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सोमवार, 13 नवंबर 2023

इंसान की आयु अगर लंबी है ।

इंसान की आयु अगर लंबी है तो उसे बूढा भी होना है । मेरे ख्याल से बुढा सिर्फ जिस्म होता है ।

 सोंच विचार और कल्पनाएं कभी बुढ़ी नहीं होती ,   बल्कि इनमें उम्र के हिसाब से और ज्यादा दृढताएं आ जाती हैं ।

एक सत्तर से अस्सी वर्ष के मध्य के वक्ति ने अपने एक वाक्य में कुछ लिखा ।

उस वाक्य को एक तीस वर्ष के आयु वाले ने पढ़ा और बोला इसे मैं जानता हूं । इसमें कोई नयी बात नहीं है ।

नयी बात तो यह है , कि सत्तर से अस्सी वर्ष के मध्य का व्यक्ति , तीस वर्ष के ज्ञान और जज्बात को लिख रहा है ।  इस लिए कोई नई बात नहीं लगती , यदि तीस वर्ष की आयु वाला व्यक्ति , कल्पनाशील न हो तो उसके लिए यही एक वाक्य बिल्कुल नया और आस्चर्यजनक है ।

तीस की आयु वाला , कभी सत्तर से अस्सी वर्ष के आयु वाली कल्पना नहीं कर सकता , लेकिन सत्तर से अस्सी वर्ष के आयु वाला तीस वर्ष के आयु की कल्पना बहुत अच्छी तरह से करना जानता है । क्यों कि उसने सत्तर से अस्सी वर्ष तक के हर एक मौसम और हर एक लम्हों को देखा है ।

तीस वर्ष के व्यक्ति को अभी पचास वर्ष तक का सफर करना बाकी है  ।

अपने से ज्यादा आयु के लोगों के वाक्यों को समझें क्यों कि एक ही वाक्य के अनेक मतलब होते हैं ।

यदि आप के साथ ऐसे व्यक्ति हैं , तो उनसे डिसकस करें । हमेशा अपने से बड़ी आयु वाले लोगों को रिस्पेक्ट दें । उनके काम में मदद भी करें । 

उनके अनुभवों से कुछ सीखने , कुछ ज्ञ्यान प्राप्त करने का प्रयास करें ।

आप के कर्मों और सोंचों को सही राय एवं उचित रास्ता दिखाने वाली पुस्तक के समान होते हैं बूढ़े , बुजुर्ग लोग । इन बुढ़े , बुजुर्ग लोगों को भी आप की आवश्यकता है इन्हें कभी नेग्लेट न करें क्यों कि आप को भी कभी उनकी ज़रुरत थी ।

दोनों को एक-दूसरे की जरुरत तब-तक रहती है ।

जब-तक दोनों इस दुनियां में जिंदा रहते हैं ।

शनिवार, 11 नवंबर 2023

गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास किसे कहते हैं ?

गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास क्या है , और किसे कहते हैं ?

 अपने ख्यालों , अपने विचारों , और अपनी बातों को एक तारतम्यता में लय बद्ध तरीके से पेश करना , कहना , लिखना या सुनाना ही गीत ग़ज़ल और कविता कहलाती है । 

जिसमें लोकहित , समाजहीत , देशहित , प्रेम , वियोग , अंतरात्मा की आवाज , वृतांत , आदि इत्यादि समाहित होते हैं ।


नोट - 

ऊपर दी गई जानकारी संक्षिप्त रुप में निचोड़ है ।

इसके अतिरिक्त अगर आप विस्तार पूर्वक व्याख्यान पढ़ना चाहते हैं , तो गीत , ग़ज़ल , कविता और उपन्यास पर अलग-अलग टापिकों की आप को मोटी - मोटी पुस्तकें मार्केट में और लाइब्रेरियों में मिलेंगी  । मेरे समझ से उन पोथों को पढ़ने की आवश्यकता तब है । जब आप को उस तरह के बनने की जरुरत हो । तब आप को इन क्षेत्रों में पुर्ण रुप से ज्ञान प्राप्त करना जरुरी हो जाता है ।

उस के बाद जिस टापिक का आप ने पोथा पढ़ा है , उस प्रकार के गुरु के शिष्य बन जाईए और उनके समीप रह कर प्रेक्टिस करिये अपने द्वारा तैयार किये गये रचना की प्रतिलिपि गुरु से जांच कराएं ।

यह कार्य तब-तक करना है । जब-तक आप पुर्ण रुप से परिपक्व नहीं हो जाते हैं ।

सोमवार, 6 नवंबर 2023

नामकरण

बच्चे के जन्म के बाद पिता को अपने बच्चे पर बहुत प्रेम आया तो उसने उसका नाम चिंटू रक्खा , अब सभी लोग और स्वयं भी चिंटुआ ही कह कर पुकारने लगे ।

चिंटुआ जब पांच साल का हो गया , तो उसके पिता ने उसका नाम स्कूल में लिखवा दिया ।

स्कूल में चिंटुआ का नाम विकास लिखवाया गया । चिंटुआ जब क्लास में गया तो सर जी ने अटेंडेंस लेना शुरु किया , लेकिन विकास नाम का कोई छात्र नहीं खड़ा हुआ , लास्ट में सर जी ने पूछा - 

तुमने अटेंडेंस क्यों नहीं बोला  ?

तो चिंटुआ ने कहा कि मेरा नाम नहीं आया सर  ।

सर जी ने पूछा -

क्या नाम है तुम्हारा ?

उसने कहा चिंटुआ ।

सर जी ने रजिस्टर खोल कर देखा उसमें सिर्फ एक ही  नाम विकास का बचा हुआ था , फिर फोटो से मिलाया तो वह चिंटुआ का ही फोटो था ।

सर जी ने कहा कि तुम्हारा नाम विकास है ।

जब विकास का नाम आए तो यस सर कहना ।

चिंटुआ ने घर जा कर सबसे कहा कि स्कूल में सर जी ने मरा नाम बदल दिया है । वह मुझे विकास कहते हैं और अपने रिजिस्टर में भी यही नाम लिखें हैं  । 

 तब चिंटुआ के पापा ने कहा कि - 

बेटा सर जी ने नाम नहीं बदला है । मैंने खुद तुम्हारा नाम विकास लिखवाया है ।

तो आप लोग हमेशा मुझे चिंटुआ क्यों कहते थे ? 

मुझे कभी बताया भी नहीं कि मेरा नाम विकास है ।

तो दोस्तों कहने का मतलब है , कि बच्चों को हमेशा एक ही नाम से पुकारें जो उसका वास्तविक नाम है । जिससे उसे भी पता रहे , कि मेरा वास्तविक नाम यही है । कभी - कभी बच्चे जब खो जाते हैं , तो वह  घर पर पुकारने वाला नाम ही बताते हैं ।

जब कि इस्तहार ( गुमसुदा की तलाश ) में घर वाले अक्सर असली नाम लिखवाते हैं । जिससे पता चलने में कठिनाइयां आती हैं । इस लिए कृप्या नाम और बच्चे की मानसिकता पर ध्यान दें । ज्योतिषाचार्यों का भी कहना है , कि नाम का असर भाग्य और कर्म दोनों पर पड़ता है ।

शनिवार, 4 नवंबर 2023

सहारा

कभी - कभी किसी का सहारा बनने पर 

उसकी दुनियां आबाद हो जाती है ।

 कभी - कभी किसी का सहारा बनने पर ,

 खुद की दुनियां बर्बाद हो जाती है ।

 अजीब है सहारों का सिलसिला ।

गुरुवार, 2 नवंबर 2023

तड़प - तड़प कर

कभी-कभी पता नहीं क्यूं मुझे अक्सर ऐसा एहसास होता है , कि भूख से पुरे परिवार के साथ आत्म हत्या कर लेने वाले ने , और भूख से तड़प - तड़प कर मर जाने वाले ने , सामर्थ्यवान और अमीरों के गाल पर तमाचा मारा है ।

मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

सच्चाई कहीं रक्खी हुई नहीं है ।

सच्चाई कहीं रक्खी हुई नहीं है ।

 कि जब चाहें आप उसे खरीद लें ।

 सच्चाई तो सिर्फ आप के दिल में है ।

 झूठ को कहीं से सीखने की जरूरत नहीं पड़ती ।

 झूठ तुमको , तुम्हारी जरुरतें सिखा देती हैं ।

 तुम्हारी जरुरतों ने झूठ को इतना बढ़ा दिया है । 

कि अब हर पल तुम्हारी जिंदगी ,

सिर्फ झूठ के बल पर ही कट रही है ।

यही वजह है कि सच के एक भी अल्फाज़ , अब 

तुम्हें अपने जुबान पर लाने में अपराध जैसे लगते हैं ।


रविवार, 29 अक्तूबर 2023

परंपराएं

धार्मिक परंपराओं को जड़ से मिटाने का प्रयास करने वाले लोग भी हैं , और धार्मिक परंपराओं को क़ायम रखने वाले लोग भी हैं ।

जो धार्मिक परंपराएं सदियों से और कई पुस्तों से चली आ रहीं हैं । उन धार्मिक परंपराओं में किसी भी प्रकार या माध्यम से छेड़छाड़ करना उचित नहीं है । अपनी - अपनी आस्थाओं , मान्यताओं और परंपराओं के मुताबिक जो जैसे ख़ुश हैं । उसमें उन्हें ख़ुश रहने दिया जाना चाहिए ।

इसके अलावा आज के परिवेश में कुछ एैसी भी धार्मिक और सामाजिक परंपराएं उत्पन्न हो रही हैं , कि जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी ।

शनिवार, 28 अक्तूबर 2023

स्वतंत्र यूनिवर्सिटी

इस दुनियां से बड़ी यूनिवर्सिटी कहीं नहीं है ।

यहां स्कूल , कालेज और यूनिवर्सिटीयों जैसी पढ़ाई करने के लिए कहीं भी जाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है । यहां लिखने और पढ़ने की भी , कभी कोई जरूरत नहीं होती है ।

यहां की शिक्षा अमीर लोगों की नक़ल करना है । नौजवान से लेकर बूढ़े तक और ग़रीब से लेकर अमीर तक के सभी लोगों के लेक्चर को सुनना पड़ता है । निडर होकर बेबाक अंदाज में बात करना पड़ता है । इसी बीच अपने जीविकोपार्जन के लिए कड़े परिश्रमों से भी गुजरना पड़ता है ।

अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयंम के विचारों में बहुत गहराई तक डूबना ही ज्यादा उपयोगी होता है ।

इसी यूनिवर्सिटी से निकले हुए छोटे , बड़े प्रोफेसर लोग देश चलाते हैं ।

जो लोग डिग्री के बल पर सर्वोच्च पदों को प्राप्त करते हैं । वे लोग भी स्वतंत्र यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों के गुलाम होते हैं ।

जरुरत पड़ने पर स्वतंत्र युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिग्री धारी अधिकारियों की डिग्रियों को उनके मुंह पर मार देते है ।

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

शोषण और छल

जब कोई अकेली लड़की या औरत अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए घर से निकलती है , तो वह शोषण का शिकार बनती है ।

जब कोई लड़का या मर्द अकेले अपनी संभावनाओं को तलाशने के लिए घर से निकलते हैं , तो वह छल का शिकार होते हैं ।

दोनों पक्षों में कोई सुरक्षित नहीं है ।

जिंदगी में कभी न कभी । किसी न किसी मोड़ पर उपरोक्त का शिकार तो होना ही है ।

शोषण और छल करने वाले किसी दूसरे ग्रह या गोले से नहीं आते हैं । यह लोग इसी धरती पर हमारे समाज में , हमारे आस-पास ही , अपने शिकार की तलाश में लगे रहते हैं ।

सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

सारांश

अगर एक से पांच मिनट की शार्ट विडियो मुख्य उद्देश्यों को दर्शा सकतीं हैं , तो एक से पांच लाईन का कंटेंट , लंबे व्याख्यान का सारांश नहीं हो सकता है क्या ?