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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

लूट

लूटने और लुट जाने की कुछ वजह होती है । तुम इस लायक कभी हुए ही नहीं कि तुम किसी को लूट सको या तुम्हें कोई लूट सके। मेरे पास ऐसी कभी कोई मजबूरी या जरुरत आई ही नहीं कि मुझे किसी को लूटना पडे ।लेकिन मेरे पास इतना था कि जिसने जितना चाहा उतना लुटा हर लूटने वाला अपनी जरुरत से ज्यादा लूट कर गया कभी कोई खाली हाथ वापस नहीं गया और मैं चुप चाप इस दुनियां वालों का तमाशा देखता रहा। ज़िन्दगी भर लूटाने के बाद भी आज भी मैं वैसे ही हूं जैसे पहले था। आश्चर्य  इस बात का है कि लोग अपनी जरुरत से ज्यादा मुझे लूटे मगर आज भी वो वहीं हैं जहाँ पहले थे आज भी मुझसे आगे नहीं हो पाए ।

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