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गुरुवार, 14 मई 2020

नागरिक

चार्टड प्लेन है , बुलेट ट्रेन है , भाभा अनुसंधान केन्द्र है ,
परमाणु बम है सशक्त फोर्स है , बेमिसाल कानून है ।
बहुमंजिली इमारते हैं , सवर्ग की अनुभूति कराने वाले
फाईव स्टार होटल्स हैं ।पश्चिम की सभ्यता हाबी है कोई 
कमी नहीं है । आधुनिक दौर का न्यू इन्डिया है । तो फिर
दो हजार, ढाई हजार किलोमीटर महिलाएं अपने गोद में
तो कभी कंधों पर अबोध बच्चों को लादे हुए पैदल चल रही हैं आखिर क्यों ?
सारी सुविधाएं किसके लिए बनाई गयीं हैं ?
इनको तैयार करने में किन वर्गों के लोगों ने अपने खूंन
पसीने बहाए हैं ? आखिर हो क्या रहा है ।
आज अपने ही देश में देश के ही नागरिक पैदल चलें
भूख से मरें और बेरोजगार रहें ये क्या है ?
अगर जिंदगी बची तो क्या ये लोग इस दौर को कभी भूल पाएंगे। आज अगर कुछ ट्रेनें और प्लेनें चालू की गई हैं तो
वो धन उगाही के लिए या देश के नागरिकों के सहयोग के लिए । हला की जब पहला लाकडाउन लगा उसके बाद अगर इसे बढाना ही था तो यातायात को उसी समय से चालु रक्खा गया होता तो आज लोग अपने मासूम बच्चों के साथ पैदल यात्रा कर के मरते नहीं ।
जब न्यू इंडिया के पास कोरनटीन के लिये जगह नहीं थी
कोरनटीन में खिलाने के लिए रोटी की व्यवस्था नहीं थी ।
तो इन को रोकने की जरुरत ही क्या थी ।

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