hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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गुरुवार, 18 नवंबर 2021
काबिलियत और समझदारी
काबिलियत और समझदारी में उम्र का कम होना या ज्यादा होना यह मायने नहीं रखता ।
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डायलॉग
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JAVED GORAKHPURI
मंगलवार, 26 अक्तूबर 2021
सबसे बड़ा चमत्कार तो भाग्य है
कोई भी चाहत या चाहतों की मंजिल एक दिन में पुरी नहीं होती , इसके लिए समय लगता है ।
इन समयों में अपने आत्म विश्वास को कायम रखना ।
इन समयों में अपने धैर्य को क़ायम रखना ।
इन समयों में अपने जीत की सकारात्मकता को कायम रखना , निस्चित तौर पर आप को आप के लक्ष्य तक पहुंचाएगी । फ़र्क सिर्फ़ इतना ही है कि अगर भाग्य आप का साथ दे रहा है तो ।
गर्भगृह से धर्ती तक आने का सफ़र भी नौ महीने के होते हैं और इस सफर में भी एक्सीडेंट होते हैं ।
सकुशल नौ महीने की यात्रा करने के बाद सही सलामत धर्ती पर आ जाना भी बहुत बड़ा भाग्य है ।
पल - पल विचारों का बदलना , पल - पल लक्ष्यों का बदलना , ये एक जुए के समान हो सकता है । इस विचार से कि कहीं कोई चमत्कार हो जाय और जीवन बदल जाय ।
आप का लक्ष्य , आप के विचार , आप के धैर्य , कोई भी चीज़ न तो छोटी है और न तो बड़ी ।
सबसे बड़ा चमत्कार तो भाग्य है ।
भाग्य में जो खोना , पाना , और करना , करवाना है । भाग्य अपने अनुसार आप को ढाल लेगा , फिर सब कुछ भाग्य के अनुसार होता चला जाएगा ।
बहुत सारे लोग हैं , जिन्होंने अपने जीवन में कुछ भी नहीं किया है , लेकिन भाग्य ने उन्हें उनकी सोंचों और चाहतों से ज्यादा दिया है । बहुत सारे लोग हैं , जिन्होंने कड़ी परिश्रम करने के बाद भी अपनी चाहतों को पुरा नहीं कर सके हैं ।
इसे क्या कहें ?
ईश्वर की मर्जी जो भाग्य में समावेश है ।
मैं नास्तिक नहीं हूं ।
मैं ईश्वर और भाग्य दोनों को मानता हूं ।
हो सकता है कि आप के भाग्य में संघर्ष कर के प्राप्त करना लिखा हो , इस लिए भाग्य के भरोसे कभी भी न बैठें , आप अपने संघर्ष को जारी रक्खें , समय का इंतजार करें , धैर्य रखें ।
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मेरा विचार
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सोमवार, 27 सितंबर 2021
कल्पना की थी
मैं होश में रहते हुए भी , जो कभी न कह पाया ।
वो न जाने किस जीज की मदमस्ती में ,
बहुत कुछ बड़े ही आसानी से कह गया ।
उन चीजों को भी उसने कह दिया ,
जिन चीजों को मैंने अपनी बात के बाद ,
आगे आने वाले अवसर के मुताबिक
कभी तन्हाई में कहने की कल्पना की थी ।
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डायलॉग
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शनिवार, 25 सितंबर 2021
बाधाओं से मुक्त होने का सिर्फ एक ही रास्ता है
कूछ बाधाएं हैं जो जिंदगी के साथ-साथ चलतीं हैं और जिंदगी के साथ खतम होती हैं ।
कुछ बाधाएं हैं जो खुद जब चाहेंगी तभी खतम होंगी ।
कुछ बाधाएं एसी होती हैं कि जिनके खतम होने के इंतजार में आधी से ज्यादा उम्र खतम हो जाती है । उस वक्त बाधाओं का कोई मतलब नहीं रह जाता , रहे या जाए ।
आवश्यकताओं के समय बाधा दुनिया के सबसे बड़ी दीवार से भी बड़ी लगती है ।
ऐसे में क्या करें ?
कोई भी बाधा आए उसको हटाने के प्रयास में अपना समय मत गवाएं ।
कभी भी बैठ कर उसे हटने का इंतजार मत करें ।
सभी प्रकार के बाधाओं से मुक्त होने का सिर्फ एक ही रास्ता है और वो ये है कि बाधाओं से उलझिए मत उससे अपना पिंड छुड़ा लिजिए , अपने आप को वहां से हटा कर दूसरा रास्ता पकड़ लें । एक ऐसा रास्ता जो आप को आप की मंजिल तक ले जा सके ।
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विचारात्मक लेख
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शुक्रवार, 24 सितंबर 2021
आत्मा के साथ - साथ रहती है
उसके साथ में बीते हुए कुछ घंटों में ही ,
हमने अपनी पुरी जिंदगी जी ली थी ।
बेहतर है । तुम यही समझते रहो , कि
हम दोनों एक दूसरे को जानते तक नहीं ।
उसकी जिंदगी में किसी न किसी को ,
एक दिन आना तो है ही ,
लेकिन हम दोनों की आत्मा ,
आज भी एक दूसरे के साथ - साथ ही रहती है ।
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डायलॉग
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शनिवार, 18 सितंबर 2021
इलेक्ट्रॉनिक और मिडिया के दौर में
आप अपने महत्वाकांक्षाओं को , आप अपने कल्पनाओं को , आप अपने सपनों को , आप अपने लक्ष्य को , आप अपने ह्रदय की वेदनाओं को , आप अपने खुशियों को , आप अपने हर एक क्षंण को , आप अपने हर एक पल को , आप अपने हर एक विचाचारों को व्यक्त करने का अधिकार रखते हैं ।
ये सब ( आटोबायोग्रफी ) आत्मकथा के रुप में भी बहुत सारे लोग सम्मिलित करते हैं ।
सभी के अभिव्यक्ति की अलग - अलग भाषा शैली होती है।
सभी के कल्पनाशीलता की अलग-अलग प्रवाह होती है ।
आप सोचते होंगे कि इन चीजों का क्या महत्व ?
लेकिन ऐसा नहीं है , इस दुनियां में बहुत सारे लोग हैं ।
बहुत तरह के अनुभव और विचारों से भरे हुए हैं ।
आप की चीजें किसी के समझ से परे हो सकती हैं , लेकिन किसी के लिए सीख भरी , प्रेरणा दायक हो सकती हैं ।
आज के इलेक्ट्रॉनिक और मिडिया के दौर में यह जरूरी नहीं है कि जब आप से कोई मिले या आप किसी से मिलें तभी अपने चीजों को शेयर करें ।
आज शेयर करने के लिए बहुत सारी सोशल साइटें हैं , जिस पर आप विडियो के माध्यम से तथा लिख कर भी लोगों के बीच पेश कर सकते हैं ।
यह याद रखना आवश्यक है कि आप कभी भी किसी एक व्यक्ति को विशेष रुप से टारगेट न करें ।
कोई ऐसी बात न कहें और न लिखें कि जिससे सुनने या पढ़ने वाले को बुरा लगे ।
लोगों को कुछ सिखाएं या इंटरटेन करें या आगे और विकास हो इसके लिए साहस दें , सुझाव दें , प्रेरणा दें ।
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मेरा विचार
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बुधवार, 15 सितंबर 2021
अंतरात्मा से लेकर पुरे काया तक के बीच में बहुत सारी धरोहरें हैं
आप के अंदर अंतरात्मा से लेकर पुरी काया तक में बहुत सारी धरोहरें हैं , जो समय के अनुसार क्षिंर्ण हो जाती हैं या कर दी जाती हैं ।
आप की संज्ञ्यनता में यदि आप के किसी भी प्रकार के धरोहर को क्षिंर्ण किया जा रहा है तो इसमें आप की खुद की मर्जी शामिल है ।
ऐसे लोग जो अपनी सारी धरोहरों को लुटा कर मान , सम्मान , यश और कीर्ति प्राप्त करते हैं । उनके पास अपना बचता क्या है ?
अंतरात्मा से लेकर पुरे काया तक के बीच में ?
ऐसे लोग इंसानों के बीच में , इंसानों के रुप में होते तो हैं लेकिन इंसान नहीं होते , भौतिकता की एक उपज मात्र होते हैं ।
मैं उन्हें इंसान मान सकता हूं , जिन्हें अपने अंदर के धरोहर का कुछ पता ही न हो और उनकी काया से कुछ लुट जाय । कम से कम अंतरात्मा तो स्वच्छ और निर्दोष बची रहती है ।
जैसे - जैसे ज्ञान और तजुर्बा होता जाता है । वैसे - वैसे वे अपने आप को समेटते जाते हैं ।
स्वर्ग लोक से पायी गयी धरोहरों की मृत्यु लोक में कीमत ही क्या है ? इसका पुरी तरह से एहसास होते - होते जीवन का अंतिम चरण आ जाता है ।
ऐसे ही लोग अपने पीछे आने वाले लोगों को इसका एहसास अच्छी तरह से करा सकते हैं । और कराते आ रहे हैं जिनकी वज़ह से आज भी ये कायनात टिकी हुई है ।
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सोमवार, 30 अगस्त 2021
पैसे का लेन-देन कैसे करें
पैसे का लेन-देन इंसान की सकल सूरत देख कर और उसके रहन - सहन को सुन कर नहीं करना चाहिए , क्यों कि आप को उसके पीछे के असलियत का क्या पता ?
अच्छे लिबास या लच्छेदार बातों से किसी के किरदार साबित नहीं होते ।
पैसे का लेन-देन जिसके साथ करना है , उसकी खुद की हैसियत और उसके खुद के कारोबार के अनुसार किया जाना चाहिए , जिससे अगर उसका कारोबार ढंफ हो जाय तो वो अपने हैसियत के अनुसार अपनी नीजी एवं चल - अचल संपत्ति को इधर - उधर कर के आप के पैसे को वापस कर सकने की क्षमता रखता हो ।
यह बात इस लिए कह रहा हूं कि जो लोग कुछ कर रहे हैं , वे लोग अपने छोटे या बड़े कारोबार में रमें हुए हैं । उनके पास स्वयं का एक तजुर्बा है । इसके बावजूद हर कारोबारी को अकस्मात किसी न किसी से अक्सर लेन - देन करना पड़ जाता है ।
लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं , जो अपने दिमाग में कारोबार की पुरी रुपरेखा तैयार कर लेते हैं , लेकिन न तो धरातल पर उस करोबार को कभी किया है । न तो इस करोबार को करने वाले के साथ कभी रहे हैं , और न तो कोई इसका अनुभव रहता है । ऐसे में इसे एक रिसर्च ही कहा जा सकता है ।
अगर निकल पड़ा तो फिर क्या पूछना ?
लेकिन अगर डम्फ हुआ तो ?
उसकी सोंच , के अनुसार, उसका प्रेक्टिकल तो हो जाएगा लेकिन ,
आप के लागत की वापसी का क्या होगा ?
हम तो डूबेंगे सनम ।
तुमको भी ले डूबेंगे ।।
मेरे कहने का मतलब आप समझ गए होंगे । इस लिए आप इस डूबने और डुबाने के चक्कर में न पड़ें तो ही अच्छा है ।
अगर आप के पास एक्स्ट्रा पैसा है , तो थोड़े पैसे से खुद कोई कारोबार कर के स्वयं प्रेक्टिकल करें जिससे आप को स्वयं में बहुत बड़ा अनुभव होगा । जो आप का नीजी प्रेक्टिकल कहलाएगा ।
इस बात का आप को कभी दुःख भी नहीं होगा कि मेरा ज्यादा पैसा किसी ने डुबा दिया और मैं कंगाल हो गया ।
नोंट -
आप कितने धनवान हैं , इसकी कभी शो बाज़ी न करें ।
उपर बताए गए बातों के अनुसार काम करें ।
अगर आप के पास इतना पैसा हो कि लाख - पचास हजार डूब जाए तो भी कोई परवाह नहीं , तो इतने ही पैसे मैं लगा सकता हूं यह जरुर बताएं जिससे सामने वाले पार्टनर को जितना कम पड़ रहा है । उसकी वो व्यवस्था करेगा । आप अपनी पुरी जमा पूंजी लगाने की जिम्मेदारी कभी न लें ।
अगर स्वयं ही कोई कारोबार करना हो तो भी अपनी पुरी जमा पूंजी से न करें , पहले थोड़े से करें और उसका रिजल्ट देखे फिर उसे आवश्यकता के अनुसार आगे बढ़ाएं ।
बहुत सारे कारोबार ऐसे भी हैं , जो ज्यादा पुंजी से ही होते हैं ।
यह ज्यादा पुंजी वाला कारोबार किसी का देख कर करने से पहले , आप ऐसे कारोबारी के साथ उनका हाथ बंटाने के तौर पर लग कर , या उनके कारोबार में काम करने के तौर पर लग कर सीखें और समझें । जिससे आप के मन में कोई संशय नहीं रह जाएगा । आप नये हैं इसका भी डर नहीं होगा ।
काम सीखना कोई बुरी बात नहीं है । जैसे भी सीखें मगर सीखना चाहिए ।
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विचारात्मक लेख
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गुरुवार, 26 अगस्त 2021
प्रकृति का जो नीयम है
प्रकृति का जो नीयम है , जो स्वभाव है उसे ( ईश्वर ) अल्लाह के सिवा दुनियां का कोई भी व्यक्ति न बदल सकता है और न कोई बदलाव कर सकता है ।
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डायलॉग
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सोमवार, 23 अगस्त 2021
भय , भूख और बीमारी
भय , भूख और बीमारीइन तीनों से मानव जाति का बहुत गहरा नाता है । भय से मरना , बीमारी से मरना तो समझ में आता है , लेकिन भूख से मरना , कभी - कभी समझ से परे हो जाता है ।
भूख से किसी नवजवान , बूढ़ों या बच्चों का मरना पूरे मानव जाति के लिए इस पृथ्वी पर सबसे बड़े कलंक के समान है ।
पूरे पृथ्वी पर जितने मानव हैं , इसके कई गुना ज्यादा आहार भी इस पृथ्वी पर हैं , लेकिन किसी के भाग्य में भूख से मरना लिखा है , तो मैं और आप क्या कर सकते हैं ?
किसी के भाग्य को नहीं बदल सकते ।
इतना ज़रूर करें कि आप के साथ जो कोई भी हो । आप के आसपास जो कोई भी हो और आप के सुबह शाम टहलने के रेंज में जितने भी लोग आते हैं , उनमें से कोई भी भूखा न रह जाए । आप अपनी छमता के अनुसार ख्याल रक्खें ।
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विचारात्मक लेख
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शनिवार, 7 अगस्त 2021
एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी
एक बार मेहनत करो या
एक बार प्रयास करो या
एक बार कुर्बानी दो , उनके लिए जिन्हें तुम अपना मानते हो चाहे वो जो भी हो , तब जा कर वास्तविकता का पता चलेगा कि तुमने सही किया या ग़लत ।
सिर्फ एक बार , सच्चाई जानने के लिए तुम्हें रिस्क तो लेना ही पड़ेगा ।
उसके बाद तुम्हारे मन के सारे भ्रम दूर हो जाएंगे । तुम पुर्ण रुप से आजाद हो जाओगे ।
फिर न तो तुम्हारे ऊपर कोई दबाव रह जाएगा और न तो किसी का प्रभाव । फ़िर तुम्हारी खुशियां और तुम्हारी आवश्यकताएं ही मात्र रह जाएंगी , जिनको हासिल करने के लिए तुम बार - बार मेहनत करो ।
बार - बार प्रयास करो ।
बार - बार कुर्बानी दो ।
मुझे यकीन है । एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी ।
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डायलॉग
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शुक्रवार, 6 अगस्त 2021
चल पड़ा हूं सफ़र पे अब अपने
उठ गया हूं.... , तो कोई बैठेगा ।
चल पड़ा हूं सफ़र पे अब अपने ।।
अब सफ़र से तो कोई लौटेगा ।
उठ गया हूं.. , तो कोई बैठेगा ।।
खोना , पाना , आना , जाना ।
सदियों का है , ये खेल पुराना ।।
सोंच है कि सब-कुछ मिल जाए ।
सोंच- सोंच कर सारी उम्र गंवाए ।।
सबको परखा , सबको जाना ।
क्या कभी खुद को पहचाना ।।
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कविता
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शनिवार, 31 जुलाई 2021
फोन लगाने में प्राब्लम न हो सके
एक्सिडेंट , मर्डर , और गले से सोने के आभूषण खींचने वालों के भागने की स्पीड क्या हो सकती है इसकी कल्पना मैं ,आप या कोई भी कर सकता है ।
इनमें से कोई भी घटना अगर घटती है तो आप यदि यह चाहें कि मैं भी उसी स्पीड से किसी को फोन कर के सूचित कर दूं तो यह संभव नहीं है ।
क्यों कि जब आप फोन करते हैं तो सबसे पहले आप को प्रचार सुनाया जाता है । प्रचार के बाद ही पता चलेगा कि अगला व्यक्ति नेटवर्क कवरेज क्षेत्र के अंदर है या बाहर , यदि नेटवर्क क्षेत्र में है और फोन लग गया तो यह भी जरूरी नहीं है कि अगर इधर से आवाज़ सही जा रही है तो उधर से भी सही आवाज आएगी ही , फिर भी लोग तीन पांच कर के किसी तरह से अपनी बात कर ही लेते हैं ।
सबसे बड़ी बाधा तो प्रचार-प्रसार वाली है ।
क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि जैसे प्रचार को हम सभी लोग टीवी चैनल पर देखते हैं जो नानस्केबिल होता है इसे आप अपने रिमोट से भगा भी नहीं सकते वैसे ही फोन कट होने के बाद कोई भी प्रचार हो उसे टेक्स्ट और वीडियो के माध्यम से एस,एम,एस कर दिया जाय ताकी किसी को भी फोन लगाने में प्राब्लम न हो सके ?
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मेरा विचार
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गुरुवार, 29 जुलाई 2021
स्वयं का अनुभव
कोई भी मामला हो , चर्चा हो , या विचार हो , तो सबसे पहले उसका आत्ममंथन किया जाना चाहिए , फिर स्वयं में बौद्धिक तर्क - वितर्क किया जाना चाहिए , फिर उसपर प्रेक्टिकल किया जाना चाहिए , तब जो निष्कर्ष निकलता है उसे स्वयं का अनुभव कहा जाता है ।
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डायलॉग
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बुधवार, 28 जुलाई 2021
अपनी सुरक्षा के साथ ही साथ अपने लोगों की सुरक्षा स्वयं करें
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए उनकी उम्र और वज़न के हिसाब से खाने और पीने की चीजों में कैलोरी और पौष्टिकता पर विषेश ध्यान दिया जाना चाहिए , अन्यथा कुपोषण के अतिरिक्त कई बिमारियों के शिकार हो जाते हैं लोग । खाने में कितनी कैलोरी और कितनी पौष्टिकता होनी चाहिए ?
खाने का समय ,
नाश्ते का समय ,
चाय पान के समय पर अब बहुत कम लोगों का ध्यान रह गया है ।
सबसे ज्यादा समय और सबसे ज्यादा लोगों की जिंदगी में स्थान अब दवाओं ने ले लिया है ।
लोगों को यह भय और एहसास हो चुका है कि , मैं खाने के बगैर दो-चार टाईम तो जरुर जी सकता हूं लेकिन दवा के बगैर एक टाईम भी नहीं ।
एक वक्त था जब डाक्टर्स लोगों को उनके गंभीर बिमारियों को न बताकर बल्कि उनको संतुष्टी पुर्वक तसल्ली दिया करते थे , ताकी पेसेंट अपनी बीमारी को जान न पाए , वर्ना वह डर कर घबराने लगे गा । गंभीर बीमारियों को पेसेंट के करीबी लोगों से ऐसे बताया जाता था कि पेसेन्ट को एहसास भी न हो कि उसके बीमारी के बारे में चर्चा किया जा रहा है लेकिन आज पैसा कमाने के लालच में , लोगों को डराया जा रहा है । जिसका नतीजा यह है कि बिना ह्रदय रोग के वे ह्रदय के रोगी हो जा रहे हैं ।
तमाम लोगों को हर्ट अटैक भी हो जाता है ।
कुछ लोग न्युरो के मरीज भी हो जाते हैं ।
बस स्टेशन पर , रेलवे स्टेशन पर , गाड़ियों में तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर मैंने देखा है कि वहां लिखा हुआ है ।
अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें जब कि यह दौर ऐसा चल रहा है कि अपने सामान से ज्यादा अपनी सुरक्षा स्वयं करें । आप जब-तक अपनी सुरक्षा स्वयं नहीं करेंगे तब तक आप की सुरक्षा कोई दूसरा नहीं कर सकता है ।
आप अपनी सुरक्षा के साथ ही साथ अपने लोगों की सुरक्षा स्वयं करें ।
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मंगलवार, 27 जुलाई 2021
मैं सिर्फ इतना जानता हूं
मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि , "तुम मेरे हो ; - मेरी हर धड़कन में तुम्हारी खुशियों की चाहत , और सांसों में दुआएं बसी रहती हैं । अब तुम मुझे जो भी समझो , उसका मुझे कोई परवाह नहीं ।
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सोमवार, 26 जुलाई 2021
तुम भी बेइज्जत हो जाओगे
जब इज्जतदार की इज्जत बचाओगे , तो तुम्हारी भी इज्जत बढ़ जाएगी , और जब बेइज्जत लोगों की इज्जत बचाने की कोशिश करोगे , तो तुम भी बेइज्जत हो जाओगे ।
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रविवार, 25 जुलाई 2021
पुर्वांचल बैंक/ बड़ौदा यूं ,पी , बैंक शाखा आशिक रौजादरगाह , गोरखपुर ।
पुर्वांचल बैंक , जो वर्तमान में बड़ोदा यूं ,पी , बैंक के नाम से हो गया है । यह शाखा धुरियापार के नाम से पास थी और धुरियापार में लगभग बीस साल से ऊपर तक सकुशल चली भी , लेकिन कुछ दलाल और उस समय के शाखा के कार्यकर्ताओं ने मिल कर इस शाखा को अब धुरियापार से हटा कर आसिक रौजादरगा में स्थापित करवा के चलाया जा रहा है ।
जिससे जनता के बीच भय और गुस्सा दोनों व्यप्त है ।
धांधलेबाजी , अनियमितता , ग्राहकों को फटकारना , अनाप-शनाप बोलना , रोज के दिनचर्या में शामिल हो चुका है ।
कुछ दिन पहले ही मैंने न्यूज पेपर में और मोबाइल मिडिया द्वारा संचालित न्यूज चैनल पर पढ़ा था कि उरुवा बाजार में चल रहे पुर्वांचल बैंक के एक कर्मचारी ने एक बूढ़ी औरत जो उस बैंक की खातेदार थी उसे भद्दी गालियां देने के बाद थप्पड़ों से पीटा ।
धुरियापार के ब्रांच से ऐसी घटना अभी नहीं आई है लेकिन बैंक के ग्राहकों को फटकारना काम न करना इसके अतिरिक्त निम्नलिखित समस्याएं भी हैं जैसे-
1- काउंटर पर लगी महिला/पुरुष की लाईन के अतिरिक्त जिन लोगों की कर्मचारियों से पहचान होती है , उनके पैसे निकाल कर केबिन में ही ला कर पहुंचा दिए जाते हैं । इन लोगों को लाईन में लगकर पैसे निकालने की जरूरत नहीं पड़ती । बाकी के ग्राहकों को बन्दर बने खामोशी से इन हरकतों को देखना पड़ता है ।
2- कर्मचारियों के उपर निर्भर करता है कि वो किसका काम करेंगे और किसका नहीं ।
किसे चाय पिलाएंगे और किसे नहीं । जब कि सभी ग्राहक एक समान होते हैं ।
3- कुछ पूछने पर उनकी मर्जी पर निर्भर करता है कि वो बार - बार दौड़ाएंगे या तुरंत जवाब दें ।
4- शिकायत पेटिका लगी हुई है , उसमें शिकायत डालने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती । ऐसा लगता है कि वह शिकायत पेटिका सिर्फ कोटा पुरा करने के लिए , नाममात्र के लिए लगाया गया है ।
5- निकासी और जमा बाउचर पब्लिक काउंटर पर कभी रक्खी जाती है , तो कभी नहीं ।
6- जब बाउचर पब्लिक काउंटर पर उपलब्ध होती है तो उसके साथ पेन , गोंद , और अंगुठा लगाने का पैड नहीं होता , जिसके लिए ग्राहकों को घंटों इनके पास उनके पास भटकना पड़ता है ।
7- जो लोग पढे लिखे नहीं हैं उनका फार्म भरने वाले की कोई व्यवस्था नहीं है ।
19-7-2021 दिन सोमवार को मैं अपने एक मित्र के साथ उनके काम के सिलसिले में बैंक में गया था , कैश काउंटर पर बैठे कार्यकर्ता से मैंने पूछा -
सर इस पासबुक को चेक कर के बताएं कि इसमें कितने पैसे हैं ।
महोदय ने जवाब दिया कि सिर्फ जमा और निकासी का काम होगा ।
मैंने पूछा तो चेकिंग का काम कब होगा ?
महोदय ने कहा कि चार दिन बाद ।
मैंने सोचा कि अगर इसमें कुछ जमा या निकासी कर ली जाए तो शायद एकाउंट के बैलेंस का पता चल जाय ।
मेरे मित्र सिर्फ बैलेंस जानने की लालच में कुछ पैसे निकाले और फिर महोदय से मैंने पुछा कि -सर अब कितना बैलेंस बचा हुआ है ?
महोदय ने स्पष्ट जवाब दिया कि - आज बैलेंस चेक करने का काम नहीं हो रहा है ।
मैंने सोचा कि जब मित्र ने पैसा निकाल लिया तो इतनी छोटी सी बात बताने में प्राब्लम क्या है ?
जबकि जमा और निकासी की प्रक्रिया एकाउंट से हो कर ही गुजरती है । बैलेंस न बताना ये मनबढ़ई नहीं तो फिर और क्या है ?
8- बैंक में कौन-कौन से कार्य होंगे उसकी अलग-अलग काउंटर बनी हुई है जिसमें एक केबिन पासबुक से पैसे विड्रा होने वाला बाउचर , एकाउंट की समस्त जानकारी एवं पासबुक प्रिंटिंग का भी कार्य किए जाते हैं
मगर इस केबिन में कभी कोई उपस्थित नहीं रहता । हमेशा खाली पड़ा रहता है ।
9- घूसखोरी और दलाली एक महत्वपूर्ण कार्य योजनाओं में शामिल है ।
10- दिन में ही शाखा में आंन डियुटी शराब का सेवन करना बहुत ही मामुली बात है ।
11- यह ब्रांच बीस वर्ष से ऊपर सर्व प्रथम मेरे ही मकान में संचालित था , जिसमें बहुत सारी चीजों को मैंने अपनी आंखों से देखा है । जिस वक़्त मेरे मकान से ब्रांच खाली हुआ उस समय मेरे द्वारा लगवाये गये सीलिंग फैन चार पीस
दो पीस सप्लाई बोर्ड को दलाल लोग नोच ले गए , जब मैंने ब्रांच के कार्यकर्ताओं से पूछा तो उन लोगो ने बताया कि हम लोग वहीं छोड़ आए हैं । लाकर रुम- जिसमें कैश और महत्वपूर्ण कागजातों को रक्खा जाता था , उसमें से मैंने एक बोरा देशी और अंग्रेजी शराब की बोतलें फेंकवाई है ।
उस समय मुझे पता चला कि ये लोग डियुटी पिरियड में ही नशा करते हैं , जब कि नशे की हालत में मैंने कई कर्मचारियों को अपने मकान वाले ब्रांच में भी पाया था और आज जहां स्थित है वहां भी पाया है । अब आप स्वयं विचार करें कि नशेड़ियों से आप कैसे व्यवहार की आशा कर सकते हैं ।
इन्हें तो सिर्फ दलालों का इंतजार रहता है कि कोई मुर्गा फंसा कर लाए जिससे पार्टी , दारु और मोटी रकम भी प्राप्त हो जाएगी ।
कुछ दलाल लोन वाले केबिन में लोन मैनेजर के समकक्ष बैंक खुलने से लेकर बन्द होने तक पुरी डियुटी करते हैं , जिन्हें पुरा स्टाफ उसे भी एक कर्मचारी की ही तरह व्यवहार करता है ।
12- न कोई प्रेस रिपोर्टर तफ्तीश में कभी जाता है और न कोई अन्य जांच होती है । समस्याओं को लेकर जनता जाए तो कहां जाए और जा कर भी क्या कर लेगी ।
13- पासबुक प्रिंट करने वाली मशीन हमेशा गड़बड़ ही रहती है । पासबुक प्रिंट का कार्य तो कभी होता ही नहीं ।
या फिर पासबुक प्रिंट न करने का बहाना हो ।
14- कुछ कर्मचारी ठीक हैं जो खातेदार को खातेदार समझते हैं मगर अपने से ऊपर के कर्मचारियों के दबाव और पहुंच से मजबूर हो जाते हैं ।
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गुरुवार, 1 जुलाई 2021
जब कोई उम्मीद न रह जाए
जब नौकरी मिलने की कोई उम्मीद न रह जाए ।
जब स्कूल खुलने की कोई उम्मीद न रह जाए ।
जब धन्धा बिजनेस करने की कोई आजादी न रह जाए ।
जब लोगों से लोगों को भय लगने लग जाय ।
जब गांव के चौपाल में और गली के मोड़ पर दस लोग इकट्ठे हो कर आपसी हंसी-मजाक और मस्ती न कर पाएं ।
ऐसे में जब सारी उम्मीदें , सारे रास्ते बंद होने जैसे लगने लगे ।
तब ये समझना की ये भी एक प्रलय के ही समान है , चाहे छोटा प्रलय हो या बड़ा । जिसके ऊपर जैसी बीतती है उसे बेहतर एहसास होता है ।
ऐसी परिस्थिति , ऐसे दौर में जीने की आशा न कर के बल्कि लोगों के काम आकर मरना बेहतर होता है ।
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बुधवार, 30 जून 2021
इंसान को भी तौल ढाला है
इंसान का सर्वांग और उसकी पुरी काया अदभुत और जादुई है । दुःख दर्द की तो बात ही क्या कुछ घंटों के लिए सारी दुनियां भुला देती है । इंसान दुनियां का सबसे अनमोल प्राणी है प्रन्तु आज के दौर में इसकी कोई कीमत नहीं रह गई है ।
बेमोल होने का सिर्फ एक ही कारण है और वो है पैसा ।
जब कि पैसा ही सब कुछ नहीं है इंसान से ही पैसा है न कि पैसे से इंसान , लेकिन आज पैसे के आगे इंसान का कोई वकार नहीं रहा , पैसे ने इंसान को भी तौल ढाला है ।
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