द्वारा किसी को कस्ट नहीं होना चाहिए।
4- आप के द्वारा किसी का कुछ भी नुकसान न हो।
5- कभी ऐसा काम न करे कि लोग आप पर उंगली उठाएं ।
6- कभी ऐसा काम न करे कि आप की शिकायत घर तक आये।
7- और भी बातें हैं जिन्हें आप खुद सोंचे समझें।
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मेरे विचार
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गुरुवार, 19 मार्च 2020
जरूरी नहीं
जरूरी नहीं कि ग्यानी आफिस या लाइब्रेरी में ही मिले
ये मयखाने और शराब के अड्डों पर भी मिल सकते हैं।
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डायलाग
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बुधवार, 18 मार्च 2020
हकदार
तमाम लोगों को अपना ही पेट भरना मुश्किल होता है।
तमाम लोग अपने और अपनों का पेट भरने के लिए
दिन रात एक किये हुए हैं।
तमाम लोग शादी, पार्टी, उत्सवों , में अपने लोगों को रिश्तेदारों और परचितों को निमन्त्रित कर के पेट भरते
और भरवातें हैं पेट भरने के मामले में यहीं तक शदियों
से सिमटे हुए हैं लोग।
कुछ लोग हैं जिन्हें उनकी तलाश रहती है जिन्हें अपने ही पेट को भरने का कोई रास्ता नहीं ।
एक बहुत बड़ी संख्या है जिनका अपना कुछ भी नहीं।
कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके पास जरुरत से ज्यादा सब
कुछ है ऐसे लोगों में निन्यानवे परसेन्ट लोग उनके बारे में
नहीं सोंच पाते हैं जिनके पास कुछ भी नहीं है।
जिनके पास अपना कुछ भी नहीं उनकी आस हमेशा उन
लोगों में लगी रहती है जिनके पास जरुरत से ज्यादा सब कुछ है मगर निन्यानवे परसेन्ट लोगों को तिरसकार के सिवा कुछ नहीं मिलता।
अपनी अमीरी की दुनिया से निकल कर जरा उन्हें भी
देखें जो रोड़ के किनारे मंदिर के सीढियों पर मस्जिद के गेट पर वीरानों में भटकते हुए हाथ फैलाते हैं।
कभी होटल के बाहर इस आशा में खड़े रहते हैं कि कोई
आएगा और उन्हें भी खाना खिला कर पेट भर देगा।
एक इंसान एक इंसान के सामने हाथ फैलाए तो फिर इंसानियत कैसी ।
वो इंसान इंसान नहीं जो एक इंसान को खाली हाथ वापस कर दे। मुझे मेरे मित्र मशहूर शायर राज आजमी साहब का एक शेर याद आ जाता है कि
वहीं मौत आई है मेरी खुदी को।
जरूरत जहां हाथ फैला गई है।।
वह तो हाथ फैला कर मर गया मगर आप खाली हाथ वापस कर के क्या कहलाएंगे कभी खुद से सवाल किया ?
काश अगर आप उसकी जगह होते और आप से जब कोई कहता कि आगे बढो कुछ नहीं है या कहीं और देखो तो कैसा महसूस होता।
अपनी औकात के नीचे के लोगों पर हमेशा नजर बनाए
रखिए दिल से दुआएं इन्ही से बिन मांगे मिलेंगी अपने बराबर के लोग पेट भरने के लिए हमेशा तैयार हैं लेकिन
कभी दुआ नहीं देते।
इतने गिरे हुए हो कि खुद कहते हो कि दुआओं में याद
रखिएगा अरे आप खुद ऐसा करें कि अगला आप को दुआ देने के लिए मजबूर हो जाए।
दिल खोल कर खर्च करो मगर उनके ऊपर जो उसके असली हकदार हैं।
मनुष्य वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए जिए और मनुष्य के लिए मरे।
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मेरे विचार
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सोमवार, 16 मार्च 2020
पसंद
आप जैसे भी हैं जो कुछ भी हैं वो अपने लिए हैं।
आप को क्या पसंद है क्य नहीं आप की मर्जी
आप क्या खाते हैं क्या नहीं ये आप,
आप के घर वाले और चन्द करीबी लोग जानते हैं।
जिसे आप की पसंद ना पसंद की जानकारी नहीं है
और वो आप की इज्ज़त खातिरदारी करता है तो वो
यही सोंच कर करता है कि आप को पसंद आएगा
अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता मगर
आप हैं कि उस खातिरदारी में भी अपनी पसंद ना पसंद
की कमियां ढूँढ लेते हैं।
बेहतर होगा कि अपनी नफासत अपने पास रक्खें और
थोड़ी देर के लिए उसकी खुशी में अपनी ख़ुशी शामिल
करें अन्यथा अपने जाने से पहले अपनी पसंद ना पसंद की लिस्ट पहले भेज दें।
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रविवार, 15 मार्च 2020
तमाम रिश्ते
तमाम रिश्ते तो जन्म लेते ही मिल जाते हैं।
कुछ रिश्ते लोग बनवाते हैं और कुछ रिश्ते
खुद बनते हैं सब के अलग अलग ( कर्तव्य )
फर्ज हैं अगर आप सभी रिश्तों से मुंह मोड़ कर
अरबपति, खरबपति,या करोड़पति ही बन जाएं
तो सिर्फ मुझको ही नहीं बल्कि मैं समझता हूँ कि
शायद सभी को खुशी होगी क्यों कि सभी आप के
नाम से अपना नाम जोड़ कर अपना काम बना लेंगे
और अपनी ज़िन्दगी जी लेंगे चाहे आप कभी मिलें
या न मिलें, कभी बोलें या न बोलें, कभी मदद करें या
न करे। मगर यदि सभी रिश्तों से मुंह मोड़ कर आप
वहीं के वहीं रहे या और भी बदतर हालात में चले गए
तो यही लोग जो आप के रिश्तों की डोर से बधे हैं।
आपसे मूह मोड लेंगे और ऐसा मोड़ेगे कि जैसे कोई अजनबी।
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