तमाम रिश्ते तो जन्म लेते ही मिल जाते हैं।
कुछ रिश्ते लोग बनवाते हैं और कुछ रिश्ते
खुद बनते हैं सब के अलग अलग ( कर्तव्य )
फर्ज हैं अगर आप सभी रिश्तों से मुंह मोड़ कर
अरबपति, खरबपति,या करोड़पति ही बन जाएं
तो सिर्फ मुझको ही नहीं बल्कि मैं समझता हूँ कि
शायद सभी को खुशी होगी क्यों कि सभी आप के
नाम से अपना नाम जोड़ कर अपना काम बना लेंगे
और अपनी ज़िन्दगी जी लेंगे चाहे आप कभी मिलें
या न मिलें, कभी बोलें या न बोलें, कभी मदद करें या
न करे। मगर यदि सभी रिश्तों से मुंह मोड़ कर आप
वहीं के वहीं रहे या और भी बदतर हालात में चले गए
तो यही लोग जो आप के रिश्तों की डोर से बधे हैं।
आपसे मूह मोड लेंगे और ऐसा मोड़ेगे कि जैसे कोई अजनबी।
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