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रविवार, 8 दिसंबर 2019

अचम्भव

अचंभव
मगर कडवा सच है कि इस दुनियां में रहने वाले 75% लोग यह नहीं जानते की रोटी, दाल, चावल, मटर, सब्जी, घी, तेल, वगैरह वगैरह चीजें कहां से आती हैं।
75% लोग पेड़ों की कल्पना करते हैं।
कुछ लोग तो यह भी सोंचते हैं कि यह सब किसी मशीन से तैयार होती होगी। मशीनरी की सोच वाले काफी हद तक सही भी हैं क्यों कि चाईना एक देश है जो पूरी दुनिया में मशीनरी से बनाई हुई चीज़ों की सप्लाई करती है। मगर भारत में पसीने की जगह खूंन बहाने वाले किसानों को उनके उपजाये गये वस्तुओं का कोई मोल नहीं मिलता।
आज होटलों में चार रोटी की कीमत डेड से दो किलो आटे के बराबर है। चावल, शब्जी, दाल, अंडा, मीट, मछली, इत्यादि सब चीजों का यही हाल है।
हमारे देश भारत में होटलों में एक टाईम का खाना एक व्यक्ति को 150 रुपये से 1000 के ऊपर तक मिलता है। होती सब वही चीजें हैं जो एक आम इंसान भी खाता है। इस एक टाईम के भोजन पर हुये खर्च 150 रुपये में एक परिवार पांच से सात लोगों का आराम से शादा भोजन पेट भर के खा लेता है।
1000 या इसके ऊपर एक टाईम के भोजन पर खर्च
करने वाले ये कभी नहीं सोंच पाते की इसी देश में कितने भूखे भी सोते हैं। जिसमें अधिकान्स मजदूर और किसान ही होते हैं। आगे की समस्याओं पर आप लोग खुद सोंचे और समझें।

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