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रविवार, 6 नवंबर 2022

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।
इसमें उपासना और इबादत के अनन्त रास्ते हैं ।
जिसको जैसे अच्छा लगता है ।
जिसको जैसे आनन्द आता है ।
जिन तरीकों से मुरादें पूरी होती हैं ।
जिन आस्था से सफलता प्राप्त होती है ।
वे वैसे करते हैं ।
किसी को समझाना…...... क्यूं है ?
तुम जैसे हो वैसे ही रहो ....... ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी कोई मुरादें हासिल की है ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी सफलता को प्राप्त की है ।
तो लोगों को भी बताओ ।
लोगों को भी सिखाओ ।
न कि उसे उसके मार्ग से भटकाओ ।
किसी के धर्म और कर्म में कभी बाधा मत बनो
सभी इंसान हैं । सबकी अलग अलग सोंच है ।
उपरोक्त बातों द्वारा इसमें जातियों का कोई संबंध नहीं है ।
इस धरती पर सिर्फ चार प्रकार की जातियां हैं ।
1 - पुरुष / मर्द ।
2 - स्त्री / औरत ।
3 - अमीर / धनवान ।
4 - गरीब / निर्धन ।
इसके बाद कोई जात नहीं है ।
माना कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पुरक हैं ।
ठीक इसी तरह अमीर और गरीब भी एक दूसरे के पुरक हैं ।
स्त्री को पुरुष की आवश्यकता है ।
पुरुष को स्त्री की आवश्यकता है ।
गरीब को अमीर की आवश्यकता है ।
अमीर को गरीब की आवश्यकता है ।
हरलोग अपनी मर्यादा में रहते हुए अपने कर्तव्यों
का पालन करें । इसी को इंसानियत कहते हैं ।

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022

मुहब्बत में भी एक दुनिया है ।

एक तरफ़ दुनिया है , जो अपनी तरफ़ आकर्षित करती है और एक तरफ़ किसी की मुहब्बत है , जो अपनी आगोश में समेट कर दुनिया को भुलवाना चाहती है , दुनियां से दूर रखना चाहती है ।
दुनियां में अगर जाऊं तो यहां मुहब्बत नहीं है और मुहब्बत में अगर जाऊं तो वहां दुनिया नहीं है ।
अंत में यह एहसास हुआ कि इस दुनिया में जो दुनिया है , वह बहुत ही अलग तरह की दुनिया है , जिसमें चंद लोगों के सिवा कोई किसी का नहीं है ।
मुहब्बत में भी एक दुनिया है जिसमें सब अपने हैं । मुहब्बत के सिवा वहां कुछ भी नहीं ।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

दो मित्र

कुछ लोगों का मिजाज रईशी होता है , जो खानदानी है । किसी भी हाल में हों मगर उनकी रईशी बू बांस मरते दम तक नहीं जाती । कुछ लोग उनकी नकल करने में उजड़ जाते हैं । खैर ये अलग मैटर है , जिसके पास जितना होता है वो अपने हिसाब से अपनी ज़िंदगी का इंज्वॉय करता है । सब अपनी नसीब , अपनी सामाजिकता और अपनी औकात पर निर्भर करता है , इसमें न तो आप किसी को रोक सकते हैं और न तो समझा सकते हैं यदि आप ने अपना समझ कर हमदर्दी में कुछ राय पुर्वक समझाया तो पीठ पीछे आप की औकात दिखा दी जाती है ।
कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं कि आप कुछ भी हों मुंह पर ही आप की औकात नाप देते हैं ।
मैं आप को दो ऐसे मित्र की कहानी सुना रहा हूं जिसमें आप को ये महसूस होगा कि दुनियां और समाज की चकाचौंध में जाने के अंजाम क्या होते हैं और अपने भविष्य को लेकर जो सतर्क होते हैं वे क्या करते हैं , जिससे उनके और उनके आने वाली पीढ़ी किसी विपत्ति के समय में सुरक्षित कैसे हो सकती है ।
दो व्यक्ति थे । जिनकी सर्विस के दौरान ही मित्रता हुई । दोनों मित्र एक साथ रिटायर हुए , दोनों को काफी पैसा मिला .....।
एक मित्र ने दूसरे मित्र से जमीन खरीदने की बात की मगर उसे यह फाल्तू काम लगा तो उसने सुझाव देना छोड़ दिया और चुपचाप जाकर शहर में ही सिर्फ दस लाख खर्च कर के एक जमीन ले ली और दूसरे मित्र ने दस लाख की एक कार खरीदी ,
वक्त गुजरता गया दस साल बीत गए जमीन वाले को अपनी जमीन निकाल कर कुछ और करने की सूझी उस ने अपनी जमीन बेची तो उसे एक करोड़ पच्चीस लाख मिले और कार वाले मित्र की कार एक कबाड़ी वाला सिर्फ पच्चीस हजार रुपए दे कर ले गया ।
अब फैसला आप के हाथ में है कि आप जमीन की शक्ल में सोना से भी मंहगी चीज बनाकर बेचना चाहते हैं कि कबाड़ के भाव में गाड़ी ।
बढ़ती मंहगाई , बढ़ती आबादी के बीच सोने का भाव भी गिरता है । गाड़ियों के भाव में भी गिरावट और डिस्काउंट आते रहते हैं लेकिन जमीन के भाव को आज तक मैंने डाउन होते नहीं देखा ।
इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे आप्शन होते हैं जो आप के आत्ममंथन पर निर्भर करता है कि आप अपने आप को कैसे सेक्योर रहते हुए विकास की ओर ले जा सकते हैं ।

रविवार, 16 अक्तूबर 2022

आत्मा को परमात्मा में लीन कर देना

( औलिया अल्लाह मतलब पहुंचे हुए संत और फ़कीर जो अपनी आत्मा को परमात्मा में लीन कर चुके हों )
 मैंने औलिया अल्लाह को देखा है ।
मैंने औलिया अल्लाह से बातें भी की है ।
मैंने औलिया अल्लाह के कुछ करिश्मों को भी देखा है । उनके करिश्मे को मैंने अपने उन ख्वाहिशों को पूरा होने में देखा है जिन ख्वाहिशों की मुझे हद से ज्यादा ज़रुरत थी ।
मैंने औलिया अल्लाह के साथ बहुत साल गुजारे हैं किसी लालच में नहीं ।
किसी मकसद से नहीं ।
सिर्फ उनकी मुहब्बत में ।
उस वक्त मुझे उनकी ताकत का पता नहीं था ।
जब पता हुआ तो इल्म की रौशनी पाने की ख्वाहिश हुई ।
उनके आगे मेरी चाहतों का क्या मोल ?
उन्हें पता है कि मेरी चाहतें मेरे लिए उचित है या नहीं।
हम तो बिन पानी मछली की तरह तड़पते हैं अपने मकसद को पाने के लिए ।
लेकिन वो वही करते हैं जिसमें मेरी भलाई है ।
वो ये कभी नहीं करते जिसमें मेरी तबाही हो ।
वे लोग नादान और अनजान हैं कि जिन्हें औलिया अल्लाह मिले हों मगर समझ न सके और उन्हें छोड़ कर अपना रास्ता कहीं और नाप लेते हैं , लेकिन उनकी नज़र उन सभी के हर हरकतों पर रहती है जो अपने हाथ से उनके हाथ को पकड़ कर उनका हो गया हो।
दुनियाबी इल्म किस्मत से मिलती है और दीनी इल्म औलिया अल्लाह के शोहबत में रहने से ।
बस सब्र करो और इतना करो कि औलिया अल्लाह भी घबरा जाएं और बुरी किस्मत भी पीछा छोड़ दे ।मैं जानता हूं कि औलिया अल्लाह लिखे हुए तक़दीर को बदल देते हैं पर मुझे यह नहीं मालूम कि मेरी किस्मत में क्या है बस जो हालात मेरे सामने है वही रज़ा ए इलाही है।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

तुम कौन हो ?

1 - दुनियां में आने के लिए एक दायरे में आना पड़ता है । एक आकार का रुप लेना पड़ता है , जैसे आदमी का जिस्म हो या किसी पशु पंक्षी का और वो दायरा महदूद होता है । इस लिए तुम भी एक महदूद दायरा हो लेकिन तुम्हारे इस महदूद दायरे में भी एक चीज ला महदूद है । जिसे रुह कहा जाता है , जो ला महदूद जगह से आती है , जहां कोई महदूदियत नहीं होती इसी को पकड़ना और साधना पड़ता है , लेकिन तुम्हारा महदूद जिस्म इसे समझ नहीं पाता और अंत में ये तुम्हारे महदूद जिस्म से निकल कर ला महदूदियत में चली जाती है । वहीं इसका असली और वास्तविक जगह है । तुम्हारा शरीर विकृत हो सकता है । तुम्हारा शरीर मिट भी जाता है । लेकिन रुह अजर और अमर है जो न कभी मिटती है और न तो कोई मिटा सकता है । अगर तुम चाहते हो , तो इस महदूद दुनिया और महदूद जिस्म में होते हुए भी ला महदूदियत को पा सकते हों ।- 
जब तुम्हें एक ला महदूद जगह से दूसरी महदूद जगह पर ट्रांसफर किया जा रहा था तो तुम्हें यह मंजूर नहीं था फिर जब तुम्हें बताया गया कि उस महदूदियत में रहते हुए भी तुम ला महदूद कैसे हो पाओगे और जहां से जा रहे हो वहां जब चाहे तब कैसे आ जा सकते हों , तब जा कर तुम अपना ट्रांसफर करवाने के लिए तैयार हुए , जब ट्रांसफर हुआ तो नौ महीने तक तुम्हें एक महदूद दायरे में रखने के बावजूद ला महदूदियत से जोड़े रक्खा गया फिर नौ महीने बाद तुम्हें बाहर निकाला गया फिर भी तुम बाहर आ कर नौ महीने तक तड़पते रहे अपने लामहदूदियत के मुकाम पे जाने के लिए लेकिन उसके बाद तुम भूलना शुरू किए और धीरे धीरे आज सारे रास्ते भूल चुके हो । तुम्हें कुछ याद नहीं। 

2 - अल्लाह से जो तुम मांगते हों उसकी एक हद है
लेकिन उसके देने की कोई हद नहीं मगर हद तुम बनाते हो , हद में मांग कर इस लिए वो तुम्हारी जरूरत के मुताबिक हद में दे देता है ।

3 - दरिया से कभी बूंद की ख्वाहिश मत करो अगर पचा पाओ तो दरिया को ही पचाने की कोशिश करो अगर ये भी न हो पाए तो खुद में ही एक दरिया बन जाओ।

4 - मांगने से बेहतर पाने का इंतजार करो हो सकता है कि अल्लाह तुम्हारे लिए तुम्हारी सोंच से भी ज्यादा देने वाला हो ।
इसि इंतजार को सब्र कहा जाता है और तुम्हारे हर सब्र में वो तुम्हारे साथ है ।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

उसकी नज़र में

उस की नज़र में मैं बेवकूफ इस लिए हूं क्यो कि मैं सच बोलता हूं । सच्चाई कड़वी होती है जो आसानी से नहीं पचती ।
सच्चाई का सहारा लेने के लिए जब किसी सच्चे इंसान की जरुरत पड़ेगी तो तुम मुझे ढूंढते हुए मेरे पास आओगे ।
लेकिन झूठ का सहारा लेने के लिए तुम्हें किसी को ढूंढने की आवश्यकता नहीं है , क्यों कि झूठ के मामले में तो तुम खुद ही पारंगत हो ।

शनिवार, 20 अगस्त 2022

जिसकी जितनी किस्मत थी

जिसकी जितनी किस्मत थी ।
उतना उसका हिस्सा आया ।।

किसी को ज़रुरत से कम आया ।
किसी को जरुरत से ज्यादा आया ।।

किसी को गुर्बते रुसवाई आया ।
किसी को दौलतें जागीर आया ।।

किसी की आंखों में नीर आया ।
किसी के हाथों में खीर आया ।।

मुझे सब्र था तो राहे सूलूक में ।
मेरे हिस्से में मेरा पीर आया ।।

जावेद उन सब को अब भूल जा ।
तू नज़र में जिसके हक़ीर आया ।।

शब्दार्थ - 
हक़ीर = छोटा , तुच्छ , नीच , गिरा हुआ इत्यादि ।

राहे सूलूक = ग़रीब , दुखियारों की मदद करना ,
                  ईश्वर की तलाश , आत्मा को     परमात्मा     
                  में लीन करना आदि इत्यादि ।
                  
पीर = कामिल मुर्शीद , संत , पहुंचे हुए फ़कीर , 
          औलिया अल्लाह , सच्चे गुरु आदि इत्यादि 
          
नीर = पानी , आंखों से संबंध होने पर आंसू ।

खीर = विषेश प्रकार का स्वादिष्ट व्यंजन ।

गु़र्बत = ग़रीबी , गुर्बते = जरुरत से ज्यादा ग़रीब ।

रुसवाई = हंसी का पात्र बनना , लोगों के द्वारा
               मजाक उड़ाया जाना आदि इत्यादि ।
               
दौलतें जागीर = बे शुमार दौलत , इलाके का
                       मालिक , जरुरत से ज्यादा धन
                       का होना अति सम्मानित सम्मान
                       में लोगों का सर झुक जाना ।                                           

गुरुवार, 21 जुलाई 2022

घर का मुखिया

बचपन में सुनता था कि गांव में पटिदारी है ।
वो पटिदारियां पिता जी की थीं , जिन्हें हर अवसर पर पूछा जाता था और खुद भी लोग हमेशा आया जाया करते थे । बड़ी एकता और मोहब्बत थी उस जमाने की पटिदारी में , बिना पटिदारी के राय मशविरा के किसी कार्य को संपन्न कर लेना संभव ही नहीं था।
गांव में सभी पटिदारों का घर ज्यादातर हमारे घर के आस पास में ही था ।
जैसे - जैसे होश संभालता गया, घर गृहस्थी आ गयी । जिम्मेदारीयां बढ़ गयीं । पिता जी के पटिदारी में ज्यादा तर लोग इस दुनियां से चले गए एकाध लोग जो बचे हैं वो भी खटिया ही पकड़े हुए है ।
कोई मामला होता है तो आज भी लोग उन्हीं से समझने जाते हैं । लेकिन अब वो भी धीरे - धीरे गांव के हो गये हैं , क्यों कि वो पटिदार हमारे नहीं पिता जी के थे ।
हमारे पटिदार गांव में नहीं हमारे घर में ही पड़े हुए हैं । पिता जी की पटिदारी बहुत अच्छी थी । 
हमारी पटिदारी तो बहुत दुखदाई है । किसी से बात चीत है तो किसी से छत्तीस का आंकड़ा , जब की सारे पटिदार एक ही घर में रहते हैं ।
अब किसी को कहां वक्त मिलता है कि गांव में जाकर पुरानी पटिदारी और खानदान के लोगों की ख़ैर खैरियत ले सके ।
घर में प्रवेश करते ही लगता है कि जैसे गांव में आ गए हैं ।
जितने लोग उतने विचार ।
घर में बसे गांव का मलिक आधुनिक विचारधाराओं एवं परिधानों के आगे नतमस्तक है , जैसे वो रिटायर हो चुका है।
जिंदगी के बचे हुए दिनों को गुंगे और बहरे बनकर खामोशी से अपनी आंखों में पट्टी बांध कर काट लेना चहता है ।
कुछ घर में बसे गांव के मालिक का सम्मान अगर बचा है तो उन्हें भी कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के तहत भ्रमित कर दिया है । जिसका नतीजा किसी को बुरा और दुश्मन समझते हैं । 
तो किसी को हमदर्द , लेकिन ये बनावटी चश्मे काफी दिनों तक बरकरार नहीं रहते । लेकिन इतना तो जरुर होता है कि आंख बंद होते ही घर में बसे गांव में लंबा विवाद छोड़ जाते हैं ।
गांव का मुखिया हो या  
घर का मुखिया हो या 
अपने परिवार का किसी के कहने पर पुर्णत: विश्वास कर लेना मुर्खता ही नहीं बल्कि महा मुर्खता है । इसमें सत्यता की पड़ताल स्वयं करनी चाहिए ।
पेड़ की हर शाख बराबर नहीं होती , फिर भी पोषण हर शाख को बराबर पाने का अधिकार है ।
पनाह मांगता हूं मैं ऐसी पटिदारी से कि न तो कोई घर से बाहर निकल कर अलग अपना घर बनवाना चाहता है और न तो बनाने देता है ।
कुछ लोगों को देखा है कि अगर वो घर से निकल कर अपना एक घर बना लिए हैं फिर भी पुराने घर में ताला लगा कर अपना अधिकार जमाए हुए हैं ।
भाई ही तो पटिदार बनता है और आज के इस हरामखोर जमाने में न तो छोटों को कोई तमीज है न तो बड़ों को । मिला जुला कर सारे रिश्ते इस ज़माने के आकाओं ने खूंटी पर टांग दिया है ।

अर्थात -
पहले एक घर था 
उस एक घर में छव, सात लोग पैदा हुए ।
परिवार और बढ़ने पर एक ही घर में सबका गुजर बसर हो पाना मुश्किल था ।
लोगों ने घर से निकल कर पांच , छव घर बनाया 
इस तरह एक मुहल्ला हो गया ।
आज वो मुहल्ला फिर एक ही घर में तैयार हो गया है ।

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

मेरी दुनियां है तुझमें कहीं

औलाद क्या है ?
इसे बाप ही जानता है। 
बाप क्या होता है ?
इसे औलाद ही जानता है । 
बाप का दर्द हो सकता है , कि औलाद कुछ देर के लिए न समझ सके , लेकिन 
बाप के लिए औलाद का दर्द बहुत जानलेवा होता है । औलाद के दर्द के आगे बाप , अपने सारे दुःख दर्द भूल जाता है । लेकिन वो औलाद अपना दुःख दर्द किस से कहे ? 
जिसका बाप अपनी औलाद के बचपन में ही दुनियां को छोड़ गया हो ।

बाप जिंदा है तो ये एहसास होता है।
मेरी दुनियां है तुझमें कहीं।
तेरे बिन मैं क्या कुछ भी नहीं।।
बाप के न होने से हर वक्त यह एहसास होता है।
तुम गए ...................!
सब गया .................।।
कोई अपनी ही मिट्टी तले ।
दब गया ..................।

क्या करुं आप मेरे एहसास में जो इतना घुले हुए हैं कि आज तेईस साल में भी आप की एक एक बात आज भी याद है। ऐसा लगता है कि आप से मिले हुए तेईस साल नहीं बल्कि तेईस घंटे बीते हों न जाने किस वक्त आप के पुकारने की आवाज मेरे कानों से टकरा जाय............ ।

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

अपराधी कौन नहीं है ?

अपराध होने के कारण ....... ।
अपराध सिर्फ शराब के नशे में ही नहीं होता है ।
अपराध दौलत के नशे में भी होता है ।
अपराध बहुत मज़बूरी में भी होता है ।
अपराध बहुत ग़रीबी में भी होता है ।
अपराध जवानी के नशे में भी होता है ।
अपराध शार्ट कपड़ों के आकर्षण से भी होता है ।
अपराध अंग प्रदर्शन से भी होता है ।
अपराध जलन और नफ़रत की भावनाओं से भी होता है ।
अपराध किसी को नीचा दिखाने के कारण भी होता है ।
अपराध किसी की सामाजिक प्रतिष्ठा को धुमिल करने के लिए भी होता है ।
अपराध किसी का पेट पालने के लिए भी होता है ।
अपराध कभी - कभी न्याय को साबित करने के लिए भी होता है ।
अपराध अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए भी होता है ।
अपराध खुद को बचाने के लिए भी होता है ।
अपराध किसी को बचाने के लिए भी होता है ।
अपराध काम वासना की हवश में भी होता है ।
अपराध क्रोध में भी होता है ।
अपराध लोभ में भी होता है ।
अपराध मोह में भी होता है ।
अपराध मोहब्बत में भी होता है ।
अपराध बिजनेस में धोखाधड़ी का भी होता है ।
अपराध शिक्षा जगत में डिग्रियों के धोखाधड़ी का भी होता है ।
अपराध चिकित्सा जगत में भी होता है ।
अपराध कानूनी पैर पैतडे में भी होता है ।
अपराध बैंकिंग सेक्टर में भी होता है ।
अपराध राजनीति में भी होता है ।
अपराध करते हुए कोई पकड़ा गया ।
अपराध कर के कोई फरार है । जानकारी में रहते हुए भी आज तक पकड़ा नहीं गया ।
अपराध किये बगैर किसी को अपराधी साबित कर दिया गया ।
अपराध कहां नहीं है ?
अपराधी कौन नहीं है ?
कोई परदे में है ।
कोई सरेआम है ।
कोई राष्ट्रीय अपराधी है ।
कोई अंतर राष्ट्रीय अपराधी है ।
अपराधी समाज की नजरों में कितने परसेंट होंगे ?
अपराधी कानून की नज़रों में कितने परसेंट होंगे ?
अपराधी अल्लाह और ईश्वर की नजरों में 99% हैं 
अपराधी हर कार्यालयों में हैं ।
अपराधी हर विभाग में हैं ।
अपराधी हर चौराहे पर है ।
अपराधी हर गली में हैं ।
अपराधी हर नुक्कड़ पर है ।
अपराधी हर गांव में हैं ।
अपराधी हर कस्बे में हैं ।
अपराधी हर ब्लाक में हैं ।
अपराधी हर तहसील में हैं ।
अपराधी हर जिले में हैं ।
अपराधी हर नगर में हैं ।
अपराधी हर महानगर में हैं ।
अपराधी हर राज्य में हैं ।
अपराधी हर देश में हैं ।
अपराधी सिर्फ मर्डर करने वाला ही नहीं है ।
अपराधी चोरी करने वाले भी हैं ।
अपराधी ठगी करने वाले भी हैं ।
अपराधी बेईमानी करने वाले भी हैं ।
अपराधी घूसखोरी करने वाले भी हैं ।
अपराधी धोखाधड़ी करने वाले के साथ ही साथ गलतफहमियां पैदा करने वाले भी हैं ।