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रविवार, 15 दिसंबर 2019

मृत्यु लोक

इस दुनियां को लोग मृत्यु लोक भी कहते हैं।
6 से 10 घंटे तक जब हम सोये हुए होते हैं,
तो वो मृत्यु के समान ही होता है।
नीद को अर्ध मृत्यु भी कहा जाता है।
कभी कभी यही नीद जि़दगी की आखरी नीद
में भी बदल जाती है।
खैर बाकी के जो 14 से 16 घंटे बचते हैं उनमें
हम क्या करते हैं।
माया की जाल में उल्झे हुए रहते हैं।
लोग कहते हैं कि यहां से कोई कुछ लेकर नहीं जाता।
मगर ऐसा नहीं है।
बहुत कुछ लेकर जाते भी हैं और बहुत कुछ दे कर भी
जाते हैं।
अब क्या दे कर जाना है ?
और क्या ले कर जाना है  ?
इसको सोंचो,समझो ,
और पता करो।
14 से 16 घंटे जो बचते हैं सोंचो कितना समय यहां से  कुछ ले जाने के लिए दिया और कितना समय यहां पर कुछ दे जाने के लिए दिया।

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