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शनिवार, 12 सितंबर 2020

भोजन

कुछ लोग ये समझते हैं कि भोजन अपने आप बन जाता है । मगर ऐसा नहीं है भोजन बनाने के लिए बहुत सारी सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है । भोजन में 
सभी चीजें जैसा बनाना है वैसी सामग्री हिसाब से डालना पड़ता है इसमें आग का भी रोल होता है । बहुत सारी जीजें ऐसी भी होती हैं कि उन्हें अगर ज्यादा आग की स्पीड दे दी जाम तो वह नष्ट भी हो सकता है अगर नष्ट नहीं हुआ तो स्वाद में अंतर हो जाएगा ।
कुछ पकवान मद्धिम आंच पर पाकाये जाते हैं और कुछ को ज्यादा हीट की आवश्यकता होती है ।
खाना बनाते समय वहां मौजूद रहना जरुरी है और पुरा ध्यान खाना बनाने की ओर होना चाहिए ।
खाना बनाते समय इधर उधर की बातों को सोंचना या उसे छोड़ कर किसी और काम में लग जाना नुकसान दे हो सकता है । एक बात तो निश्चित मान लिजिए कि इधर उधर के कामो में ध्यान बटा कर बनाए गये खाने का स्वाद अलग हो जाता है और खाना बनाने में ध्यान लगाने पर उसका स्वाद अलग होगा मुझे जहां तक तजुरबा है कि खाने को किस रुप में बनाया गया है इसे मैं बता सकता हूँ  । खाना अपने साथ हुए व्यवहार को बताता है और यह तभी जान जाएंगे जब आप को खाना बनाने में इंट्रेस्ट हो । अगर आप को खाना बनाने में दिलचस्बी नही है तो आप सिर्फ इतना ही जान सकते हैं कि नमक ज्यादा है या कम मिर्च ज्यादा है कि कम, मीठा फीका है या ज्यादा । जब की ये कामन सी बात है इन सब चिजों का अनुभव तो स्वतः अप की ज़ुबान की स्वाद कलियां करा देती हैं । खाना बनाना सिर्फ लड़कियों और महिलाओं का ही काम नहीं है इसे पुरुष वर्ग के लोग भी सीख सकते हैं क्यों कि ये भी एक कला है जो जीवन के हर मोड़ पर काम आती है ।

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

फुर्सत

इतने भी खाली मत रहो कि कोई भी , कभी भी , कहीं भी मिल ले । बिना किसी काम के अपने साथ साथ आप का भी पुरा दिन बे मक़सद नष्ट कर दे ऐसे में न आप कुछ कर सकें न कही जा सके और न कुछ सोच सके इस से बेहतर है कि खुद को इतना व्यस्त कर दो कि अगर कोई मिलना भी चाहे तो आप अपने आप से पूछे कि मैं फुर्सत में कब हो पाऊंगा ।

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

रिवाज

कभी भी मिलिये किसी से मिलिये या आप फोन पर ही बात कर रहे हों तो लोग इस बात को पुछना नहीं भुलते कि क्या हाल है सब कुछ ठीक है न  ।
अगले व्यक्ति को ये जवाब देना पड़ता है कि हां सब ठीक है बल्कि सच्चाई तो ये है कि कुछ भी ठीक नहीं है हर इंसान अपने आप में ही उलझा हुआ है और वह इस कोरोना जैसी महामारी के बाद अपनी नये तरीके से ज़िन्दगी को चलाने और जीने के लिए संभावनाओं को तलाशने में लगा हुआ है । सब कुछ ठीक है कह देना तो लोगों का एक तकिया कलाम यानी की फारमेल्टी, रिवाज, या परंपरा कह सकते हैं कि बन चुका है ।

बुधवार, 9 सितंबर 2020

दिल और दिमाग

दिल और दिमाग दोनों गतिशील होते हैं ।
वक़्त और हालात के मुताबिक आहिस्ता आहिस्ता ठहराव आता है । समझदार और एहसासमंद लोगों को कुछ ज्यादा ही भटकना पडता है । कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं जो बुढ़ापे की ओर कदम बढा चुके होते हैं मगर आदत और हरकतें बचपने की ही होती हैं ।

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

खूंन

अच्छाई के लिए बहाया गया या बुराई के लिए बहाया गया अपने लिए बहाया गया या अपनों के लिए बहाया गया ।
देश के लिए बहाया गया या देश के नेताओं के लिए बहाया गया । पैसे के लिए बहाया गया या रुतबे के लिए बहाया गया । रिश्तों के लिए बहाया गया या औलाद के लिए बहाया गया। खूंन और पसीना जिसके लिए बहाया जाता है उसको इसकी कीमत का एहसास नहीं होता लेकिन जो बहाता है वो जानता है कि खूंन और पसीना बहा कर क्या खोया है और क्या पाया है ।

रविवार, 6 सितंबर 2020

सफर

कभी कभी मंजिल के बहुत करीब हो कर भी मिनट भर में सब कुछ बिखर जाता है हम वहीं पहुँच जाते हैं जहाँ से हमने सफर को शुरु किया था ।

शनिवार, 5 सितंबर 2020

अन्त

किसी भी चीज के सुरुआत का रास्ता तो सभी ढूँढ लेते हैं
मगर उसके अंत के बारे में कोई नहीं जानता ।

सोमवार, 31 अगस्त 2020

संकेत

एक सपना है जो जागने नहीं देता ।
एक सपना है जो सोने नहीं देता ।
इस बात को तो बहुत सारे लोग जानते हैं ।
लेकिन एक सपना ऐसा भी होता है जब दर्दनाक चीख के साथ आदमी उठ कर बैठ जाता है ।
कभी कभी तो आदमी इतना डरा हुवा होता है कि रोने भी लगता है । 
अब इसमें कौन से अर्थ निकाले जाएं , जागने न देने वाले
या सोने न देने वाले । जब की यही सपना है जो भूत ,
भविष्य और वर्तमान तीनों से संबंध रखता है जिसमें जीवन की सार्थकता और कुछ संकेत छुपे होते हैं ।

बुधवार, 26 अगस्त 2020

आत्महत्या

आत्महत्या मुझे नहीं मालुम कि लोग क्यूँ करते हैं ।
मेरे विचार से क्रोध की आखरी सीमा भी हो सकती है ।
जीने के लिए जब कोई वजह ही न रह जाय तब भी हो सकती है । विचारवान न होना भी हो सकता है । 
कल्पनाशील न होना भी हो सकता है । सामाजिक प्रतिष्ठा के हनन होने के कारण भी हो सकता है ।
जीवन में कभी कभी ऐसे वक़्त भी आते हैं जब आगे भी मौत पीछे भी मौत दायें भी मौत और बाएं भी मौत यानी कि दूर दूर तक हर तरफ सिर्फ मौत ही आखरी रास्ता हो और मौत के सिवा कुछ भी नहीं तब भी हो सकती है ।
कुछ ऐसी बातें, कुछ ऐसे कारनामें , कुछ ऐसे राज जिससे कानूनन मौत की सजा हो सकती है इस लिए भी आत्महत्या हो सकती है । 
ऊपर बताए गये कारणों के अलावा भी बहुत सारे कारण होते हैं लेकिन पता नहीं क्यूँ मुझे ऐसा लगता है कि वास्तविक आत्महत्या पांच परसेंट ही होती है ।
पंचानबे परसेंट हत्या को आत्महत्या का रुप देने की कोशिश की जाती है जिसमें रियल्टी से भरे हुए नाटक और सबूतों का न होना अस्सी परसेंट लोगों को कामयाब बना देती है । 

रविवार, 23 अगस्त 2020

अनपढ

मुर्ख और अनपढ में फर्क होता है ।
मुर्ख सही और गलत के फर्क को नहीं समझ पाता ।

अनपढ सिर्फ पढना लिखना नहीं जानता सूझ बूझ
और चालाकी के मामले में पढे लिखे लोगों को भी
चुना लगा देता है ।