कुछ लोग ये समझते हैं कि भोजन अपने आप बन जाता है । मगर ऐसा नहीं है भोजन बनाने के लिए बहुत सारी सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है । भोजन में
सभी चीजें जैसा बनाना है वैसी सामग्री हिसाब से डालना पड़ता है इसमें आग का भी रोल होता है । बहुत सारी जीजें ऐसी भी होती हैं कि उन्हें अगर ज्यादा आग की स्पीड दे दी जाम तो वह नष्ट भी हो सकता है अगर नष्ट नहीं हुआ तो स्वाद में अंतर हो जाएगा ।
कुछ पकवान मद्धिम आंच पर पाकाये जाते हैं और कुछ को ज्यादा हीट की आवश्यकता होती है ।
खाना बनाते समय वहां मौजूद रहना जरुरी है और पुरा ध्यान खाना बनाने की ओर होना चाहिए ।
खाना बनाते समय इधर उधर की बातों को सोंचना या उसे छोड़ कर किसी और काम में लग जाना नुकसान दे हो सकता है । एक बात तो निश्चित मान लिजिए कि इधर उधर के कामो में ध्यान बटा कर बनाए गये खाने का स्वाद अलग हो जाता है और खाना बनाने में ध्यान लगाने पर उसका स्वाद अलग होगा मुझे जहां तक तजुरबा है कि खाने को किस रुप में बनाया गया है इसे मैं बता सकता हूँ । खाना अपने साथ हुए व्यवहार को बताता है और यह तभी जान जाएंगे जब आप को खाना बनाने में इंट्रेस्ट हो । अगर आप को खाना बनाने में दिलचस्बी नही है तो आप सिर्फ इतना ही जान सकते हैं कि नमक ज्यादा है या कम मिर्च ज्यादा है कि कम, मीठा फीका है या ज्यादा । जब की ये कामन सी बात है इन सब चिजों का अनुभव तो स्वतः अप की ज़ुबान की स्वाद कलियां करा देती हैं । खाना बनाना सिर्फ लड़कियों और महिलाओं का ही काम नहीं है इसे पुरुष वर्ग के लोग भी सीख सकते हैं क्यों कि ये भी एक कला है जो जीवन के हर मोड़ पर काम आती है ।
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