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सोमवार, 10 अगस्त 2020

पानी

नायक-  "बारिश ने अपने पानी की चादर में ओढा कर मुझे भी। पानी पानी कर दिया ,। 

नायिका -  "और आप पानी की चादर ओढ़े 
हुए मुझे अपने आप से लिपटा कर मुझे भी पानी पानी
कर दिये हैं । अभी तक तो कुछ सुखा था कुछ गीला था
मगर अब तो सब कुछ भीग चुका है ,।

आदमी

हर आदमी अपने अपने चालाकी में लगा हुआ है ।
कोई ऊचाइयों को छू लेता है तो कोई गढहे में जा 
गिरता है । 

रविवार, 2 अगस्त 2020

शादी

शादी से पहले की जिंदगी और शादी के बाद की जिंदगी में अंतर होता है सब कुछ बदलने के साथ ही साथ मान्यताएँ और परंपराओं को भी ध्यान में रखते हुए उसे निभाना पड़ता है मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सिर्फ अपने मक़सद से मतलब है चाहे मान्यताएँ बिगडे़ या परंपराएं टूटे इन्हें समाज और लोक लाज किसी की परवाह नहीं  । शादी विवाह , मरनी करनी, व्रत त्यौहार इत्यादि में आना जाना आवश्यक है लेकिन कुछ परिस्थितियाँ हर जगह लागु नहीं होती जैसे आप की पत्नी त्यौहार मनाने अपने मायके चली जाए, दवा कराने अपने मायके चली जाए, हर सलाह मायके से लिए जाएं ये सब क्या है ?
अच्छे पति पत्नी के ये काम नहीं है अच्छे पति पत्नी मायका और ससुराल दोनों का ख्याल रखते हैं मगर समयानुसार । आप रोज मायके जाएं और लौट आएं ये अलग बात है । त्यौहार के अवसर पर या तो एक हफ्ता पहले जाएं या पन्द्रह दिन पहले और वहां रह कर त्यौहार मना कर आ सकती  हैं लेकिन ये काम बार बार न करें । एक बार की बात कुछ विशेष परिस्थितियों में आ जाता है । बार बार ऐसा करने से हास्यास्पद हो जाता है ।
मेरी दवा सिर्फ मयके में मिलती है ।
मेरे मायके में बहुत अच्छे अच्छे डाक्टर हैं ये भी बार बार कहना उचित नहीं है और न तो दवा कराने बार बार जाना ठीक है ऐसा करना रहस्यात्मक हो जाता है ।
ऐसा नहीं है कि हर कोई राम मनोहर लोहिया और पी,जी,आई के बगल में ही रहता है जब अटक जाती है तो पति ही अच्छा डाक्टर बताता है और ले भी जाता है ।
अगर आप किराये के मकान में रहती हैं तो आप त्यौहार 
मनाने अपने मायके या ससुराल जहां चाहें जा सकती हैं । अगर आप के ससुराल में कोई नहीं है आप अकेले हैं तो भी आप अपने घर जा सकती हैं ।
अगर आप ससुराल में अलग हैं और वहां के लोगों का व्यवहार आप के प्रति अच्छा नहीं है तो भी आप अपने 
घर जा सकती हैं । घर और ससुराल पति और परिवार सब का उचित ख्याल रखते हुए चलें कहीं ऐसा न हो की एक को बनाने में कई चीजें बिगड़ जाएं । कुछ चीजे बिगड़ जाएं तो कोई बात नहीं बनिस्बत उनके जिनका बना रहना आवश्यक है । जिससे आप को जीना है , जिसके साथ आप को जीना है ,और जहाँ आप को जीना है । इस बात का मनन करना और ध्यान देना आवश्यक है । विचारों में गंभीरता लाएं इसी में भलाई है । चाहे मायका हो या ससुराल किसी को तोड़ने की कोशिश न करे बेहतर यही होगा की दोनों को बनाए रक्खें । दोनों जगहों में अपना हस्तछेप न करें यह न सोचे कि एक टूटेगा तो दूसरा बचा रहेगा। दोनों टूटेगा फर्क सिर्फ इतना ही होगा की एक पहले टूटेगा तो दूसरा बाद में मगर टूटेंगे दोनो । बिखराव की बात सामने आने पर उसमें आग में खर डालने वाला काम न कर के उसे एक बने रहने की ही सलाह दे क्यों कि जो होना है वो तो होगा ही लेकिन अपनी वैल्यू और छवि को न बिगाडें। आप का आच्छा कर्तव्य और अच्छे विचार ही लोगों को याद आएंगे । संबंधों में आग लगाने वालों से हर कोई दूर रहना चाहता है ।

शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

लुटेरा

जबसे मैने होश सम्भाला है अक्सर मुझे ये महसूस होता है कि मैं बहुत बड़ा लुटेरा और लालची हो गया हूँ लेकिन
किसी के माल और जान का नहीं बल्कि ज्ञान का जिसके
बिना मन में हर पल एक व्याकुल्ता बनी रहती है ।

लूट

लूटने और लुट जाने की कुछ वजह होती है । तुम इस लायक कभी हुए ही नहीं कि तुम किसी को लूट सको या तुम्हें कोई लूट सके। मेरे पास ऐसी कभी कोई मजबूरी या जरुरत आई ही नहीं कि मुझे किसी को लूटना पडे ।लेकिन मेरे पास इतना था कि जिसने जितना चाहा उतना लुटा हर लूटने वाला अपनी जरुरत से ज्यादा लूट कर गया कभी कोई खाली हाथ वापस नहीं गया और मैं चुप चाप इस दुनियां वालों का तमाशा देखता रहा। ज़िन्दगी भर लूटाने के बाद भी आज भी मैं वैसे ही हूं जैसे पहले था। आश्चर्य  इस बात का है कि लोग अपनी जरुरत से ज्यादा मुझे लूटे मगर आज भी वो वहीं हैं जहाँ पहले थे आज भी मुझसे आगे नहीं हो पाए ।

बुधवार, 29 जुलाई 2020

सुरक्षा

किसी को गलत रास्ते पर चलता देख कर उसे तुरंत रोकने की कोशिश मत करना , अगर रोकोगे तो बेवकूफ, जलन रखने वाले और उसकी कामयाबी में बाधक बनने वाले दुश्मन कहलाओगे और इन्हीं सब नजरिए से वो हमेशा आप को देखेगा । इन सब से रोकने के लिए किसी माध्यम का प्रबंध करो जिनकी बातों को मानना उसकी मजबूरी हो ।
दूसरा पहलु -
दौर के मुताबिक, लोगों के सोंच के मुताबिक अगर उसे उसी के अपनाए हुए रास्ते के मुताबिक अपनी सलाह दे दो जिसे वो ढूँढ रहा है तो आप उसके सबसे करीबी हो जाओगे , सबसे अच्छे शुभ चिन्तक बन जाओगे । उसे ये एहसास हो जाएगा कि आप उसके साथ हैं और उसके भलाई के बारे में सोंचते हैं ।
तीसरा पहलू - 
अब यह आप के उपर निर्भर करता है कि आप क्या चाहते हैं किसी को भलाई के रास्ते पर लाना चाहते हैं कि बुराई के सहायक बन कर वाहवाही पा कर अपना कुछ स्वार्थ पुरा करना चाहते हो । जब की आप का नाम दोनों में आएगा चाहे बुराई हो या भलाई, आप का मक़सद क्या था ये राज भी खुलेगा । इस लिए आप के हर तरह के विचार आप के साथ हैं अपनी सुरक्षा, अपने लोगों की सुरक्षा और अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए आप कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं ।

दुख

दुख तो इस बात का है कि बिना चाहे ही दुख खेर लेता है
सुख की चाहत में न जाने कबतक दुखी रहना पड़ेगा। 

मंगलवार, 28 जुलाई 2020

स्वर्ग

अगर मेरा बस चलता इस दुनियां में न आने का तो मैं
स्वर्ग छोड़ कर इस नर्क में कभी नहीं आता। 
इस दुनियां में आने पर और इस दुनियां से जाने पर किसी का कोई बस नहीं चलता ।

औकात

मर्द की औकात औरत चंद दिनों में जान लेती है लेकिन
औरत की औकात जानने में मर्द की पूरी ज़िन्दगी गुजर
सकती है ।

सोमवार, 27 जुलाई 2020

दोस्त

 दोस्त किसे कहते हैं ?
इसके बारे में मैं अपने विचार बताउगा ।
दोस्त का शाब्दिक अर्थ संधिविछेद कर के देखें -
दो + अस्त = दोस्त ।
दो का मतलब एक और एक दो ।
अस्त का मतलब ढूबना ।
जब दो लोग आपस में एक दुजे के विचारों में 
समस्याओं में , सुख, दुख में , वर्तमान में , भविष्य में 
सोते जागते, डुबे रहते हों तो उन्हें दोस्त कहा जाता है ।
इसी परिस्थिति में ये वाक्यांश आते हैं जैसे -
जो कुछ मेरा वो सब तेरा  ।
जो कुछ तेरा वो सब मेरा  ।।
इसे ही दोस्त कहते हैं जहाँ कोई हिसाब नहीं होता ,
जहाँ कोई स्वार्थ नहीं होता , जहा सिर्फ शान्ति होती है
मन और मस्तिष्क की, जहां सिर्फ आनन्द होता है ह्रदय
के प्रेम का, जहां न कोई तुम रहता है और न कोई मैं 
वहां सिर्फ हम होते हैं ।
फिर किसी एक का दुख नहीं होता , वह दुख हमारा हो
जाता है , सुख हमारा हो जाता है , असफलता हमारी हो
जाती है , सफलता हमारी हो जाती है , आदि इत्यादि ।
क्या आप ने कभी ऐसी दोस्ती की है या हुई है ?
सिर्फ साथ रहने से। साथ घूमने से। साथ कुछ काम करने से दोस्ती का नाम नहीं दिया जा सकता है इसे पहचान 
कहा जा सकता है । इसे परिचित कहा जा सकता है ।
इसे विश्वास कहा जा सकता है । इसे एक भरोसा कहा जा सकता है । इसे पार्टनर कहा जा सकता है ।
आप के साथ रहने वाला व्यक्ति आप के साथ मौल में भी
जाता है , बिग बजार में भी जाता है , मार्केट में भी जाता है आप अपने लिए शौपिंग करते हो जो जो चीजें आप अपने लिए लेते हैं क्या उसके लिए भी लेते हैं जो आप के साथ है नहीं न । इसी लिए अपने बराबर हर चीज़ उसके लिए नहीं खरीद सकते क्यों कि वह आप का दोस्त नहीं है आप तो सिर्फ दोस्ती के नाम पर उसे लपेटे हुए हैं । हर पल हर जगह साथ रहने वाले व्यक्ति को आप ने दोस्ती का नाम दे कर बहकाया है और आप उसे साथ लेकर अपना स्वार्थ पुरा करने में लगे हैं आप जब कुछ खरीदते हैं और उसी से पुछते भी हैं कि अच्छा है न, ठीक लगेगा न और सिर्फ अपने लिए लेते हैं तो वो आप की इस हरकत से एहसास कर लेता है कि आप उसके लिए क्या हैं और कितने करीब हैं और उसके किन किन मामलों में शामिल हैं इससे साथ रहने वाले को दुख होता है वह सोचता है कि अगर मेरे पास भी पैसा होता तो जो उसके लिए पसंद किया है वैसे ही अपने लिए भी अपनी पसंद की चीजों को खरीदता इस लिए आप को जब भी कुछ भी लेना हो तो अकेले ही जाएं किसी ऐसे परिचित को साथ न लें जिसे आप अपना दोस्त कहते हैं ।
आप लोगों से निवेदन है कि दोस्त और परिचित के फर्क 
को समझने की कोशिश करें दोस्ती के नाम को कलंकित
कर के उसे बदनाम न करें ।