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रविवार, 3 जुलाई 2022

तुम अगर तुम हो तो क्या तुम हो ?

तुमने मुझे अपना समझा ? या नहीं समझा ।
तुमने मुझे दिल से चाहा ? या नहीं चाहा ।
इन बातों से मुझे न तो कोई फर्क पड़ता है और
न तो मुझे कोई परवाह है ।
अगर मुझे फर्क पड़ता है । अगर मुझे किसी बात की परवाह है तो सिर्फ इस बात की , 
कि मैंने तुम्हें चाहा है और वो भी बे पनाह.....
दिल की गहराइयों से ........... ।

मुझे तुमसे कुछ पाने की लालच नहीं है ।
सच तो यह है कि मैंने तुमसे कुछ हासिल करने की कभी कोई ख्वाहिश ही नहीं रक्खी ।

छल करना तुम्हें आता होगा, मुझे नहीं
तुम छलावे में आ सकते हो लेकिन मैं नहीं
मुझे तुमसे कोई छल नहीं करना 
लेकिन हां तुम्हें एक दिन मैं यह एहसास जरुर करा दुंगा कि चाहत किसे कहते हैं ?
और किसी को दिल की गहराइयों से चाहना क्या होता है ।

तुम , अगर तुम हो तो क्या तुम हो ?
मैं , अगर मैं हूं तो क्या मैं हूं ?
इसे सिर्फ साबित ही नहीं , बल्कि एहसास भी करा दुंगा कि मुझमें और तुममें फर्क क्या है ? 
और क्युं है ।

रविवार, 26 जून 2022

छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए

एक फिल्म देखा था , "मदर इंडिया " जिसमें नायक की पारिवारिक स्थिति दयनीय है।
नायक और नायिका यानी कि पति और पत्नी दोनों खेत की जुताई करते हैं। खेत जोतने के बीच एक बहुत वजन और बड़ा पत्थर का टुकड़ा पड़ा हुआ था , जिसे नायक ने स्वयं अकेले ही उसे अपने दोनों हाथों से ढकेल कर खेत से बाहर निकालने की कोशिश करता है । अचानक वह पत्थर का टुकड़ा ऊपर से नीचे की ओर सरक जाता है , जिसमें नायक का दोनों हाथ दब कर खराब हो जाता है।
अब उसकी जिंदगी बिना हाथ के न जीने के लायक रही और न मरने के।
एक रात वह उठा और अपने बीबी और बच्चों को देखा न जाने वह मोह माया और अपने लाचारी के सोचों के कितने हद तक पहुंच गया कि उसी रात चुपके से घर छोड़ कर गायब हो गया , उसके बाद से उसका पता पुरी फिल्म में कहीं नहीं चला।
इस घटनाक्रम को बताने कि जरुरत क्यों पड़ी मुझे ? 
 सिर्फ इस लिए कि जो लोग आत्म हत्या कर लेते हैं।
आत्म हत्या का मतलब क्या है ?
अपने ही हाथों द्वारा अपने जीवन लीला को समाप्त कर देना । सवाल के मुताबिक तो जवाब यही होगा।
लेकिन आत्म हत्या की जरुरत क्यों पड़ती है ?
इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं , आप खुद भी सोंच सकते हैं , जिसकी वजह से आत्म हत्या करने वाले के दिलोदिमाग में यह गुज जाता है कि अब आगे और जिवित रहने कि कोई आवश्यकता नहीं है।
अल्लाह (ईश्वर) न करे कि किसी के जिंदगी में ऐसा मोड़ आए।
यह जीवन है । इस जीवन में बहुत सारे मोड़ आते हैं , जिनको आप स्वयं ही मैनेज कर सकते हैं और आप को ही मैनेज करना भी पड़ता है फिर भी अगर ऐसे मोड़ पर आकर खड़े हो गए हों जहां मौत के सिवा कोई रास्ता न रह गया हो , तो भी आप को एक काम करना चाहिए ।
वह कौन सा काम है ? जिसे आत्महत्या के पहले करना चाहिए ।
यह सोचना चाहिए कि आप के मरने से कितने लोग कानूनी और मानसिक रुप से परेशान होंगे ।
यह अलग बात है कि आप सोसाईट नोट तैयार कर देंगे फिर भी लोगों को आप के न होने का दर्द तो रहेगा ही ।
वहां दर्द कम होता है जब आप अचानक गायब हो जाएंगे । जैसे ऊपर मैंने फिल्म का एक शाट दिखाया वहां भी वह मर सकता था लेकिन कैसे ? फंदा लगा नहीं सकता , ज़हर खा नहीं सकता क्यों कि उसके पास तो दोनों हाथ ही नहीं हैं , फिर भी वह दरिया में डूब सकता था । ट्रेन के आगे आ सकता था । मरने का रास्ता उसे मिल जाता मगर उसने आत्महत्या नहीं किया , फिर आप क्यों ?
आप भी वहां से गायब हो जाइए न , जहां आप अपनी जीवन लीला समाप्त करना चाहते हैं ।
दुनियां छोटी नहीं है । आप की सोचों से भी बड़ी है।
जाओ ......। 
ऐसी जगह चले जाओ कि जहां तुम्हारी आखरी सांस तक तुम्हारा कोई जानने वाला तुमसे न मिल पाए और न तो कभी जान पाए , क्यों कि तुम उन सभी के लिए मर चुके हो जो भी तुम्हें जानते हैं । 
वहां अपने जिंदगी की सुरुआत ऐसे करो कि जैसे तुमने एक नया जीवन पाया है ।
बस हो गई आत्महत्या । यही तो है आत्महत्या ।
इस जीवन को जिसने दिया है । उसी को समाप्त करने दो , खुद से समाप्त करने का तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है । खुद से समाप्त करने पर आत्म लोक में नहीं जाओगे बल्कि प्रेतलोक में चले जाओगे । 
अंत में बस इतना ही -
छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए ।
मे मुनासिब नहीं जिंदगी के लिए ।।
लेख पसंद आये तो कमेंट जरुर करें , यदि कोई कमी महसूस हो तो सलाह जरुर दें ।

सोमवार, 9 मई 2022

समझदार और चालाक

समझदार और चालाक वो नहीं जो अपने स्वार्थ के लिए किसी को भी छल लेता है , बल्कि समझदार और चालाक वो है जो अपनी आवश्यकताओं को पुरी करने के लिए एक इमानदारी से भरा हुआ जीवनयापन का रास्ता बना लेता है।
जिसमें न तो किसी को छलने की जरुरत होती है और ना ही अपने आप को किसी से छुपाने की

शुक्रवार, 18 मार्च 2022

आप के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है ?

आप कितने ईमानदार हैं ?
आप कितने बेईमान हैं ?
आप का किरदार कैसा है ? 
आप की सोंच कैसी है ?
आप के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है ?
आप के प्रति लोगों का व्यवहार कैसा है ?
इसे आप बहुत अच्छी तरह से जानते हैं ।
लेकिन अपने आप को समृद्ध बनाने और विकास की ओर बढ़ाने की परवाह को नज़रंदाज़ कर के , आप लोगों के हर चीज को जानने के चक्कर में , अपने वक़्त और उर्जा को ज्यादा बर्बाद करते हैं ।
जिस दिन आप खुद को समझने और खुद को आगे बढ़ाने के चक्कर में पड़ेंगे , तो लोगों के चक्कर को छोड़ देंगे ।

मंगलवार, 15 मार्च 2022

समझना और समझाना

किसी को समझने के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है । 
कुछ वक़्त देना पड़ता है । 
कुछ दिन गवाने पड़ते हैं ।
हर व्यक्ति अपने आप को समझाने की कोशिश में लगा हुआ है । पुरी बात / मुआमला , समझने से पहले अपनी बातों के माध्यम से खुद ही समझाना शुरु कर देते हैं ।
लेकिन हर लोग समझने की कोशिश नहीं करते । 
अपनी समझाने के चक्कर में ।
समझना और समझाना दोनों अलग - अलग प्रकृयाएं हैं ।
बिना किसी की पुरी बात समझे हुए कुछ समझाया नहीं जा सकता । अकसर ऐसा भी होता है कि जब किसी को पुरी तरह से समझ लेंगे , तो फिर समझाने की जरुरत नहीं पड़ती । बेहतर तो यही होगा कि जबतक कोई समझाने को न कहे तब-तक किसी को समझाने की कोशिश न करें । यही सबसे बड़ी समझदारी है । क्यों कि पता नहीं अगला व्यक्ति उस समय किस मुड में हो । बातों ही बातों में बात का बतंगड़ भी हो जाता है । कभी कभी अपशब्दों के प्रयोग से धरापकड़ी भी हो जाती है । जहां आप के बोलने की आवश्यकता न हो वहां खामोशी बनाए रखना सबसे बड़ी कला और समझदारी है ।
आज के इस तनावपूर्ण दौर में सभी लोग हमेशा फ्रेश मूड में नहीं होते ।

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

पगड़ी क्या है ?

सर पर बंधी पगड़ी , टोपी ,गाम्छा , रुमाल , या मुकुट सब एक ही इज्जत और सम्मान का प्रतीक होते हैं ।
कभी - कभी वक़्त ऐसा भी आ जाता है , कि इस पगड़ी को उतार कर किसी के कदमों में डाल कर , आपको अपनी या अपने भाई , बहन, मां , बाप , औलाद , या कर्ज़ के माफ़ी के लिए इज्जत की भीख मांगनी पड़ती है ।
जो इंसान हैं , और इज्जतदार हैं । जिन्हें पता है , कि पगड़ी क्या है ? और इसका स्थान कहां है ? वो सारे दर्द भूल कर अपने चरणों में पड़ी पगड़ी को उठा कर उसके सर पर अपने हाथों से ही पहनाते हैं ।
लेकिन दुःख और अफसोस इस बात का है कि गुमराह करने वालों से कैसे बचोगे ।

बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

वसीयत नहीं की थी

मेरे लिए आप ने कोई वसीयत नहीं की थी ।
हां कुछ वादे किये थे, कुछ किस्में खाईं थीं ।
उन्हीं कस्मों और वादों को मैंने वसीयत मान ली थी ।
जिसकी वजह से आज भी पुरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभा रहा हूं ।
लेकिन अब मुझे यह एहसास हो चुका है , कि आप मेरे नहीं थे । मेरे होने का झूठा नाटक कर के मुझसे पराए ही रहे ।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

भरोसा क्या है ?

भरोसा जब किसी पर होता है , तो वह जिंदगी में सिर्फ एक बार ही होता है ।
ज़िंदगी में किसी के उपर बार - बार भरोसा नहीं होता ।
किसी का भरोसा तोड़ना तो बहुत ही आसान होता है , लेकिन भरोसा तोड़ने से पहले यह जरुर याद रक्खें कि आप अपने बहुत ही भरोसेमंद व्यक्ति को खो रहे हैं ।
दुबारा आप उस व्यक्ति को अपने करीब कर तो सकते हैं ।
लेकिन आप के करीब होने में उसकी कोई मजबूरी हो सकती है ।
दुबारा करीब कर लेने से इसका मतलब यह कभी मत सोचिएगा कि वह आप के साथ पहले जैसे भरोसे के साथ ही अब भी है ।
भरोसा क्या है ?
भरोसा प्रेम का दूसरा रुप है , जिसे क़ायम रखने के लिए प्रेम के साथ भरोसे को कायम रखने की जिम्मेदारियों का एहसास होना जरुरी है ।

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

ज़िंदगी गुज़ारने के लिए

संघर्ष करते हुए उम्र कट गई , मगर वो कमी पूरी नहीं हुई जो जिंदगी भर रही । उस वक्त लोगों की बातों पर यकीन नहीं हुआ , लेकिन अब यकीन हो गया है , कि कमी पूरी होना नशीब में ही नहीं था ।
माना कि नशीब जिंदगी का एक अहम हिस्सा है । लेकिन नशीब के विपरित संघर्ष करने का मशगला अच्छा था ।
शायद ज़िन्दगी गुजारने के लिए , नशीब में संघर्ष करना ही लिखा था ।

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

विज्ञान क्या है ? शिक्षा क्या है ? आध्यात्म क्या है ?

कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है विज्ञान ।
कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है शिक्षा ।
गहन मनन के मंथन से जब इंसान आत्मशाक्षात हुआ तब
जन्म हुआ आध्यात्म का ।
जब शिक्षा नहीं थी तब भी लोग शिक्षित थे , फर्क सिर्फ इतना था कि उस वक़्त लोगों के पास लिखने पढ़ने की शिक्षा नहीं थी जो आज है ।
सौ साल में आज बहुत परिवर्तन है , मगर लिखंत पढंत वाली शिक्षा और कल्पनाओं एवं आत्मज्ञान में आज भी उतना ही अंतर है जितना पहले था ।
आज भी संपुर्ण देश हो या विश्व , कमान संभालने के लिए
लिखंत पढंत वाले शिक्षा का होना कोई ज़रुरी नहीं है ।
ईश्वर के द्वारा प्रदान की गई कल्पनाओं , विचारों एवं आत्म मनन की शिक्षा सभी को मिल्ती है , अंतर सिर्फ इतना सा होता है कि कोई - कोई ऐसा होता है जो देश की सत्ता , कुर्सी , कमान को संभाल लेता है । और कोई ऐसा भी है जो आदेशों का पालन करने के लिए डंडा लेकर चौकीदारी में दिन / रात गेट पर खड़ा रहता है ।