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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

विचार का होना और एहसास का होना दोनों में अंतर है

वो भी एक वक्त था जब तुम उसको , मुझको , या किसी को अपने करीब आने देना नहीं चाहते थे । ये भी एक वक्त है जब तुम उसको, मुझको , या किसी को अपने पास से जाने देना नहीं चाहते ।
आखिर ये है क्या ? या ऐसा क्युं होता है ?
जब तुम उसको , मुझको , या किसी को अपने करीब आने देना नहीं चाहते थे तो वो तुम्हारा अपना एक निजी विचार था । लेकिन जब तुम अपने करीब से उसको , मुझको , या किसी को जाने देना नहीं चाहते तो ये उसका , मेरा , या किसी का गहरा एहसास है जिसे तुमने अपने करीब पा कर किया है ।
विचार का होना और एहसास का होना दोनों में अंतर है ।
विचार सुन कर और देख कर बनते हैं ।
एहसास करीब रहने से और व्यवहार से होते हैं ।

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