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रविवार, 17 मई 2020

सम्राट

भारत में विपक्ष के सांसद मतलब जीरो ।
भारत में विपक्ष के विधायक मतलब जीरो। 
कानून अपनी मरजी का। 
जांच एजेन्सी अपनी मरजी का। 
प्रशासन अपनी मरजी का। 
हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट अपनी मरजी का। 
न्याय जो हम चाहे। 
गवर्नर जैसा हम चाहें। 
पूरे भारत में अधिकारियों से लेकर मंत्री तक 
जिसे हम चाहें। 
राष्ट्रपति जैसा हम चाहें। 
मीडिया जैसा हम चाहें। 
संपूर्ण भारत की जनता के लिए आदेश 
गाइड लाईन जारी करना जैसा हम चाहे। 
जब चाहें जो चाहें बदल दे। 
जब चाहें लोगों को उन्हीं के घरों में कैद कर दें। 
यातायात में जब हम चाहेंगे जिसे चाहेंगे वही चलेगा ।
जब चाहेंगे बन्द कर देंगे ।
भले ही भारत की जनता तीन हजार किलोमीटर पैदल 
चलना शुरु कर दे। 
भले ही वो रास्ते में मर जायें ।
गरीब, मजदूर भारत देश के नागरिक नहीं हैं। 
अमीरों के हज़ारों करोड लोन मिल जाएगा और माफ भी
कर दिया जाएगा ।
सामान्य वर्ग और निचली स्रेणी के लोगों को चप्पल घिस
जाने के बाद लाख के अंदर लोनमिलेंगा और इसे वसूलने
के लिए सामाजिक प्रताड़ना के साथ घर जमीन कुर्क कर
के निल्लाम कर दी जाएगी ।
बे वजह बिना कारण के हम जब जिसे चाहें देश द्रोही
आतंकवादी , दहशतगर्द के इल्जाम में जो चाहे करें। 
किसी को कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं ।
भारत की जनता वैसे ही रहेगी जैसा हम चाहेंगे ।
इसका मतलब अब ये देश लोकतंत्र नहीं है ।
अब यहां राज तंत्र कायम हो चुका है सब कुछ बिक चुका है । हम जो जाहेंगे वही होगा ।
और लोग आदेशों का इंतजार भी करते हैं इस आशा से कि शायद मेरे हित की कुछ बात आ जाये मगर कभी कभी कुछ लोगों को लालीपाप चूसने के लिए दे दिया जाता है बस इतना ही इनके लिए काफी है ।
भारत पहले गुलाम था और आज भी लोगों के ब्लड में गुलामी शामिल है। 
आज आप जो चाहें लोग कबूल करने के लिए तैयार हैं ।
आप जिससे जो कबूल करवाना चाहते हैं वो कबूल करता है।एक स्वयंभू सम्राट हैं आप। 
अब एहसास हो गया कि लोगों ने यह सही कहा था ।
आप हैं तो मुमकिन है 
कुशल शासक को लंबे दिनों तक राज करने का सिर्फ एक ही सुत्र है कि सभी को एक माले में पिरो कर रक्खा जाए वरना विद्रोह भडक जाएगा क्राती हो जाएगी फिर वो हो जाएगा जो आप नहीं चाहते ।
इन पांच सात सातों में जो आप ने हासिल किया है उसे लोग पांच सात महीनों में रिकवर कर लेंगे और आप के सारे फार्मूले सिर्फ उल्टे ही नहीं होंगे बल्कि इतने भयावह हो जाएंगे कि फिर पाच सात सौ सातों तक आप आप ही नहीं रह जाएंगे । इस लिए आज सब कुछ आप का है ।
आप जो चाहेंगे वही होगा और वही हो भी रहा है ।
आप एक तरफ और प्रजा एक तरफ। 
प्रजा माने जीरो। 

गुरुवार, 14 मई 2020

चाहत

जिस वक़्त आप की दोस्ती अल्लाह से हो जाएगी उस वक़्त से आप को दुनियां में किसी चीज की कोई ख्वाहिस नहीं रह जाएगी और न अल्लाह से कुछ मागने की चाहत ।

शिक्षा

गवर्नमेंट भी कहतती है कि प्राईमरी स्कूल में अपने बच्चों को पढाएं मगर जिसने पढा और जो लोग विद्यालय को छोड़ कर देश परदेश भागे उन्हें वापस अपने गांव भाग कर आना पड़ रहा है ऐसे मे उन्हें अपने गांव और घर में घुसने के पहले उसी प्राईमरी स्कूल में चौदह दिन तक रोका जा रहा है जिससे ये  एहसास होता है कि अगर शिछा लिए होते भागे न होते बाबा भीम राव की ही बात माने होते तो शायद आज ये दिन न देखने पड़ते आज एक अलग तरह की क्रांति होती । जिसे रोक पाना शासन प्रशासन के बस की बात नहीं थी ।

नागरिक

चार्टड प्लेन है , बुलेट ट्रेन है , भाभा अनुसंधान केन्द्र है ,
परमाणु बम है सशक्त फोर्स है , बेमिसाल कानून है ।
बहुमंजिली इमारते हैं , सवर्ग की अनुभूति कराने वाले
फाईव स्टार होटल्स हैं ।पश्चिम की सभ्यता हाबी है कोई 
कमी नहीं है । आधुनिक दौर का न्यू इन्डिया है । तो फिर
दो हजार, ढाई हजार किलोमीटर महिलाएं अपने गोद में
तो कभी कंधों पर अबोध बच्चों को लादे हुए पैदल चल रही हैं आखिर क्यों ?
सारी सुविधाएं किसके लिए बनाई गयीं हैं ?
इनको तैयार करने में किन वर्गों के लोगों ने अपने खूंन
पसीने बहाए हैं ? आखिर हो क्या रहा है ।
आज अपने ही देश में देश के ही नागरिक पैदल चलें
भूख से मरें और बेरोजगार रहें ये क्या है ?
अगर जिंदगी बची तो क्या ये लोग इस दौर को कभी भूल पाएंगे। आज अगर कुछ ट्रेनें और प्लेनें चालू की गई हैं तो
वो धन उगाही के लिए या देश के नागरिकों के सहयोग के लिए । हला की जब पहला लाकडाउन लगा उसके बाद अगर इसे बढाना ही था तो यातायात को उसी समय से चालु रक्खा गया होता तो आज लोग अपने मासूम बच्चों के साथ पैदल यात्रा कर के मरते नहीं ।
जब न्यू इंडिया के पास कोरनटीन के लिये जगह नहीं थी
कोरनटीन में खिलाने के लिए रोटी की व्यवस्था नहीं थी ।
तो इन को रोकने की जरुरत ही क्या थी ।

रविवार, 10 मई 2020

आश्चर्य

लगभग पांच साल से मैं अपने बेडरुम में ही सोता हूं। 
गोरखपुर जिले के ग्रामीण छेत्र से हूं गांव में ज्यादा तर
लोग बाहर खुले आसमान के नीचे ही सोते हैं ।
पांच साल पहले मेरी भी यही दशा थी । घर के अंदर
सोना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था , खुले वातावरण 
में प्रक्रित की ताज़ी हवावों और मेरे गार्डन में लगी बेईल
रातरानी , रजनीगंधा और तमाम फूलों की खुशबू के लिए
अक्सर मैं छत पर चला जाया करता था जहाँ बारह एक
बजे तक गानों का आनंद लिया करता था ।
कभी कभी नीद आ जाने से गाने रात भर चलते रहते थे
नींद खुलने पर बंद करता था । गीत सुनना आज भी मुझे
पसंद है आज भी रात में दो तीन घंटे सुनता ही हूं। 
प्रक्रित प्रेमी भी हूं ये शौक बचपन से है मुझे ।
अप्रैल , मई और जून के महीने में यहां भयंकर गर्मी पड़ती है जबसे होश संभाल है भयंकर गर्मी ही देखा ।
कल मैं अपने फार्म हाउस पर गया था वहां मेरा एक आदमी परमानेन्ट रहता है मैने अपना बिस्तर रुम से बाहर बरामदे में लगवाया रात को बारह बजने के बाद मुझे ठंड लगने लगी इतनी की मोटा कंबल ओढना पड़ा ।
सुबह में जब उठ कर देखा तो ओस की बूंदे भी पडी हुई थीं इस मई के महीने में अक्टूबर के लास्ट और नवम्बर के पहले हफ्ते जैसी ठण्ड मुझे आश्चर्य में डाल दिया। 
जब की ऐसा मैंने कभी नहीं देखा ।

मंगलवार, 5 मई 2020

वेंटीलेटर

बिना बिमारी के सबसे पहले कश्मीर आई,सी,यू में गया
अब आर,बी,आई भी पहुँच गया ।
संपूर्ण भारत और भारत की जनता वेंटीलेटर पर है अब
धीरे धीरे दोनों आई,सी,यू की ओर बढ रहें हैं ।

सोमवार, 4 मई 2020

किस्मत

इस दुनियां के हर इंसान की किस्मत अलग अलग है ।
इसे कोई लाख कोशिसों के बाद भी नहीं बदल सकता। 
इसे जब अल्लाह (ईश्वर ) चाहता है तभी बदलता है वो
चाहे तो मिन्टों में जमीन से उठा कर आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा सकता है और वो चाहे तो आसमान की बुलंदियों से गिरा कर जमीन की धूल में मिला सकता है । वो किसी के सामने रुबरु यानी शाछात नहीं आता वो माध्यम चुन लेता है उसी के द्वारा अपना काम कर लेता है।

रविवार, 3 मई 2020

खूंन

अब तुम्हें अपना इतिहास अपने खूंन से लिखना पड़ेगा
वरना जिस्म के एक एक बूंद खूंन पानी कीतरह बहा
देंगे यहां के लोग ।

शनिवार, 2 मई 2020

जीवन

जीवन है तो सुख दुःख दोनो है ।
कुछ विशेष प्रकार के जीवन होते हैं जिस में सुख ही सुख है दुख का साया तक नहीं होता । न कभी दुख की कलपना न कभी दुख का एहसास। 
कुछ जीवन ऐसे होते हैं जिस में दुख ही दुख भरे होते हैं ।
इस में सुख का साया तक नहीं होता दुख से शुरू और दुख में ही खतम। 
कुछ जीवन ऐसे भी होते हैं जिस में सुख भी हैं और दुःख भी है दुख से निकलने के लिए सुख को पाने के लिए दिन रात लड़ते हैं । इसी में सुख दुःख का एहसास भी होता है
कुछ सुख को हासिल करते हैं कुछ हासिल करने में जिंदगी के आखरी पड़ाव पर आ जाते हैं और मर जाते हैं ।
जिसका सुख पीछे बचे हुए लोग पाते हैं ।
चाहे सुख हो या दुख जिंदगी का होना जरुरी है ।
आगर जिंदगी है तो किसी न किसी का मजा तो मिलना ही है चाहे दुख का हो या सुख का, या फिर सुख प्राप्त करने की कल्पना का, अगर जीवन ही नहीं है तो कुछ भी नहीं ।

शुक्रवार, 1 मई 2020

आईना

आईने में कुछ नहीं होता वो बिल्कुल सादा है।
उसके सामने जो जैसा आता है वैसा ही दिखता है।