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गुरुवार, 10 सितंबर 2020

रिवाज

कभी भी मिलिये किसी से मिलिये या आप फोन पर ही बात कर रहे हों तो लोग इस बात को पुछना नहीं भुलते कि क्या हाल है सब कुछ ठीक है न  ।
अगले व्यक्ति को ये जवाब देना पड़ता है कि हां सब ठीक है बल्कि सच्चाई तो ये है कि कुछ भी ठीक नहीं है हर इंसान अपने आप में ही उलझा हुआ है और वह इस कोरोना जैसी महामारी के बाद अपनी नये तरीके से ज़िन्दगी को चलाने और जीने के लिए संभावनाओं को तलाशने में लगा हुआ है । सब कुछ ठीक है कह देना तो लोगों का एक तकिया कलाम यानी की फारमेल्टी, रिवाज, या परंपरा कह सकते हैं कि बन चुका है ।

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