देश जब संकटकालीन दौर से गुजरता है तब प्रत्येक
देश वासियों की जरूरत पड़ती है इस संकट से उबारने
के लिए । जो जिस लायक होता है वो अपने अपने स्वविवेकानुसार काम करता है । जैसे -
देश के राजनीतिज्ञ , बिजनेस मैन , विचारक , वैज्ञानिक , लेखक , कलाकार , डाक्टर , मास्टर , कर्मचारी , अधिकारी मीडिया, सिनेमा, कवि, शायर, पढ़े लिखे , अनपढ, महिला पुरूष , नौजवान , विद्यार्थी वगैरह वगैरह ।
आज भारत देश कितनी समस्याओं से गुजर रहा है ।
1- कोरोना की महामारी
2- आर्थिक मंदी
3- भुखमरी
4- फेंक न्यूज
5- धार्मिक भेदभाव
6- धार्मिक राजनीति
अगर वर्तमान सरकार चाहे तो ये सभी समस्याओं को
हल कर सकती है लेकिन सरकार को देश के प्रत्येक
नागरिकों से सिर्फ़ दो सहायता मागी गयी है ।
1- महामारी पर विजय पाने के लिए जारी निर्देशों और
गाईड़लाईनों का पालन करें ।
2- महामारी से निपटने के लिए जिससे जितना हो सके
प्रधानमंत्री राहत कोश में आर्थिक सहयोग करें ।
इन दोनों का पलन किया जारहा है ।
इसके बावजूद जो समस्याएं हैं उनका निदान क्या है ।
सभी वर्गों के लोग अपने अपने योग्यतानुसार काम कर
रहे हैं भले एक वर्ग भूख से मर रहा है लेकिन मरते हुए
भी निर्देशों का पलन कर रहा है ।
लेकिन आप स्वयं विचार करें और देखें कि
राजनीतिज्ञ और मीडिया
इमानदारी पुर्वक अपना काम कर रहे हैं ।
मुझे लगता है कि राजनीतिज्ञों के सहयोग से आज भारत
का मीडिया जिस राह पर चल पड़ा है इसका अंजाम
संपूर्ण भारत को बहुत ही भयावह दौर से गुजरने पर
मजबूर कर देगा, जिसे पुनः कंट्रोल कर के अपने पहले
जैसी स्थिति में ला पाना मुमकिन नहीं होगा।
ये कौन से भारत का निर्माण करना चाहते हैं ?
पाश्चात्य काल के भारत का या
आधुनिक काल के भारत का
जब कि भारत का आईना आज स्पष्ट देखा जा सकता है।
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