इंसान की आयु अगर लंबी है तो उसे बूढा भी होना है । मेरे ख्याल से बुढा सिर्फ जिस्म होता है ।
सोंच विचार और कल्पनाएं कभी बुढ़ी नहीं होती , बल्कि इनमें उम्र के हिसाब से और ज्यादा दृढताएं आ जाती हैं ।
एक सत्तर से अस्सी वर्ष के मध्य के वक्ति ने अपने एक वाक्य में कुछ लिखा ।
उस वाक्य को एक तीस वर्ष के आयु वाले ने पढ़ा और बोला इसे मैं जानता हूं । इसमें कोई नयी बात नहीं है ।नयी बात तो यह है , कि सत्तर से अस्सी वर्ष के मध्य का व्यक्ति , तीस वर्ष के ज्ञान और जज्बात को लिख रहा है । इस लिए कोई नई बात नहीं लगती , यदि तीस वर्ष की आयु वाला व्यक्ति , कल्पनाशील न हो तो उसके लिए यही एक वाक्य बिल्कुल नया और आस्चर्यजनक है ।
तीस की आयु वाला , कभी सत्तर से अस्सी वर्ष के आयु वाली कल्पना नहीं कर सकता , लेकिन सत्तर से अस्सी वर्ष के आयु वाला तीस वर्ष के आयु की कल्पना बहुत अच्छी तरह से करना जानता है । क्यों कि उसने सत्तर से अस्सी वर्ष तक के हर एक मौसम और हर एक लम्हों को देखा है ।
तीस वर्ष के व्यक्ति को अभी पचास वर्ष तक का सफर करना बाकी है ।
अपने से ज्यादा आयु के लोगों के वाक्यों को समझें क्यों कि एक ही वाक्य के अनेक मतलब होते हैं ।
यदि आप के साथ ऐसे व्यक्ति हैं , तो उनसे डिसकस करें । हमेशा अपने से बड़ी आयु वाले लोगों को रिस्पेक्ट दें । उनके काम में मदद भी करें ।
उनके अनुभवों से कुछ सीखने , कुछ ज्ञ्यान प्राप्त करने का प्रयास करें ।
आप के कर्मों और सोंचों को सही राय एवं उचित रास्ता दिखाने वाली पुस्तक के समान होते हैं बूढ़े , बुजुर्ग लोग । इन बुढ़े , बुजुर्ग लोगों को भी आप की आवश्यकता है इन्हें कभी नेग्लेट न करें क्यों कि आप को भी कभी उनकी ज़रुरत थी ।
दोनों को एक-दूसरे की जरुरत तब-तक रहती है ।
जब-तक दोनों इस दुनियां में जिंदा रहते हैं ।