अपनो ने दुत्कार दिया ।
गैरों ने ही प्यार दिया ।।
अंधेरे में जब डूबा था ।
उजाला मेरा यार दिया ।।
बे माकसद बे मायने थे ।
खुद से ही अनजाने थे ।।
जीवन कैसे जीना है ।
उसने ही तो सार दिया ।।
लाखों चेहरे लाखों लोग ।
लाखों व्यंजन लाखों भोग ।।
कितना दर्द दिया है जावेद ।
यार को अपने मार दिया ।।
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