hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
Translate
शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020
दर्द
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020
ज़िन्दगी से दूर
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020
बुढापा
सोमवार, 24 फ़रवरी 2020
अमीर
शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020
खेल
शनिवार, 15 फ़रवरी 2020
जनसंख्या
जनसंख्या कम करने के बारे में कभी मत सोंचना ।
इस जमीन पर जमीन बनाने वाला लोगों को क्यों
भेजता है यह तुम नहीं समझ सकते क्यों कि तुम्हें
भी उसी ने भेजा है ।
शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020
आत्मा
जो दुनिया से लिया गया वह इस दुनिया में ही रहेंगी ।
जितना भी सोंच सकते हो वह सब ।अन्त में तुम्हारा
शरीर भी । आत्मा सिर्फ इस दुनिया की नहीं है।
समय आने पर आत्मा तुम्हारे जिस्म से निकल कर
आत्मालोक में चली जाएगी।
तुम्हारे जिस्म के साथ दुनिया की सारी चीजें तुम्हारी
इसी दुनिया में रह जाएगी ।
मंगलवार, 28 जनवरी 2020
दुनियां को समझने की जरूरत
बहुत ज्यादा पढने के बाद इस दुनिया को कुछ हद तक
समझ पाया। पूरी तरह से समझने के लिए प्रेक्टिकल में
होने की जरुरत महसूस हुई। मगर उतना पैशा नहीं। कुछ लोग जो विदेशों में कमाने गये वो वही तक समझ पाए तो कुछ लोग आस पास के दो चार कंट्री और घूम समझ लिए लेकिन अनपढों ने ज्यादा समझा जैसे राहुलसांकृत्यान।
पैसे की जब बात आई तो खुद को संभालने में लगना पड़ा खुद को कुछ संभाला तो परिवार को देखना पड़ा।
परिवार को कुछ देखा तो बच्चों को संभालना पड़ा ।
कभी खुद अपने देश को ही पूरी तरह से घूम कर देखने
समझने का न अवसर ही मिला और न तो हालात ही बन पाए। जहां रहे उतने में ही दुख सुख को समझते रहे। इतने में ही कुछ की उम्र कट गयी। कुछ हमेशा के लिए दुनियां ही छोड़ गए तो कुछ अधेड़ हो गये।
अधेड़ो का क्या उनके तो मनसूबे भी अब पस्त हो चुके हैं। भविष्य तो अंधेरे में बच्चों और नवजवानों का है।
जिन्हें गुलाम बनना है या गोलियों का शिकार होना है।
वो भी बीसवीं शताब्दी के आधुनिक युग में पाश्चात्य सभ्यता में जीने के लिए मजबूर करने का कानून वो भी अपने ही देश में अपने ही देशवासियों के लिए।
इसका अंजाम क्या होगा ?
मुर्खो के विचार हैं या प्रखर कल्पनाशीलता की ?
रविवार, 26 जनवरी 2020
मूर्खता
जिस दिन पृथ्वी से मूर्खता समाप्त हो जाएगी
उस दिन यूनान की तरह सृष्टि का लोप हो जाएगा।
बुधवार, 15 जनवरी 2020
गृहस्थ जीवन और बेरोजगार
गृहस्थ और बेरोजगार जीवन जीने वालों कि कुछ पहचान
1- बहुत ज्यादा टीप टाप यानी मेन्टेन न रहपाना।
2- रोज रोज सलिंग भी नहीं हो पाती है।
3- चेहरे पर खामोशी और गंभीरता रहती है।
4- मन शान्त नहीं रहता।
5- ऐसा लगता है जैसे किसी विचार में खोया या किसी
परेशानी में पड़ा हो।
6- बातें नपी तूली होती हैं ज्यादा बात करने पर झुझलाएगा
यानी टेन्शनाईज्ड अपने काम की बात न लगना।
साथ में झोला जरूर रहेगा क्यों कि कभी भी कुछ भी लाने की फरमाईश भरा फोन आ सकता है।
वैसे भी कुछ न कुछ तो हर रोज लेना ही पड़ता है।
अगर बेरोजगारी नहीं है तो गृहस्थ जीवन बहुत ही आनन्द मय होता है।