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मंगलवार, 15 मार्च 2022

समझना और समझाना

किसी को समझने के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है । 
कुछ वक़्त देना पड़ता है । 
कुछ दिन गवाने पड़ते हैं ।
हर व्यक्ति अपने आप को समझाने की कोशिश में लगा हुआ है । पुरी बात / मुआमला , समझने से पहले अपनी बातों के माध्यम से खुद ही समझाना शुरु कर देते हैं ।
लेकिन हर लोग समझने की कोशिश नहीं करते । 
अपनी समझाने के चक्कर में ।
समझना और समझाना दोनों अलग - अलग प्रकृयाएं हैं ।
बिना किसी की पुरी बात समझे हुए कुछ समझाया नहीं जा सकता । अकसर ऐसा भी होता है कि जब किसी को पुरी तरह से समझ लेंगे , तो फिर समझाने की जरुरत नहीं पड़ती । बेहतर तो यही होगा कि जबतक कोई समझाने को न कहे तब-तक किसी को समझाने की कोशिश न करें । यही सबसे बड़ी समझदारी है । क्यों कि पता नहीं अगला व्यक्ति उस समय किस मुड में हो । बातों ही बातों में बात का बतंगड़ भी हो जाता है । कभी कभी अपशब्दों के प्रयोग से धरापकड़ी भी हो जाती है । जहां आप के बोलने की आवश्यकता न हो वहां खामोशी बनाए रखना सबसे बड़ी कला और समझदारी है ।
आज के इस तनावपूर्ण दौर में सभी लोग हमेशा फ्रेश मूड में नहीं होते ।

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

पगड़ी क्या है ?

सर पर बंधी पगड़ी , टोपी ,गाम्छा , रुमाल , या मुकुट सब एक ही इज्जत और सम्मान का प्रतीक होते हैं ।
कभी - कभी वक़्त ऐसा भी आ जाता है , कि इस पगड़ी को उतार कर किसी के कदमों में डाल कर , आपको अपनी या अपने भाई , बहन, मां , बाप , औलाद , या कर्ज़ के माफ़ी के लिए इज्जत की भीख मांगनी पड़ती है ।
जो इंसान हैं , और इज्जतदार हैं । जिन्हें पता है , कि पगड़ी क्या है ? और इसका स्थान कहां है ? वो सारे दर्द भूल कर अपने चरणों में पड़ी पगड़ी को उठा कर उसके सर पर अपने हाथों से ही पहनाते हैं ।
लेकिन दुःख और अफसोस इस बात का है कि गुमराह करने वालों से कैसे बचोगे ।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

भरोसा क्या है ?

भरोसा जब किसी पर होता है , तो वह जिंदगी में सिर्फ एक बार ही होता है ।
ज़िंदगी में किसी के उपर बार - बार भरोसा नहीं होता ।
किसी का भरोसा तोड़ना तो बहुत ही आसान होता है , लेकिन भरोसा तोड़ने से पहले यह जरुर याद रक्खें कि आप अपने बहुत ही भरोसेमंद व्यक्ति को खो रहे हैं ।
दुबारा आप उस व्यक्ति को अपने करीब कर तो सकते हैं ।
लेकिन आप के करीब होने में उसकी कोई मजबूरी हो सकती है ।
दुबारा करीब कर लेने से इसका मतलब यह कभी मत सोचिएगा कि वह आप के साथ पहले जैसे भरोसे के साथ ही अब भी है ।
भरोसा क्या है ?
भरोसा प्रेम का दूसरा रुप है , जिसे क़ायम रखने के लिए प्रेम के साथ भरोसे को कायम रखने की जिम्मेदारियों का एहसास होना जरुरी है ।

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

ज़िंदगी गुज़ारने के लिए

संघर्ष करते हुए उम्र कट गई , मगर वो कमी पूरी नहीं हुई जो जिंदगी भर रही । उस वक्त लोगों की बातों पर यकीन नहीं हुआ , लेकिन अब यकीन हो गया है , कि कमी पूरी होना नशीब में ही नहीं था ।
माना कि नशीब जिंदगी का एक अहम हिस्सा है । लेकिन नशीब के विपरित संघर्ष करने का मशगला अच्छा था ।
शायद ज़िन्दगी गुजारने के लिए , नशीब में संघर्ष करना ही लिखा था ।

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

विज्ञान क्या है ? शिक्षा क्या है ? आध्यात्म क्या है ?

कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है विज्ञान ।
कल्पनाओं से ढूंढ़ा गया एक माध्यम है शिक्षा ।
गहन मनन के मंथन से जब इंसान आत्मशाक्षात हुआ तब
जन्म हुआ आध्यात्म का ।
जब शिक्षा नहीं थी तब भी लोग शिक्षित थे , फर्क सिर्फ इतना था कि उस वक़्त लोगों के पास लिखने पढ़ने की शिक्षा नहीं थी जो आज है ।
सौ साल में आज बहुत परिवर्तन है , मगर लिखंत पढंत वाली शिक्षा और कल्पनाओं एवं आत्मज्ञान में आज भी उतना ही अंतर है जितना पहले था ।
आज भी संपुर्ण देश हो या विश्व , कमान संभालने के लिए
लिखंत पढंत वाले शिक्षा का होना कोई ज़रुरी नहीं है ।
ईश्वर के द्वारा प्रदान की गई कल्पनाओं , विचारों एवं आत्म मनन की शिक्षा सभी को मिल्ती है , अंतर सिर्फ इतना सा होता है कि कोई - कोई ऐसा होता है जो देश की सत्ता , कुर्सी , कमान को संभाल लेता है । और कोई ऐसा भी है जो आदेशों का पालन करने के लिए डंडा लेकर चौकीदारी में दिन / रात गेट पर खड़ा रहता है ।

रविवार, 28 नवंबर 2021

मां , बाप के न होने का दर्द

मां , बाप के न होने का दर्द उन्हें ज्यादा होता है जिन्हें उनकी खिदमत और जरुरतों का खयाल होता है ।
दर्द तो उन्हें भी होता है जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मां , बाप का सहारा लिया करते हैं ।
बहुत किस्मत वाले होते हैं वो लोग जिनके पास मां और बाप दोनों होते हैं ।
यह जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति के किस्मत में मां और बाप दोनों मौजूद हों किसी के पास मां है तो बाप नहीं ।
किसी के पास बाप हैं तो मां नहीं ।
किसी-किसी के पास तो दोनों नहीं हैं ।
इस लिए जो हैं उनकी परवाह दिल से करिये क्यों कि आप की परवाह करने में इन्होंने अपने शौक़ सपने किसी की भी परवाह नहीं की , आज इन्हें भी आप की जरूरत है ।

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2021

सबसे बड़ा चमत्कार तो भाग्य है

कोई भी चाहत या चाहतों की मंजिल एक दिन में पुरी नहीं होती , इसके लिए समय लगता है ।
इन समयों में अपने आत्म विश्वास को कायम रखना ।
इन समयों में अपने धैर्य को क़ायम रखना ।
इन समयों में अपने जीत की सकारात्मकता को कायम रखना , निस्चित तौर पर आप को आप के लक्ष्य तक पहुंचाएगी । फ़र्क सिर्फ़ इतना ही है कि अगर भाग्य आप का साथ दे रहा है तो ।
गर्भगृह से धर्ती तक आने का सफ़र भी नौ महीने के होते हैं और इस सफर में भी एक्सीडेंट होते हैं ।
सकुशल नौ महीने की यात्रा करने के बाद सही सलामत धर्ती पर आ जाना भी बहुत बड़ा भाग्य है ।
पल - पल विचारों का बदलना , पल - पल लक्ष्यों का बदलना , ये एक जुए के समान हो सकता है । इस विचार से कि कहीं कोई चमत्कार हो जाय और जीवन बदल जाय ।
आप का लक्ष्य , आप के विचार , आप के धैर्य , कोई भी चीज़ न तो छोटी है और न तो बड़ी ।
सबसे बड़ा चमत्कार तो भाग्य है ।
भाग्य में जो खोना , पाना , और करना , करवाना है । भाग्य अपने अनुसार आप को ढाल लेगा , फिर सब कुछ भाग्य के अनुसार होता चला जाएगा ।
बहुत सारे लोग हैं , जिन्होंने अपने जीवन में कुछ भी नहीं किया है , लेकिन भाग्य ने उन्हें उनकी सोंचों और चाहतों से ज्यादा दिया है । बहुत सारे लोग हैं , जिन्होंने कड़ी परिश्रम करने के बाद भी अपनी चाहतों को पुरा नहीं कर सके हैं ।
इसे क्या कहें ? 
ईश्वर की मर्जी जो भाग्य में समावेश है ।
मैं नास्तिक नहीं हूं ।
मैं ईश्वर और भाग्य दोनों को मानता हूं ।
हो सकता है कि आप के भाग्य में संघर्ष कर के प्राप्त करना लिखा हो , इस लिए भाग्य के भरोसे कभी भी न बैठें , आप अपने संघर्ष को जारी रक्खें , समय का इंतजार करें , धैर्य रखें ।

शनिवार, 18 सितंबर 2021

इलेक्ट्रॉनिक और मिडिया के दौर में

आप अपने महत्वाकांक्षाओं को , आप अपने कल्पनाओं को , आप अपने सपनों को , आप अपने लक्ष्य को , आप अपने ह्रदय की वेदनाओं को , आप अपने खुशियों को , आप अपने हर एक क्षंण को , आप अपने हर एक पल को , आप अपने हर एक विचाचारों को व्यक्त करने का अधिकार रखते हैं ।
ये सब ( आटोबायोग्रफी ) आत्मकथा के रुप में भी बहुत सारे लोग सम्मिलित करते हैं ।
सभी के अभिव्यक्ति की अलग - अलग भाषा शैली होती है।
सभी के कल्पनाशीलता की अलग-अलग प्रवाह होती है ।
आप सोचते होंगे कि इन चीजों का क्या महत्व ?
लेकिन ऐसा नहीं है , इस दुनियां में बहुत सारे लोग हैं ।
बहुत तरह के अनुभव और विचारों से भरे हुए हैं ।
आप की चीजें किसी के समझ से परे हो सकती हैं , लेकिन किसी के लिए सीख भरी , प्रेरणा दायक हो सकती हैं ।
कोई कहीं से कुछ सीख कर नहीं आता , सब कुछ लोग लोगों से ही सीखते हैं ।
आज के इलेक्ट्रॉनिक और मिडिया के दौर में यह जरूरी नहीं है कि जब आप से कोई मिले या आप किसी से मिलें तभी अपने चीजों को शेयर करें ।
आज शेयर करने के लिए बहुत सारी सोशल साइटें हैं , जिस पर आप विडियो के माध्यम से तथा लिख कर भी लोगों के बीच पेश कर सकते हैं । 
यह याद रखना आवश्यक है कि आप कभी भी किसी एक व्यक्ति को विशेष रुप से टारगेट न करें ।
कोई ऐसी बात न कहें और न लिखें कि जिससे सुनने या पढ़ने वाले को बुरा लगे ।
लोगों को कुछ सिखाएं या इंटरटेन करें या आगे और विकास हो इसके लिए साहस दें , सुझाव दें , प्रेरणा दें ।

बुधवार, 15 सितंबर 2021

अंतरात्मा से लेकर पुरे काया तक के बीच में बहुत सारी धरोहरें हैं

आप के अंदर अंतरात्मा से लेकर पुरी काया तक में बहुत सारी धरोहरें हैं , जो समय के अनुसार क्षिंर्ण हो जाती हैं या कर दी जाती हैं ।
आप की संज्ञ्यनता में यदि आप के किसी भी प्रकार के धरोहर को क्षिंर्ण किया जा रहा है तो इसमें आप की खुद की मर्जी शामिल है ।
ऐसे लोग जो अपनी सारी धरोहरों को लुटा कर मान , सम्मान , यश और कीर्ति प्राप्त करते हैं । उनके पास अपना बचता क्या है ?
अंतरात्मा से लेकर पुरे काया तक के बीच में ?
ऐसे लोग इंसानों के बीच में , इंसानों के रुप में होते तो हैं लेकिन इंसान नहीं होते , भौतिकता की एक उपज मात्र होते हैं ।
मैं उन्हें इंसान मान सकता हूं , जिन्हें अपने अंदर के धरोहर का कुछ पता ही न हो और उनकी काया से कुछ लुट जाय । कम से कम अंतरात्मा तो स्वच्छ और निर्दोष बची रहती है ।
जैसे - जैसे ज्ञान और तजुर्बा होता जाता है । वैसे - वैसे वे अपने आप को समेटते जाते हैं ।
स्वर्ग लोक से पायी गयी धरोहरों की मृत्यु लोक में कीमत ही क्या है ? इसका पुरी तरह से एहसास होते - होते जीवन का अंतिम चरण आ जाता है ।
ऐसे ही लोग अपने पीछे आने वाले लोगों को इसका एहसास अच्छी तरह से करा सकते हैं । और कराते आ रहे हैं जिनकी वज़ह से आज भी ये कायनात टिकी हुई है ।
जो जान बूझ कर सारी धरोहरें लुटा देते हैं , ऐसे लोग किसी की रक्षा या सुरक्षा क्या करेंगे ?
ऐसे में अपने आत्मा और काया को यहां के माया से बचाने की कोशिश करें । आप यदि विचारशील , मननशील और समझदार व्यक्ति हैं तो  आप अपने सिवा किसी का कुछ भी बिगाड़ने का अधिकार नहीं रखते हैं ।

शनिवार, 31 जुलाई 2021

फोन लगाने में प्राब्लम न हो सके

एक्सिडेंट , मर्डर , और गले से सोने के आभूषण खींचने वालों के भागने की स्पीड क्या हो सकती है इसकी कल्पना मैं ,आप या कोई भी कर सकता है ।
इनमें से कोई भी घटना अगर घटती है तो आप यदि यह चाहें कि मैं भी उसी स्पीड से किसी को फोन कर के सूचित कर दूं तो यह संभव नहीं है ।
क्यों कि जब आप फोन करते हैं तो सबसे पहले आप को प्रचार सुनाया जाता है । प्रचार के बाद ही पता चलेगा कि अगला व्यक्ति नेटवर्क कवरेज क्षेत्र के अंदर है या बाहर , यदि नेटवर्क क्षेत्र में है और फोन लग गया तो यह भी जरूरी नहीं है कि अगर इधर से आवाज़ सही जा रही है तो उधर से भी सही आवाज आएगी ही , फिर भी लोग तीन पांच कर के किसी तरह से अपनी बात कर ही लेते हैं ।
सबसे बड़ी बाधा तो प्रचार-प्रसार वाली है ।
क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि जैसे प्रचार को हम सभी लोग टीवी चैनल पर देखते हैं जो नानस्केबिल होता है इसे आप अपने रिमोट से भगा भी नहीं सकते वैसे ही फोन कट होने के बाद कोई भी प्रचार हो उसे टेक्स्ट और वीडियो के माध्यम से एस,एम,एस कर दिया जाय ताकी किसी को भी फोन लगाने में प्राब्लम न हो सके ?

रविवार, 25 जुलाई 2021

पुर्वांचल बैंक/ बड़ौदा यूं ,पी , बैंक शाखा आशिक रौजादरगाह , गोरखपुर ।

पुर्वांचल बैंक , जो वर्तमान में बड़ोदा यूं ,पी , बैंक के नाम से हो गया है । यह शाखा धुरियापार के नाम से पास थी और धुरियापार में लगभग बीस साल से ऊपर तक सकुशल चली भी , लेकिन कुछ दलाल और उस समय के शाखा के कार्यकर्ताओं ने मिल कर इस शाखा को अब धुरियापार से हटा कर आसिक रौजादरगा में स्थापित करवा के चलाया जा रहा है ।
जिससे जनता के बीच भय और गुस्सा दोनों व्यप्त है ।
धांधलेबाजी , अनियमितता , ग्राहकों को फटकारना , अनाप-शनाप बोलना , रोज के दिनचर्या में शामिल हो चुका है । 
कुछ दिन पहले ही मैंने न्यूज पेपर में और मोबाइल मिडिया द्वारा संचालित न्यूज चैनल पर पढ़ा था कि उरुवा बाजार में चल रहे पुर्वांचल बैंक के एक कर्मचारी ने एक बूढ़ी औरत जो उस बैंक की खातेदार थी उसे भद्दी गालियां देने के बाद थप्पड़ों से पीटा ।
धुरियापार के ब्रांच से ऐसी घटना अभी नहीं आई है लेकिन बैंक के ग्राहकों को फटकारना काम न करना इसके अतिरिक्त निम्नलिखित समस्याएं भी हैं जैसे-
1- काउंटर पर लगी महिला/पुरुष की लाईन के अतिरिक्त जिन लोगों की कर्मचारियों से पहचान होती है , उनके पैसे निकाल कर केबिन में ही ला कर पहुंचा दिए जाते हैं । इन लोगों को लाईन में लगकर पैसे निकालने की जरूरत नहीं पड़ती । बाकी के ग्राहकों को बन्दर बने खामोशी से इन हरकतों को देखना पड़ता है ।
2- कर्मचारियों के उपर निर्भर करता है कि वो किसका काम करेंगे और किसका नहीं ।
किसे चाय पिलाएंगे और किसे नहीं । जब कि सभी ग्राहक एक समान होते हैं ।
3- कुछ पूछने पर उनकी मर्जी पर निर्भर करता है कि वो बार - बार दौड़ाएंगे या तुरंत जवाब दें ।
4- शिकायत पेटिका लगी हुई है , उसमें शिकायत डालने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती । ऐसा लगता है कि वह शिकायत पेटिका सिर्फ कोटा पुरा करने के लिए , नाममात्र के लिए लगाया गया है ।
5- निकासी और जमा बाउचर पब्लिक काउंटर पर कभी रक्खी जाती है , तो कभी नहीं ।
6- जब बाउचर पब्लिक काउंटर पर उपलब्ध होती है तो उसके साथ पेन , गोंद , और अंगुठा लगाने का पैड  नहीं होता , जिसके लिए ग्राहकों को घंटों इनके पास उनके पास भटकना पड़ता है ।
7- जो लोग पढे लिखे नहीं हैं उनका फार्म भरने वाले की कोई व्यवस्था नहीं है ।
19-7-2021 दिन सोमवार को मैं अपने एक मित्र के साथ उनके काम के सिलसिले में बैंक में गया था , कैश काउंटर पर बैठे कार्यकर्ता से मैंने पूछा - 
सर इस  पासबुक को चेक कर के बताएं कि इसमें कितने पैसे हैं ।
महोदय ने जवाब दिया कि सिर्फ जमा और निकासी का काम होगा ।
मैंने पूछा तो चेकिंग का काम कब होगा ?
महोदय ने कहा कि चार दिन बाद ।
मैंने सोचा कि अगर इसमें कुछ जमा या निकासी कर ली जाए तो शायद एकाउंट के बैलेंस का पता चल जाय ।
मेरे मित्र सिर्फ बैलेंस जानने की लालच में कुछ पैसे निकाले और फिर महोदय से मैंने पुछा कि -सर अब कितना बैलेंस बचा हुआ है ?
महोदय ने स्पष्ट जवाब दिया कि - आज बैलेंस चेक करने का काम नहीं हो रहा है ।
मैंने सोचा कि जब मित्र ने पैसा निकाल लिया तो इतनी छोटी सी बात बताने में प्राब्लम क्या है ?
जबकि जमा और निकासी की प्रक्रिया एकाउंट से हो कर ही गुजरती है । बैलेंस न बताना ये मनबढ़ई नहीं तो फिर और क्या है ?
8- बैंक में कौन-कौन से कार्य होंगे उसकी अलग-अलग काउंटर बनी हुई है जिसमें एक केबिन पासबुक से पैसे विड्रा होने वाला बाउचर , एकाउंट की समस्त जानकारी एवं पासबुक प्रिंटिंग का भी कार्य किए जाते हैं
मगर इस केबिन में कभी कोई उपस्थित नहीं रहता । हमेशा खाली पड़ा रहता है ।
9- घूसखोरी और दलाली एक महत्वपूर्ण कार्य योजनाओं में शामिल है ।
10- दिन में ही शाखा में आंन डियुटी शराब का सेवन करना बहुत ही मामुली बात है ।
11- यह ब्रांच बीस वर्ष से ऊपर सर्व प्रथम मेरे ही मकान में संचालित था , जिसमें बहुत सारी चीजों को मैंने अपनी आंखों से देखा है । जिस वक़्त मेरे मकान से ब्रांच खाली हुआ उस समय मेरे द्वारा लगवाये गये सीलिंग फैन चार पीस
दो पीस सप्लाई बोर्ड को दलाल लोग नोच ले गए , जब मैंने ब्रांच के कार्यकर्ताओं से पूछा तो उन लोगो ने बताया कि हम लोग वहीं छोड़ आए हैं । लाकर रुम- जिसमें कैश और महत्वपूर्ण कागजातों को रक्खा जाता था , उसमें से मैंने एक बोरा देशी और अंग्रेजी शराब की बोतलें फेंकवाई है ।
उस समय मुझे पता चला कि ये लोग डियुटी पिरियड में ही नशा करते हैं , जब कि नशे की हालत में मैंने कई कर्मचारियों को अपने मकान वाले ब्रांच में भी पाया था और आज जहां स्थित है वहां भी पाया है । अब आप स्वयं विचार करें कि नशेड़ियों से आप कैसे व्यवहार की आशा कर सकते हैं ।
इन्हें तो सिर्फ दलालों का इंतजार रहता है कि कोई मुर्गा फंसा कर लाए जिससे पार्टी , दारु और मोटी रकम भी प्राप्त हो जाएगी ।
कुछ दलाल लोन वाले केबिन में लोन मैनेजर के समकक्ष बैंक खुलने से लेकर बन्द होने तक पुरी डियुटी करते हैं , जिन्हें पुरा स्टाफ उसे भी एक कर्मचारी की ही तरह व्यवहार करता है ।
12- न कोई प्रेस रिपोर्टर तफ्तीश में कभी जाता है और न कोई अन्य जांच होती है । समस्याओं को लेकर जनता जाए तो कहां जाए और जा कर भी क्या कर लेगी ।
13- पासबुक प्रिंट करने वाली मशीन हमेशा गड़बड़ ही रहती है । पासबुक प्रिंट का कार्य तो कभी होता ही नहीं ।
या फिर पासबुक प्रिंट न करने का बहाना हो ।
14- कुछ कर्मचारी ठीक हैं जो खातेदार को खातेदार समझते हैं मगर अपने से ऊपर के कर्मचारियों के दबाव और पहुंच से मजबूर हो जाते हैं ।

गुरुवार, 1 जुलाई 2021

जब कोई उम्मीद न रह जाए

जब नौकरी मिलने की कोई उम्मीद न रह जाए ।
जब स्कूल खुलने की कोई उम्मीद न रह जाए ।
जब धन्धा बिजनेस करने की कोई आजादी न रह जाए ।
जब लोगों से लोगों को भय लगने लग जाय ।
जब गांव के चौपाल में और गली के मोड़ पर दस लोग इकट्ठे हो कर आपसी हंसी-मजाक और मस्ती न कर पाएं ।
ऐसे में जब सारी उम्मीदें , सारे रास्ते बंद होने जैसे लगने लगे ।
तब ये समझना की ये भी एक प्रलय के ही समान है , चाहे छोटा प्रलय हो या बड़ा । जिसके ऊपर जैसी बीतती है उसे बेहतर एहसास होता है ।
ऐसी परिस्थिति , ऐसे दौर में जीने की आशा न कर के बल्कि लोगों के काम आकर मरना बेहतर होता है ।

बुधवार, 30 जून 2021

इंसान को भी तौल ढाला है

इंसान का सर्वांग और उसकी पुरी काया अदभुत और जादुई है । दुःख दर्द की तो बात ही क्या कुछ घंटों के लिए सारी दुनियां भुला देती है । इंसान दुनियां का सबसे अनमोल प्राणी है प्रन्तु आज के दौर में इसकी कोई कीमत नहीं रह गई है ।
बेमोल होने का सिर्फ एक ही कारण है और वो है पैसा ।
जब कि पैसा ही सब कुछ नहीं है इंसान से ही पैसा है न कि पैसे से इंसान , लेकिन आज पैसे के आगे इंसान का कोई वकार नहीं रहा , पैसे ने इंसान को भी तौल ढाला है ।

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

विचार का होना और एहसास का होना दोनों में अंतर है

वो भी एक वक्त था जब तुम उसको , मुझको , या किसी को अपने करीब आने देना नहीं चाहते थे । ये भी एक वक्त है जब तुम उसको, मुझको , या किसी को अपने पास से जाने देना नहीं चाहते ।
आखिर ये है क्या ? या ऐसा क्युं होता है ?
जब तुम उसको , मुझको , या किसी को अपने करीब आने देना नहीं चाहते थे तो वो तुम्हारा अपना एक निजी विचार था । लेकिन जब तुम अपने करीब से उसको , मुझको , या किसी को जाने देना नहीं चाहते तो ये उसका , मेरा , या किसी का गहरा एहसास है जिसे तुमने अपने करीब पा कर किया है ।
विचार का होना और एहसास का होना दोनों में अंतर है ।
विचार सुन कर और देख कर बनते हैं ।
एहसास करीब रहने से और व्यवहार से होते हैं ।

बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

जब कोई निगाह से दूर होता है

जब कोई निगाह से दूर होता है तो फोन पर बहुत सारी बातें करना आ जाता है । इतनी बातें होने लगततीं हैं कि रखने का मन नहीं होता भले ही बैट्री बैठने लगे या नेटवर्क छोड़ने लगे या आवाज़ फंसने लगे लेकिन बात नहीं खतम होती ।
जब सामने आ जाते हैं तो बोलती बंद हो जाती है कोई बात नहीं रहती और न ज्यादा आवाज़ निकलती है ।
फोंन पर तो डाटा कटता है और वाइस चार्जेस भी लगाते हैं । लेकिन आमने-सामने होने पर कोई चार्जेस नहीं लगते फुर्सत भी रहती है और फ्री की बातें भी मगर बहुत कम लोग ही इसका लाभ लेते हैं । फोंन पर बातें करना लोगों की आदत सी बन गयी है ।

रविवार, 10 जनवरी 2021

अर्निंग के प्लेटफार्म भी मिल जाएंगे

मोबाइल पर न्यूज़ पढ़ते समय , यूट्यूब पर वीडियो या कोई न्यूज़ देखते समय बीच - बीच में एडवरटाइजिंग शुरु हो जाता है । इसी तरह टेलीविजन पर भी हर प्रोग्राम में एडवरटाइजिंग , फिल्म हो , सीरियल हो या न्युज चैनल बीच में एडवरटाइजिंग प्रस्तुत कर के बना बनाया मूड ख़राब कर देता है । क्या ऐसा नहीं हो सकता कि सारे एडवरटाइजिंग को पहले या बाद में दिखाया जाय ।
बीच - बीच में प्रचार को सैतनहट या भ्रमित करना कहा जा सकता है । इस तरह से भ्रमित करने के लिए लोग पैसा देते हैं । अखबार में प्रचार छापने पर अखबार वाले को पैसा मिलता है । टेलीविजन पर जीस चीज़ में प्रचार दिखाया जाता है उनको पैसा मिलता है । यूट्यूब पर जिसके चैनल पर प्रचार दिखाया जाता है , उनको भी पैसा दिया जाता है ।जिसके ब्लॉग पर प्रचार दिखाया जाता है , उनको भी पैसा दिया जाता है । क्या बिना प्रचार के उनकी इनकम नहीं हो सकती ? जब की कोर्ट में , मीटिंग्स में , और भी बहुत सारे प्रोफेशनल कामों में मोबाइल को भी स्वीच ऑफ करा दिया जाता है , कि किसी प्रकार का बाधा न पड़े तो फिर उपरोक्त लोगों को क्यों नहीं समझ में आता है कि हमारे दर्शक भी बाधित होते होंगे । क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि मोबाइल पर एडवरटाइजिंग का एक एप लांच हो जाए जिससे लोग उस पर एडवरटाइजमेंट दे सकें और जो एडवरटाइजमेंट को देखेगा उसे पैसा दिया जायेगा तो कैसा रहेगा ? । टेलीविजन पर एडवरटाइजिंग का चैनल बन जाय जो देखेगा उसे बैलेंस दिया जाएगा जिससे वे अपने टेलीविजन के मनपसंद चैनल्स को रिचार्ज कर सकें , तो कांटीन्यू किसी भी चीज़ को पढ़ा और देखा जा सकता है और लोगों को अर्निंग के प्लेटफार्म भी मिल जाएंगे ।

गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

मुंशी प्रेमचंद की कहानियों जैसी सच्चाई है डॉ तालिब गोरखपुरी की शायरी में

नहीं छोड़ेगी ज़िंदा बदनसीबी मार डालेगी   ।
मुझे लगता है ऐ तालिब ग़रीबी मार डालेगी ।।

या ख़ुदा घबरा गया हूं गर्दिशे अइयाम से   ।
इससे बेहतर है कि दे दे मौत ही आराम से ।।

या इलाही ये मेरा कैसा मुकद्दर हो गया    ।
हाथ में आते ही मेरे सोना पत्थर हो गया ।।

सारा  घर  चूता  रहा  बर्सात  में   ।
न दिन में बच्चे सो सके न रात में ।।

हो गयी  दुनियां  मेरी बर्बाद  कैसे  चुप  रहूं ।
और क़ातिल है अभी आज़ाद कैसे चुप रहूं ।।

भूखे , प्यासे  और  नंगे भर रहें  हैं सिसकियां ।
सुन के मज़लूमों की ये फरियाद कैसे चुप रहूं ।।

ग़रीबी का दर्द दर्शाते हुए ये शेर मशहूर शायर व अदीब डॉ तालिब गोरखपुरी की शायरी से चुने गए हैैं ।
इस तरह के हज़ारों शेर उनकी ग़ज़लों में मौजूद हैं ।
अबतक इनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं । जिन में चंद मशहूर किताबों के नाम निम्न लिखित हैं ।
1- उजाले उनकी यादों के ।
2- दास्तांने फिराक ।
3- सितारों से आगे तथा अन्य ।
अबतक इनको अदबी ख़िदमात के लिए अदबी सोसायटीयों ने बहुत से एवार्ड से नवाज़ा है । जिनमें काबिले जिक्र एवार्ड 1- मिर्ज़ा ग़ालिब एवार्ड
2- फिराक गोरखपुरी एवार्ड
3- कृष्ण बिहारी नूर एवार्ड
4- कैफ़ी आज़मी एवार्ड भी शामिल हैं ।

शनिवार, 28 नवंबर 2020

जो हुआ अच्छा ही हुआ

सब्र , संतोष , इंतज़ार इन शब्दों के मायने एक ही हैं ।
सब्र आप को परेशान कर सकता है लेकिन निराश नहीं ।
सब्र हजारों परेशानियों से बचाते हुए ऐसे मुकाम पर लाता है जिसकी आपने कभी कल्पना भी न की हो और आप स्वतः ही बोल उठते हैं कि जो हुआ अच्छा ही हुआ ।
जरुरी नहीं है कि किसी मजबुरी को सब्र का नाम दिया जाय
वास्तविक सब्र वह है कि जब आप सही या गलत जैसे भी हो अपने काम को करने में सछम हों मगर उसमें अपनी हिकमत और मनबढई का इस्तेमाल किये बिना ही आप सब्र करते हैं ।

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

4जी मोबाइल है

फोर जी मोबाइल है ।
फोर जी सिम कार्ड है ।
फोर जी टावर भी लगा हुआ है ।
वोल्टी और फोर जी नेटवर्क भी शो करता है ।
फोर जी नेटवर्क ज्यादातर दो या तीन प्वाईन्ट शो करता है ।
बहुत कम कभी कभी पांच प्वाईन्ट नेटवर्क शो करता है।
डाटा भी शो करता है मगर डाटा कनेक्शन इतना वीक होता है कि एक प्वाईन्ट पकडता है तो एक प्वाईन्ट छोड़ देता है ।
कभी कभी दोनों प्वाईन्ट छोड़ देता है ।
लगता है कि डाटा कनेक्शन की फ्रिकवेनशी खुद कम कर दी जाती है जिससे नेट यूज करना काफी मुश्किल होता है ।
इतना महंगा मोबाइल और सब कुछ फोर जी मगर बारह घंटे में आठ घंटा टू जी बना पड़ा रहता है ।
इसपर भी वाइस कालिंग के दौरान कभी इधर से आवाज साफ नही जाती तो कभी उधर से आवाज साफ नहीं आती कालिंग काट कर के पुनः लगाना पड़ता है कि शायद अब आवाज़ सही आने जाने लगेगी ।
अगर आप एक , डेढ या दो जीबी डाटा रोज पाने वाला रिचार्ज कराये हैं तो एक दिन का पुरा डाटा यूज ही नहीं हो पाता है । और कोई भी कंपनी वाला ये नहीं सोंचता कि हमारे कंपनी की सर्विस जब बहुत बेहतर नहीं है तो कम से कम डाटा तो छोड़ दें जब कनेक्टिविटी सही होगी तो लोग यूज कर लेंगे । डाटा यूज करने का समय तो अनलिमिटेड होना चाहिए । मैने ये सारी हाल ग्रामीण इलाकों की बताई है ।
शहरों की जो भी हाल हो यहां ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क को 3जी से 4जी में अपग्रेड किया गया है इसको मैने होते हुए नहीं देखा है सिर्फ मैसेज आया था तो उसमें पढ कर जाना है कुल मिलाकर अस्सी परसेंट लोग 2जी , 3जी और 4जी में उल्झे हुए हैं संतुष्ट वही लोग हैं जो टावर के करीब हैं ।

शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

दूसरी महाभारत

कोरोना काल के लाकडाउन पीरियड इस बीसवीं शताब्दी की बहुत बड़ी त्रासदी रही है । और जो शायद ही कोई भूल पाएगा । आज अनलाकडाऊन काल चल रहा है । इसमें कुछ आजादियां जरुर मिली हैं । मगर वो बात नहीं है जो कोरोना काल से पहले का वक़्त था ।
अप्रैल सन दो हज़ार बीस से आज नवम्बर सन दो हज़ार बीस यानी लगातार इन आठ महीनों में मैने ग्रामीण इलाकों के सर्वो में हर वर्ग हर आयु के लोगों को आर्थिक संकट से गुजरते हुए पाया ।
अनुमानतः ऐसा लगता है कि अगर स्थिति यथावत बनी रही तो संभवतः पूर्ववत स्थिति में लोगों को आने में लगभग सात से दस साल का समय भी लग सकता है ।
कोई भी परिवर्तन या छोटा हो या बड़ा इंसान के हालात और वक़्त के अनुसार बदलते परिवेश पर भी निर्भर करता है । लेकिन देश का परिवेश और लोगों के हालात को अगर गहराई से देखा जाए तो ऐसा लगता है कि देश और देशवासी पुनः एक बार दूसरी महाभारत की ओर बढ़ रहे हैं ।
बीते हुए महाभारत का कारण तो पुरा भारत और विश्व जानता है । मगर इस महाभारत का कारण भी जल्द ही समझ में आ जाएगा ।
बस अब आप को हर परिस्थिति से गुजरने और इसे झेलने के लिए तैयार रहना होगा ।